रजनी और सुरेश की प्रेम कहानी (Rajni aur suresh ki prem kahani)

रजनी, 38 साल की एक विधवा, और उसका 19 साल का बेटा रजू एक छोटे से शहर में रहते थे। रजनी एक साधारण और मेहनती औरत थी, जो अपने बेटे के लिए दिन-रात मेहनत करती थी। उसकी जिंदगी में पति की मौत के बाद उदासी छाई हुई थी। लेकिन वो रजू के लिए हमेशा मुस्कुराने की कोशिश करती। रजू एक समझदार और जिम्मेदार लड़का था, जो अपनी माँ को हमेशा खुश देखना चाहता था। उसे अपनी माँ की उदास आँखें और चुपके-चुपके बहाए आँसू देख कर बहुत दुख होता था।

दूसरी तरफ, सुरेश, 45 साल का एक वकील, जो अपने पेशे में माहिर था। लेकिन उसकी जिंदगी भी अधूरी थी। उसकी पत्नी कुछ साल पहले एक दुर्घटना में चल बसी थी, और तब से सुरेश का दिल उदासी और अकेलेपन से भरा था। वो अपने काम में डूब कर अपनी उदासी को भूलने की कोशिश करता, लेकिन रातें उसके लिए लंबी और खाली थी।

रजू की मुसीबत और सुरेश की मदद:-

एक दिन रजू कॉलेज में अपने दोस्त के साथ किसी छोटी-सी बात पर झगड़ पड़ता है। बात इतनी बढ़ जाती है कि कॉलेज के कुछ लड़के रजू को घेर लेते हैं, और मार-पीट हो जाती है। कॉलेज प्रशासन पुलिस को बुला लेता है, और रजू को थाने ले जाया जाता है। रजनी को जब यह खबर मिलती है, तो वो घबरा जाती है। उसका बेटा, उसका इकलौता सहारा, अब मुसीबत में था।

रजनी को समझ नहीं आता कि वो क्या करे। तभी उसे सुरेश की याद आती है, जो उनके मोहल्ले का मशहूर वकील था। रजनी ने सुना था कि सुरेश बहुत दयालु है और जरूरतमंदों की मदद करता है।

रजनी हिम्मत करके सुरेश के ऑफिस पहुँचती है। उसने एक साधारण सी साड़ी पहनी थी, जिसे उसने जल्दबाजी में लपेटा था। सुरेश उसे देख कर मुस्कुराता है और पूछता है, “क्या बात है, रजनी जी? आप इतनी परेशान क्यों हैं?” रजनी अपनी आँखों में आँसू लिए रजू की सारी कहानी बताती है। सुरेश ध्यान से सुनता है और उसे ढांढस बंधाता है, “चिंता मत कीजिए, मैं रजू को छुड़ा लूँगा। ये बस बच्चों की नादानी है।”

सुरेश तुरंत थाने जाता है और अपनी वकालत के दम पर रजू को बिना किसी मुकद्दमे के छुड़ा लेता है। रजू और रजनी दोनों उसका बहुत शुक्रिया अदा करते हैं। रजू को सुरेश का शांत और मददगार स्वभाव बहुत पसंद आता है। वो सोचता है कि अगर सुरेश अंकल इतने अच्छे इंसान हैं, तो माँ को उनसे दोस्ती करनी चाहिए।

रजू और सुरेश की दोस्ती:-

रजू बार-बार सुरेश के ऑफिस जाने लगा। कभी कोई किताब माँगने, कभी कॉलेज की पढ़ाई में मदद लेने। सुरेश को भी रजू का उत्साह और समझदारी पसंद आने लगी। धीरे-धीरे दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। एक दिन रजू ने सुरेश से उनके अतीत के बारे में पूछा। सुरेश ने उदास होकर बताया कि उसकी पत्नी की मौत के बाद उसकी जिंदगी सूनी हो गई है। रजू को यह सुन कर बहुत दुख हुआ। उसे अपनी माँ की उदासी याद आई, जो भी अपने पति की मौत के बाद अकेली थी।

रजू के दिमाग में एक विचार आया। उसने सोचा, “क्यों ना माँ और सुरेश अंकल की दोस्ती करवा दूँ? दोनों अकेले हैं, दोनों उदास हैं। शायद एक-दूसरे का साथ उनकी जिंदगी में रंग भर दे।”

