आंटी की सहेली को जम कर बजाया-3

This story is part of the आंटी की सहेली को जम कर बजाया series

    तभी आँटी बेड को पकड़ कर कुत्तिया बन गई। अब मैं आँटी की गांड में लंड सेट करने लगा।  फिर मैंने आँटी की कमर पकड़ कर ज़ोर से आँटी की गांड में लंड ठोक दिया। मेरा लंड एक ही झटके में आँटी की गांड को फाड़ता हुआ पूरा अंदर घुस गया। लंड गांड में घुसते ही आँटी का सारा अनुभव फेल हो गया, और आँटी ज़ोर से चीख पड़ी।

    “आईईईईई मर्रर्रर्र गईईईईई आईईईई आईईईईई मम्मी। आईईईई आईईईई। ओह रोहित बहुत दर्द हो रहा है। आईईईई मर्रर्रर्र गईईईई मैं तो। आहाहाह।”

    फिर मैंने लंड बाहर निकाला, और फिर से आँटी की गांड में लंड ठोक दिया। आँटी अभी तो मेरे लंड के झटके से सम्भली ही नहीं थी, कि उन्हें फिर से तगड़ा झटका लग गया। वो फिर से बुरी तरह से चिल्ला पड़ी।

    “ओह मम्मी। आईईईईई आईईईई आईईईईई बहुत दर्द हो रहा है। आईईईईई ।”

    आँटी दर्द से बुरी तरह से झेल रही थी। अब मैं आँटी की गांड में लंड ठोक-ठोक कर उन्हें बुरी तरह से बजाने लगा। आँटी की मस्त गांड मारने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैं झमाझम आँटी की गांड मार रहा था।

    “आह्ह आह्ह आहः आहाहाह आईएईई आईईईई आह्ह आह्ह। मर्रर्रर्र गईईई मैं तो। ओह मम्मी।”

    मैं ज़ोर-ज़ोर से आँटी की गांड में लंड पेल रहा था। मुझे आँटी की गांड मारने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। आँटी बुरी तरह से गांड मरवा रही थी।

    “ओह साली आज तो।चोद-चोद कर तेरी गांड फाड़ दूंगा,‌ आह्ह।”

    “ओह कुते, मेरी गांड तो पहले ही फट चुकी है। आहा। अब जितनी गांड़ मारनी हो मार ले।”

    “हां साली कुत्ती, खूब गांड मारूँगा तेरी मैं।”

    मैं ताबड़-तोड़ आँटी की गांड में लंड पेल रहा था। आँटी कुत्तिया बन कर अच्छी तरह से गांड मरवा रही थी। आँटी की गांड में झमाझम लंड ठोकने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

    “ओह साली कुत्ती तेरी गांड तो बहुत चिकनी है। आह्ह।”

    “हां बहन के लौड़े, लेकिन तूने मेरी गांड की ऐसी तैसी कर दी है।”

    “अब ये तो होना ही था साली कुत्ती।”

    तभी ताबड़-तोड़ ठुकाई से आँटी का पानी निकल गया। वो पसीने-पसीने हो चुकी थी। मैं ताबड़-तोड़ आँटी की गांड मार रहा था। आँटी कराहती हुई गांड मरवा रही थी।

    “आईईईईई आईईईई आह्ह आह्ह आह्ह आईईईई आहः आह्ह आह्ह आहाहाह आहाहा।”

    आँटी की मस्त सेक्सी गांड की आज मेरा लंड बखिया उधेड़ चूका था। फिर मैंने बहुत देर तक आँटी की गांड मारी।

    गांड मरवाने के बाद आँटी के जिस्म का कतरा-कतरा बुरी तरह हिल चुका था। अब मैंने आँटी की गांड में से लंड बाहर निकाला, और फिर आँटी के भोंसड़े में सेट करने लगा।

    “साले कुत्ते, अब तो मत कर।”

    “अभी तो करूँगा साली कुत्ती।”

    तभी मैंने आँटी के भोंसड़े में लंड ठोक दिया। अब मैं फिर से आँटी की कमर पकड़ कर उन्हें ताबड़-तोड़ बजाने लगा। मेरा लंड झमाझम आँटी के भोंसड़े में घुस रहा था।

    “उन्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह कुत्ते मरर्रर्र गईईई आह्ह ओह सिससस्स।”

