चूत का प्यासा बेटा अपनी माँ की जवानी देख कर हुआ पागल-2

This story is part of the चूत का प्यासा बेटा अपनी माँ की जवानी देख कर हुआ पागल series

    पिछले भाग में आप सब ने पढ़ा कि कैसे मैंने माँ को अपना लौड़ा दिखाया, और कैसे उसकी जवानी को देख कर पागल हुआ। कहानी के इस भाग में आप पढ़ेंगे कैसे मैंने अपनी माँ को सोते हुए उसके जिस्म के साथ खेला, कैसे माँ और पिता जी की चुदाई देख कर मजे लिए, और कैसे माँ को इमोशनली ब्लैकमेल करके उसके बूब्स का रस पिया, और माँ की चूत चाटी, और माँ को चुदाई करने के लिए राजी किया।

    हेलो मेरे मादरचोद एवं बहनचोद दोस्तों। कैसे हो आप लोग? पहले मुझे लगता था मादरचोद और बहनचोद गाली है, पर सच कहूं तो अब कोई अगर ऐसा कहता है तो मुझे बुरा नहीं लगता। और गर्व से मैं कहता हूं कि मैं मादरचोद हूँ और मुझे अपना लंड माँ की चूत में पेलना अच्छा लगता हैं।

    मैं तो कहता हूँ ये शादी वगैरह दूसरे से करना ढेर झंझट पालो, कैसी मिलेगी, नहीं मिलेगी, इससे अच्छा है अपनी माँ बहन को चोदो, और फिर उसके बच्चे होंगे। फिर वो भी अपनी माँ बहन की चुदाई करेंगे। कितना अच्छा रहेगा, बच्चा जवान होते ही चुदाई शुरू कर सकता है।

    जिसको जवान अच्छी लगती है वो बहन को चोदेगा। जिसको आंटी टाइप अच्छी लगती है, वो माँ चोदेगा, और जिसको बूढ़ी को चोदना है, वो अपनी दादी को चोद सकता है।

    खैर कहानी शुरू करते है। तो माँ मेरे बगल में सोयी हुई थी रेड नाईटी में, और मेरे लौड़े पर कहर बरपा रही थी। मैं अपने तने हुए 8 इंच के लौड़े को लुंगी से बाहर निकाल कर मुठ मारने लगा।

    फिर हिम्मत करके माँ के बूब्स पर हल्का हाथ रखा। माँ सीधी लेटी हुई थी, और एक पैर घुटने से मोड़ी हुई थी, जिससे नाईटी नीचे से कमर तक सरक गयी थी और नाईटी के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे।

    इसकी वजह से माँ की चूची की ऊपर के हिस्से साफ दिख रहे थे। मन तो कर रहा था कि साली के नाईटी को उतार कर दोनों चूचों को मसल दूँ, और अपना 8 इंच लम्बा लौड़ा पहले मुँह में डालूँ, फिर बल पकड़ कर घपा-घप उसके मुँह में लौड़ा पेल के अपना सारा माल पिला दूं। फिर उसकी चड्डी खींच के फाड़ दूँ, और दोनों मोटी-मोटी टाँगे के बीच में अपना चेहरा डाल दूँ, और माँ की गुलाबी चूत का पूरा रस चूस लूँ।

    फिर दोनों जाँघे उठा कर अपना 8 इंच मोटा लौड़ा माँ की चूत में डाल कर बिना रुके 120 की स्पीड में चुदाई करूं। फिर अपने लौड़े पे बिठा के जंपिंग-जपांग करूं। फिर साली को डॉगी स्टाइल में करके अपने लौड़े को उसकी बड़ी सी गांड के बीच छोटे से छेद में घुसा कर गांड फार दूँ।

    ये सब सोचते हुए मैं अपने लौड़े को हिला रहा था कि एकाएक मेरे लंड से पिचकारी निकली, और मेरा सफ़ेद माल सीधे माँ की जांघ पर जा गिरा। माँ गहरी नींद में सो रही थी, तो माँ को नहीं पता चला और मैंने अपनी जुबान से माँ की जांघ पर गिरे माल को चाट के साफ़ कर दिया।

    माल निकालने के बाद मेरा जोश ठंडा हुआ, और उस समय थोड़ी देर के लिए मुझे बुरा फील हो रहा था कि ये सब मैं क्या सोच रहा था अपनी ही माँ के बारे में। फिर मैं माँ की बगल में लेट गया, पर जिसके बगल में हुस्न की मल्लिका आधी नंगी सोयी हो, चाहे वो आपकी माँ ही क्यों ना हो, फिर भी ये लंड कुछ नहीं समझता।