रजू का प्लान:-

एक शाम रजू सुरेश के घर जाता है। सुरेश टीवी पर एक पुरानी हिंदी फिल्म देख रहा था, जिसमें हीरो-हीरोइन का एक रोमांटिक गाना चल रहा था। हीरोइन ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो उसकी नाभि के नीचे बंधी थी। रजू ने गौर किया कि सुरेश बार-बार हीरोइन की नाभि की तरफ देख रहा था। उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी, जो रजू ने पहले नहीं देखी थी। रजू को समझ आ गया कि सुरेश को औरतों की नाभि बहुत आकर्षक लगती है।

रजू ने मन ही मन एक प्लान बनाया। वो अपनी माँ को सुरेश के सामने ऐसी साड़ी पहनने के लिए मनाएगा, जिसमें उनकी नाभि दिखे, ताकि सुरेश का ध्यान उनकी तरफ जाए। लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था। रजनी बहुत साधारण और शर्मीली थी। वो हमेशा अपनी साड़ी को पूरी तरह ढक कर पहनती थी। रजू को पता था कि उसे बहुत समझदारी से काम करना होगा।

रजनी को मनाने की कोशिश:-

रजू घर लौटा और रजनी से बात शुरू की। “माँ, आप हमेशा इतनी साधारण साड़ियाँ क्यों पहनती हो? आपको कुछ नई और रंगीन साड़ियाँ लेनी चाहिए।” रजनी हँसते हुए बोली, “अरे रजू, अब मेरी उम्र साड़ियाँ सजाने की नहीं रही। ये सब तुम्हारी उम्र की लड़कियों के लिए है।”

रजू ने हार नहीं मानी। उसने कहा, “माँ, आप अभी भी बहुत सुंदर हो। अगर आप थोड़ा सज-संवर लो, तो लोग आपको देख कर हैरान रह जाएँगे।” रजनी को रजू की बातें सुन कर हँसी आई, लेकिन उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

रजू ने अगले दिन फिर कोशिश की। उसने रजनी को एक नई साड़ी लाकर दी, जो उसने अपनी जेब खर्च से खरीदी थी। यह एक नीली रंग की साड़ी थी, जो बहुत हल्की और शिफॉन की थी। रजू ने कहा, “माँ, इसे एक बार पहन कर तो देखो। मैंने आपके लिए खास चुनी है।” रजनी अपने बेटे की जिद के आगे हार गई और साड़ी पहनने को तैयार हो गई।

रजू ने उसे साड़ी पहनने में मदद की और जान-बूझ कर साड़ी को नाभि के थोड़ा नीचे बाँध दिया। रजनी ने शीशे में खुद को देखा और शरमा गई। “रजू, ये क्या? ये तो बहुत नीचे है!” रजू ने हँसते हुए कहा, “माँ, यही तो आज कल का स्टाइल है। आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।”

रजनी और सुरेश की मुलाकात:-

रजू ने एक दिन सुरेश को घर पर डिनर के लिए बुलाया। रजनी को पहले से कुछ नहीं बताया, ताकि वो घबराए नहीं। जब सुरेश आया, तो रजनी ने वही नीली शिफॉन की साड़ी पहनी थी, जो रजू ने दी थी। रजनी ने साड़ी को थोड़ा ऊपर खींचने की कोशिश की, लेकिन रजू ने उसे टोक दिया, “माँ, ऐसे ही रहने दो। आप बहुत अच्छी लग रही हो।”

सुरेश जब घर में दाखिल हुआ, तो उसकी नजर रजनी पर पड़ी। रजनी की सादगी और उसकी साड़ी में छिपी सुंदरता ने उसे एक पल के लिए स्तब्ध कर दिया। रजनी की नाभि, जो साड़ी के नीचे से हल्की-सी झलक रही थी, ने सुरेश का ध्यान खींच लिया। वो बार-बार उसकी तरफ देखने की कोशिश करता, लेकिन अपनी नजरें हटाने की भी कोशिश करता, ताकि रजनी को असहज ना लगे।

रजनी ने सुरेश का स्वागत किया और खाने की मेज पर बैठाया। रजू ने जान-बूझ कर रजनी को बार-बार किचन से सामान लाने के लिए कहा, ताकि वो बार-बार सुरेश के सामने से गुजरे। हर बार जब रजनी चलती, उसकी साड़ी हल्की सी सरकती, और सुरेश की नजरें अनायास ही उसकी नाभि पर चली जाती।

