Drishyam, ek chudai ki kahani-37

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

    कहाँ ले चले हो बता दो मुसाफिर,
    सितारों से आगे यह कैसा जहां है?”

    आरती की समझ में यह नहीं आ रहा था की मैं और उसका पति अर्जुन उसे कौनसी कामुकता की नयी दुनिया में ले जा रहे थे और वह दुनिया कैसी होगी? क्या सितारों से आगे बादलों से छायी नयी चमक धमक सी दिखाई देने वाली यह दुनिया में कहीं ऐसा तो कुछ नहीं होगा की इंसान गिर जाए तो अचानक जमीन पर औंधे मुंह गिर पड़े?

    दुविधा और घभराहट की गुत्थमगुत्थी वाली परिस्थिति में फँसी हुई आरती का हमारी इस चैट के दो तीन दिन बाद मुझे मेसेज आया। वह काफी व्यग्र और बेचैन सी लग रही थी। उसने लिखा, “अंकल, जैसे ही मैंने रमेशजी से कहा की मैं उनकी बात पर गौर करुँगी, यह पढ़ते ही, रमेशजी ने कहा उन्हें कुछ जरुरी काम करने हैं और वह जल्द ही चैट करने वापस आएंगे यह कह कर कनेक्शन काट दिया…

    फिर दूसरे दिन तो जैसे मैंने उनसे गौर करने के लिए नहीं, शादी करने के लिए हाँ कह दी हो वैसे खुश हो कर हमारी आगे की जिंदगी की प्लानिंग करने लग गए। उन्होंने मुझे कहा की उन्होंने अपने सारे कुटुम्बी जनों, उनके बच्चों बगैरह को कह दिया की वह अब शादी करने वाले हैं और जल्द ही उनके बच्चों के लिए नयी माँ आने वाली है…

    और तो और, वह तो मुझे यह पूछने लगे की शादी का फंक्शन कैसा होगा, कहाँ होगा, बगैरह बगैरह। उनके सारे प्लान में मेरे पति के लिए तो कोई जगह ही जैसे नहीं थी। मैं उनको बार बार यह याद दिलाने की कोशिश करती रही की मैं शादीशुदा हूँ, गैर मर्द से सम्बन्ध रखना पाप है; पर वह कहाँ सुनते?”

    मैंने आरती को ढाढ़स दिलाते हुए बात के विषय को बदलते हुए पूछा, “रमेश ने तुम्हें चोदने के बारे में कुछ कहा?”

    आरती ने लिखा, “अंकल सेक्स मतलब चुदाई की बात करते हो आप? उन्होंने हमारी सुहाग रात कहाँ होगी, पलंग का डिज़ाइन कैसा होगा, पलंग कितना मजबूत होगा, पलंग पर कैसे फूल सजेंगे, चद्दर कैसी होगी, मैं कौनसी साड़ी, चुन्नी पहनूंगी, मेरा ब्लाउज का रंग, ब्रा की चौड़ाई, यह सब सोच लिया है। हे भगवान! मैं कहाँ फँस गयी? अंकल आप सब ने मिल कर मेरी जिंदगी की ऐसी की तैसी कर दी है। मेरी समझ में नहीं आता मैं इस दलदल में से कैसे बाहर निकलूँगी?”

    आरती की बात सुन मुझे हँसी आ गयी। एक तगड़े लण्ड वाले गैर मर्द से चुदवाने के लिए बेताब शादीशुदा औरत वैवाहिक जीवन की मर्यादाएं तोड़ कर जब दूसरे मर्द को अपना बदन सौंपनेके बारे में सोचती है तो उसके मन में कैसी उलझनें, उत्तेजनाएं और तरंगें उठतीं हैं यह मैं आरती के मेसेज में अनुभव कर रहा था।

    मैंने पूछा, “अर्जुन क्या कह रहा है?”