    थोड़ी देर बाद मेरा लौड़ा माँ को देख कर फुफकारे मारने लगा। फिर मुझमे पता नहीं कहा से हिम्मत आयी‌‌, कि मैंने अपने हाथ धीरे-धीरे माँ की नँगी जांघो पर फेरना शुरू किया।

    जैसे-जैसे मेरे हाथ माँ की चूत की तरफ बढ़ रहे थे, वैसे-वैसे मेरी साँसे तेज हो रही थी। डर लग रहा था कि कही माँ उठ ना जाये, फिर भी अपने लंड के आगे मजबूर मैं हिम्मत करके धीरे-धीरे उसकी जांघो से माँ की चूत तक पहुँच गया।

    मेरे हाथ माँ की चड्डी को छू रहे थे। वो ऐसे हालात थे, कि साँसे हलक में अटकी थी। फिर अचानक माँ थोड़ा हिली, और मैंने घबरा कर हाथ हटाया और उल्टा घूम कर सोने की एक्टिंग करने लगा। शायद माँ को शक हो गया था। वो उठ कर मुझे देखने लगी। फिर अपने कपड़े ठीक किये, और सो गयी।

    फिर डर से मेरा भी जोश ठंडा हो गया। पर अब मेरे दिमाग में सिर्फ यही चल रहा था, कि कैसे माँ को अपनी रण्डी बनाऊँ, कैसे माँ को अपने लौड़े से संतुष्ट करू तांकि जब मन चाहे तब मैं चूत का मजा ले सकूँ।

    यही सब सोचते-सोचते मुझे नींद आ गयी, और सुबह जब उठा तो पापा दीदी के साथ आ गये थे। मुझे अफ़सोस हो रहा था कि काश रात में मौका था थोड़ा हिम्मत करके माँ को चोद देता।

    मुझे पता था कि आज मेरा बाप मेरी माँ को जरूर चोदेगा इसलिए पहले ही प्लान करके माँ के बेडरूम की खिड़की को थोड़ा सा खोल दिया। जब मेरी माँ और बाप कमरे में गये, दीदी और छोटी बहन भी सो चुकी थी। तो मैं खिड़की से अन्दर झाँका तो देखा कि मेरा बाप बेड पे नंगा लेटा हुआ था, और माँ अपना ब्लाउज और चड्डी उतार रही थी।

    माँ का नंगा जिस्म देख कर मेरे जिस्म में आग लग गयी, और मैं वहीं खिड़की के पास अपने लंड को पकड़ के हिलाने लगा। माँ नंगी सेक्स की देवी लग रही थी। मेरे बाप ने सीधे मेरी माँ के बाल पकड़ के अपने लौड़े को माँ के मुँह में घुसा दिया। माँ भी रंडी की तरह लंड चूस रही थी। 2 मिनट में ही मेरे बाप के लौड़े से सफ़ेद माल निकलने लगा, और मेरी माँ पूरा माल गटागट पी गयी।

    मेरा बाप निढाल थोड़ी देर तक बैड पे लेटा रहा, और मेरी माँ मेरे बाप के लंड को चूसे जा रही थी। पर मेरे बाप का लंड दुबारा खड़ा ही नहीं हो रहा था। माँ का दिमाग ख़राब हो रहा था।

    माँ गुस्साते हुए बोली: मादरचोद, जब तेरे लौड़े में दम ही नहीं बचा, तो मुझे क्यों जगा देता है? खुद तो 2 मिनट में संतुष्ट हो जाता है। और मेरी चूत में आग लगा कर खुद बेसुद्ध पड़ा हुआ है।

    फिर वो अपनी चूत मेरे बाप के मुँह पर रगड़ते हुए बोली: चाट साले मेरी चूत चाट। तेरे लौड़े में अब दम तो रहा नहीं।

    और फिर गुस्से में माँ के मुँह से जो निकला, वो सुन के मैं दंग रह गया।

    माँ ने बोला: मन तो करता हैं अपनी चूत की प्यास अपने ही बेटे से मिटा लूँ। देखा है मैंने उसका लौड़ा। तुझसे काफी बड़ा है,‌ और मोटा भी, तू तो अब नपुंसक हो गया है। क्या बोलता है हरामी, चुदवा लूँ अपने बेटे से?

