अगर मुझसे मोहब्बत है-26 (Agar mujhse mohobbat hai-26)

This story is part of the अगर मुझसे मोहब्बत है series

    चलो एक खेल हम खेलेंगे गैरों से चुदाई का।

    मिलन गैरों से, अपनों से समा होगा जुदाई का।

    मैं चोदू उसकी बीवी जैसे वह मेरी अमानत है।

    तू चुदवा लंड से उसके अगर मुझसे मोहब्बत है।

    मैं मेरी बीवी के ऐसे आत्मपरिवर्तन को बड़े ही ख़ुशी भरे अचम्भे से देख और महसूस कर रहा था। रीता ने सूरज को देखते हुए कहा, “जिस तरह किरण को तुमने रुलाया था, और उसके खून निकाल दिया था, मेरी चूत भी तुम उसी तरह पूरी रात भर चोद चोद कर फाड़ दो। जो किरण कह रही है की तुम “गांड फाड़” चोदते हो, वह चुदाई मुझे भी चाहिए। उससे कम नहीं।

    मैं भले ही चीखती चिल्लाती रहूं, तुम मुझ पर बिल्कुल रहम मत करना। मैं इसके लिए तैयार हूँ और तुमसे ऐसा करने पर कोई शिकायत नहीं करुँगी। अगर मुझसे मोहब्बत है मुझे तुम अपने ग़म दे दो। इन आँखों का हरेक आँसू मुझे मेरी कसम देदो। अगर मुझसे मोहब्बत है।”

    जब मैंने और किरण ने यह सुना तो किरण मुझसे और ताकत से लिपट गयी, और मेरे कानों में बोली, “राज, आज मेरे लिए यह सबसे बड़ी ख़ुशी का दिन है।”

    मैंने किरण के कानों में अपने होंठ रख कर किरण के कानों को चूमते हुए बोला, “मेरे लिए तो यह दोगुनी ख़ुशी का वक्त है। क्यूंकि मुझे तुम्हारा प्यार, तुम्हारा चन्दन सा बदन और तुम्हारी प्यारी चूत मिली है, और साथ-साथ में रीता को सूरज से चुदवाने का मेरा सपना साकार होते हुए मैं आज अपनी आँखों से देख पाउँगा। इससे बढ़ कर मेरे लिए और क्या हो सकता है भला?”

    हम सब एक-दूसरे से इतने करीब थे कि शायद मेरी दबी हुई फुसफुसाहट रीता के कानों में पड़ी। रीता ने फौरन मेरी और अपना सर घुमा कर कहा, “मुझे लगता है कि अब हमें यह छिपा-छिपी का खेला बंद कर अपना प्यार, अपनी ख्वाहिशें, अपनी वासनाएं और कामनाएं छिपाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

    हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं, नफरत नहीं। प्यार में हम एक-दूसरे का ग़म लेने की बात होती है, देने की नहीं। हम में से हरेक ने आज एक-दूसरे का ग़म लेने की ही बात की है। जब हम सब का उद्देश्य एक दूसरे को सुख और आनंद देने का हो तो फिर गुप्तता क्यों?”

    अपनी चूत की पंखुड़ियां हटा कर पंखुड़ियों के बीच में अपनी चूत का प्रेमछिद्र उजागर कर रीता ने सूरज को अपना लंड घुसा ने के लिए इंगित किया। सूरज ने पहले से ही नजदीक में क्रीम और स्निग्धता देने वाले तैलीय पदार्थ रखे हुए थे। सूरज को पता था की रीता की चूत में जैसे ही वह अपना लंड डालेगा, उसकी चूत की त्वचा पहली बार एक ही झटके में इतना ज्यादा तनाव नहीं झेल पाएगी कि सूरज के इतने मोटे और लम्बे लंड को अपने अंदर ले सके।

    पहली बार लंड को बड़े ही धीरे, प्यार से चूत में घुसाना होगा। वरना उसकी प्राण से ज्यादा प्यारी रीता की चूत की कोमल त्वचा फट सकती है, आहत हो सकती है, और उसमें से खून निकल सकता है।

    धीरे-धीरे रीता के चूत की त्वचा सूरज के लंड की मोटाई के हिसाब से अपने आप को

    फैला पाएगी। यह कुदरत का कमाल का नियम है। उसके बाद रीता को कुछ दर्द हो सकता है, पर वह असह्य नहीं होगा।

    अपने प्यार के साथ चुदाई का आनंद उस दर्द को ना सिर्फ भुला ही देगा, बल्कि वह दर्द प्यार के आनंद का प्यारा प्रतिक बन कर और मीठा और आनंद दायी लगने लगेगा। प्यार भरी चुदाई में स्त्री का आनंद पुरुष के आनंद से अतिशय ज्यादा होता है। पुरुष का वीर्य पुरुष के जोश और आनंद पर हमेशा हावी होता है। जैसे ही पुरुष का चरम पर पहुँच कर वीर्य स्खलन हुआ तो उसकी चुदाई में से दिलचस्पी गायब। फिर चुदाई की क्रिया उसे एक यांत्रिक प्रक्रिया सामान लगती है। उसका लंड शिथिल हो जाता है और स्त्री को भी आनंद नहीं दे पाता।

