पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-21
मां की चुदाई कहानी अब आगे-
हम पहाड़ों की ऊँचाइयों को छूते हुए, उनके बीच रास्तों से होते हुए अपनी मंज़िल की तरफ जा रहे थे। इस सफ़र का सुहाना मज़ा तो जुनैद, मौसी और माँ के बीच बैठ कर लूट रहा था।
आरिफ ड्राइव कर रहा था और मैं उसके साथ आगे वाली सीट पर बैठा हुआ था। कुछ घंटों के सफ़र के बाद हम अपनी मंज़िल पर पहुँच जाते हैं।
यहाँ का नज़ारा वाकई में सुंदर और रोमांचक था। खैर, मेरे लिए तो नहीं — मैं सिंगल जो आया था — पर इसका मज़ा तो जुनैद माँ के साथ और आरिफ़ मौसी के साथ उठाने वाले थे।
फिर हम लोग कार से उतर कर घाटी की तरफ जा रहे थे। कच्चे और पथरीले रास्तों पर मम्मी हल्के ऊँची एड़ी वाली हिल्स पहनने के कारण बार-बार फिसल रही थी। जुनैद माँ को इस दिक्कत में देख कर उनके करीब आता है, फिर माँ की कमर में एक हाथ डाल कर उनका एक हाथ अपने कंधे पर रख कर चलने लगता है। मम्मी अब हर बार फिसलती तो उसके सीने से लिपट जाती थी।
मौसी दोनों को देख कर तीखी मुस्कान के साथ बोली: “वाह जुनैद, तुम इतने केयरिंग भी हो, मुझे अब पता चल रहा है! सविता बहन तो लकी हैं, जिन्हें तुम जैसा मर्द बिना ढूँढे मिल गया।”
मम्मी, मौसी से शर्माते हुए, जुनैद की बाँहों में लिपटते हुए बोली: “दीदी… जुनैद…”
फिर कुछ देर चलने के बाद हम लोग एक नदी के पास पहुँचते हैं। नदी किनारे काफ़ी लंबे घने पेड़ और बड़े-छोटे पत्थर पड़े हुए थे। नदी में बहते पानी की रफ़्तार काफ़ी कम और शांत नज़र आ रही थी। नदी से थोड़ी दूरी पर कुछ लोगों ने अपने कैंपिंग टेंट लगाए हुए थे। कुछ कपल्स नदी किनारे पत्थरों पर बैठे इस सुंदर नज़ारे का रोमांस करते हुए लुत्फ़ उठा रहे थे।
मम्मी और मौसी, दोनों की नज़र रोमांस करते कपल्स पर गई, तो एक-दूसरे को देख कर हल्की-सी मुस्करा दी। आरिफ़ अपने दोनों हाथों को आसमान की तरफ फैलाते हुए बोला: “तो कैसी लगी जगह? है ना रोमांच लायक?”
मम्मी शर्माते हुए बोली: “हाँ आरिफ़ जी, जगह तो काफ़ी सुंदर है।”
फिर आरिफ़, मौसी का हाथ थामे हमें पूरी घाटी घुमाने लगा। धीरे-धीरे घूमते हुए कब दिन ढलकर शाम हो गई, पता ही नहीं चला।
फिर नदी किनारे, लोगों से दूर बैठी हुई मम्मी नदी की लहरों को देख बोली: “इन सुंदर नज़ारों को देख कर तो मेरा मन कर रहा है कि आज की रात यहीं बिता ली जाए!”
आरिफ़ मम्मी की तरफ़ मुस्कुराते हुए बोला: “जैसा आप कहें, मैं यहीं पर कैंपिंग टेंट लगवा देता हूँ।”
मौसी उत्सुकता से बोली: “सच में आरिफ़ जी, हम रात टेंट में बिताने वाले हैं? ओह! फिर तो बहुत मज़ा आएगा, क्यों सविता बहन?”
मम्मी मेरी तरफ़ देख कर थोड़ा उखड़े अंदाज़ में बोली: “हाँ, पर खुले में कैसे?”
