पिछला भाग पढ़े:- सहेली के भैया ने मेरी सील तोड़ी-3
मैं: भैया मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रही है।
राकेश: मेरी प्यारी कंचन, मैं जानता हूं कि तुम्हें तकलीफ हो रही होगी। पर इन तकलीफों के बाद ही तो मजा आता है। तुम बस एक बार कोशिश तो करो।
भैया ने यह सब बोलते हुए मुझे फिर से अपनी बाहों में पकड़ लिया, और मेरी चूचियों को सहलाने लगे। मेरे गाल तो कभी गर्दन पर किस्स करने लगे। परंतु मेरे अंदर बहुत ज्यादा दर्द हो रही थी। उसके साथ ही वासना भी भड़क रही थी। ऐसा लग रहा था कि अभी कर लूं प्यार, परंतु दर्द के मारे मैं कुछ नहीं कर पा रही थी।
उसके साथ ही मुझे पाप सा भी हो रहा था कि यदि यह सब बातें मेरे मम्मी-पापा या फिर उनके घर वालों या फिर मेरी सहेली माया को पता चलेंगी, तो कितना बुरा लगेगा। मैं कितनी अभागिन हूं। अपने ही भैया के साथ यह सब कर रही थी। यह सब सोच कर मैं मरी जा रही थी।
मैंने तुरंत भैया को पीछे किया, और अपना कपड़ा पहन कर वहां से जाने लगी। लेकिन मुझसे चला नहीं जा रहा था। बहुत ज्यादा दर्द हो रही थी। किसी तरह से अपने घर गई और जाकर बेड पर सो गई। रात में भी नहीं उठी।
तब मम्मी मेरे पास आकर मुझसे बोली: क्या हुआ बेटी, कोई बात है क्या?
मैं अब मम्मी से क्या बताती? मैं बस रो रही थी। मम्मी मुझे रोता देख घबरा गई, और वह मेरे सर को सहलाते हुए बोली-
मम्मी: क्या बात है बेटी बताओ? तुम इस तरह से क्यों रो रही हो? देखो जो भी है सब बता दो। आखिर क्या हुआ है तुम्हारे साथ? क्यों रो रही हो?
मेरी बुर में बहुत ज्यादा दर्द हो रही थी, जिसके कारण से मुझे हल्का-हल्का बुखार भी आ रहा था, और पूरे शरीर में दर्द उत्पन्न हो गई थी।
मैं मम्मी को बोली: मेरी तबीयत ठीक नहीं है।
मम्मी ने मुझे प्यार से सहलाते हुए बोला: कोई बात नहीं, मैं तुम्हें अभी दवा लाकर देती हूं। तुम ठीक हो जाओ।
दवा खाकर हल्का आराम तो हुआ, पर मैं पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई थी। ऊपर से राकेश भैया के साथ जो कुछ भी हुआ मुझे बहुत बुरा लग रहा था, कि मैं यह क्या पाप कर बैठी। मैं अब कौन सा मुंह दिखाऊंगी उन्हें?
दूसरा दिन माया मुझसे मिलने आई और मेरी हाल-चाल पूछी। तब मैं माया से नज़र नहीं मिल पा रही थी। मैं बस फूट कर रोने लगी। माया मुझे गले लगा कर मुझे चुप कराने लगी, कि चुप हो जा बहन सब ठीक हो जाएगा, आखिर क्या बात हुई कुछ बताओ तो?
