चाचा के साथ अनोखी रात-2 (Chacha ke sath anokhi raat-2)

This story is part of the चाचा के साथ अनोखी रात series

    अगर आपने अभी तक मेरी पिछली स्टोरी नहीं पढ़ी, तो पहले वो पढ़ ले।

    चाचा को पता चल गया था कि मुझे उनको ऐसे देख कर अच्छा लगा था। इसलिए वो आपने बैग से अपना लैपटॉप लेकर मेरे ही पास आकर बैठ गए, और ऑफिस का काम करने लग गए (या फिर ड्रामा कर रहे थे। क्यूंकि मुझे कुछ दिख नहीं रहा था कि वो क्या कर रहे थे )

    उनकी बॉडी देखने के बाद मेरी बॉडी में एक अलग से करंट सा महसूस हो रहा था जिस वजह से मेरा मन चैप्टर पर लग ही नहीं रहा था। अब आगे-

    चाचा अपने लैपटॉप पर काम करते-करते बार-बार तिरछी नजरों से मुझे ही देख रहे थे। पता नहीं क्यों उनकी बॉडी की तरफ देख कर, खास कर उनकी नंगी जांघें देख कर मेरा मन पढ़ाई पर लग ही नहीं रहा था। तभी अचानक चाचा मेरे पास आकर बोले-

    चाचा: रोहित कोई हेल्प करू पढ़ाई में?

    इतना बोलते ही उन्होंने मेरी जांघ पर हाथ रखा, जिससे मेरे लंड के साथ पूरी बॉडी में करंट सा आ गया। घबराहट से मेरे हाथ से मेरी बुक नीचे गिर गई। जिसे उठाने जैसे ही मैं नीचे हुआ (आपको बता दूं कि मैं बेड के कोने पर बैठा हुआ था ), मेरी गांड चाचा के सामने आ गई।

    चाचा ने भी मौके पर चौका मार दिया और मेरी शॉर्ट को पकड़ कर पीछे खींचने लगे, जिससे मेरे अंडरवियर से मेरी गांड की दरार उनको साफ दिख रही थी। बुक लेकर मैं ऊपर हुआ तो चाचा मुझे देख कर स्माइल दे रहे थे। मेरी नज़र पता नहीं क्यों उनके अंडरवियर के उभार पर ही जा रही थी। मुझे यह सब बहुत ही अजीब लग रहा था। मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। इसलिए मैं बुक रख कर, अपना बैग पैक करके, सोने के लिए बेड पर लेट गया। तभी चाचा अपनी लूंगी पहन कर बोले-

    चाचा: रोहित लगता है तुम कुछ भूल गए हो?

    मैं: सारा सामान तो रख दिया चाचा।

    चाचा: दवाई नहीं लगवानी क्या?

    मैं: अब दर्द नहीं है, ठीक है सब।

    चाचा: अगर दवाई नहीं लगाओगे तो मैं तुम्हारी मम्मी को बोल देता हूं।

    मैं: नहीं-नहीं, मम्मी को मत बोलो। आप लगा दो।

    चलो खड़े हो जाओ ( चाचा ने बोला)।

    मेरी टी-शर्ट ऊपर करके वो दवाई हाथ में लेने लगे।

    चाचा: रोहित तुम अपनी टी-शर्ट उतार दो वरना दवाई से यह गंदी हो जायेगी।

    जैसे ही मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी। काली बनियान में मेरे फसे हुए गोरे चूचे देख कर चाचा का मुंह खुला का खुला ही रह गया।

    चाचा की लूंगी में से उनकी जांघ देख कर मेरे निप्पल कटक होने लगे थे। अपने खड़े लंड को छिपाने के लिए उन्होंने शायद लूंगी पहन ली थी। वैसे भी चाचा इसमें भी सेक्सी लग रहे थे।

    चाचा: रोहित यार तुम्हारे चूचे तो लड़की के जैसे है, कितने मोटे और बड़े है। यह बात सुन कर मुझे शर्म आ गई। इतना बोलते ही वो मेरे कमर पर अपना गर्म-गर्म हाथ फेरने लगे। दवाई की ठंडक और चाचा की गर्मी मेरे लंड को खड़ा कर रही थी। मैं अपने हाथ से लंड को छिपाने की कोशिश कर रहा था, जिसे चाचा ने नोटिस कर लिया था।

    चाचा ने मेरी शॉर्ट को एक तरफ से नीचे कर दिया, जिससे मेरा लंड अब और ज्यादा टाइट हो गया था। चाचा का लंड अब अंडरवियर से निकलना चाहता था। चाचा ने मेरी पूरी शॉर्ट ही उतार दी, और अब मैं चाचा के सामने सिर्फ बनियान और जॉकी मैं था।

    मैं (अपने लंड को पकड़ते हुए): ये क्यों?

