पंजाब की सरदारनियां-6 (Punjab ki sardarniyan-6)

पिछला भाग पढ़े:- पंजाब की सरदारनियां-5

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जिंदगी फिर से सामान्य रूप से चलने लगी थी। हालांकि संतोष के परपोज के बाद से अब जसमीन संतोष, सहेलियां या परिवार के साथ तो पहले जैसी ही थी। पर अकेले में वह थोड़ी गुम-सुम सी रहने लगी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अब संतोष को क्या जवाब दे। ना वह करना नहीं चाहती थी, क्योंकि संतोष के साथ अब अपनापन सा महसूस होने लगा था। पर वही पंजाब की जमीनदारनी और सरदारनी होने का गुरूर भी उसे संतोष के इस परपोज पर हां करने से रोक रहा था।

अब तक तो उसने संतोष का दिया हुए गिफ्ट का रैपर उतार कर भी ना देखा था। जसमीन अपने ही ख्यालों से सवालों को जनम देती और फिर खुद ही उनका जवाब भी देती।

एक दिन इतवार (रविवार) को जसमीन अपनी सोच में डूबी कमरे में आधी जागी अवस्था में थी, कि उसे लॉबी में एक आवाज सुनाई दी। लेकिन कुछ ही देर बाद वो आवाज अब उसे अपने पास सुनाई दे रही थी, और कोई उसे हिलोरे देकर जगा रहा था।

“जस्सी, रात भर सोई नहीं क्या, उठ ज़रा,” एक औरत की आवाज ने जसमीन को जगाया।

जसमीन अपनी आंखें मसलती हुई उठ कर बेड पर बैठती हुई बोली, “क्या हुआ भाभी, आज क्या आफत आन पड़ी आप पर?”

सुखप्रीत कौर 29 साल की शादी-शुदा औरत जो रिश्ते में जस्मीन की भाभी लगती थी, चूंकि जसमीन के चाचा के बेटे की बीवी थी। हंसमुख और मजाकिया स्वभाव की जो सब के साथ घुल मिल जाती है। गेहूं के दाने सा चमकता रंग ओर 5’5″ की कद काठी के साथ 34-32-36 का फिगर किसी को भी अपनी तरफ खींचता। जस्मीन के साथ पहले दिन से ही सुखप्रीत का मोह था, और दोनों एक-दूसरे से सहेलियों की तरह हर बात शेयर करती।

“पहले तू बता कितने दिन से मिलने भी नहीं आई?” सुखप्रीत भी साथ में बैठती हुई बोली।

“कुछ नहीं भाभी, बस कुछ दिनों से ठीक सा नहीं लग रहा तो इसलिए नहीं आ पाई,” जस्मीन ने बहाना बनाते हुए कहा।

“अच्छा, पर यह बुके तो कुछ और ही बात बता रहा हैं।” सुखप्रीत पास ही पड़े बुके को उठा कर जस्मीन को दिखाती हुई कहने लगी।

“अरे नहीं, यह तो आफिस वाले के दिया इस बार बर्थडे पर, और कुछ नहीं,” जसमीन थोड़ी सी घबराई पर संभलती हुई बोली।

“हम्ममम, अच्छा ये क्या हैं इसके बीच?” सुखप्रीत को बीच में एक छोटा सा कागज का टुकड़ा दिखा ओर उसे उठा के खोला, “ऊंहहम्मम ब्यूटीफुल फ्लावर्स टू द ब्यूटीफुल गर्ल। कौन है ये ऑफिस वाला?” सुखप्रीत ने शरारती मुस्कान के साथ जस्मीन को देखा।

जसमीन मुंह सा बनाती होंठ निकालती हुई सुखप्रीत को देखने लगी, बिना कुछ बोले, जिससे सुखप्रीत भी बात समझ गई और उठती हुई जस्मीन की बाजू पकड़ उसे भी उठती हुई बोली, “उठ जा अब, मेरे कमरे में बात करते है, चल।”

जसमीन भी चुप-चाप उठ खड़ी हुई जैसे वो भी किसी के साथ इस बात को शेयर करने और कुछ जवाब देने के लिए मशवरा करना चाहती थी। वो चुप-चाप सुखप्रीत के साथ चल पड़ी।

थोड़ी ही देर में जस्मीन अपने चाचा के घर सुखप्रीत के कमरे में बैठी, “तू बैठ मैं बस चाय बना के लाती हूं दो मिनट में, फिर सुनती हूं तेरी राम कहानी।” सुखप्रीत जस्मीन को बैठा कर खुद रसोई में चली गई, तो वही जस्मीन बेड पर बैठी कमरे में लगी सुखप्रीत की शादी की तस्वीरों की देखने लगी।

इतने में सुखप्रीत भी चाय लेके आ गई और एक कप जस्मीन को देती हुई साथ में बैठ दूसरा कप हाथ में लेती हुई बोली,
“हां, अब बताओ किसने दिया वो बुके इस ब्यूटीफुल गर्ल को?”