माया मुझसे पूछती रह गई, पर मैं कुछ ना बोल पाई, बस रोती रही। फिर माया कुछ देर बाद मेरे साथ बैठी, और बातें की, और फिर चली गई। उसके बाद मम्मी मेरे पास आई और बोली-
मम्मी: कंचन देख माया अच्छी लड़की नहीं है। इसके साथ मत रहा कर। मैं जानती हूं जरूर इसने ही कुछ किया होगा, इसलिए तेरे साथ यह सब हुआ है। तू जल्द ही ठीक हो जाए, और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। तू ऐसी लड़कियों के चक्कर में मत पड़।
मां की बातों को मैं समझ रही थी, परंतु मम्मी जो समझ रही थी वह सही बात नहीं थी। पर मैं मम्मी से कुछ कह ना सकी। मम्मी बस मेरी शादी की ज़िद लिए बैठी थी, कि जल्द से जल्द मेरी शादी हो जाए।
हफ्ता 10 दिन लगे। फिर मैं पहले के जैसे नॉर्मल हो गई। परंतु मैं अब पहले जैसी नहीं रही थी। मैं अब किसी से ज्यादा हंस कर बातें नहीं करती थी। ना ज्यादा हंसी-मजाक करती थी। बस अपने काम से काम रखती थी।
मेरी ज्यादातर समय घर पर और पढ़ाई-लिखाई में जाने लगा। माया के साथ भी मैं बहुत ही कम रहती थी। मेरे एग्जाम होने वाले थे, तो मैं बोल दी थी माया से कि राकेश भैया से बोल देना कि मैं खुद से पढ़ लूंगी। अभी मुझे ज्यादा पढ़ाई करनी है इसलिए मैं घर पर अकेले ही पढ़ाई करुंगी।
माया मेरी बातों को समझ गई और वह राकेश भैया से बता दी। मैं कभी रास्ते में राकेश भैया से मिलती तो बिल्कुल घबरा जाती। उनसे मैं नज़र नहीं मिला पा रही थी। मैं अपना सर झुका लेती, और चुप-चाप अपने घर चली आती थी।
इसी तरह महीना बीत गया, और मेरे एग्जाम्स भी खत्म हो गए। मैं अब घर पर ही रहने लगी। मम्मी पापा मेरी शादी के लिए लड़के देखने भी शुरू कर दिए थे। शाम को पापा घर पर आए और वो मुंह मीठा कराते हुए मम्मी से बोले कि-
पापा: आज हम अपनी बिटिया का विवाह तय कर दिए हैं। अगले 6 महीना में ब्याह होगा, और अभी से हमें तैयारी करनी होगी।
मम्मी खुश होते हुए बोली-
मम्मी: अच्छा! लड़का कैसा है जी? ज़रा मुझे भी तो दिखाओ।
पापा अपनी जेब से एक तस्वीर निकालते हुए मम्मी को दिखायी। मम्मी बहुत ही खुश हुई। उन्होंने मुझे भी दिखाई। लड़का दिखने में बहुत ही सुंदर था। मैं तस्वीर देखी और कुछ कहा भी नहीं, बस शर्मा कर वहां से रूम में चली गई। मम्मी पापा दोनों हंसते हुए बोले बेचारी शर्मा गई।
इसी तरह कुछ दिन बीत गये, कि एक दिन की बात थी। मम्मी-पापा को किसी काम से बाहर जाना था, और घर पर मुझे अकेला रहना था।
तब मम्मी ने कहा: तुम्हें अकेले रहने की कोई जरूरत नहीं है। मैं राकेश को बोल दूंगी, वह घर पर आ जाएगा, और दलान में सो जाएगा। तुम उसके लिए खाना बना देना।
मैं मम्मी से बोली: मम्मी सोने के लिए माया को भी तो बुला सकते हैं। राकेश भैया को क्यों बुला रही है? उन्हें तकलीफ देने की क्या जरूरत है?
मम्मी: नहीं माया नहीं आएगी। वैसे भी राकेश यहां होगा तो रात-विरात कुछ होगा तो वह देख लेगा।
मम्मी माया से नफरत करती थी। परंतु वह राकेश भैया के बारे में नहीं जानती थी। इसलिए वह उन पर बहुत ज्यादा विश्वास करती थी। राकेश भैया भी बुरे आदमी नहीं थे। वह तो समय और हालात के अनुसार फिसल गए थे, और उन्होंने आज तक किसी भी लड़की को उस नज़र से नहीं देखा था।
फिर मम्मी-पापा चले गए, और मैं घर पर अकेली थी, कि तभी शाम को राकेश भैया घर में आए।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा।
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