    चाचा: दवाई तुमरी शॉर्ट को गीला कर रही थी। और कहां दर्द है?

    यह बोल कर वो मेरी गांड को दबाने लगे।

    मैं(अब मुझे भी यह सब अच्छा लग रहा था ): पीछे कमर में दर्द है।

    चाचा: अच्छा जी। चल बेड पर उल्टा लेट जा, मैं आज तेरी मालिश करता हूं। तभी तेरी सारी थकान दूर हो जायेगी। कल एग्जाम भी है ना मेरे बाबू का?

    चाचा के मुंह से बाबू सुन कर मैं तो स्वर्ग में ही चला गया। अब चाचा मुझे पहले से भी ज्यादा हॉट और सेक्सी लग रहे थे। मुझे उल्टा लिटा कर चाचा अपने बैग से एक तेल की बोतल लेकर आए।

    चाचा: बाबू बनियान उतार दो।

    इतना सुनते ही मैंने अपना बनियान उतार दिया (अब तो चाचा जो बोलते वो करता)।

    मेरी पीठ पर चाचा अब तेल डाल कर बड़े प्यार से अपने गर्म-गर्म हाथ से मेरी मालिश कर रहे थे। मालिश करते-करते वो मेरी कमर पर आ गए

    कमर को दबा-दबा कर बहुत प्यार से मालिश करते हुए बोले: कैसा लग रहा है बाबू?

    मैं: बहुत अच्छा लग रहा है चाचा जी।

    फिर चाचा ने धीरे से मेरी अंडरवीयर को गांड की दरार तक नीचे किया। फिर कमर को दबा-दबा कर अपने हाथ फेरने लगे। 5 मिनट तक ऐसा करते हुए अचानक चाचा खड़े हुए। 2 मिनट बाद मेरे जांघों पर तेल लगाने लगे। फिर जैसे ही वो बेड पर आते है, मुझे समझ आ गया कि वो लूंगी उतार चुके थे। मुझे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था।

    10 मिनट तक वो मेरी जांघो पर दबा-दबा कर सारा दर्द निकाल रहे थे, और इधर मेरी हालत बिन पानी मछली जैसी हो रही थी। यह सब पहली बार था। मुझे आज से पहले कभी इतना अच्छा महसूस नहीं हुआ था। आज तो मैं बिलकुल जन्नत में था। चाचा का कड़क हाथ मेरी जांघों को ऐसे निचोड़ रहा था जैसे मैं कोई नींबू था।

    मेरे वी-शेप अंडरवेयर को चाचा ने अब धीरे-धीरे दोनो तरफ से आगे करके मेरी गांड की दरार में डाल दिया। चाचा के सामने अब मेरी गांड बिल्कुल नंगी थी। जैसे ही उनका भारी हाथ मेरी मुलायम गांड पर आया

    चाचा: बाबू तुम्हारी गांड तो बहुत मुलायम और मोटी है। लड़की भी शर्मा जाए इसे देख कर।

    चाचा के मुंह से गांड शब्द सुन कर मैं तो पता नहीं कहा खो गया।

    मैं: चाचा मेरी निक्कर कही तेल से खराब ना हो जाए ( अब मुझे भी चाचा के साथ मजे आ रहे थे। तो मैंने पता नहीं क्यों आपने आप यह कह दिया )।

    “जो हुकुम मेरी जान” बोलते ही

    चाचा भी अब जोश मे आ चुके थे। उन्होंने पूरे जोश से मेरी निक्कर को मेरी गांड से मुक्त कर दिया। उनके ऐसा करते ही मेरी गांड पानी के भरे हुए गुब्बारे की तरह हिलने लगी। बहुत सारा तेल अब मेरी गांड पर डाल कर चाचा मेरी गांड से खेल रहे थे। वो मेरी जांघ पर बैठ कर आपने लंड को अपनी फ्रैची के अंदर से ही मेरे गांड पर रगड़ रहे थे।

    मैं: कुछ चुभ रहा है चाचा।

    चाचा: कुछ नहीं है, एक खिलौना है।

    अब मेरे छेद का टाइम आ गया था‌। चाचा बहुत आराम से तेल वाली उंगली से मेरे छेद के आस-पास सहला रहे थे। फिर धीरे से मेरे गांड को फैला रहे थे।

    चाचा: जान तू तो बिल्कुल कुंवारे छेद वाला है।

    मैं: मतलब?

