दीदी का देवर-2 (Didi Ka Devar-2)

अगला भाग पढ़े:- दीदी का देवर-1

मेरा नाम रिया पंडित है, मैं अभी 22 साल की हूं और BA फर्स्ट ईयर में पढ़ाई कर रही हूं। पिछली कहानी में आप पढ़ चुके हैं कि किस तरह दीदी के देवर ने मेरी बुर को घास पर लिटा कर चोद दिया। उसके बाद मैं रूम में आकर दीदी के साथ काम करने लगी।

विजय आज बहुत ज्यादा खुश लग रहा था, उसे मेरी बुर जो मिल गई थी। वह मुझे देख कर बार-बार मुस्कुरा रहा था। मैं भी बहुत ज्यादा खुश थी। फिर मैं दीदी के साथ सारा काम निपटा कर रात का खाना-वाना खा कर सोने चली गई। मैं दीदी के साथ सो रही थी, और उसका देवर उधर अपने रूम में सो रहा था। चुदाई होने के कारण मैं जल्द ही आज नींद के आगोश में आ गई।

दीदी बैठ कर अभी मोबाइल चला रही थी। आधी रात को मुझे जोर की पेशाब लगी, तब मेरी नींद खुली तो देखी की दीदी अपने बेड पर नहीं थी। मैं उठ कर बाथरूम जाने लगी, और पेशाब करके जब लौट रही थी, तब देखी कि दीदी के देवर के रूम में लाइट चल रही थी। मैं उसके रूम में झांकने की कोशिश की, तब अंदर का नजारा देख कर मेरे होश ही उड़ गये।

अंदर दीदी अपने देवर के जांघों पर पेंटी और ब्रा में बैठी हुई थी, और विजय दीदी के कोमल होंठों को चूस रहा था, और उनकी चूचियों को सहला रहा था। इसी तरह दीदी के चूचियों को सहलाते हुए वह उनके गर्दन को चूमते हुए बोला की भाभी आज कई दिनों बाद आपकी रसीली बुर को चोदने का मौका मिला है मैं तो आज धन्य हो गया।

दीदी मुस्कुराते हुए अपने देवर के कोमल होठों को चूमने लगी और उससे बोली: मैं तो खुद कई दिनों से आपसे चुदना चाहती थी मेरे प्यारे देवर जी। पर क्या करूं होली में आपने इतना ज्यादा मुझे रंग से नहला दिया, कि मेरी तबीयत खराब हो गई, और अब जाकर मौका मिला है। मैं अपने देवर को आज पूरी तरह से खुश कर दूंगी?

दीदी अपने देवर के सारे कपड़े निकाल कर उसके लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी। फिर विजय ने दीदी की ब्रा को खोला और उनकी गोरी-गोरी चूचियों को चूसने लगा। दीदी ने उसके लंड को हिलाते हुए अपनी पैंटी को निकाल कर अलग कर दिया, और अपने देवर से बोली-

दीदी: देवर जी अब और मत तड़पाओ अपने इस महाराज को। मेरी महारानी के भीतर घुसा दो। कई दिनों से बेचारी प्यासी है, अपने लंड का पानी इसे पिला दो।

दीदी और उनका देवर दोनों बिल्कुल नंगे थे। दीदी अपने देवर की जांघों पर बैठी हुई थी, और विजय नीचे लेटा हुआ था। फिर दीदी उनके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, और पूरी तरीके से थूक लगा कर गीला कर दी। फिर विजय नीचे लेटा रहा, और दीदी उसके लंड को अपनी बुर पर सेट करके उसके ऊपर बैठ गई, और उछलने लगी। दीदी जैसे-जैसे विजय के लंड पर उछल रही थी, उनकी चूचियां हिलने लगी। तो विजय उठ कर बैठा और चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा, और दीदी इसी तरह उछलती रही, लंड अंदर-बाहर होता रहा।

अंदर का कामुक गर्म माहौल देख कर मेरी बुर पसीजने लगी। ना जाने कब मेरे हाथ खुद ब खुद बुर पर चले गए और मैं उसे रगड़ने लगी।

दीदी लगातार अपनी चूचियों को विजय से चुसवा रही थी, और उसके लंड पर उछल रही थी। फिर विजय ने मेरी दीदी को नीचे लिटाया, और अपने लंड को उसकी बुर में डाल कर चोदना शुरू कर दिया। दीदी की पायल से छन-छन की आवाज़ आने लगी।

दीदी मजे में अपने होंठों को विजय के होंठों से लगा कर चूस रही थी, और उसकी पीठ को सहला रही थी। विजय लगातार धक्के लगा कर दीदी के बुर को चोद रहा था।

मैं अब दरवाजे पर खड़े होकर ही दीदी और विजय की चुदाई देख कर अपनी बुर में उंगली करने लगी थी। मैं उंगली को उत्तेजित हो कर रफ्तार से अपने भीतर अंदर-बाहर कर रही थी, और इधर दीदी की चुदाई भी बहुत ही रफ्तार में होने लगी थी। थोड़ी ही देर बाद विजय एक तेज़ आवाज करते हुए दीदी के अंदर दो-तीन तेज़ झटके मार कर शांति से दीदी पर ही गिर गया, और दीदी उसके बालों को सहलाते हुए अपने गले से लगा ली। इधर मेरी बुर भी पानी छोड़ दी। जब मैं झड़ गई तो मुझे एहसास हुआ कि मैं क्या कर रही थी। मैं झट से अपने रूम में आ गई? थोड़ी देर बाद दीदी भी आई और मेरे बगल में लेट कर सो गई।

मैं दीदी को देख कर सोचने लगी कि जीजू के ना रहते हुए दीदी किस तरह अपने देवर से चुदाई करती थी। यहीं सब सोचते हुए मैं सो गई। सुबह जब हमारी नींद खुली तब मैंने देखा कि सभी लोग जाग चुके थे। मैं जल्दी से उठ कर फ्रेश हुई, और उसके बाद बाहर निकली तो देखी कि दीदी आज बहुत ज्यादा खुश लग रही थी, और अपने काम में व्यस्त थी?