    इसके विपरीत स्त्री का आनंद पुरुष की त्वचा के घर्षण मात्र से उजागर रहता है। हालांकि स्त्री को भी उसके हॉर्मोन्स चुदाई में जोश देने के लिए बाध्य करते हैं पर एक बार झड़ने के बाद भी स्त्री चुदाई का आनंद बार-बार ले सकती है और चुदवाते हुए वह एक के बाद एक ऐसे कई बार झड़ सकती है और चुदाई का आनंद पुरुषों से कहीं ज्यादा लम्बे समय तक ले सकती है।

    सूरज अपनी प्रियतमा रीता को अपने तगड़े लंड से चुदाई का इतना सारा सुख देना चाहता था, जो रीता ने शायद अपनी जिंदगी में पहले कभी महसूस ना किया हो। सूरज मानता था कि शायद इसीलिए उपर वाले ने सूरज को ऐसा बड़ा, तगड़ा लंड दिया था। सूरज चाहता था कि उस तगड़े लंड से रीता की चूत को बहुत सुख मिले दर्द नहीं। पर कहते हैं ना कि सुख और दुःख एक ही सिक्के के दो पासे हैं। सुख के साथ कुछ दुःख तो अन्तर्निहित है।

    सूरज ने धीरे से रीता की चूत में अपना चिकनाहट से लथपथ लंड थोड़ा सा घुसाया। जैसे ही रीता ने महसूस किया कि सूरज अपना लंड उसकी चूत में घुसाने जा रहा है, रीता ने अपनी आँखें मूँद ली थी। उसे डर था कि उसकी चूत का छिद्र जो ऐसे बड़े लंड को लेने का आदि नहीं था। वह इतना ज्यादा छोटा भी साबित ना हो कि सूरज के इतने मोटे लंड को अपने अंदर बिल्कुल घुसने ही ना दे।

    पर जैसे किरण ने कहा था, स्त्री की योनी लचीली होती है वह जब जरूरत होती है तो अपने आपको फैला सकती है। पर उसे कुछ समय लग सकता है। पहली बार में एक-दम नहीं फ़ैल सकती। रीता की चूत सूरज ने अच्छी तरह से स्निग्ध कर रखी थी। इस लिए सूरज के लंड को चूत में दाखिल होने में शुरू में दिक्क्त नहीं हुई। पर सूरज का लंड रीता की चूत में थोड़ा ही घुस पाया था।

    रीता उसे पूरा अंदर लेना चाहती थी। रीता ने अपना मन पहले से बना लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह उस रात सूरज से बड़ी अच्छी तरह से चुदवाना चाहती थी। वह नहीं चाहती थी कि उस रात सूरज उस पर थोड़ा सा भी रहम करे।

    रीता ने किरण के समर्पण के बारे में सूना था और रीता चाहती थी कि सूरज रीता को भी उस रात उसी तरह से चोदे जैसा सूरज ने किरण को सालों पहले बेरहमी से चोदा था। वह चाहती थी कि सूरज उसे ऐसे चोदे ऐसे चोदे की उसकी चूत भी फट जाए और उसमें से भी खून बहने लगे।

    रीता ने सूरज से कहा, “सूरज आज प्लीज मुझ पर रहम मत करो। मैं जानती हूँ कि तुम मुझसे बहुत प्यार करे हो, और इसलिए तुम मुझे बहुत प्यार से और धीरे से चोदना चाहते हो। तांकि मेरी चूत को हानि ना पहुंचे। पर मैं तुम्हे हाथ जोड़ कर बिनती करती हूँ कि मुझे उसी तरह से उतनी ही बेरहमी से चोदो जैसे तुमने किरण को चोदा था।

    अगर तुम मुझे वैसे ही नहीं चोदोगे तो तुमको मेरी कसम। मुझे एक-दम रफ चुदाई करवानी है। वैसे तो मैं रोज चुदती हूँ। अभी तक मेरे पति ने मेरी बड़े प्यार से ही चुदाई की है। आज रात मैं बिल्कुल रहम भरी चुदाई नहीं चाहती। मैं एक-दम रफ मार डालने वाली चुदाई करवाना चाहती हूँ।”

    रीता की बात सुन कर सूरज बड़े ही कश्मकश में पड़ गया। वह कुछ परेशान सा मेरी और देखने लगा। मैंने सूरज से कहा, “रीता सही कह रही है। आज तक मैंने रीता की कोमलता और नाजुक बदन को देखते हुए उसे फूल की तरह समभाल कर चोदा है। पर अब मुझे समझ में आ रहा है कि एक स्त्री को रफ चुदाई से ही शान्ति मिलती है।

