चाचा के साथ अनोखी रात-3 (Chacha ke sath anokhi raat-3)

This story is part of the चाचा के साथ अनोखी रात series

     

    मेरा उनकी बातों पर ध्यान ही नहीं था। मेरी नज़रे तो कुछ और ही देख रही थी। उनका लंड, लंड नहीं लौड़ा था लौड़ा। 7 इंच लंबा और 4 इंच मोटा। 5 मिनट तक मैं बस उनको देखता ही रह गया।

    उनकी बालों वाली फूली-फूली छाती, चौड़े कंधे, मूछें, और पिंक होठ थे। छाती के बाल पेट से होते हुए उनके लोड़े तक जा रहे थे। जांघ भी पूरी बालों से भरी हुई थी। पहलवानों जैसा शरीर, मानो जैसे कामदेव धरती पर आ गए। अब आगे:-

    चाचा आपका तो बहुत बड़ा है, और कितने सारे बाल भी है इसके पास (बाल तो उनकी पूरी बॉडी पर ही थे। अनिल कपूर थे वो दूसरे )। क्या मैं इसको छू सकता हूं?

    चाचा: बिल्कुल बाबू, यह तुम्हारा ही है अब, और इसको लंड बोलते है

    जैसे ही मैंने उनका लंड अपने हाथ से छुआ, चाचा के मुंह से लम्बी सी आआह्ह की आवाज निकली।

    मुझे तो उनका लंड अपने हाथ मे बहुत मुलायम लग रहा था। उनका लंड मेरी कलाई से भी मोटा लग रहा था।

    अब मेरे भी लंड ने हरकत करना शुरू कर दिया था। जिससे मेरे अंदर भी ठरक बढ़ती ही जा रही थी। हम दोनों एक-दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे।

    चाचा: बाबू अगर मैं जो कहूं वो तुम करोगे, तो तुम्हारी लुल्ली से लंड बन सकती है।

    मैं: बिल्कुल चाचा, आप जैसा बोलो।

    अगले ही पल चाचा मुझे होंठो पर एक लंबा सा किस्स करने लग गए। मेरे लिए तो आज का दिन किसी नई दुनिया का एहसास करा रहा था। जिससे मेरी पूरी बॉडी मे करंट सा दौड़ गया। अगले 10 मिनट तक चाचा मुझे अलग-अलग तरीके से किस्स करके अपना बना रहे थे।

    कभी वो मेरे मुंह में जीभ डालते, कभी मेरे होठों को दातों से काटते, किस्स करते- करते वो मेरी गर्दन को भी किस्स कर रहे थे। अब वो नीचे होते हुए मेरे निप्पल को फिर से चूस रहे थे, जैसे आज ही दूध निकल जायेगा।

    5 मिनट निप्पल से दूध निकालने के बाद अब तो मेरी लुल्ली को चाचा ने पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया  अअह्ह्ह्ह अअह्ह्ह की आवाज़ मेरे मुंह से निकल रही थी। कभी मेरे बॉल्स को, कभी मेरी लुल्ली को चाचा इतने मजे से चूस रहे थे, कि थोड़ी ही देर में मेरा सारा पानी उनके मुंह मे ही निकल गया, जिसे चाचा पूरा पी गए। वो फिर से मुझे किस्स करने लगे।

    उनके मुंह में अभी भी मेरा वीर्य था, जो उन्होंने मेरे गले तक उतार दिया। तब तक किस्स करते रहे, जब तक मैने सारा वीर्य पी ना लिया हो। आज मैंने अपना ही वीर्य पी लिया था, वो भी चाचा के मुंह से। थोड़ा कड़वा था, लेकिन पूरा पीना ही पड़ा। 5 मिनट तक किस्स से मेरे होंठ अब दर्द कर रहे थे। हम दोनों अब पूरी तरह गर्मी से पसीने-पसीने हो गए थे।

    चाचा: अब मेरी जान मेरी भी तो मालिश कर लो।

    मैं: जी चाचा जी।

    चाचा: चाचा मत बोला कर जान, मुझे संजू बोला कर,‌संजू जान।

    मैं: ओके।

    मैं मालिश के लिए तेल की बोतल लेने लगा।

    तभी चाचा बोले: बाबू मुंह से करो मेरे लंड की, जैसे मैंने की थी।

    मुझे मेरी जान ने नीचे बैठा दिया। मेरी नाक के सामने संजू मेरी जान का 7 इंच लंबा लौड़ा था। मेरे मुंह से अब भूखी रांड की तरह पानी आ रहा था। बिना कुछ सोचे मैंने उनका पिंक टोपा मुंह में ले लिया। संजू धक्के मार-मार कर लंड मेरे गले तक घुसा रहा था, लेकिन 4 इंच मोटा लौड़ा बड़ी मुश्किल से मेरे मुंह मे आ पा रहा था।

