Adla Badli, Sanyog Ya Saajish – Episode 12

चेलेंज के दोनों लेवल पार करने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा था, कि जैसे अपने पति की आँखों के सामने ही मैंने अपनी इज्जत किसी ओर को सौंप दी. अब हॉट सेक्स कहानी में आगे क्या हुआ वो जानिए..

अब वो लोग तीसरे लेवल की भी बात करने लगे थे. मुझे अब वहाँ से दूर जाना ही सही लगा.

मैं: “चलो अशोक, अब चलते हैं.”

पायल : “ये लो, ये तो सुनने से भी डर रही हैं. वैसे ये चेलेंज सिर्फ बीवियों का नहीं पतियों का भी हैं.”

अशोक: “फिर तो सुनना पड़ेगा, ऐसा क्या हैं?”

पायल: “इस टेस्ट में सारे कपल एक साथ लेटते हैं. पर कुछ इस तरह कि पति पत्नी आस-पास नहीं लेट सकते. बीवियों को कोशिश करनी हैं कि वो बिना अपने शरीर का नियंत्रण खोये पूरी रात गुजारे. जो बीवी सुबह तक नियंत्रण रख पायी वो जीत जाती हैं. इसी तरह पतियों को कोशिश करनी हैं कि वो दूसरे की बीवियों को उकसा कर उन्हें हरवाये ताकि उनकी खुद की बीवी जीत जाये.”

डीपू: “ऐसे तो कोई भी पति दूसरे की पत्नी के साथ जबरदस्ती भी कर सकता हैं.”

पायल: “रुल के हिसाब से कोई किसी के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकता और न ही शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति होती हैं. हार तब होती हैं जब बीवी ये स्वीकार कर ले कि वह अब ओर नियंत्रण नहीं कर पाएगी या फिर उसका खुद ही हो जाये. जैसा मुझे दूसरे लेवल में हुआ था.”

अशोक: “मतलब औरतो की सेफ्टी हैं इसमें. कोई जोर जबरदस्ती नहीं.”

मैं: “ओर पति लोग उकसाने के लिए क्या क्या करेंगे?”

पायल: “कपड़े खोलने और अपने शरीर से उसके शरीर को छूने की खुली छूट हैं, पर मर्द अपना कोई अंग स्त्री के अंगो में नहीं डाल सकते. ऊँगली तक नहीं.”

डीपू: “फिर तो ये बीवियों के लिए बहुत आसान हो जायेगा.”

अशोक: “ये तो पिछले दो लेवल से ज्यादा आसान हैं. मुझे लगा तीसरा लेवल सबसे कठिन होगा.”

मैं: “मुश्किल शायद ये हैं कि क्या मर्द अपनी बीवियों को दूसरे मर्द के साथ रात भर लेटा हुआ सहन कर पाएंगे कि नहीं. भले ही उनके बीच कुछ गलत नहीं हो रहा हो.”

पायल: “एकदम सही, उनके मन में शक का कीड़ा कुलबुलाता रहेगा. खास तौर से जब उनकी बीवी बिना कपड़ों के किसी से चिपक कर सो रही होगी.”

डीपू: “कुल मिला के आप अपनी बीवी पर कितना भरोसा करते हो इसका टेस्ट.”

अशोक: “विजेता का फैसला कैसे होता हैं?”

पायल: “जो बीवीयां सुबह उठ कर बोल दे कि उन्होंने हार नहीं मानी.”

डीपू : “ऐसे तो कोई बीवी झूठ भी बोल सकती हैं.”

मैं: “आस पास दूसरे लोग भी तो होंगे. खास तौर से वो मर्द जो उसके साथ लेटा हैं. वो मर्द किसी ओर को जितवाने के लिए के लिए अपनी बीवी को तो नहीं हरवायेगा.”

अशोक: “सही कहा, दरअसल ये खेल मिया बीवी को मिल कर खेलना हैं. एक को उकसाने का काम करना हैं तो दूसरे को सहने का.”

पायल: “हैं न मजेदार चेलेंज?”

डीपू: “तो ये लेवल पहले करवा देती, शुरू के दो लेवल की क्या जरुरत थी?”

मैं: “मुझे बहुत नींद आ रही हैं अशोक, चलो हम चलते हैं.”

