अगर मुझसे मोहब्बत है-15 (Agar mujhse mohobbat hai-15)

This story is part of the अगर मुझसे मोहब्बत है series

    करूंगा ख्वाहिशें तेरी पूरी मैं तुझको पाने को।

    नहीं छोडूंगा मैं तुझ को भले छोडूं जमाने को।

    रहेगी होके तू मेरी चुदायेगी तू जब मुझसे

    चुदेग़ी ऐसे तगड़ी, के ना होगी दूर तब मुझसे।

    यह कह कर रीता ने जब बक्सा खोला तो उसमें से बिकिनी निकली। बिकिनी दो हिस्से में थी। एक ऊपर का हिस्सा जो स्तनों को मुश्किल से ढके रखे और दूसरा नीचे का हिस्सा जो चूत को बड़ी ही मुश्किल से छिपा पाए। अगर रीता ने उस बिकिनी को पहना तो रीता का बाकी का पूरा बदन नंगा दिखना ही था। रीता ने जब उसे देखा तो चंद पलों के लिए उसके चेहरे से हवाइयां उड़ने लगीं। वह इस तरह के कपड़े को कैसे पहने?

    रीता ने कुछ घबरा कर किरण की ओर देखा। किरण ने रीता के कंधे पर हाथ रख कर बड़ी ही सरलता से कहा, “यह तुम्हारा स्विमिंग कॉस्ट्यूम है। जब हम तैरने जाएंगे तब पहनना है। तुम अकेली ही नहीं होगी। मेरा भी एक कॉस्ट्यूम है। मैं भी उसे पहनूंगी। इसमें इतना घबराने की क्या बात है? वहाँ हम चारों को छोड़ कोई और नहीं होगा। हम सब अपने लोगों के बीच में ही है। यह पहनना तो आम बात है। सब पहनते है।”

    रीता को वैसे तो पता था कि स्विमिंग पूल में ऐसे कपड़े लड़कियां आम पहनती हैं। रीता ने सूरज की और देखा। सूरज ने रीता को ढाढस देते हुए कहा, “यह तुम पर है कि तुम इसे पहनना चाहती हो या नहीं? तुम यह मत सोचना कि तुम्हें इसे पहनना ही है। यहां कोई जबरदस्ती नहीं है। इसे पहनोगी तो मुझे अच्छा लगेगा। बाकी तुम्हारी मर्जी।” यह सुन कर रीता ने किरण का हाथ थामा और अपने कमरे की ओर बढ़ गयी।

    रीता के चेहरे से घबराहट जा नहीं रही थी। उसने उससे पहले इस तरह के कपड़े कभी नहीं पहने थे। रीता ने मेरी ओर देखा। वह मेरे करीब आयी और रीता ने कुछ गुस्से में कहा, “मैं इतने छोटे कपड़े सूरज के सामने कैसे पहन कर जाऊं? वह तो मुझे उस हाल में देखते ही खा जाएगा।”

    मैंने रीता के कंधे पर हाथ रख कर कहा, “कुछ नहीं होगा तुम्हें। यहां सब वेजिटेरियन मतलब शाकाहारी हैं। तुम्हें कोई नहीं खा जाएगा। वैसे सूरज ने तुम्हारे बूब्स तो देख ही लिए है। देखो अब यह सब शर्म लजा छोड़ो, और जिंदगी एन्जॉय करना सीखो।”

    अपने कमरे में हमनें कुछ देर विश्राम किया। कमरे में चाय नाश्ता करते-करते शाम के पांच बजने में भी कोई देर नहीं लगी। मैं और रीता फटाफट तैयार हो कर अपने-अपने स्विमिंग कॉस्ट्यूम लेकर ठीक पांच बजे बाहर निकले, तो किरण और सूरज को बाहर के कमरे में हमारा इंतजार करते हुए पाया।

    सूरज हमें लेकर अपनी कार में चंद मिनटों में ही फार्म हाउस पर पहुंच गए। एक बड़ा सा दरवाजा दो चौकीदारों ने खोला। वह फार्महाउस क्या था, एक छोटे से महल की तरह था, जिसमें सब सुख सुविधाएं थी। काफी लम्बे चौड़े स्विमिंग पूल में कांच की तरह साफ़ पानी सब से गहरी जगह पर करीब साढ़े चार फ़ीट तक था, जो किसी भी मर्द की छाती तक ही था। साथ में ही शावर थे, और एक कपड़े बदलने का कमरा था। स्विंमिंग पूल से ही सटा हुआ एक क्लब हाउस था, जिसमें खेल के कुछ उपकरण और खाने-पीने की कुछ चीजें रखी हुई थीं।

    स्विंमिंगपूल के किनारे पर कुछ लम्बी सी कुर्सियां थी, जिस पर लेट कर सर्दियों की मीठी धुप में कोई भी बदन को सेक सकता है, या फिर उस पर लेटे हुए पूल के आस-पास की हरियाली को देख सकता है, या फिर नींद की झपकी भी ले सकता है। कुर्सियों पर कई सफ़ेद तौलिए रखे हुए थे। मैंने और रीता ने पहुंच कर एक-एक तौलिया लिया और कपड़े बदलने के कमरे में जा पहुंचे।

    मैंने सारे कपड़े निकाल कर छोटी सी निक्कर पहन ली, और मैं बाहर निकल कर शावर की ओर जा रहा था। तब रीता ने मुझे रोका। वह इस उथल-पुथल में थी कि इतनी छोटी बिकिनी पहन कर वह कैसे सूरज के सामने जाए। रीता ने कहा, “मैं यह पहन कर नहीं जा सकती। सूरज देखेंगे तो क्या सोचेंगे?”