आरिफ़ मम्मी की भावनाओं को समझते हुए बोला: “आप चिंता मत करें, सभी के टेंट अलग-अलग लगने वाले हैं, और राहुल का हम खास ही इंतेज़ाम जमाने वाले हैं।”
आरिफ़ की बात सुन कर मम्मी शर्माते हुए जुनैद की तरफ़ देखती हैं। उसकी आँखों में देख कर कुछ इशारा-सा करती हैं। जुनैद तुरंत खड़ा होता है और मुझे अपने साथ चलने के लिए कहता है।
फिर जुनैद कार को घुमा कर उस जगह लाता है जहाँ हम रुकने वाले थे। नदी और कार — दोनों से काफ़ी दूर, जुनैद कैंपिंग टेंट लगा रहा था।
मैं मन ही मन सोच रहा था, आरिफ़ ने मेरे लिए क्या खास सोचा था? आरिफ़ और जुनैद आखिर यहाँ मेरी माँ और मौसी के साथ कैसी रंगीनियाँ बनाने वाले थे?
यही सब सोचते हुए मेरा लंड भी खड़ा हो रहा था और मुझे एक तरफ़ गुस्सा भी आ रहा था। साला, इस सुंदर जगह का लुत्फ़ मेरा नौकर माँ को चोद कर उठाने वाला था, और मैं बस उन्हें देख कर अपना लंड मसलने वाला था। जुनैद रात रुकने की पूरी व्यवस्था अच्छे से कर रहा था।
उसने दो कैंप अच्छे से तैयार किए थे, और तब तक शाम पूरी तरह ढल चुकी थी। थोड़ी देर में मम्मी हमारे पास अकेली आ जाती हैं। मम्मी जुनैद का काम देख, उससे काफ़ी बातें कर रही थी।
मैं माँ को जुनैद के साथ बातें करते हुए अकेला छोड़ कर टॉयलेट करने कुछ दूर चला गया। पेशाब करने के बाद जब मैं लौटने लगा, तभी मुझे कुछ हल्की सिसकारियाँ और फुसफुसाने की आवाज़ें सुनाई दीं।
मैं मन ही मन सोचने लगा – “यहाँ ज़रूर कोई कपल रोमांस कर रहा होगा।”
यही सोच कर मैं उलटे पैर मम्मी की तरफ़ जाने लगा, तभी मुझे आरिफ़ का नाम सुनाई दिया, जो मौसी ले रही थी। मैं दबे पाँव जाकर एक बड़े से पत्थर के पीछे देखा।
आरिफ़ एक पत्थर पर बैठा हुआ मौसी के बूब्स चूस रहा था। मेरी मौसी के दोनों बूब्स उनके ड्रेस से बाहर निकले हुए थे, और वो ज़मीन पर खड़ी आरिफ़ के बालों में अपनी उंगलियाँ फेरते हुए उसे बूब्स चूस रही थी।
मैं तो देख कर अचंभित रह गया कि मेरी मौसी इस तरह खुले में अपने बूब्स खोल कर एक मर्द को मज़े से चुसा रही थी। शायद इसी खुलेपन में सेक्स रोमांस करने के लिए मौसी आरिफ़ को इस जगह लाने के लिए कह रही थी।
आरिफ़ मौसी के बूब्स चूसने के बाद उन्हें नीचे बैठने का इशारा करता है। मौसी भी बिना देरी किए, आरिफ़ की टाँगों के बीच नीचे पंजों के बल बैठ जाती हैं। फिर आरिफ़ की आँखों में देख कर मुस्कराते हुए उसका पायजामा खोल कर पैरों में गिरा देती हैं।
फिर मौसी बड़े प्यार के साथ आरिफ का मुरझाया हुआ, गोरी चमड़ी वाला मूसल अपने कोमल हाथ में लेती हैं। फिर मूसल को हल्के हाथ से मुठियाते हुए अपनी जीभ अगले हिस्से पर इस तरह फेरती है जैसे कोई आइसक्रीम चाट रही हों। मौसी पूरे सुपाड़े को जीभ से चाट कर उसे मुंह में भर लेती हैं, फिर धीरे-धीरे अपने होंठों की कसावट से मूसल को आगे-पीछे करते हुए चूसती हैं। मौसी के कोमल होंठों की चुसाई से आरिफ का मूसल कुछ सेकंड में ही अपने तनाव में आ जाता हैं, आरिफ मौसी का सिर पकड़े उनके मुंह में मूसल झड़ तक डाल देता है।
मौसी मोटे मूसल को गले तक लेने के बाद जब उन्हें तकलीफ होती है, तो वो आरिफ की जांघों को अपने नाखून से नोचने लगती हैं। फिर आरिफ उनका दर्द को समझते हुए अपना मूसल बाहर निकलता हैं, मौसी हांफते हुए उसकी आँखों में देख कहती, “आरिफ जी अपने तो मेरी जान ही ले ली थी, आह.. आपका ये मोटा सुपाड़ा मेरे गले में फँस जाता है।”
आरिफ़ बड़े प्यार से मौसी के गालों को सहलाते हुए कहा: “जान, तुम्हें ही तो सुपाड़े को जड़ तक लेने में सुकून मिलता है।”
मौसी हल्की मुस्कान लिए बोली: “सुकून तो मिलता है, जब आपका मूसल चूत की गहराई में जाकर मेरी कोख की जड़ में टकराता है। आरिफ़ जी, बड़ा मीठा आनंद आता है, बच्चेदानी पर जब आपका सुपाड़ा महसूस करती हूँ!”