पायल: “प्रतिमा तुम सोने जाओ, वैसे भी तुम्हे कल मैंने लिखी वो सजा मिलेगी.”

मैं: “मुझे क्यों सजा मिलेगी ! मैंने चेलेंज करने से मना थोड़े ही किया था.”

पायल: “चेलेंज के रूल तोड़ने की सजा. हमने कपड़े से ढकने का रूल बनाया था, पर तुमने मेरे ऊपर से कपडा हटा दिया था.”

मैं: “पर तुमने भी तो मुझे कपड़ा नहीं लगाने दिया था.”

पायल: “क्युकी वो तुम्हारी चॉइस थी. तुमने ही तो पहले कहा था कि तुम बिना कपड़ा लगाए करवाओगी.”

डीपू: “हां प्रतिमा ने बोला था वो बिना कपड़े के ढके करवाने को रेडी थी.”

मैं: “पर ये तो गलत हैं, मैं जीती फिर भी मुझे ही सजा. अशोक कुछ तो बोलो, मैं ये सजा नहीं ले सकती.”

अशोक: “अब तुम्ही लोगो ने रूल बनाये, तुम्ही ने तोड़ा और सजा भी बनाई.”

पायल: “अशोक ये अब तुम्हारी जिम्मेदारी हैं कि तुम प्रतिमा से सजा पूरी करवाओगे.”

अशोक: “अरे करवा दूंगा. पर सजा हैं क्या? ”

पायल: “सजा तो कल ही दे पाएंगे. अभी तुम अपनी मम्मी की कसम खाके बोलो तुम प्रतिमा से सजा पूरी करवाओगे.”

मैं: “मत खाना कसम, फंस जाएंगे.”

अशोक: “अरे ऐसा क्या हैं सजा में?”

डीपू : “क्या फर्क पड़ता हैं, छोडो ना, कोई शरारत होगी. तुम खा लो कसम.”

अशोक: “ठीक हैं बाबा, माँ की कसम, प्रतिमा से सजा पूरी करवा दूंगा.”

पायल: “यस, अब मजा आएगा प्रतिमा का.”

अशोक: “वैसे सजा तो तुम्हे भी मिलेगी, रूल तो तुमने भी तोडा था.”

पायल “कौन सा रूल तोडा था?”

अशोक: “आखिरी के दो मिनट में तुमने प्रतिमा की छाती को मसाज दिया. रूल के हिसाब से मसाज सिर्फ डीपू को ही देना था.”

मैं: “यस, वैरी गुड अशोक. डीपू अब तुम कसम खाओ कि पायल से सजा पूरी करवाओगे.”

डीपू: “रूल तो सबके लिए बराबर हैं. दोनों को सजा मिलेगी. मैं भी मम्मी की कसम खाता हूँ, पायल से सजा पूरी करवाऊंगा.”

पायल: “एक काम करो, हम दोनों की सजा को आपस में कैंसिल कर दो.”

मैं: “हां, ये ठीक हैं.”

अशोक: “एक तो तुम हमको बता नहीं रहे हो कि सजा क्या हैं और अब खुद ही कैंसिल करवा रहे हो.”

डीपू: “हमने तो माँ की कसम भी खा ली, अब कुछ नहीं हो सकता. सजा तो पूरी करनी ही पड़ेगी. लाओ चिठ्ठी क्या सजा हैं.”

पायल: “अब कल ही देख लेना क्या है सजा.”

मैं: “चलो अशोक नींद आ रही हैं”.

पायल: “हां तुम सोने ही जाओ, अगर चेलेंज का तीसरा लेवल शुरू हो गया तो तुम्हारी सहनशक्ति की पोल खुल जाएगी.”

मैं: “तुम्हे जो बोलना हैं वो बोल दो, अब मैं तुम्हारी बातों में आ कर कोई चेलेंज नहीं करने वाली.”

अशोक: “पर तूम लोग तो बोल रहे थे कि इस लेवल में असली चेलेंज तो मर्दो के लिए हैं.”

डीपू: “अब सोना ही हैं तो उस कमरे में सोओ या यहाँ, क्या फर्क पड़ता हैं. बेड वैसे भी किंग साइज हैं, चार लोग सो सकते हैं.”

पायल: “मैं तो दूसरा लेवल वैसे ही हार चुकी हूँ, तीसरे का क्या फायदा?”

डीपू: “तुम प्रतिमा को हारते हुए देख पाओगी.”