    मैंने कहा, ” सूरज जो सोचते रहे हैं वही सोचेंगे, पर यह सब सोचने का वक्त अब नहीं है। इसे पहनो और बाहर निकलो। वैसे भी सूरज ने चूत को छोड़ तुम्हारा सब कुछ तो देख ही लिया है। फिर अब झिझकने से क्या फायदा?” यह कह कर मैं बाहर निकल गया। बाहर निकल कर मैंने देखा तो किरण पहले से ही शावर में नहा कर स्विंमिंगपूल में छोटी सी कॉस्ट्यूम में अपने पांव पानी में मारती हुई अपनी गांड ऊपर की ओर की हुई पानी की सतह के ऊपर रहने की कोशिश कर रही थी।

    शायद वह मेरा और रीता का इंतजार कर रही थी। सूरज वहां नहीं था। सर्दियों के मौसम में शाम को पांच बजे ही अंधेरा होने लगता है। उस समय करीब सवा पांच या साढ़े पांच बजे होंगे। मैं किरण को पहली बार बिकिनी में देख रहा था। किरण का पूरा बदन चंदन की सपाट लकड़ी की तरह चमकता चिकना, गोरा और कमल की तरह सुकोमल दिख रहा था।

    किरण के गोरे चिकने बदन से फिसल कर नीचे गिर रहा पानी किरण की खूबसूरती में चार चाँद लगाता था। किरण के भीगे हुए केश, उसकी नशीली आँखें, बच्चे जैसी निखालस मासूम मुस्कान, गीली बिकिनी टॉप में से साफ़ दिखाई पड़ती नुकीली फूली निप्प्लें, टॉप में से उभर कर बाहर निकलने को आतुर भरे हुए फुले स्तन, एक-दम पतली‌ कमर, गहरी नाभि के नीचे उभरता हुआ जाँघों के बीच वाला टीला जो बिकिनी के निचले हिस्से से मुश्किल से चूत को ढक पाता था देख कर मेरे पांव ढीले पड़ने लगे।

    मैं वाकई किरण के पति होने के सूरज के नसीब को सराह रहा था। यह भी एक तरह से विधि की विडम्बना थी, कि सूरज मेरे रीता के पति होने पर मेरी ईर्ष्या कर रहा था और मैं किरण के पति होने पर सूरज की। उस समय जिस तरह किरण दिख रही थी, मैं उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकता था।

    मैंने देखा तो कुछ ही देर में रीता शावर में नहा कर अपने इर्द-गिर्द सफ़ेद तौलिया लपेटे हुए बाहर निकली और स्विंमिंगपूल के किनारे आ कर असमंजस में खड़ी हो गयी कि तौलिया हटा कर पानी में कूद कर अपना बदन दिखाए या फिर पूल में ना जाए और बाहर ही कोई कुर्सी पर तौलिया ही पहन कर बैठ जाए।

    उतनी ही देर में सूरज भी छोटी सी निक्कर पहने शावर में नहा कर वहां आ पहुंचा। भीगी पतली निक्कर में से उसका सख्ती से खड़ा हुआ मोटा लंबा लंड साफ़ दिख रहा था। उसे देख कर मैं आश्चर्यचकित रह गया। सूरज पूल में उतर कर मैं और रीता पूल के किनारे खड़े थे उसके बिल्कुल करीब तैरता हुआ आ गया। नीचे से पास में ऊपर तौलिये में लिपटे खड़ी रीता के तौलिये के अंदर भी झांकता हुआ रीता की ओर देखने लगा।

    सूरज की आँखें रीता को पूल में आने के लिए आमंत्रित कर रहीं थीं। सूरज का गोरा लंबा कद, काले बालों से आच्छादित चौड़ा सीना, उसके सुन्दर घुंघराले बाल और उसका निहायत की आकर्षक नाक-नक्श किसी भी स्त्री के बदन का तापमान बढ़ाने के लिए काफी था। सूरज का लंबा लंड उसकी छोटी निक्कर में एक बड़ा तम्बू बनाता हुआ कुछ बाहर भी निकला हुआ दिख रहा था। सूरज को अपने इतने करीब पूल में नीचे खड़े हुए देख कर और शायद हिलते हुए पानी में सूरज के लंड पर नजर पड़ते ही रीता अपने तौलिये को समभालती हुई पूल के किनारे अपना मुंह दूसरी ओर कर थोड़ी सी हट कर खड़ी हो गयी।