मौसी पूरी बात कहते ही चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए फिर मूसल मुँह में घाप कर लेती हैं। आरिफ़ मौसी के बालों को आगे से साइड करके अपना मूसल उनके होंठों के बीच जाता हुआ देखने लगता है। वाकई में मौसी बड़े शिद्दत से उसका लंड चूस रही थी। उनके चेहरे की मुस्कान, होंठों की लाली उन्हें मिल रहे परम चरमसुख को बयाँ कर रही थी।
दोनों खुले आसमान के नीचे, एक पत्थर की आड़ लिए अपनी कामवासना में डूबे हुए थे। मेरे कानों तले जब हल्की खड़खड़ाहट की आवाज़ आई, तो मैं समझ गया कि इधर कोई आ रहा था। मैंने तुरंत अपनी नज़र मौसी से हटा कर दूसरी तरफ देखा।
मम्मी अपने बालों को सँवारती हुई आरिफ़ और मौसी की तरफ ही आ रही थी। शायद वो आरिफ़ और मौसी को कैंप तैयार होने की खबर देने आ रही थी। नंगा कांड मौसी कर रही थी, पर दिल मेरा थम-सा गया था। मैंने अपने आप को सँभाला और छुपा लिया ताकि कोई मुझे ना देख ले।
मौसी, आरिफ़ की आँखों में देख कर बड़े चाव से उसका लंड चूसने में मग्न थी। उन्हें ज़रा-सा भी होश या खबर नहीं थी कि कोई उनकी तरफ आ रहा था। मम्मी जैसे ही अपनी नज़र सामने करती हैं, उनका होश उड़ जाता है। कुछ देर तक उनकी निगाहें आरिफ़ के मोटे मूसल पर ही टिकी रहती हैं, जो मौसी के थूक से और भी चिकना और चमचमाता हुआ था। आरिफ़ का गोरा मूसल, धर लंड पूरी तरह तनाव में आसमान की सीध में खड़ा हुआ था।
मम्मी को जब कुछ सेकंड में होश आया, तो वो एक-दम से हल्की ऊँची आवाज़ में बोली: “ओह गॉड, आप लोग भी ना, खुले में ही शुरू हो गए?”
मम्मी शर्मीली मुस्कान के साथ अपना एक हाथ अपनी आँखों पर रख लेती हैं। मम्मी की आवाज़ सुनते ही आरिफ़ और मौसी चौंक जाते हैं। मौसी के चेहरे से तो मुस्कान ही गायब हो गई थी।
वो अपना सिर नीचे कर, अपने खुले बूब्स ड्रेस के अंदर छिपाने लगी थी। आरिफ़ अपने लंड को छिपाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोला: “सविता भाभी, माफ़ करना! हमें नहीं पता था आप इधर आएँगी।”
मौसी हल्की मुस्कान लिए बोली: “बहन, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। ये सब आरिफ़ जी का ही आइडिया था, यहाँ आकर हम खुले में मज़े करेंगे।”
मम्मी शर्माते हुए बोली: “दीदी, आप ना… खैर, मैं ही यहाँ से जाती हूँ, आप लोग अपना काम जारी रखें!”