    भगवान ने स्त्री की चूत में गज़ब की सहनशक्ति दी है। वह पुरुषों के लंड की तगड़ी मार भी झेल सकती है। एक स्त्री दो पुरुष के लंडों को एक साथ अपने दोनों छेदों में ले सकती है। यह कोई ख़ास बात नहीं।

    कई स्त्रियां तो अपनी चूत में ही एक साथ दो लंडो‌ को ले लेती हैं। यह होता रहता है। मैं भी तुमसे कहता हूँ कि आज मेरी बीवी को पूरी ताकत से बेरहमी से ऐसे चोदो जैसा तुमने किरण को भी नहीं चोदा। रीता के दिल की ख्वाहिश पूरी करना आज तुम्हारा फर्ज है।

    आज मुझे यह मानने में कोई झिझक नहीं कि मैं उस तरह से रीता को नहीं चोद पाउँगा। हमने रीता को अब तक तुम्हारे बारे में और तुम्हारे लंड की तगड़ी चुदाई के बारे में बात कर के बहुत तड़पाया है। वह चाह रही है कि तुम उसे रफ तरीके से चोदो। आज तुम उसकी चूत को इसे चोदो की रीता की चूत भले ही फट जाए पर तुम ना रुकना।”

    मेरी बात सुन कर सूरज ने फिर लेटी हुई रीता के कोमल खूबसूरत नग्न बदन को देखा। सूरज का लंड रीता की रफ चुदाई करवाने की बात सुन कर ही ऐसा तगड़ा सख्त हो गया था कि इतना लम्बा और मोटा होते हुए भी वह झुकने का नाम नहीं ले रहा था।

    सूरज ने रीता को अपनी बाहों में भर कर कहा, “रीता सच कहूं? आज जब तुम मुझसे कह रही हो तो मैं बताता हूँ कि जिस तरह तुमने मुझे उस समय दुत्कार दिया था मेरे लिए वह झेलना नामुमकिन था। तुम मानोगी नहीं, मैंने मेरे मन की ज्वाला के मुकाबले किरण पर तो कुछ भी जुर्म नहीं किया। महीनों तक मैं समंदर के किनारे जा कर पत्थरों को इतनी ठोकरें मारता था कि मेरे पाँव खून से लथपथ हो जाते थे। तुम अगर उस समय होती तो पता नहीं मैं तुम्हारे साथ क्याक्या करता।”

    रीता ने सूरज को अपनी बाहों जकड़े हुए सूरज के होंठों को चूमते हुए कहा, “सूरज, मैं एक कोमल सी नरम नाजुक लगती औरत हूँ। तुम तगड़े चट्टान से सख्त जैसे फौलाद के बने मर्द हो। तुम प्यार में चुदाई करवाने के लिए पागल औरत के दिल की बात नहीं जान सकते। आज वह औरत तुमसे ना सिर्फ तगड़ी चुदाई करवाना चाहती है पर जिसे किरण कहती है ‘गांड फाड़ चुदाई’ ऐसी चुदाई चाहती है। आज मैं तुमसे चुदते हुए मर भी जाऊं तो कोई ग़म नहीं।

    तुम उस समय मुझसे जो कुछ करना चाहते थे आज रात करो। मैं सब को बिनती करती हूँ कि वह मेरे और सूरज के बीच में ना आये। तुम मुझे जैसे चाहो, जहां चाहो चोदो, जैसे चाहो गांड मारो। तुम मेरे स्तनों को, गालों को, गांड को, निप्पलों को, होंठों को जैसे चाहो काटो। तुम बेशक मुझे चोदते हुए पीटो। तुम चोदते हुए मुझ से जो कुछ भी करो पर मुझे सब अपने ग़म दे दो। जैसे किरण कह रही थी, इन आँखों का हरेक आँसू मुझे मेरी कसम दे दो। अगर मुझसे मोहब्बत है।”

    मैं और किरण आश्चर्य से रीता की ओर देखते ही रह गए। मैंने कभी सोचा भी नहीं था की मेरी बीवी अपनी तगड़ी चुदाई के लिए सूरज से इस तरह बात कर सकती है। पर उससे भी ज्यादा मुझे यह अच्छा लगा कि रीता सूरज पर किये हुए मानसिक अत्याचार का ऋण अपनी “गांड फाड़” चुदाई करवा कर चुकाना चाहती थी। रीता के मन की पीड़ा और रीता की चूत की तड़प अब सही रूप में उजागर हो रही थी।

    एक औरत जब अपने आप को एक प्रेमी को पूरी तरह से आत्मसमर्पण करती है और अपनी लाज और मर्यादा से बाहर आ जाती है तो वह कामाग्नि में कितनी जलती है उसका मर्द लोगों को अंदाज होना मुश्किल है। सूरज ने मेरी और देखा और मैंने अपना अंगूठा ऊपर कर सूरज को “ओके” का इशारा किया।

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