    हालांकि रीता सफ़ेद तौलिये में अच्छी तरह से अपने बदन को छिपा पा रही थी, सूरज को फिर भी रीता का खुला बदन, जो नजर आ रहा था, उसका वह अपनी आँखों से भरपूर रसास्वादन कर रहा था। रीता समझ रही थी कि सूरज उसके बदन को घूरते हुए पूरे मजे ले रहा था। रीता की करारी जाँघें घुटनों से ऊपर तक दिख रहीं थी।

    तौलिये और रीता की जाँघों के बीच के गैप में देखते हुए सूरज का दिमाग अजीबो-गरीब कल्पना करने में डूबा हुआ था। रीता के बिखरे हुए खुले बाल रीता के चेहरे पर बड़ी ही खूबसूरती से फैले हुए थे जिसे बार-बार रीता ठीक से बाँधने के लिए अपने हाथ या सर ऊपर-नीचे कर रही थी। इस तरह करने से रीता का तौलिया हिल जाता था, और देखने वाले को लगता था की शायद उसके हिलने से कहीं तौलिया रीता के हाथों से गिर जाए तो या तो तौलिये के हिलने से दो छौर के बीच की दरार में से रीता के यौवन की शायद कुछ और झांकी मिल जाए।

    पर मैं सूरज को रीता के करारे और सेक्सी बदन के इस कदर अधूरे दर्शन कराने से संतुष्ट नहीं था। मैं जल्दी से जल्दी मेरी बीवी को सूरज की बाँहों में और सूरज के नीचे लेटे हुए चुदती हुई देखना चाहता था। मेरी बीवी थी कि बिकिनी पहन कर सूरज के सामने जाने में भी हिचकिचा रही थी। मैं रीता के अप्रतिम सेक्सी रूप और फिगर को अच्छी तरह से खुल कर प्रदर्शित करते हुए उस कॉस्ट्यूम में सूरज को दिखाना चाहता था।

    मैं जानता था कि सूरज रीता को उस कॉस्ट्यूम में लगभग नग्न दशा में देख कर अपने आप को रोक नहीं पायेगा। वह कुछ ना कुछ शरारत जरूर करेगा। मैं यह भी जानता था कि रीता पहले के मुकाबले उस शाम तक सूरज के प्रति काफी नरम हो चुकी थी। मुझे यकीन था कि अगर सूरज ने पहल की तो रीता सूरज को रोक नहीं पाएगी।

    सर्दियों का मौसम था। धीरे-धीरे अँधेरा घिर रहा था। मुझे लगा कि क्या पता, कहीं ऐसा ना हो कि सूरज रीता को उस बिकिनी में लगभग नंगी देख कर अपना आपा खो बैठे और हो रहे अंधेरे का फायदा उठा कर उसे उठा कर हमसे दूर वहीं क्लबहाउस की बिल्डिंग के कोई कमरे में ले जा कर चोदना शुरू ना कर दे।

    उस हालात में काफी पिघली हुई मेरी पत्नी रीता सूरज का कोई विरोध कर ना पाए और अपने आप को सूरज के हवाले कर दे जैसा कि वह सोच रही थी, और उसने मुझे बातों-बातों में कह भी दिया था। फिर तो मेरी बीवी उसी शाम को स्विमिंग क्लब में ही चुद जायेगी। मेरे दिमाग में यह सब चल रहा था।

    एक बार अगर युवा स्त्री को अपने मन पसंद, सशक्त, आकर्षक और सुन्दर पुरुष के साथ एकांत में कामवासना का मौक़ा मिले, और अगर पुरुष उस स्त्री की कामवासना को जागृत करने के लिए प्रयत्नशील हो जाए, तो वह स्त्री सारी मर्यादाओं और लाज शर्म को त्याग कर उस पुरुष के साथ कामक्रीड़ा करने के लिए बाध्य हो जायगी।

    स्त्रियों का शरीर कामवासना प्रेरित करने वाले हॉर्मोन्स के प्रज्वलित होने के कारण उस हालात में सम्भोग के लिए अपने आपको पुरुष को समर्पित करने के लिए विवश हो जाता है। यह कुदरत का नियम है। स्त्रियां दबी हुई कमान की तरह होती हैं। अगर नियंत्रण की रोक हटी तो वह पुरुष से कहीं ज्यादा भोग विलास के लिए सदा तत्पर हो जाती है।

    सूरज वहीं हमारे नजदीक स्विंमिंगपूल के पानी में खड़े हुए रीता के पानी में आने का इंतजार कर रहा था। मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैं रीता के पास गया और उसे तौलिया मुझे दे कर स्विमिंग कॉस्ट्यूम में स्विंमिंगपूल में उतर कर पानी में हमारे साथ एन्जॉय करने के लिए कहा।

    रीता ने मेरी बात सुनी और अपनी पलकें झुका सर हिला कर मुझे “हाँ” का इशारा भी किया पर “जाऊं, ना जाऊं” की उधेड़बुन में मूर्ति सी खड़ी वह बिना कुछ बोले कभी मुझे तो कभी पानी को तो कभी उसे घूरते हुए अपनी आँखों के इशारों से अपने करीब बुलाते हुए सूरज को देखती रही।

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