    आरती, “अर्जुन क्या कहेगा? वह तो अपना बिज़नेस और अपने इंटरनेट में मस्त है। मैंने उससे जब भी बात करने की कोशिश की तो उसकी तो यही पुरानी घिसीपिटी रिकॉर्ड बजने लगी की मैं बड़ी नसीब वाली हूँ की मेरा पति मुझे एक तगड़े मर्द से सेक्स करने के लिए, मेरा मतलब है चुदवाने के लिए राजी है और एक तगड़ा मर्द मुझे चोदने के लिए तैयार है। अंकल बात अब बड़ी गंभीर हो गयी है…

    अब मेरी एक हाँ मुझे जिंदगी भर के लिए फँसा देगी और मैं एक बार ना कह कर एक ही झटके में यह सब ड्रामे बाजी ख़तम कर के रमेशजी से सारे कनेक्शन तोड़ दूँगी और पहले की तरह अपनी जिंदगी आराम सुख चैन से बिताने लगूंगी। मैंने तो अर्जुन को और रमेशजी दोनों को साफ़ साफ़ मना ही कर दिया था की मैं इन चक्करों में नहीं पड़ने वाली। बेशक रमेशजी से चैट करने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है। चैट करते समय कुछ सेक्स के बारे में बातें होती हैं वह भी ठीक हैं। पर जातीय सम्बन्ध का कोई सवाल ही नहीं था…

    मैं आपसे बिनती करती हूँ की मैं अभी बहुत खुश हूँ। मुझे इन चक्करों में मत फाँसिये। अब बातें नहीं डिसिशन लेने का निर्णायक समय आ गया है। अब आपका सबसे बड़ा रोल है। मैंने आपको मेरा शुभचिंतक और पिता समान माना है। अब आप मुझे सच्ची सलाह दीजिये, मैं क्या करूँ?”

    मैंने जवाब में लिखा, “आरती, तुम रमेश से सारे सम्बन्ध काट दो…..”

    मुझे पूरा भरोसा था की मेरा मेसेज पढ़ कर आरती को एक तगड़ा झटका जरूर लगेगा। और हुआ भी वही। मेरा मेसेज पहुंचा ही की पट से आरती का छोटासा सटीक मेसेज आया, “क्या कहते हो अंकल?”

    मैंने लिखा, “पहले मेरी पूरी बात तो सुनलो। मैं कहता हूँ की तुम रमेश से सारे सम्बन्ध काट दो अगर तुम्हें यह लगता है की रमेश एक शुशील आदमी नहीं है और तुम्हें चोद कर सब लोगों में तुम्हारी बदनामी करेगा और तुम्हें जलील करेगा। दूसरी बात अगर तुम्हें यह लगता है की रमेश अर्जुन को परेशान करेगा और तुम्हें जबरदस्ती अर्जुन से अलग कर देगा तो रमेश से सम्बन्ध मत रखो। तीसरी बात। तुम रमेश से सम्बन्ध काट दो अगर तुम्हें लगता है की वह तुम्हें चुदाई का पूरा सुख नहीं दे पायेगा…

    अगर इन तीनों में से कोई एक बात भी तुम्हें सच लगती है तो तुम रमेश से सम्बन्ध काट सकती हो। वरना उसे तुम अपने घर बुलाओ और कहो की वह आ कर तुमसे और अर्जुन से मिले। अर्जुन भी मुझसे चैट कर रहा है और वह रमेश को भलीभांति जानता है। वह चाहता है की तुम रमेश को अपने शहर, अपने घर बुलाओ।”

    आरती की लिखाई में अब एक कम्पन सा मुझे महसूस हुआ। आरती ने जवाब में लिखा, “अंकल आपकी तीनों बातों में रमेशजी खरे उतरते हैं। पहली बात यह की मुझे और अर्जुन को भी वह इतना प्यार करते हैं की वह मेरी कभी बदनामी नहीं करेंगे। दूसरी बात की वह इतने सीधे हैं की कभी वह जबरदस्ती नहीं करेंगे और अर्जुन से कभी झगड़ा नहीं करेंगे…