    मुंह की जबरदस्त चुदाई से मेरा दम घुटने लगा था। लेकिन संजू पर तो कोई जुनून सवार था आज। मुंह की चुदाई से पूरे कमरे में पच-पच  की आवाज फैल गई थी।

    मैं बहुत कोशिश कर रहा था, लेकिन उन्होंने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था।

    भूखे सांड की तरह 15 मिनट तक मेरा मुंह चोदने के बाद, उनका गर्म-गर्म लावा पिचकारी के साथ मेरे गले से होता हुआ पेट में चला गया। गले तक लंड होने की वजह से मुझे उनके पानी का स्वाद भी पता नहीं चला।

    जब तक उनके पानी की आखरी बूंद मेरे पेट में नहीं गई, तब तक उनका लौड़ा मेरे मुंह रखा हुआ था। उसके बाद संजू बेड पर लेट गए

    “कैसा लगा जान?”, चाचा ऊर्फ संजू बोले।

    मैं: बहुत अच्छा लगा संजू जान।

    “लव यू रोहित बाबू”, चाचा बोले।

    बोल कर उन्होंने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया। मेरी आंखों से आसूं आता देख चाचा बोले-

    चाचा: पहली बार होता है जान। तुम्हें बड़ा लंड भी तो चाहिए।

    मैं: तो अब क्या मेरा लंड भी बड़ा हो जायेगा?

    चाचा‌ (हस्ते हुए बोले): अरे नहीं बाबू, यह तो पहला राउंड था। दूसरे राउंड में तो बहुत मजा आएगा। उसके बाद ही होगा कुछ।

    मैं: कब?

    चाचा: कल एग्जाम है तुम्हारा। उसमें थोड़ा दर्द भी होगा तुम्हें, इसलिए कल एग्जाम के बाद ही करेंगे, बोलो कर लोगे?

    मैं: बिल्कुल चाचू। आप बहुत अच्छे हो।

    इसके बाद हम दोनों नंगे ही सो गए एक-दूसरे को पकड़ कर।

    अगली सुबह जब मैं उठा, 5 बज रहे थे। चाचा अपनी नंगी जांघ पर मेरा सर सहला रहे थे।

    चाचा: गुड मॉर्निंग बाबू।

    उनका लंड मेरे मुंह के बहुत पास था। लंड की महक से मुझे उसे छूने का मन कर रहा था। लंड बार-बार हिल कर मेरे गाल पर छू रहा था। मैं अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाया, और लंड मुंह में ले लिया। आह! सुबह की शुरुवात कितनी मस्त हुई है यार, मजा ही आ गया।

    चाचा: बहुत बढ़िया जान। यह तुम्हारा ब्रेकफास्ट है। पूरा रस पी जाना मेरी जान।

    मैं: जैसी आपकी इच्छा हो चाचू।

    अब लंड आराम से मेरे गले तक जा रहा था, लेकिन थोड़ी देर बाद मेरे गाल दर्द करने लग गए। अब चाचा खड़े होकर मेरा मुंह चोद रहे थे। पूरा कमरा पच-पच की आवाजों से गूंज रहा था। मेरी थूक से उनका पूरा लौड़ा गीला हो गया था, पच पच पच।

    मैं बड़े प्यार से लॉलीपॉप की तरह पूरे टोपे को अपने लिप्स पर लगा-लगा कर बार-बार पच-पच की आवाज के साथ मुंह में लेकर चूसने लगा। कभी चाचा मेरे गाल पर लौड़ा मारते, कभी मेरी लिप्स पर, कभी अंदर डाल कर निकालते। मुंह चूदाई में दोनों को पता ही नहीं चला कि 5:20 हो गए थे।

