पड़ोसी ने तोड़ी मेरी दीदी की सील-26 (Padosi Ne Todi Meri Didi Ki Seal-26)

पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी ने तोड़ी मेरी दीदी की सील-25

हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-

शांत होती साँसें और हल्की फुसफुसाहट के साथ तीनों बिस्तर पर कुछ देर तक वैसे ही लेटे रहे। उनकी साँसें धीरे-धीरे सामान्य हो रही थी। कमरे में अभी भी वासना की एक हल्की-सी महक घुली हुई थी। मैं खिड़की पर से हिलने का नाम नहीं ले रहा था, मेरी आँखें बस उन पर टिकी थी। इंतज़ार कर रहा था कि आगे क्या होगा।

सबसे पहले, सलीम ने एक गहरी साँस ली और मुस्कुराते हुए मम्मी की तरफ़ देखा: तुम दोनों ने तो आज कमाल कर दिया, मेरी जान! ऐसा मज़ा तो कभी नहीं आया।

मम्मी ने एक शर्मिली मुस्कान दी और प्यार से सलीम के सीने पर हाथ फेरा-

मम्मी: आप भी कहाँ किसी से कम थे, सलीम जी। हम दोनों तो बस आपको खुश करना चाहते थे।

दीदी, जो सलीम के दूसरी तरफ़ लेटी थी, उसने अपनी उंगली से सलीम के पेट पर गोला बनाया: ख़ुश तो हम भी हुए हैं, सलीम जी। इस डील में तो सब की जीत हुई है, है ना माँ?

मम्मी ने धीरे से सिर हिलाया: हाँ बेटा, अब लगता है जैसे हम तीनों एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।

सलीम ने दोनों के हाथों को एक साथ पकड़ा और उन्हें चूमा: तुम दोनों मेरे लिए बहुत ख़ास हो। आज की रात मैं कभी नहीं भूलूँगा।

सलीम की बातें सुन कर तीनों के चेहरे पर एक अजीब सी चमक आ गई थी। वो तीनों थके हुए ज़रूर थे, पर उनकी आँखों में अभी भी वासना साफ़ दिख रही थी।

सलीम ने एक करवट ली और मम्मी को अपनी बाँहों में भर लिया: तुम दोनों मेरे लिए आज रात कुछ और करना चाहोगी?

उसने दीदी की तरफ़ देख कर हल्की मुस्कान दी। दीदी ने शरारत से अपनी माँ की तरफ़ देखा और मुस्कुराई: क्या कहती हो, माँ? सलीम जी को खुश करना है ना?

मम्मी ने एक गहरी साँस ली, उनके चेहरे पर थोड़ी झिझक थी, पर फिर उन्होंने दीदी की तरफ़ देखा और धीरे से सिर हिला दिया। उनकी इस हाँ से कमरे में एक नई बिजली दौड़ गई।

दीदी तुरंत मम्मी के ऊपर आ गई। मम्मी अभी भी लेटी हुई थी, और दीदी ने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। ये देख कर मेरे तो होश उड़ गए। मेरी बहन मेरी माँ को चूम रही थी! यह एक ऐसा नज़ारा था जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

दीदी के हाथ मम्मी के बदन पर घूमने लगे, उनकी चूचियों को सहलाते हुए वो धीरे-धीरे नीचे गई। मम्मी की आहें अब तेज हो रही थी। दीदी ने अपना मुँह मम्मी की चूची पर रखा और उनके निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मम्मी ने एक तेज़ सिसकी भरी और उनके शरीर में एक अजीब सी हलचल होने लगी।

सलीम ये सब देखता रहा, उसने अपना हाथ उठाया और मम्मी की चूत पर रख दिया, उसे धीरे-धीरे सहलाने लगा। दीदी ने भी अपना एक हाथ मम्मी की चूत पर रखा और अपनी उंगलियों से उसे अंदर-बाहर करने लगी। मम्मी के मुँह से अब तेज़ आवाज़ें निकलने लगी थी, और वो अपनी कमर ऊपर उठाने लगी थी।

दीदी पूरी तरह से मम्मी पर झुकी हुई थी। उनके होंठ मम्मी के होंठों पर थे, और उनके हाथ मम्मी की चूची और चूत दोनों को एक साथ सहला रहे थे। मम्मी के मुँह से तेज़ आहें निकल रही थी, और उनका शरीर बिस्तर पर ऐंठ रहा था। मेरी साँसें मानो रुक सी गई थी।