    और तीसरी बात मैं क्या बताऊं? अगर रमेशजी को मौक़ा मिला तो रात भर वह मुझसे लगे रहेंगे मतलब मुझे पूरी रात भर चोदते ही रहेंगे और छोड़ेंगे नहीं और मेरी ऐसी की तैसी कर देंगे, सच कहूं तो इसका भी मुझे डर है। मैं छुटकी सी मेरा पैसेज इतना छोटा और उनका टूल इतना तगड़ा। अर्जुन तो यही चाहते हैं रमेशजी मेरी ऐसी की तैसी करें और वह देखते रहें। इसी काबिलियत के कारण तो अर्जुन ने रमेशजी को मेरे लिए चुना है।”

    मैंने लिखा, “तुम्हारे कहने का मतलब है, रमेश अपने लम्बे और मोटे लण्ड से तुम्हें इतना तगड़ा चोदेगा की तुम्हारी हालत खराब कर देगा?”

    आरती, “हम्म्म…..”

    मैंने लिखा, “तो तुम नहीं चाहती की कोई तुम्हारी ऐसी तगड़ी चुदाई करे?”

    जो बात आरती शायद अपने आप से भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी पर जो आरती के अंतर मन को असल में भा गयी थी वह यह थी की आरती ने यह अच्छी तरह भाँप लिया था की रमेशजी चुदाई करने में ना सिर्फ माहिर हैं बल्कि वह जब चोदेंगे तब ऐसा चोदेंगे की आरती की चूत की हालत खराब कर के रख देंगे।

    यह सोचते ही आरती की चूत में ऐसी अजीब सी मचलन होने लगती थी जो आरती की खुद की समझ से बाहर था। यह विचार आते ही आरती का एक हाथ अनायास ही अपनी जाँघों के बिच में पहुँच जाता था और उसकी उँगलियाँ अपनी चूत की पंखुड़ियों को अलग कर चूत के दाने को कभी प्यार से तो कभी फुर्ती से सहलाने लगती थीं। दूसरे हाथ से आरती अपनी चूँचियों को दबाने और मसलने लगती थी।

    इस तरह जोर जोर अपनी उँगलियों से अपनी ही चूत को चोदते हुए आरती कब झड़ जाती थी और इस कदर विवश महसूस करने लगती थी की उसे समझ नहीं आता था की वह क्या करे। रमेशजी से चुदवाने का विचारआते ही आरती की साँसे फूलने लगती थीं। यह सारी बातें समय बीतते हुए आरती ने ही मुझे बतायीं थीं।

    आरती ने पट से जवाब दिया, “अंकल, आप भी ना? कौन औरत ऐसा नहीं चाहेगी?”

    मैंने लिखा, “तो तुम चाहती हो ना की रमेश तुम्हारी ऐसी तगड़ी चुदाई करे?”

    आरती, “आप भी ना अंकल, कभी कभी बड़ी उटपटांग बातें कहते हो। हाँ हर औरत ऐसा चाहती है, हो सकता है की मैं भी ऐसा चाहती हूँ। पर अंकल मेरी बात अलग है। मुझे यह ठीक नहीं लगता।”

    मैंने लिखा, “क्यों ठीक नहीं लगता तुम्हें? इसमें क्या बुराई है? वैसे भी तुम कमल से चुदवाने के लिए मानसिक रूप से तैयार तो हो ही गयी थी ना? अगर मामी बिच में नहीं आती तो चुद भी गयी होती की नहीं?”

    आरती, “अंकल, सही है, पर वह शादी के पहले की बात थी।”

    मैंने लिखा, “तुम खुद ही कह रही थी की तुम्हारे मामा पड़ोस के महोल्ले में कोई शादीशुदा औरत को चोदते थे? तुम्हारी मामी भी तुम्हारे मामाजी के बड़े भाई से चुदवाती थी? शायद तुम्हारी ममेरी भाभी भी किसी ना किसी से चुदवाती थी की नहीं? और फिर तुमने ही कहा था ना की कभी कभी हर औरत का मन करता है किसी गैर मर्द से चुदवाने का। तुम भी तो उन हर औरत में शामिल हो की नहीं? मतलब तुम्हारा भी मन करता है किसी तगड़े गैर मर्द से चुदवाने का। बोलो हाँ या ना? जब पति राजी हो तो किसी गैर मर्द से चुदवाने से तो तुम्हारा संसार और भी प्रफुल्लित हो जाएगा। यह बात तुम क्यों नहीं समझती?”