मम्मी शर्मीली मुस्कान के साथ अपना हाथ आँखों से हटाती हैं, फिर आरिफ़ के मूसल को अपनी तीखी नज़रों से देख कर मुस्कराते हुए उल्टे पाँव चली जाती हैं।
मम्मी के कुछ दूर जाते ही मैं उधर से खड़ा हुआ और दबे पाँव उनके पीछे जाने लगा। मम्मी सीधा कैंप की तरफ़ अपनी गांड को बलखाते हुए चल रही थी। जुनैद कैंप की डोरियाँ टाइट करने में लगा हुआ था।
मम्मी, जुनैद के पास पहुँचते ही, उससे पीछे से लिपट कर बड़े लाड़ में बोली: “क्या जुनैद जी, आप कब से काम में ही लगे हो?
मेरा काम कब करोगे, मैं कब से इंतज़ार कर रही हूँ!”
जुनैद घूम कर मम्मी की आँखों में देख बोला: “क्या बात है, मेरी जान रोमांस के मूड में हो रही हैं?”
मम्मी अपना एक हाथ जुनैद के पायजामे में डाल कर, उसके होंठों के करीब आकर, गर्म साँसें छोड़ते हुए बोली: “जुनैद जी, इसलिए तो हम यहाँ आए हैं! ताकि रोमांस कर सकें!”
मम्मी इतना कहते ही अपने होठों को जुनैद के होठों पर रख देती हैं, मम्मी उसके लबों को चूसते हुए एक हाथ से उसका मूसल लंड भी पायजामे के अंदर मसल रही थी। जुनैद माँ का जोश और उनकी कामुकता को देख कर अपना हाथ उनकी गांड पर फेरने लगता है, धीरे-धीरे जुनैद मां की गांड से नीचे तक की ड्रेस ऊपर उठा कर उनकी नंगी गांड मसलता है।
मैंने देखा, माँ ने अपनी ड्रेस के नीचे पैंटी भी नहीं पहनी थी। मैं मन ही मन बोला – साली, लगता है होटल से ही बिना पैंटी के आई थी। देखते ही देखते माँ का जोश सातवें आसमान पर जा रहा था। जुनैद का तो पता नहीं, पर मुझे साफ़ समझ आ रहा था कि मेरी माँ ज़रूर आरिफ़ का गोरा, मोटा, छतरीनुमा मूसल देख कर गर्म हुई थी।
मैंने मन ही मन कहा — उफ़्फ़… होती भी क्यों ना, आरिफ़ का इतना मस्त, मोटा, सुपाड़ा वाला लंड जो देखा था — वो भी अपनी बहन के होंठों के बीच चूसते हुए।
माँ, जुनैद के होंठों को चूसते हुए उसका पायजामा नीचे खिसका रही थी। जुनैद, माँ के होंठों को चूसते हुए बीच में रुक कर बोला: “क्या बात है, मेरी जान? मुझे भी तो बताओ, तुम बड़ी गर्म हो रही हो। अभी थोड़ी शाम और ढल जाने दो, कहीं राहुल आ गया तो सारा प्लान खराब हो जाएगा।”
मम्मी: “जुनैद जी, मुझे अभी बस आपका मूसल अपने मुँह में चाहिए, और ऐसी कोई बात नहीं है।”
जुनैद मां को कैंप के पीछे लेकर जाता है, उधर अपना पायजामा पैरों में गिरा कर लंड सीधा मां के मुँह में उतर देता हैं। मां जुनैद का मूसल पूरे जोश में चूस रही थी, उन्हें खुले में लंड चूसते हुए मेरी भी कोई फ़िक्र नहीं हो रही थी। मम्मी लंड को चूसते हुए अपने हाथों से जुनैद का लंड तेजी से मुठा रही थी।
मां के हाथों की रफ्तार होठों की गर्माहट के आगे जुनैद ज़्यादा देर टिक नहीं पाया, वो हाँफते हुए तेज गुर्राहट के साथ अपना वीर्य मां के मुँह के निकल देता हैं। मां मुस्कराते हुए जुनैद का सारा रस एक बार में ही गटक जाती हैं, और कुछ रस लंड पर लगा हुआ उसे अपनी जीभ से चाट लेती हैं।
माँ मुस्कराते हुए खड़ी होती हैं और जुनैद को अपनी बाँहों में भर लेती हैं। जुनैद, माँ के होंठों को हल्का-सा चूमते हुए बोला:“जान, अब बताओ भी — क्या बात थी जो तुम्हें गर्म कर रही थी?”