    “ओह साली आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है आह्ह।”

    आँटी नीचे गर्दन करके कुत्ती बनी हुई हुई थी। मैं आँटी के भोंसड़े में दे दना दन लंड पेल रहा था। आँटी नंगी होकर बुरी तरह से चुद रही थी। मैं आँटी को बजाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था।

    “आह्ह सिससस्स आह्ह ओह उन्ह आह्ह ओह आईईईईई।”

    मैं आँटी को जम कर चोद रहा था।आँटी को कुत्तिया बना कर बजाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर मैंने बहुत देर तक आँटी को कुत्तिया बना कर बजाया।

    अब आँटी खड़ी हो गई।

    “ओह्ह कमीने, बहुत बुरी तरह से चोद दिया आज तो।”

    “बहुत दिनों से मेरा लंड तुझे बजाने के लिए तड़प रहा था। आज मौका मिला है तो फिर ठुकाई तो तगड़ी होनी ही थी।”

    “हां मैं तेरी बात समझ रही हूं, लेकिन फिर भी इतनी बुरी तरह से ठोका है तूने, अब मैं क्या ही कहूँ।”

    “अब कुछ मत कहो और लंड चूसो।” ” नहीं यार अब नहीं। ऋतु आने ही वाली ही होगी।”

    “अरे वो अभी नहीं आ रही है। आप तो बस लंड चूसो।”

    तभी आँटी बेड पर बैठ गई। लेकिन मैंने आँटी को पकड़ कर वापस नीचे खींच लिया।

    “यार तू आज मरवाएगा मुझे।”

    तभी आँटी ने हसते हुए लंड पकड़ लिया, और फिर मुस्कुराते हुए मेरा लंड मसलने लगी। आँटी नीचे बैठ कर मेरे लंड के साथ खेल रही थी, और मैं आराम से बेड पर बैठा था। फिर आँटी ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और झमाझम मेरे लंड को चूसने लगी।

    “ओह साली। आह्ह बहुत अच्छा लग रहा है।”

    आँटी धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ा रही थी। इधर मैं आँटी के बालों को सम्भाल रहा था। अब आँटी को फिर से लंड चूसने में मज़ा आने लगा, और वो अलग-अलग तरीके से लंड चूसने लगी।

    “ओह्ह साली, तू तो बहुत तगड़ी खिलाडी निकली। ओह।”

    फिर आँटी ने बहुत देर तक मेरे लंड को चूसा। अब मैंने आँटी को उठाया, और उन्हें उठा कर सोफे पर पटक दिया। तभी आँटी सोफे के अंदर घुस गई। अब मैंने आँटी की गोरी चिकनी टाँगे पकड़ कर खींची और फिर आँटी के भोंसड़े में लंड पेल दिया।

    अब मैं फिर से आँटी को झमाझम चोदने लगा, और आँटी फिर से मेरे लंड के तूफान में उड़ने लगी।

    “आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आहा ओह उन्ह।”

    मैं खड़ा-खड़ा आँटी को बजा रहा था। आँटी सोफे में पड़ी-पड़ी बुरी तरह से लंड ठुकवा रही थी। मैं आँटी के भोंसड़े में ज़ोरदार तरीके से लंड पेले जा रहा था।

    “ओह साली आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह।

    “हां साले कुत्ते। बजाता रहे। आह्ह आह्ह सिसस्ससस्स उन्ह।”

    फिर आँटी को अच्छे से बजा कर अब मैं सोफे पर खड़ा हो गया, और दीवार को पकड़ कर आँटी के मुँह में लंड देने लगा। आँटी फिर से मेरे लंड को चूसने लगी।

    “आह साली हरामज़ादी आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह।”

    आँटी आराम से मेरा लंड चूस रही थी। आँटी को इस तरह से लंड चुसवाने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर थोड़ी देर बाद मैं आँटी को उठा कर वापस बेड पर ले आया।

    “साले कमीने, अब जल्दी से ख़त्म कर। अब और चुदाने की मेरी बस की बात नहीं है।”

    “थोड़ी देर और रुक बहन की लौड़ी।”

    तभी मैंने आँटी की टाँगे खोल दी, और फिर उनके भोंसड़े में लंड ठोक दिया। अब मैं फिर से आँटी को खचाखच बजाने लगा। आँटी फिर से हवा में उड़ने लगी।