    कुछ देर तक आरती का कोई जवाब नहीं आया। मैंने सोचा शायद आरती चली गयी। पर फिर एक मेसेज आया, “अंकल आपने जो लिखीं वह सारी बातें सही है। अब आप ही रास्ता दिखाइए। बोलिये अंकल मैं क्या करूँ?’

    मैंने लिखा, “नेकी और पूछपूछ? तुम फ़ौरन रमेश को हाँ कह दो। उसे कहो की वह जल्द से जल्द अपना टिकट बुक कराये और तुम्हारे शहर आ जाए। तुमसे और अर्जुन से मिले। जब सब आमने सामने होंगे तो सारा मामला सुलझ जाएगा। तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो। आगे बढ़ो और जिंदगी को एन्जॉय करो। यूँही नकारात्मक सोचते रहने से हम कभी आगे नहीं बढ़ सकते और जिंदगी का आनंद नहीं उठा सकते।”

    मुझे लगा मेरी दवाई आरती को पसंद आयी। उसकी लिखावट में जवानी की फुदकती चहकती उमंगें नजर आ रहीं थीं। आरती ने जवाब दिया, “थैंक यू अंकल। आपने मेरे मन में जो सौ तरह की उलझी हुई गुत्थमगुत्थी थी उसे सुलझा दी है। अब मैं इसके बारे में और नहीं सोचूंगी। मैं रमेशजी को हाँ कह दूंगी। बाकी जो होगा सो देखा जायगा। आप मुझे आगे भी इसी तरह सही मार्गदर्शन करते रहना। आप का तजुर्बा और परिपक्वता की मैं कायल हूँ। आप ना होते तो मैं कुछ भी तय नहीं कर पाती।”

    मैंने भी अपनी उत्सुकता छिपाते हुए कहा, “मैंने क्या किया है? मैंने सिर्फ आप पति पत्नी के अंतर्मन में छिपी हुई कामवासनाओं को उजागर कर आप दोनों को जीवन के आनंद लेने का एक रास्ता दिखाया है।”

    मैं आरती के दिल की तेज जलती हुई धड़कन की आवाज उतनी दूर से भी महसूस कर सकता था। मेरी इस चैट के करीब तीन दिन तक आरती का कोई मेसेज नहीं आया। इस बिच ना सिर्फ आरती की पर उसके पति अर्जुन के दिल की धड़कन भी बढ़ी हुई लग रही थी। बेचारे रमेश का क्या हाल होगा वह तो वही जाने।

    इस बिच अर्जुन तो जैसे पगला रहा था। वह बार बार मुझे मेसेज भेज कर यह जानने की कोशिश कर रहा था की आरती क्या सोच रही थी? आरती ने रमेश से ना चुदवाने अपनी जिद छोड़ी या नहीं? मैं उसे हर मेसेज में आरती की मानसिक हालत का जायजा दे रहा था। मैं उसे आरती दुविधामय स्थिति के बारे में बता रहा था और उसे ढाढस देने की कोशिश कर रहा था की इस हाल में हर शादीशुदा परम्परागत माहौल में बड़ी हुई भारतीय नारी की मानसिक हालत आरती की हालत जैसी ही होती है।

    आरती की मानसिक हालत वह खुद देख भी रहा था। हालांकि दोनों पति पत्नी इस नाजुक विषय में एक दूसरे से कुछ भी बोलने से बच रहे थे, पर मेरे माध्यम से वह दोनों एक दूसरे की क्या इच्छा है और एक दूसरे की मानसिक दशा क्या है वह जानने की कोशिश कर रहे थे।

    पढ़ते रहिये, यह कहानी आगे जारी रहेगी..

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