    मेरे बाप को ये सब सुन कर गुस्सा आ गया, और एक उसने जोरदार तमाचा जड़ दिया और बोला: तू पागल हो गयी है। क्या सब बोल रही है? इतनी भी पागल मत बन अपनी चूत के चक्कर में। अब तेरी इस उम्र तक भी चूत प्यासी है तो मैं क्या करू? मेरी तो उम्र हो गयी है।

    फिर माँ होश में आते हुए बोली: गुस्से में मैं ज्यादा बोल गयी। चलिए सो जाये।

    फिर माँ ने अपनी चूत में ऊँगली करके अपने आप को ठंडा किया, और कपड़े पहन कर सो गयी। पर मेरी नींद यहाँ उड़ चुकी थी। मुझमे अब कॉन्फिडेंस आ गया था कि माँ को भी एक तगड़े लंड की जरूरत थी, और मुझे ये मौका अब नहीं छोड़ना चाहिए। मैंने सोच लिया था कि कल मुझे किसी भी तरह माँ को अपने लौड़े का मजा चखाना था। और ख़ुशी से मुझे नींद भी नहीं आ रही थी।

    फिर कुछ देर बाद मैं सो गया और जब सुबह उठा, तो पापा ऑफिस जा चुके थे। दीदी और बहन कही घूमने गए थे और माँ किचन में खाना बना रही थी। मैं आँख मलते हुए माँ के पास किचन में गया, और माँ को पैर छू कर प्रणाम किया।

    फिर माँ ने पूछा: क्या बात है बेटा, आज बहुत लेट से उठा? रात में सोया नहीं क्या?

    आज तो मैं अलग ही मूड में था। तो मैंने माँ से कहा: हां माँ, कल रात को आपकी याद आ रही थी।

    और शरारत से माँ की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींचा, जिससे माँ के बूब्स सीधे मेरे छाती से टकरा गए, और मेरा खड़ा लंड माँ के पैरो में जाके लगा। माँ थोड़ा असहज महसूस कर रही थी, तो मुझसे खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए माँ बोली-

    माँ: छोड़ मुझे, क्या कर रहा है?

    उस समय माँ ने एक पतली सी साड़ी और डीप नेक ब्लाउज डाला हुआ था, जिसमे माँ एक-दम सेक्सी लग रही थी।

    मैंने माँ से कहा: आप पूछ रही थी ना मैं इतनी लेट तक क्यों सोया हुआ था? तो आपको बता दूँ, कल रात मैंने खिड़की से आपकी और पापा की चुदाई देखी, और वो सब भी देखा जो आप मेरे बारे में पापा से बोल रहे थे।

    माँ गुस्से से लाल हो गयी और एक थप्पड़ जड़ दिया मेरे गाल पे। फिर मेरी पकड़ ढीली पड़ते ही माँ अपने बैडरूम की तरफ भागी। मैं भी माँ के पीछे बैडरूम में गया तो माँ रो रही थी।

    वो मुझे देखते हुए बोली: तुझे शर्म नहीं आयी अपनी माँ के बारे में ये सब सोचते हुए?

    तो मैं माँ के करीब जा के बैठ गया, और माँ को इमोशनली ब्लैकमेल करके समझाने लगा-

    मैं: देख माँ, मैंने आप दोनों की चुदाई देखी वो मैं मानता हूँ गलत हैं। पर आपको जो मैंने कल तड़पते हुए देखा, वो मुझसे कैसे सहन हो सकता है? और मैं आपका बेटा होके भी अगर आपकी ख़ुशी का कारण नहीं बन सकता, तो थू है ऐसी जिंदगी पर। और सच्ची बोलू माँ तो मुझे भी तू बहुत पसंद है। तेरे सिवा कोई जंचता ही नहीं है। तुझे भी एक बड़े, मोटे, तगड़े लौड़े से अपनी चूत की प्यास बुझानी है, और मुझे भी तेरी गदरायी जवानी के लुत्फ़ उठाने है। इसमें कुछ भी बुराई नहीं है।

    मैं: तू सोच ना तू कही बाहर जाएगी अपनी चूत मरवाने,‌ तो इज्जत तो जाएगी ही पर क्या तुझे जब चाहिए होगा तब मिलेगा? और मेरे जैसे गबरू जवान तगड़े लंड वाला मिलेगा क्या?