पायल: “हां, ये फायदा तो हैं. पर हम औरतो के लिए आसान नहीं हैं इस तरह बिना कपड़ो के किसी ओर के साथ सोना.”

मैं: “सौ चूहे खाके बिल्ली हज को चली.”

पायल: “क्या मतलब?”

मैं: “पहले दोनो लेवल में क्या किया था हमने? वहा भी कपडे तो खुले ही थे सबके सामने.”

अशोक: “लाइट बंद रख सकते हैं या चद्दर ओढ़ सकते हैं.”

डीपू: “जब कुछ दिखेगा ही नहीं तो सहनशक्ति कैसे टेस्ट होगा!”

पायल: “तुम मर्दो को अब भी लगता हैं कि तुम में सहनशक्ति हैं! एक मिनट किसी की गोदी में तो देख नहीं पाए.”

अशोक: “चलो मर्द बनाम औरत का मुकाबला हो जाये. किस मे ज्यादा सहनशक्ति हैं.”

पायल: “क्या बोलती हो प्रतिमा, इनको सबक सिखाये?”

मैं: “सोच लो, हमारे साथ क्या क्या बीतेगी.”

पायल: “जो भी बीतेगी, सहन तो इन दोनों को ही करना पड़ेगा.”

मैं: “तुम औरत अकेली ना पड़ जाओ इसलिए साथ दे देती हूँ.”

डीपू: “सब लोग बाथरूम हो आओ. रूल के हिसाब से एक बार लेटने के बाद उठना नहीं हैं सुबह तक.”

औरतों की किटी पार्टी में जाकर कैसे मोहित ने उनकी ग्रुप में चूत की चुदाई करके मजे लिए. उसकी हॉट सेक्स कहानी में जानिए.

हम चारो अब चेलेंज के तीसरे लेवल के लिए तैयार हो गए. मैं और पायल बिस्तर के बीच में आमने सामने मुँह कर करवट लेकर लेट गए. मेरे पीछे डीपू लेटा था और पायल के पीछे अशोक.

हम लेट तो गए पर माहौल बड़ा अजीब सा लग रहा था. पति अपनी पत्नियों को किसी ओर के साथ लेटा देख रहे थे, जैसे वो उनकी नहीं उनके दोस्त की ही पत्नी हो. ऐसा ही हाल हम बीवियों का भी था.

थोड़ी देर पहले तक जो आसान लग रहा था वो इतना भी आसान नहीं था. कुछ सेकण्ड्स तक तो हम लोग ऐसे ही बिना कुछ किये लेटे रहे.

मर्दो के नाजुक अंग हम बीवियों के पिछवाड़े को छू रहे थे, तो शायद थोड़ी ही देर में उनके खम्बे भी जागने लगी थी.

पर अपने दोस्त और बीवी के डर से उनकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी. वो दोनों अपनी कोहनियो से तकिया बना कर अपना सर थोड़ा ऊपर उठा कर लेटे थे.

पायल: “अब ऐसे ही लेटे रहना हैं तो इस से अच्छा है सो ही जाए.”

मैं: “मुझे लगता हैं ये दोनों सहन नहीं कर पाएंगे इसलिए आपस में हाथ मिला लिया हैं.”

अशोक: “ऐसा कुछ नहीं हैं. अब देखो.”

ये कहते हुए अशोक ने पायल का टैंकटॉप ऊपर खिसकाना शुरू किया और उसके मम्मो को बाहर कर दिया. फिर पायल के सर से होते हुए पूरा टॉप बाहर निकाल दिया.

पायल: “देखो देखो, डीपू की हालत देखो. तड़प रहा हैं.”

मैंने अपनी गर्दन थोड़ी मोड़ते हुए डीपू के चेहरे को पढ़ा. उसकी हवाइयाँ उडी हुई थी. डीपू नकली हंसी दिखा रहा था. मैं फिर सीधा देखने लगी.

पायल का हाथ उसके सर के ऊपर था जिससे उसकी कांख के छोटे छोटे बाल भी दिखाई दे रहे थे, उसने उनकी भी शायद कुछ समय से सफाई नहीं की थी.

अशोक ने अपने होठ वही पे लगा दिए और चूमने लगा.