मम्मी शर्मीली मुस्कान लिए बोली: “कुछ खास नहीं, जुनैद जी। बस एक कपल को रोमांस करते देख लिया था।”
मम्मी की बात सुन कर, मैं मन ही मन सोचने लगा कि मौसी और आरिफ़ की बात आखिर जुनैद को क्यों नहीं बताई?
कहीं माँ आरिफ़ के मूसल की ओर तो आकर्षित नहीं हो रही हैं?
उफ़्फ़… मैं भी न जाने क्या-क्या सोचने लगा था।
कुछ देर बाद सब लोग कैंप के पास इकट्ठा होते हैं। मैं नोटिस कर रहा था कि मम्मी आरिफ़ से शर्माते हुए अपनी नज़रें चुरा रही थी। आरिफ़ और मौसी — दोनों ही जुनैद के बनाए कैंप की तारीफ़ कर रहे थे। मौसी जब भी मम्मी की तरफ़ देखती, तो दोनों एक-दूसरे से शर्मा जाती थी।
कुछ देर बातें करने के बाद, आरिफ़ अपनी कार के पास जाकर आग जलाने की ज़रूरत की सारी चीज़ें लेकर आया और जुनैद की तरफ़ देख कर बोला: “भाई, मैं इन लकड़ियों में चिंगारियाँ लगा कर आग जलाता हूँ, ताकि हमें इस ठंडे मौसम में थोड़ी गर्माहट मिल सके। क्यों कविता जी?”
मौसी मुस्कराते हुए बोली: “बिलकुल आरिफ़ जी, इस नदी किनारे ठंडा मौसम और ऊपर खुले आसमान के नीचे जलती आग के सामने बैठने में तो और भी मज़ा आएगा।”
आरिफ़: “हम आज रात इस पल को मिल कर यादगार बना देंगे, क्यों सविता जी?”
मम्मी, आरिफ़ से नज़रें मिलाए बिना, शर्मीली मुस्कान के साथ बड़े धीमे स्वर में बोली : “हाँ, बिल्कुल आरिफ़ जी।”
आरिफ़ खुश होते हुए बोला: “बस, अब एक चीज़ की कमी है। जुनैद को थोड़ा कष्ट करना होगा। थोड़ा और अंधेरा होने से पहले सब के लिए खाने का इंतज़ाम करना होगा।”
मुझे ये कुछ अजीब-सा लगा कि आज सारे काम जुनैद ही संभाल रहा था। शायद आरिफ़ ने जुनैद से कम बाँट लिया हो, ऐसा सोच कर मैंने भी इस बात पर ज़्यादा ग़ौर नहीं किया था।
थोड़ी देर बाद जब जुनैद जाने लगता है, तो मौसी यह बोल कर चली जाती हैं कि वो अपना पसंदीदा डिनर लेंगी। उनके जाने के बाद मैं आरिफ़ और मम्मी के साथ बैठा हुआ था।
मैंने नोटिस किया कि आरिफ़ बार-बार मम्मी की तरफ ही देख रहा था। फिर मैंने सोचा कि आरिफ़ को माँ के साथ अकेले छोड़ दूँ, ताकि उसके मन का पता लगाया जा सके। फिर मैंने वैसा ही किया — उधर से एक बहाना बना कर कार की तरफ़ फोन लेने आ गया।
कुछ पाँच मिनट बाद उधर जाकर मैं छुप कर आरिफ़ को देखने लगा।
दोस्तों, आरिफ़ आगे क्या करता है — ये मैं आपको अगले भाग में बताऊँगा। जल्द ही मेरा अगला भाग आपके लंड से पानी निकाल देगा। उसके लिए मेरी कहानी पर बने रहिए। कहानी कैसी लग रही है, मुझे ईमेल पर ज़रूर साझा करें।
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