दीदी ने मम्मी की चूत पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ाया और उन्हें अंदर-बाहर करना तेज़ कर दिया। मम्मी ने एक तीखी चीख़ मारी, उनके पैर ज़ोर से हिलने लगे और उनका शरीर अचानक अकड़ गया। उनके मुँह से सिर्फ़ आह… आह… बेटी … जैसी आवाज़ें निकल रही थी।

ये देख कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए। मेरी अपनी बहन मेरी माँ को चरम सुख दे रही थी! कुछ ही पलों में, मम्मी का शरीर झटके खाने लगा और एक लंबी, सुख से भरी चीख़ उनके मुँह से निकली।

वो पूरी तरह से ढीली पड़ गई, उनकी आँखें बंद थी और वो हाँफ रही थी। दीदी ने मम्मी के होंठों पर एक हल्की किस्स दी और प्यार से उनके गाल को सहलाया। सलीम ये सब देख कर मुस्कुरा रहा था, उसकी आँखें चमक रही थी। उसने अपना हाथ उठाया और मम्मी के पेट पर प्यार से फेरा।

दीदी ने बिना कोई वक़्त गँवाए, सलीम के ऊपर आकर बैठ गई। सलीम का लंड अभी भी पूरा खड़ा हुआ था, जैसे उनका इंतज़ार कर रहा हो। दीदी ने उसे प्यार से सहलाया, फिर धीरे-धीरे अपने होंठ उसके लंड के सिरे पर रखे और उसे अपने मुँह में ले लिया। दीदी ने बड़े आराम से सलीम के लंड को अपने मुँह में लिया और उसे धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करने लगी।

उनकी आँखें सलीम की तरफ़ थी, और सलीम ने एक गहरी आह भरी और अपने सिर को पीछे की ओर धकेल दिया। उसके हाथ दीदी के बालों में फँस गए। दीदी ने अपनी जीभ से लंड को ऐसे चाटा जैसे वो कोई लॉलीपॉप हो। चूसने की हल्की-हल्की आवाज़ें कमरे में गूँज रही थी। दीदी कभी तेज़ी से चूसती, तो कभी धीरे-धीरे, सलीम को पूरी तरह से उत्तेजित कर रही थी।

मम्मी, जो पास ही लेटी थी, उन्होंने भी अपना हाथ बढ़ाया और सलीम के अंडकोषों को सहलाने लगी। तीनों के बीच की वासना इतनी साफ़ थी कि मैं बाहर से भी उसे महसूस कर पा रहा था।

दीदी पूरी लगन से सलीम का लंड चूस रही थी। उनकी जीभ की हर हरकत और होंठों का दबाव सलीम को आसमान पर पहुँचा रहा था। सलीम की साँसें अब बेतहाशा तेज़ हो चुकी थी, और उसका शरीर तनाव से कड़ा हो गया था।

उसके हाथ दीदी के बालों को कस कर पकड़े हुए थे। “और… मंजू … बस… हाँ…” सलीम के मुँह से हाँफते हुए शब्द निकल रहे थे। उसकी आँखें बंद थी, और उसके चेहरे पर चरम सुख की तड़प साफ़ दिख रही थी। मम्मी भी उत्सुकता से यह सब देख रही थी, उनके हाथ अभी भी सलीम के अंडकोषों को सहला रहे थे।

कुछ ही पलों में, सलीम का शरीर अकड़ने लगा, और उसने एक ज़ोरदार चीख़ भरी। उसके लंड से गर्म वीर्य की धार दीदी के मुँह में निकलने लगी। दीदी ने एक भी बूँद बर्बाद नहीं की, वो सब कुछ अपने मुँह में लेती रही। उनके गले से एक हल्की सी घोंटने की आवाज़ आई, जैसे वो सब कुछ निगल रही हों।

सलीम हाँफता हुआ दीदी के ऊपर ढीला पड़ गया, उसके शरीर से पसीना बह रहा था। दीदी ने भी अपना मुँह सलीम के लंड से हटाया, उनके होंठ और ठोड़ी पर वीर्य के कुछ निशान थे। उन्होंने एक कामुक मुस्कान दी और अपने होठों को जीभ से साफ़ किया। कमरे में अब सिर्फ़ उनकी तेज़ साँसें और वीर्य की हल्की सी गंध फैली हुई थी।

सलीम का वीर्य निगलने के बाद दीदी ने एक कामुक मुस्कान दी और फिर धीरे से मम्मी की तरफ़ मुड़ी। मम्मी भी लेटी हुई थी, उनकी आँखें दीदी पर टिकी थी, मानो उनके अगले कदम का इंतज़ार कर रही हो।

दीदी ने एक लंबी आह भरी और अपना हाथ बढ़ाया। उन्होंने मम्मी के गुलाबी गाल को सहलाया और फिर धीरे से मम्मी के ऊपर झुक गई। मम्मी ने भी दीदी को अपनी बाँहों में भर लिया।