    “आह्ह आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह उन्ह ओह सिसस्ससस्स आह्ह।” मैं आँटी को ताबड़-तोड़ चोद रहा था। मेरा लंड अभी आँटी की चूत में तगड़ा घमासान मचा रहा था। आँटी का चुद-चुद कर हाल बेहाल हो चूका था।

    “आह्ह आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह उन्ह ओह आह्ह आहा आह्ह।”

    फिर ताबड़तोड़ ठुकाई के बाद मेरा लंड पिघल गया, और मैंने आँटी को दबा कर उनकी चूत को लंड के पानी से भर दिया। अब मैं आँटी से चिपक गया।

    आँटी मेरी बाहों में नंगी लेटी थी। अब आँटी उठी और अपने कपड़े उठाने लगी। फिर आँटी चड्डी पहनने लगी।

    “अभी ऋतू आँटी नहीं आई है यार।”

    “अब भी क्या इरादा है तेरा?”

    “मेरा इरादा तो पक्का ही है, आप वापस तो आओ।” “नहीं यार अब नहीं।”

    “अरे आँटी ऐसे मत करो।”

    तभी मैंने आँटी का हाथ पकड़ कर उन्हें फिर से बेड पर खींच लिया। अब मैं फिर से आँटी को रगड़ने लगा, लेकिन अब आँटी मना कर रही थी।

    “नहीं रोहित अब नहीं यार, बहुत मस्ती हो गई।”

    “अरे आँटी थोडी देर और।”

    तभी मैं आँटी की चड्डी खोलने लगा, लेकिन अब आँटी चड्डी नहीं खोलने दे रही थी। फिर छीना-झपटी में आँटी की चड्डी खुल कर उनकी जांघो में अटक गई। लेकिन तभी डोर-बेल बज उठी।

    डोर-बेल की आवाज़ सुनते ही आँटी की डर के मारे गांड फट गई। वो तुरंत भाग खड़ी हुई और चड्डी पहन कर पेटिकोट बलाऊज पहनने लगी।

    “तूने मरवा दिया आज। अब जल्दी कपड़े पहन कर गेट खोल।”

    “आपने ही मरवाया है। अगर आप जल्दी से चड्डी खोल देती तो अब तक काम हो ही जाता।”

    “तेरा लंड को कभी तृप्त होता ही नहीं है। बस बार-बार मांगता ही रहता है। अब जल्दी जा।”

    तभी मैं कपड़े पहन कर गेट खोलने चला गया। जैसे ही मैंने गेट खोला ऋतू आँटी सामने खड़ी थी। वो मेरे चेहरे की मुस्कान देख कर सब कुछ समझ गई।

    “बजा लिया ना शीला को?”

    “हां आँटी। बहुत बढ़िया तरीके से।”

    “चल तब तो अच्छा है।”

    फिर ऋतू आँटी अंदर आई। तभी उनके सामने शीला आँटी खड़ी थी। शीला आँटी की शक्ल बता रही थी कि उनकी बहुत बुरी तरह से ठुकाई हुई थी।

    “और बता शीला रोहित ने तेरा टाइम पास तो अच्छा किया ना? मेरा मतलब बोर तो नहीं किया ना?”

    “अरे नहीं नहीं, बोर तो बिल्कुल भी नहीं। बहुत बातें की हमने तो।”

    “हां ये है ही ऐसा। जब भी कोई अकेला होता है तो उसे बोर नहीं होने देता है।”

    “हां ऋतू तू बिल्कुल सही कह रही है।”

    ऋतू आँटी मुस्कुरा रही थी। शीला आँटी को लग रहा था कि ऋतु आँटी को कुछ नहीं पता, लेकिन वो तो पूरी स्टोरी जानती थी। तभी मैं सोचने लगा शीला आँटी कितनी सच्ची बनने की कोशिश कर रही थी।

    जबकि थोड़ी देर पहले ये 2 घंटे तक जम कर चुदी थी। लेकिन खैर जो भी था अच्छा था। मुझे तो अब दोनों की चूत मिल रही थी।

    फिर शीला आँटी को अच्छे से चोद कर मैं उन्हें घर छोड़ कर आया।

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