    उनको भी जल्दी थी, कि कहीं कोई मुझे एग्जाम के लिए जगाने ना आ जाए। 10 मिनट की मुंह चुदाई के बाद मैं पूरा अमृत रस आशीर्वाद समझ कर पी गया। एक भी बूंद नीचे नहीं गिरने दी। बहुत मीठा स्वाद था। एक दम दही की तरह गाड़ा था। चाचा ने मुझे लव यू बोल कर एक लंबा मोरनिंग किस्स लिया। 5:30 बज गए थे। तभी दरवाजे पर आवाज आई-

    मम्मी: रोहित उठ जा, एग्जाम के लिए लेट हो जायेगा। आज लास्ट एग्जाम है। फिर कल से आराम से सोना बेटा।

    मैं: आया मम्मी।

    जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर गया।

    मम्मी: जल्दी नहाले, जब तक तेरा नाश्ता भिजवा देती हूं।

    ( अब मम्मी को कौन बताए मेरा नाश्ता तो डार्क चॉकलेट विद व्हाइट क्रीम के साथ हो गया था )

    रेडी होने के बाद चाचा ही मुझे स्कूल लेकर गए।

    वो बोल रहे थे: कल के बारे मे किसी को मत बताना। वरना विधि काम नहीं करेगी, और तुम्हारा लंड बड़ा नहीं हो पायेगा।अपने दोस्तों को भी नहीं। आगे की विधि के लिए मैं कुछ करता हूं। आज एग्जाम अच्छे से कर, फिर कुछ करता हूं। ऑल द बेस्ट बाबू।

    2:30 बजे एग्जाम देकर घर जब आया तो सब बारात की तैयारी में लगे हुए थे। बहुत देखने के बाद भी चाचा मुझे नहीं दिखे।

    पापा: रोहित कब आया? चल खाना खा ले। जल्दी रेडी हो जाना शाम के लिए।

    मैं: संजय चाचा कहा है पापा?

    पापा: वो मार्केट गया है। शाम को मिल लेना। अभी खाना खा ले जाकर।

    बारात का टाइम आ गया। सब रेडी हो गए थे। मेरा मन ना होते हुए भी रेडी होना पड़ रहा था।

    बारात लड़की वालो के घर पहुंचने वाली थी, लेकिन अभी तक चाचा नहीं दिखे थे। तभी मैंने देखा चाचा, मेरे पापा और बाकी लोगों के साथ डांस कर रहे थे।  मैं उनके पास भागते हुए गया, और उनको पकड़ लिया।

    मैं: आप कहा थे, मुझे बहुत टेंशन हो रही थी।

    उनको डीजे की आवाज में कुछ भी नहीं समझ आया, और वो मुझे अनदेखा कर डांस करने लगे। इस बात से मुझे बहुत गुस्सा आ गया, और मैं अब मेरे भाई बहन के पास चला गया। पूरी शादी मे मैं चाचा को इग्नोर करता रहा। बारात से घर आने के बाद मैं गुस्से में ही सो गया।

    अगली सुबह:-

    चाचा मेरे साथ बैठे हुए थे जैसे ही मेरी आंख खुली।

    चाचा: सोरी बाबू, मुझे पता है तुम गुस्सा हो। लेकिन कल सब साथ थे, और मैं काम मे बिजी हो गया था। मैं अभी 2 घंटे बाद उदयपुर जा रहा हूं। मुझे कॉल आया है, ड्यूटी पर जान होगा।

    ये सुनते ही मेरा सारा गुस्सा शांत हो गया। कल तक जो चाचा मेरे लिए अंजान थे, आज मुझे उनके जाने से बहुत दुख हो रहा था। मेरी आंखों से आसू आने लगे।

    मैं: आप क्यों जा रहे हो ( रोते हुए)?

    “कोई नहीं, फिर कभी आऊंगा”, चाचा बोले।

    ये बोल कर वो बाहर चले गए। चाचा अब सब से मिल रहे थे, लेकिन मैं अपने आसू दिखा भी नहीं सकता था।

    पापा: रोहित चाचा के पैर छुओ। मिलोगे नहीं? कल तो बड़ा पूछ रहे थे चाचा कहा है?

    चाचा: क्या मैं रोहित को अपने साथ ले जाऊं, अगर आप बोलो भाई-भाभी?

    मम्मी: अगर तुम जाना चाहते हो तो चले जाओ रोहित। वैसे भी एग्जाम के बाद 2 महीने की छुट्टी है।

    मैं ( खुशी से पागल ही हो गया था ): ठीक है मम्मी।

    अगले पार्ट में देखो कैसे उदयपुर में चाचा ने कैसे मेरी गांड़ का उदय किया

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