मम्मी ने दीदी की चूत पर अपना मुँह रखा। दीदी के पूरे शरीर में एक कसक दौड़ गई, उनके मुँह से एक हल्की सी सिसकी निकली। मम्मी ने अपनी जीभ से दीदी की चूत को चाटना शुरू कर दिया। दीदी के पैर अचानक हिलने लगे, और उनके होंठों से तेज़ आहें निकलने लगी।

मम्मी ने अपनी जीभ से चूत के हर हिस्से को छुआ, कभी अंदर, कभी बाहर। दीदी का शरीर बिस्तर पर ऐंठने लगा, उनके हाथ बिस्तर की चादर को कस कर पकड़ रहे थे।

उनके मुँह से सिर्फ़ “मम्मी … और… हाँ… बस…” जैसी आवाज़ें निकल रही थी. सलीम ये सब देख रहा था। कुछ ही पलों में, दीदी का शरीर भी झटके खाने लगा और एक तीखी, सुख से भरी चीख़ उनके मुँह से निकली। वो भी चरम सुख को पहुँच चुकी थी, उनका शरीर पूरी तरह से ढीला पड़ गया।

मम्मी ने अपना मुँह दीदी की चूत से हटाया, उनके होंठों पर दीदी के रस के निशान थे।उन्होंने दीदी के पेट पर प्यार से किस्स दी।

कुछ देर की चुप्पी के बाद, सलीम ने प्यार से मम्मी का हाथ थामा और कहा: आज की रात ने तो मुझे सब कुछ दे दिया, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था।

मम्मी एक हल्की मुस्कान के साथ बोली: सलीम जी, ये तो बस शुरुआत है। हमें भी तो ज़िंदगी में कुछ चाहिए था, जो हमें अब तक नहीं मिला था।

दीदी ने करवट बदली और सलीम के सीने पर सिर रख दिया और बोली: सही कहा मम्मी, ये बंधन अब और गहरा हो गया है।अब हम तीनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।

सलीम ने दीदी के बालों को सहलाते हुए बोला: तुम दोनों ने मुझे जो खुशी दी है, वो शब्दों में बयाँ नहीं की जा सकती। मैं हमेशा से एक ऐसा परिवार चाहता था, जहाँ प्यार की कोई सीमा ना हो।

मम्मी ने एक गहरी साँस ली और कहा: हाँ, सलीम जी,अब हमें डरने की ज़रूरत नहीं। हम तीनों एक साथ हैं, और कोई हमें अलग नहीं कर सकता। (सलीम ने धीरे से मम्मी का हाथ पकड़ा और उसे अपने होंठों तक ले गया, प्यार से चूमा।)

फिर उसने दीदी की तरफ़ देखा और एक शरारती मुस्कान के साथ कहा: लगता है, मेरी दोनों रंडिया अभी भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुई हैं?

दीदी ने हंसते हुए अपनी कमर को थोड़ा हिलाया और कहा: आप ही बताइए सलीम जी, क्या एक बार से कोई संतुष्ट होता है भला?

दीदी ने पास पड़ी एक हल्की सी चादर उठाई और उसे अपने ऊपर ले लिया, पर वो चादर उनके शरीर को कुछ ख़ास छुपा नहीं पा रही थी।

मम्मी ने भी एक लंबी साँस ली और मुस्कुराई और कहा: मुझे लगता है, अभी रात बाक़ी है और हम तीनों के पास बहुत वक़्त है।

कहते ही उन्होंने अपना एक पैर उठाया और सलीम के लंड को अपने पैर से सहलाने लगी, जो एक बार फिर से खड़ा होने लगा था। ये देख कर तो मैं हैरान रह गया। थोड़ी देर पहले आराम करने के बाद, वो फिर से इस खेल में उतरने वाले थे।

सलीम का लंड धीरे-धीरे पूरा खड़ा हो गया, और मम्मी ने उसे अपने पैर से और तेज़ी से सहलाना शुरू कर दिया। सलीम की आँखें बंद हो गई, उसके मुँह से एक मोटी आह निकली। दीदी ने मौका देखा और सलीम के पास आकर बैठ गई। उन्होंने अपने होंठ फिर से सलीम के लंड पर रखे और उसे अपने मुँह में लेकर धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करने लगी।

मम्मी का पैर सलीम के लंड को नीचे से सहला रहा था और दीदी उसे ऊपर से चूस रही थी। सलीम तो मानो सातवें आसमान पर पहुँच चुका था, उसके शरीर में एक नई ऊर्जा आ चुकी थी।

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