जसमीन आंखे झुकाती हुई चेहरे पर शर्माहट के साथ धीमी आवाज में बोली,
“भाभी, अहम्म वो संतोष है उसका नाम।”
“संतोष कौन, साफ साफ बता ना। मैं कौन सा उसे मिली हूं जो नाम से पहचान जाऊं,” सुखप्रीत ने जवाब दिया।

“अरे, वो मैनेजर है बैंक का जहां मैं नौकरी करती हूं, बस उसी ने दिया है,” जसमीन ने जान छुड़ाने के लिए जल्दी से जवाब दिया।

“हम्मम, अच्छा नाम से तो कोई बनिया जात का लगता है, डिटेल में बता ना कौन है? और कैसे वो बुके तुम्हे दिया उसने?” सुखप्रीत चाय की घूंट पीती हुई बोली।

जसमीन ने एक पल के लिए आंखे उठा के सुखप्रीत को देख और फिर अपनी बात शुरू की, “जात का तो पता नहीं पर यूपी से है वो, और ना जाने कैसे उसे मेरे बर्थडे का पता चल गया जिसके बाद।” जसमीन ने शुरू से लेकर आखिर तक सारी बात सुखप्रीत को बताई, कि किस तरह पहले सिर्फ फ्लर्ट से बात बढ़ती हुई कुछ दिन पहले संतोष ने जस्मीन को एक गिफ्ट देकर अपने दिल की बात बताते हुए उसे परपोज कर दिया।

“हम्मम, तो यह माजरा है, यूपी के भईया जी को पंजाब की जट्टी पसंद आ गई इसका मतलब।” सुखप्रीत सारी बात सुन कर चाय के खाली कप को हाथों में लिए बैठी बोली।

“आप भी भाभी, अब भला मैं जट्टी होके एक यूपी वाले से दिल लगाऊंगी?” जसमीन ने ऊपरी मन से सुखप्रीत की राय जानने की लिए कहा।

सुखप्रीत ने एक पल जस्मीन की तरफ देख कर नॉर्मली कहा, “क्यों, क्या खराबी है उसमें, मर्दों जैसा मर्द होगा।”

“अरे आप समझ नहीं रही है ना, अच्छा आप ही बताइए आप मेरी जगह होती तो क्या करती?” जसमीन ने अब सारी बात सुखप्रीत पर डाल दी, कि देखा जाए आखिर वो क्या कहती है।

लेकिन वह सुखप्रीत ने बिना कुछ सोचे समझे झट से बोल दिया, “देख पूछ रही है तो फिर यह मत कहना कि भाभी तेरे वीरे के होते हुए भी क्या बोल रही है। पर अगर मैं तेरी जगह होती तो उसी समय नहीं तो दूसरे दिन उसे अपनी तरफ से हामी भर देती।”

“अरे मतलब, आप यह भी नहीं सोचती कि आप जट्टी है, सरदारनी है पंजाबन, और वो एक यूपी का भईया जिनके बर्तन भी हमारे यह अलग रखे जाते है। सीधे हां बोल देती फट से?” जसमीन एक दम से हैरान रह गई सुखप्रीत का जवाब सुन कर। उसे अंदाजा भी ना था सुखप्रीत शादी-शुदा होके भी ऐसा जवाब देगी आगे से।

“देख जस्सी, सरदारनी होने का गुरूर अपनी जगह, और यह भी माना के उनके बरतन हम अलग रखते है। पर आख़िर हम औरतें है और एक औरत को हमेशा एक मर्द के साथ की जरूरत होती हैं। पर तुझे यह बातें शादी के बाद समझ में आएंगी मेरी लाडो नन्द,” सुखप्रीत ने आखिर में जसमीन की गालों को हल्का सा हाथों से खींच कर मुस्कराकर जवाब दिया।

पर जस्सी ने फिर से एक सवाल कर दिया जैसे उसे किसी बात का शंका हो गया हो।
“पर आप तो शादीशुदा है ना भाभी, तो क्या समझूं मैं के वीर जी मर्द नहीं है?”

“धत्त पगली, मैने ऐसा कब कहा? मैंने तो तेरी बात का जवाब दिया कि अगर मैं तेरी जगह होती तो। इसमें तेरे वीर जी कहां से आ गए?” सुखप्रीत ने बात को संभालते हुए शर्मा कर जवाब दिया और साथ ही बात को वापिस घुमा कर जस्सी पर ले आई, “अच्छा वैसे कोई गिफ्ट भी दिया क्या बर्थडे गर्ल को यूपी वाले ने? या फिर बस खाली फूलों से ही काम चला दिया।”

सुखप्रीत की बात सुनते ही जसमीन ने उसकी तरफ देख कर कहा, “हां दिया तो है एक फोन, पर मैंने अभी तक रैपर खोल के देखा नहीं के कौन सा है।” “हम्मम तो देख लेना था ना खोल के, और उसी फोन से उसे अपनी हां या ना का जवाब भी दे देना था। एक बात बोलूं जस्सी, बिना तेरा गिफ्ट देखे कह रही हूं, वो फोन 20-30,000 से उपर का ही होगा,” सुखप्रीत फोन के बारे में सुन कर जस्मीन को सलाह देती हुई फोन के बारे में बोली।

“आपको कैसे पता भाभी?” जसमीन चौंकती हुई सुखप्रीत को देख कर बोली।
“बस यूं समझ ले कि ये यूपी बिहार वाले हम सरदारनियों को पसंद करते है, और किसी भी कीमत पर हमारा साथ चाहते है,” सुखप्रीत हंसती हुई अपनी आंख दबा कर बोली।

काफी देर ऐसे ही बातें करने के बाद जस्मीन वापिस घर आई और कमरे में आते ही सबसे पहले उसने संतोष के दिए गिफ्ट को ओपन किया। तो उसमें से सैमसंग गैलेक्सी S9 था, जस्मीन ने फोन ऑन किया और जैसे सुखप्रीत के साथ बात करके उसके सारे शक दूर हो गए थे। इसलिए उसने फोन में पहले से ही सेव संतोष के नंबर पर मिस कॉल देकर अपनी हामी भर दी।