चूमते चूमते वो अपने होंठ पायल के साइड बूब्स के उपर ले आया और चूमता रहा. पायल के गहरे गुलाबी निप्पल एक दम तन से गए और उसक सीने के रोंगटे खड़े हो गए. पायल सिसकिया निकालने लगी.

मैंने एक बार फिर गर्दन मोड़ कर डीपू को देखा, वो कड़वे घूंट पी रहा था. खास तौर से जिस तरह पायल सिसकियाँ मार रही थी.

मैं फिर आगे का नजारा देखने लगी. मुझे भी थोड़ी जलन तो हो रही थी पर इससे भी ज्यादा मैं देख चुकी थी दोपहर में अशोक और पायल को.

अशोक ने अब चूमना बंद किया अपने हाथों से पायल की गुलाबी चूंचियो अपने हाथों और उंगलियों से रगड़ने लगा.

पायल: “क्या हुआ मेरे पति, सहन तो कर पा रहे हो ना?”

डीपू ने आव देखा ना ताव और मेरे सीने पर हाथ मार मेरे स्लिप शर्ट के चारो बटन खोल दिए, और मेरे ऊपर की बाजु से शर्ट को पूरा निकाल दिया. फिर आगे झुकते हुए नीचे की बांह से भी शर्ट को खिंच कर पूरा निकाल दिया.

पायल: “लगता हैं डीपू को गुस्सा आ गया हैं. प्रतिमा तूम तो गयी.”

कुछ ही देर पहले पायल की हालत देख मेरे मम्मे वैसे ही तन गए थे. उसके शर्ट खोल देने से हल्की ठण्ड लगी और मेरे भी गूज़बम्प निकल आये.

अब डीपू भी गम कम करने के लिए मेरी चूंचियो को हाथ लगा मलने लगा. पर वो बड़े प्यार से कर रहा था, शायद मेरे मजे लेना चाहता था या फिर मेरा मूड बना मुझे हराना चाहता था.

पायल: “अब अशोक को देखो, अपनी बीवी को अपने ही दोस्त के हाथों नंगे होता देख इसको भी गुस्सा आ रहा हैं, देखो कैसे मसल रहा हैं मेरे सीने को.”

अशोक ने अपना हाथ अब आगे से पायल के पाजामे में डाल दिया. पायल के पाजामे में अशोक का हाथ ऊपर नीचे हिलता हुआ दिख रहा था. पायल नशीली आहें भर डीपू को जलाने लगी.

पायल: “उम्म, आह, आ हा हां, क्या जादू हैं तुम्हारे हाथों में अशोक. डीपू को तो कुछ आता ही नहीं.”

डीपू ने भी बदले की नीयत से अपना हाथ मेरी नाभी पर रखा और घसीटते हुए मेरी चूत पर ले गया, और शार्ट के ऊपर से ही मेरी चूत को एक हाथ से दबोच लिया. फिर शार्ट के ऊपर से ही मेरी चूत को अपने हाथ से रगड़ने लगा.

मुझे मजा तो आ रहा था पर बता नहीं रही थी, बस मन ही मन मुस्करा रही थी. पायल अपनी चूत को रगड़वाने से आहें भरती जा रही थी.

अब डीपू ने मेरे शॉर्ट्स को रगड़ना बंद किया. अपनी चारो उंगलिया एक दूसर से सटा कर पेट पर रख अपना हाथ धीरे धीरे नीचे फिसलाते हुए उंगलिया मेरी शॉर्ट्स और पैंटी में डाल दी. जैसे जैसे उसका हाथ मेरी पैंटी में घुसता गया मेरी हलकी आहें निकलती गयी.

जैसे ही उसका हाथ मेरी चूत की दरारों को छुआ मेरी एक गहरी सांस से सिसकी निकली. वो अपनी उंगलियों को चूत की दरार पर रगड़ते हुए नीचे छेद तक ले गया.

मैं: “आह्ह, अंदर ऊँगली मत डालना रूल के खिलाफ हैं.”

वो भी अब मेरी चूत की दरारों में अपनी उंगलिया फेरने लगा. मैं आँख बंद करते हुए उसकी मालिश को महसूस कर रही थी और अपनी आहों को दबाने की कोशिश कर रही थी.

थोड़ी देर बाद उसने मेरी चूत को रगड़ना बंद किया. मेरी आँखें अभी बंद ही थी और उसने हाथ मेरी पैंटी से निकाल कर मेरे मम्मो पर रख दिया.