खाने के बाद रजू ने जान-बूझ कर एक पुरानी फिल्म लगाई, जिसमें एक रोमांटिक गाना था। गाने में हीरोइन की साड़ी भी नाभि के नीचे बंधी थी। रजू ने मौका देख कर कहा, “माँ, आप इस हीरोइन से कहीं ज्यादा सुंदर लग रही हो।” रजनी शरमा गई, और सुरेश ने हल्की-सी मुस्कान के साथ कहा, “रजू सही कह रहा है, रजनी जी। आप आज सच-मुच बहुत सुंदर लग रही हैं।”

प्यार की शुरुआत:-

उस रात के बाद सुरेश और रजनी की मुलाकातें बढ़ने लगी। रजू हर बार रजनी को साड़ी को स्टाइलिश ढंग से पहनने के लिए प्रेरित करता। धीरे-धीरे रजनी को भी सुरेश की तारीफें अच्छी लगने लगी। वो सुरेश के साथ समय बिताने में सहज महसूस करने लगी।

एक दिन रजनी और सुरेश पास के एक पार्क में टहलने गए। रजनी ने उस दिन एक हल्की गुलाबी साड़ी पहनी थी, जो उसकी नाभि को हल्का-सा उजागर करती थी। सुरेश ने हिम्मत करके कहा, “रजनी जी, आपकी साड़ी का स्टाइल बहुत खूबसूरत है। ये आपको बहुत जचता है।” रजनी शरमाई, लेकिन उसने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “सुरेश जी, आप भी तो बहुत अच्छे लगते हैं।”

उस दिन पार्क में बैठ कर दोनों ने अपनी जिंदगी के दुख और सपनों के बारे में बात की। रजनी ने बताया कि वो हमेशा से चाहती थी कि रजू की जिंदगी में कोई कमी ना आए, लेकिन उसे अपने लिए कभी कुछ नहीं चाहिए था। सुरेश ने कहा, “रजनी जी, आपने दूसरों के लिए बहुत किया। अब आपको भी अपनी जिंदगी में खुशियाँ ढूंढनी चाहिए।”

रोमांटिक पल:-

एक दिन रजू ने जान-बूझ कर रजनी और सुरेश को अकेले छोड़ने का प्लान बनाया। उसने रजनी को कहा कि वो अपने दोस्त के घर जा रहा है, और सुरेश को घर पर बुला लिया। रजनी ने उस दिन एक खूबसूरत लाल साड़ी पहनी थी, जो उसकी नाभि को और आकर्षक बना रही थी। सुरेश जब आया, तो रजनी ने उसे चाय दी। चाय पीते वक्त सुरेश की नजर रजनी की नाभि पर गई, और वो एक पल के लिए रुक गया।

रजनी ने उसकी नजरें देख ली, और हल्के से मुस्कुराई। उसने मजाक में कहा, “सुरेश जी, आप इतना क्या देख रहे हैं?” सुरेश शरमा गया और बोला, “रजनी जी, मैं… मैं बस आपकी साड़ी की तारीफ करने वाला था।” रजनी ने हँसते हुए कहा, “सिर्फ साड़ी की तारीफ? या कुछ और भी?”

सुरेश ने हिम्मत करके कहा, “रजनी जी, आपकी खूबसूरती में कुछ तो जादू है। मैं चाह कर भी अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा।” रजनी का चेहरा शर्म से लाल हो गया, लेकिन उसे सुरेश की बातें अच्छी लगी। उसने हल्के से अपनी साड़ी को और नीचे सरकाया और कहा, “सुरेश जी, अगर आपको इतना ही पसंद है, तो पास से देख लीजिए।”

सुरेश हैरान रह गया। उसने धीरे से रजनी का हाथ पकड़ा और कहा, “रजनी जी, मैं आपसे बहुत प्यार करने लगा हूँ। क्या आप मेरे साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहेंगी?” रजनी की आँखें नम हो गईं। उसने कहा, “सुरेश जी, मैं भी आपके बिना अपनी जिंदगी अधूरी महसूस करती हूँ।”

नया रिश्ता:-

उस दिन के बाद रजनी और सुरेश का रिश्ता और गहरा हो गया। रजू को देख कर बहुत खुशी हुई कि उसकी माँ अब उदास नहीं रहती थी। सुरेश और रजनी ने एक साधारण समारोह में शादी कर ली।

उनकी सुहागरात कैसे हुई, वो अगले पार्ट में पढ़िए।