    ये सब सुन कर माँ की भावना जागने लगी। फिर माँ थोड़ा नार्मल हुई, पर फिर भी बोली-

    माँ: लेकिन तेरे साथ कैसे कर सकती हूँ? तू तो मेरा बेटा है।

    तो मैंने माँ को बताया: आज कल ये बहुत आम बात है। फिर मैं desikahani.com पर माँ बेटे की चुदाई कहानी पढ़ कर सुनाने लगा।

    कहानी पढ़ते-पढ़ते मेरा लौड़ा पूरा कड़क हो चुका था और माँ भी जोश में आ गयी थी। फिर मैंने मोबाइल साइड में रखा, और माँ के हाथ को अपनी तरफ खींचा, तो माँ मेरे करीब आ गयी। उनकी साँसे बहुत तेज़ चल रही थी।

    मैंने अपने दाहिने हाथ से माँ की साड़ी को उनके बूब्स पर से नीचे गिरा दिया, और फिर माँ की कमर में दोनों हाथ डाल कर अपनी ओर जोर से खींचा तो माँ की चूची मेरे मुँह के एक-दम करीब आ गयी जो साँस के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी।

    फिर माँ कुछ बोलना चाह रही थी, उससे पहले मैंने अपने होठ माँ के गुलाबी होंठो पे रख दिये, और माँ के होंठो को चूसने लगा। साथ में उसके शरीर पे हाथ फिर रहे थे। फिर किस करते हुए ही मैंने एक हाथ से माँ के बूब्स को दबाना चालू किया। फिर गले पे और माँ की चूची से ऊपर क्लीवेज के पास किस करने लगा, तो माँ जोश में आकर मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी।

    फिर मैं ऊपर से पूरा नंगा हो गया, तो माँ मेरी छाती को चूम रही थी। फिर माँ को बेड पे लिटा कर दोनों हाथों से माँ की बड़ी-बड़ी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगा। मेरा सब्र का बांध टूटता जा रहा था। तो मैंने माँ के ब्लाउज में ऊपर से दोनों हाथ डाल कर ब्लाउज को जोर से खींचा, तो ब्लाउज और ब्रा फट गये, और दोनों चूचे एक-दम से बाहर आ गये।

    माँ के दोनों बूब्स एक दम गोल-मटोल और काफी विशाल थे। मेरे दोनों हाथ से भी माँ के एक बूब्स पकड़ में नहीं आ रहे थे। मैं पागलों की तरह दोनों हाथ से उनके बूब्स को मसलने लगा, निप्पल्स को दबाने लगा। मैं जोश में इतनी जोर से चूचे मसल रहा था, कि माँ को मजे के साथ-साथ दर्द भी हो रहा था।

    तो माँ ने कहा: बेटा आराम से करो ना, मै तुम्हारी माँ हूँ, कोई रण्डी नहीं।

    तो माँ के मुँह से रण्डी शब्द सुन के मैं और जोर से मसलने लगा, और दांत से काटने लगा हब्शी जानवर की तरह।

    मैंने माँ से बोला: माँ मेरी तमन्ना है कि मैं अपनी माँ को रण्डी बना के चोदू। मुझे वाइल्ड चुदाई करने में मजा आता है।

    तो माँ बोली: आज से मैं तेरी रण्डी हूँ। तू जैसे चाहे वैसे चोद ले, जो चाहे वो कर।

    इस पर मुझे और जोश आ गया। मैंने माँ का चेहरा पकड़ा और बोला-

    मैं: ठीक है मेरी रंडी माँ, देख तुझे मैं कितना मजा देता हूँ।

    फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, और अपने 8 इंच मोटे लौड़े को सीधे माँ के मुँह में हलक तक पेल दिया। फिर माँ के मुँह को रंडी की तरह चोदने लगा। मैं अपना लौड़ा पूरा हलक में घुसा देता, फिर जब तक उसे साँस लेने में दिक्कत ना होती, तब तक लगातार अंदर-बाहर करता रहता।

    मैंने माँ के गाल को थप्पड़ से मार के लाल कर दिया। बूब्स पर दसों उँगलियों के छापे पड़ गए थे, पर माँ उफ़ तक नहीं कर रही थी। फिर मैंने अपने लौड़े को माँ के मुँह से निकाला, और टट्टे चुसवाने लगा। फिर लौड़ा चूसते-चूसते मेरा माल माँ के मुँह में गिरा दिया, और माँ सारा माल गटक-गटक के पी गयी।

    वो लंड चाट के ऐसे साफ कर रही थी, जैसे मलाई हो। फिर मैंने माँ के सारे कपड़े खींच के निकाल दिए, और माँ को बेड पे लिटा कर दोनों पैर फैला दिये। खुद मैं माँ के दोनों पैर के बीच में आ गया, और माँ की क्लीन शेव्ड चूत जो पॉ रोटी की तरह फुली हुयी थी, को हाथ से सहलाया।