दीदी के चेहरे पर खुशी देख कर मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। फिर मैं भी दीदी के साथ मिल कर काम करने लगी। थोड़ी देर बाद विजय मुझे बाहर आवाज देने लगा।

फिर दीदी ने मुझसे कहा: जाओ देखो कि विजय को कुछ चाहिए क्या?

उनके कहने पर मैं बाहर चली गई। मैं जैसे ही बाहर आई वैसे ही विजय मुझे फिर से इस जानवर वाले कमरे में बुलाने लगा। मुझे सुबह-सुबह यह सब अच्छा नहीं लग रहा था। पर उसने मेरा हाथ पकड़ कर, मुझे फिर से वहीं ले जाकर, कमरा बंद कर मुझे नीचे लेटा कर मेरे ऊपर आ गया। मैं उसे दूर हटाते हुए बोली-

मैं: कल रात को दीदी के साथ जो किया, क्या उससे तुम्हारा मन नहीं भरा, जो अभी फिर मेरे पास आए हो?

विजय फिर से मेरे ऊपर चढ़ गया और बोला: अच्छा तो कल रात को साली ने सब कुछ देख लिया है?

उसने बोलते हुए मेरे चूचियों को निकाल कर चूसना शुरू कर दिया। मैं अब मदहोश होने लगी, और उसके बालों को सहलाने लगी। फिर मैं अपनी चूचियों को चुसवाते हुए विजय से बोली-

मैं: तुम दोनों के बीच यह सब कब से चल रहा है? क्या यह बात जीजू यानी तुम्हारे भैया को पता है?

विजय मेरी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसते हुए बोलने लगा: अरे नहीं यार भैया को पता चलेगा तो वह क्या मुझे अपनी बीवी को चोदने देंगे? शादी के लगभग कुछ महीने बाद ही जब भैया अपनी जॉब पर चले गए तब भाभी और मेरे बीच नजदीकियां बढ़ने लगी। और इसी तरह मैंने भाभी की चुदाई कर दी। मेरी पहली चुदाई से ही भाभी बहुत खुश हो गई। उसके बाद वह खुद मेरे पास आकर मुझसे चुद कर जाती है?

वह मुझे अपनी चुदाई के बारे में बताते हुए मेरी सलवार का नाड़ा खींच कर अलग कर दिया, और मेरी पेंटी को निकाल कर मेरी बुर पर किस्स किया। फिर अपने लंड को रगड़ना शुरू कर दिया। मैं उसकी इस हरकत से मदहोश होकर अपने आप को उसके हवाले कर दी। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। वह अपने लंड को मेरी बुर पर रगड़ने लगा।

फिर विजय मेरी बुर पर अपने लंड को रगड़ते हुए बोला: वैसे भी तुम्हारी दीदी ने ही मुझे तुम्हें चोदने के लिए बोला था। उन्हें पता था कि तुम बहुत ही गर्म हो। वह चाहती थी कि मैं तुम्हारी बुर का उद्घाटन करूं। परंतु मेरा दुर्भाग्य था कि तुम तो पहले से ही चुद चुकी थी। पर कोई नहीं, तुम्हारी बुर इतनी रसीली है कि उसे कितनी बार भी चोदो मजा पहली बार जितना ही आता है।

यह कहते हुए उसने अपने पूरे लंड को मेरी बुर में घुसा दिया। मैं इस एकाएक हमले से थोड़ी आहत हुई, और चीख पड़ी। उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख कर मेरे मुंह को बंद कर दिया, और मेरी चुदाई शुरू कर दी। मुझे चोदते हुए मुझे मेरे कोमल हिस्से पर अपने होंठों से चूमने लगा।

मैं अब मदहोश हो चुकी थी, और अपनी आंखें बंद कर उसके होंठों को चूसने में मदद कर रही थी। चुदाई वह इतनी जोर-जोर से कर रहा था कि पूरे कमरे में फच-फच की आवाज गूंजने लगी थी।

फिर उसने मुझे घास पर उल्टा लिटा दिया, और मेरी टांगों को फैला कर अपने लंड को पीछे से मेरी बुर में डाल दिया। फिर वो मुझे चोदने लगा। मेरी दोनों गांड पर थप-थप की आवाज आने लगी, और वह पीछे से मेरे गाल और कान को चूमते हुए मेरी चुदाई कर रहा था।

इसी तरह वह मुझे चोदता हुआ अपने लंड को बाहर खींचा और अपने लंड के पानी को मेरे दोनों गांड पर गिरा कर वह मेरे ऊपर ही लेट गया और मेरे गाल को चूमने लगा।

फिर मैं उससे बोली: विजय जल्दी यहां से चलो, वरना कोई हमें यहां ढूंढते हुए आएगा, तो फिर बहुत ज्यादा अनर्थ हो जाएगा।

फिर विजय भी मेरी बात को समझते हुए जल्दी से उठा, और अपने कपड़े ठीक किये। मैं भी अपने कपड़े ठीक की और वहां से निकल के अपनी दीदी के पास चली आयी।