    चाचा: कुछ देर मे समझ जाएगा।

    मेरी गांड फैला कर कुछ गर्म सा मुझे छेद में महसूस हुआ ( उनका थूक )। उनकी ऊंगली मेरी गांड मे जैसे ही गई, वैसे ही मैं जोर से चिल्ला दिया और खड़ा हो गया। मुझे रोता हुआ देख वो बोले: क्या हुआ? थोड़ा दर्द होता है वहा की मालिश में।

    यह बोल कर वो बोले: अच्छा सीधे लेट जाओ आगे की कर देता हूं।

    मैंने देखा मेरे लंड से कुछ गीला-गीला निकल रहा था ( प्री कम)। मैंने उसको छुपाने के लिए अपना हाथ लंड पर रख लिया। मेरा लंड उस टाइम बहुत छोटा था 3 इंच का ही था।

    चाचा: कोई नहीं यह होता है। देखो मेरी भी तो निक्कर आगे से थोड़ी गीली हो गयी है।

    मैंने देखा उनका लंड अब और ज्यादा बड़ा लग रहा था। उनको देख कर मुझे और ज्यादा ठरक जाग रही थी‌

    चाचा: मेरे से क्यूं शर्मा रहे हो? अब तो मैंने तुम्हे नंगा देख ही लिया है। अब लेट जाओ जल्दी से। आज तुम्हारे चूचों की स्पेशल मालिश करता हूं।

    वो मेरे चूचों को अपने हाथों से दबाने लगे। मेरे निप्पल पर अपनी उंगलियां फेरने लगे। अब जो वो करने जा रहे थे, वो मैंने सोचा भी नहीं था। वो आपनी जीभ मेरे निप्पल पर रख कर मेरे निप्पल की मालिश करने लगे ( जिसने भी यह पोजीशन ट्राई करी है उसे पता है कि यह किसी जन्नत से कम सुख वाली नहीं होती।

    इस पोजीशन मे आप एक अलग ही दुनिया में होते हो। यह आपके साथ जो भी होता है आपको बस मस्त कर देता है। चरमसुख है यह सच में, आप भी ट्राई करना )

    मेरे बड़े-बड़े चूचे पिंक निप्पल के साथ अब उनके मुंह में थे। 10 मिनट की चूचों की मालिश से मैं इतना मदहोश हो गया था, कि आचनक मेरे लंड से सफेद पानी ( वीर्य ) निकल गया।

    कुछ देर बाद मैंने कहा-

    मैं: मेरा पेशाब कैसे निकल गया? चाचा आप भी गंदे हो गए इससे।

    चाचा मुझे देख रहे थे कि इसे यह भी नहीं पता कि यह इसका वीर्य है। चाचा ने भी मौके का फायदा उठाया।

    चाचा: यह कैसे हो गया इतना जल्दी तुम वह तो…

    यह बोल कर वो चुप हो गए। तब मैंने बोला-

    मैं: क्या हुआ, आप बोल क्यों नहीं रहे?

    चाचा: बाबू यह एक प्रॉब्लम होती है। तुम्हारा लंड अभी छोटा है, इसलिए यह हो रही है।

    इतना बोलते ही

    चाचा ने अपनी निक्कर उतार कर बोला: देखो मेरा कितना बड़ा है। तुम्हारा अभी छोटा है, तुम्हें शायद कोई प्रॉब्लम है इसे देखना पड़ेगा, वरना बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी। मेरा उनकी बातों पर ध्यान ही नहीं था। मेरी नज़रे तो कुछ और ही देख रही थी

    उनका लंड। लंड नहीं लौड़ा था लौड़ा। 7 इंच लंबा और 4 इंच मोटा। 5 मिनट तक मैं बस उनको देखता ही रह गया। उनकी बालों वाली फूली-फूली छाती, चौड़े कंधे, मूछें, पिंक होठ। छाती के बाल पेट से होते हूए उनके लोड़े तक जा रहे थे। जांघ भी पूरी बालों से भरी हुई थी। पहलवानों जैसा शरीर मानो जैसे कामदेव धरती पर आ गए।

    आगे की स्टोरी अगले भाग में।