    फिर अपनी मिडिल फिंगर माँ की चूत में डाल दी, और अंदर-बाहर करने लगा। साथ में अपनी जुबान से माँ की गुलाबी चूत चाटने लगा। माँ तो बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी। वो मेरे पूरे सर को ही अपनी चूत में घुसाने का कोशिश करने लगी। माँ की तड़प जैसे-जैसे बढ़ रही थी, मेरी ऊँगली की स्पीड वैसे ही और बढ़ रही थी, और एक के बाद दो और दो के बाद तीन ऊँगलियां डाल कर अंदर-बाहर कर रहा था।

    माँ बोलने लगी: बेटा इससे पहले कि मेरा निकल जाये, मुझे चुदाई का चरम सुख देदो। अपना लौड़ा डाल दो मेरी चूत में, और फाड़ डालो मेरी चूत। रियल में सुहागरात तो आज है मेरी। अपनी रण्डी माँ को और ना तड़पाओ प्लीज।

    तब मेरा लौड़ा भी मस्त खड़ा हो गया था। मैंने माँ की दोनों टांगो को फैला कर अपनी गोद की साइड में रख दिया, और माँ की गांड उठा कर उसके नीचे दो तकिये डाल दिए। फिर माँ के चूतड़ों पर दो-चार चमाट खींच के दिये जिससे दोनों चूतड़ लाल हो गये।

    आखिरकार  मैंने अपने लौड़े को सेट करते हुए सुपारे को चूत पर रख दिया, और हल्का सा धक्का दिया जिससे मेरा सुपारा आसानी से अंदर चला गया। फिर मैंने माँ की दोनों जांघो को पकड़ कर एक जोरदार धक्का दिया जिससे मेरा लौड़ा माँ की चूत को चीरते हुए पूरा घुस गया। लौड़ा घुसते ही मैंने माँ को मुँह को बंद कर दिया। माँ दर्द से छटपटा रही थी।

    काफी दिनों से अच्छे बड़े लौड़े से नहीं चुदने के कारण माँ को बहुत दर्द हो रहा था। तो मैंने अपने लौड़े को थोड़ी देर वैसी ही माँ की चूत में रेस्ट दे दिया। फिर जब माँ थोड़ा नार्मल हुई, तो मैंने धीरे-धीरे अपने लौड़े को ऊपर-नीचे करना शुरू किया।

    साथ में मैं दोनों बूब्स को मसल रहा था। फिर धीरे-धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और ताबड़तोड़ 180 की स्पीड में धक्का देने लगा। जब मेरा बांध टूटने वाला था, तो मैंने माँ से पूछा-

    मैं: कहाँ गिराऊँ?

    तो माँ ने इशारा किया: भर दे मेरी चूत।

    तो मैंने स्पीड बढ़ा दी, और फिर मैंने अपने आप को आजाद कर दिया, और मेरे लौड़े से एक-दम गरमा-गरम सफ़ेद एवं गाढ़ा माल गिरने लगा, और मेरी माँ की चूत भर गयी। फिर मेरे लौड़े पे लगे हुए माल को माँ ने चाट-चाट के साफ़ किया, और हम दोनों वही नंगे बेड पे पड़ गए।

    मैंने माँ से पूछा: मजा आया?

    तो माँ ने कहा: मैँ तृप्त हो गयी आज बेटा। आज से मैं तुम्हारी परमानेंट रण्डी बन गयी हूँ। तुम जब चाहो मुझे चोद सकते हो। आज मैंने जाना हैं चुदाई का चरम सुख क्या होता है।

    फिर मैंने माँ से कहा: अभी तो सिर्फ एक ही राउंड हुआ‌ है, और ये तो शुरुआत है माँ, आगे-आगे देखो मैं कैसे तुम्हे हर एक आसन का सुख अनुभव करवाता हूँ।

    इस पर माँ बहुत उत्सुक थी और फिर से उठा कर मेरे लौड़े को मुँह में डाल कर चूसने लगी। इस पार्ट में यहीं तक। अब आगे के पार्ट में बतायेंगे कि माँ की चुदाई किस-किस आसन में की। कैसे माँ की गांड मारी, और माँ को मेरे लौड़े की कैसी लत लगी।

    अब मैं माँ की चुदाई कब-कब करता हूँ और हमारी जिंदगी में इस चुदाई की वजह से क्या बदलाव आया है, कैसे मुझे चूत का चस्का लगने से मेरे लंड की पुकार अब मेरी दीदी की चूत की ओर है, और क्या मैं माँ की मदद से दीदी को चोद पाऊँगा?‌ ये‌ सब जानने के लिए मेरे इस पार्ट को ढेर सारा प्यार दे, और कमेंट करे आप सब को ये कहानी कैसी लगी। धन्यवाद अब सभी लोगों का।

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