माहौल थोड़ा हल्का हो रहा था. पायल एक राग में हलकी हलकी सिसकिया निकालते हुए जैसे लौरी सुना रही थी. डीपू बड़े प्यार से मेरे मम्मो को सहला रहा था. दिन भर की थकान और उस सहलाने और लौरी से पता ही नही चला मेरी आँख कब लग गयी.

मेरी नींद फिर से खुली. सामने पायल गहरी नींद में सोई हुई थी और उसके पीछे अशोक सोये थे. अशोक का हाथ पायल की कमर को लपेटे हुए था.

पीछे घडी में देखा तो रात के तीन बज रहे थे. एक दम शांती थी सब सो रहे थे. मेरे पीछे कोई चिपक के सोया था और उसका नंगा बदन मैं अपनी पीठ पर महसूस कर पा रही थी.

मुझे कुछ खुला खुला सा लगा और मैं अपना हाथ अपने कूल्हे पर ले गयी, मेरे नीचे के कपडे भी नहीं थे. जब आँख लगी थी तब मैंने शॉर्ट्स पहन रखे थे, शायद उसके बाद डीपू ने ही निकाले होंगे.

मेरी गांड पर मैं डीपू का नरम पड़ा लंड चिपका हुआ महसूस कर रही थी. पायल और अशोक के नीचे के कपड़े भी नहीं थे. हम चारो पुरे नंगे एक दूसरे के पार्टनर के साथ सोये हुए थे.

पता नहीं मेरे सोने के बाद क्या हुआ था. डीपू का हाथ मेरे दोनों मम्मो के बीच की गली में फंसा पड़ा था. मैंने डीपू के कूल्हे को हिलाकर उसको जगाने की कोशिश की. वो जाग गया और पूछा “क्या हुआ सुबह हो गयी क्या?”

मैं दबी आवाज में फुसफुसाते हुए बात करने लगी. “नहीं, अभी तीन बजे हैं. ये बताओ मेरे सोने के बाद क्या हुआ था?”

डीपू: “तुम्हारे सोने के बाद भी ये दोनों मुझे चिढ़ाने के लिए कुछ न कुछ हरकतें करते रहे. अशोक ने पायल का पाजामा और पैंटी निकाल दिया था तो मैंने भी उसको चिढ़ाने को तुम्हारे नीचे के कपड़े निकाल दिए थे.”

मैं: “और तुम दोनों के कपड़े?”

डीपू: “अशोक ने खुद ही अपने कपड़े निकाल दिए पायल के उकसाने पर. तो मैंने भी वैसा ही किया. पर तुम सोई थी तो तुम्हारी कोई प्रतिक्रिया ही नहीं थी तो मुझे भी बोरियत महसूस होने लगी और मैं तुमसे चिपक कर लेटा और फिर पता नहीं कब नींद आ गयी.”

मैं: “तुम जब सोये थे तब ये दोनों जाग रहे थे?”

डीपू: “हाँ.”

मैं: “तुम्हे क्या लगता हैं? इन दोनों ने कुछ किया होगा हम दोनों के सो जाने के बाद?”

डीपू: “नहीं, पायल ऐसा नहीं कर सकती. चेलेंज के रूल के हिसाब से भी अंदर डालना मना हैं.”

मैं: “पायल के नीचे देखो, दोनों जांघो के बीच में अशोक के अंग की टोपी पायल की योनी के एकदम पास.”

डीपू: “शायद पायल को उकसा कर चेलेंज में हराने के लिए दोनों जांघो के बीच लगाया हो, अंदर डाला हो इसके कोई सबूत नहीं.”

मैंने अपनी ऊँगली पायल के नीचे ले गयी और इशारा किया “ये देखो, पायल के नीचे के बाल आपस में चिपके हुए हैं. ऐसा चिकने पानी से होता हैं. पानी तो सूख गया पर बाल चिपक गए. मुझे गड़बड़ लग रही हैं.”

हमारे सोने के बाद क्या हुआ ये एक रहस्य बन गया था. हमें यकीन हो चला था कि नियमो के खिलाफ उन दोनों के बीच जरूर कुछ हुआ था. अब हमारा अगला कदम क्या होगा ये तो इस हॉट सेक्स कहानी के अगले भाग में जानिए!

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