आप सभी का स्वागत है मेरी नयी सेक्स कहानी में। ये कहानी है मेरी शादी-शुदा बड़ी बहन की, जिसकी उसके देवर ने और फिर बाद में मैंने ताबड़तोड़ चुदाई की। और उसकी चूत चोद-चोद कर उसकी चूत का बुरा हाल कर दिया। चलिए कहानी पर-
जैसा कि आपको पता है, मेरा नाम शिवम् है, और मैं मध्य प्रदेश से हूं। ये कहानी तब की है, जब मेरी बहन की शादी को 5 साल हो गए थे, और उसका कोई बच्चा नहीं था। शादी से पहले मेरी बहन का शरीर एक-दम पतला-दुबला था। पहले उसके शरीर का साइज़ 28-26-30 हुआ करता था, लेकिन शादी के बाद उसका शरीर थोड़ा उभर गया था। उसके बूब्स बढ़ गए थे। उसकी गांड चौड़ी हो गयी थी। कमर भी मोटी हो गयी थी। उसका फिगर 33-30-36 हो गया था।
अगर आपको पता हो, या देखा हो, तो पता होगा कि शादी के बाद लड़की की खूब चुदाई होती होगी। तब जाके ऐसे बदलाव आता है।
उसका बदन एक-दम मादक हो गया था। मेरे मन में ख्याल आते थे कि लगता है दीदी जीजू से जम कर चुदाई कराती है, तभी उनके इतने बड़े हो गए। वो जब भी ससुराल से घर आती थी, तो मैं उनको देखता रहता था। क्यूंकि उनके बूब्स बहुत ही आकर्षक लगते थे। मुझे उसको देख कर मन करता था कि दीदी को एक बार बस चोदने को मिल जाये तो मजा आ जाए।
मेरी बहन का नाम निम्रत है। हम उसे प्यार से निम्मू बुलाते थे। उसके 2 देवर और 1 ननंद थी। उसकी ननद उसका अच्छा ख्याल रखती थी, एक-दम बहन जैसी थी दोनों। छोटा देवर बहुत ही अच्छा था, लेकिन उसका बड़ा देवर एक नंबर का ठरकी था। उसकी नज़र हमेशा मेरी दीदी पर लगी रहती थी। कभी-कभी वो मेरी दीदी की पैंटी उसके कमरे से ले जाता था, और उसमें अपना पानी निकाल कर वापस रख जाता था।
एक दिन की बात है, जब मेरी दीदी नहा कर तैयार हो रही थी, तो वो एक-दम से अन्दर कमरे में घुस गया, और दीदी को हर कहीं हाथ लगाने लगा। दीदी ने गुस्से में आकर उसे जोर का थप्पड़ मार दिया। वो अपना सा मुंह लेकर कमरे से गुस्से में निकल गया।
दीदी को लगा अब वह कुछ नहीं करेगा, पर वो गुस्से में था, और दीदी से बदला लेना चाहता था। वो दीदी के सामने तब से शरीफ बनने का नाटक करने लगा। कुछ दिन निकल गए, और एक दिन दीदी ने उससे कहा-
दीदी: सुन, मुझे माफ़ कर दे। मुझे इतनी जोर से नहीं मरना चाहिए था।
उसने कहा: कोई भात नहीं भाभी, मेरी ही गलती थी। मैं बहक गया था, और अपने दोस्तों के बातो में आ गया। वो मुझे ये कह कर चिढ़ाते थे कि मेरी भाभी कितनी खुबसूरत है। ऐसे भाभी हमें मिल जाए तो उसे अपना बना कर रखेंगे।
दीदी कहती है: तो ऐसे दोस्तों के साथ रहता ही क्यों है जो इतना गन्दा सोचते है? मत रहा कर ऐसे दोस्तों के साथ।
और दोनों अब अच्छे से हसने और बोलने लगे। एक दिन दीदी नहाने जा रही थी, और वो अपने कपड़े अपनी अलमारी में से निकाल रही थी। हाथ में उनकी ब्रा-पेंटी थी, और अचानक से उसका आना हुआ कि भाभी भूख लगी है, कुछ खाने को बना दो। उस समय दीदी ब्लाउज और पेटीकोट में थी। वो खुद को ढकने कि कोशिश करने लगी, लेकिन छुपा नहीं पाई। उसने दीदी के हाथ में उनकी ब्रा-पेंटी पकड़ी देख ली, और उसका लंड वहीं बड़ा होने लगा, और दीदी की नज़र भी उस पर पड़ गई।
दीदी मुड़ी और उससे कहा पीछे मुड़। वो दीदी को देखने लगा वैसे ही। उसका औजार बड़ा होने लगा था, जो पेंट में खड़ा होने लगा था। दीदी ने जल्दी-जल्दी साड़ी पहनी, और कहा, “क्या बिना खटखटाए अन्दर आ जाता है, खटखटा कर आना चाहिए ना!”
उसने दीदी को सॉरी बोला और कहा, “भाभी मुझे नहीं पता था आप कपड़े बदल रही हो।”
इस पर दीदी ने कहा, “कपड़े बदल नहीं रही हूं, नहाने जा रही थी। तू एक-दम से आ गया।”
उसने कहा: भाभी कुछ बना दो, मुझे भूख लगी है।
दीदी ने कहा: ठीक है तू बाहर जा, मैं आ रही हूं।
फिर दीदी कपड़े पहन कर किचन में उसके लिए कुछ बनाने लगी, और वो भी किचन आया और साइड में बैठ गया और बात करने लगा, “भाभी आप बहुत अच्छी हो।”
दीदी ने कहा: मुझे पता है। पर तू बिना दरवाजा बजाये मत आया कर। अभी मैंने कुछ नहीं पहना होता तो? मुझे पसंद नहीं कोई मेरे कमरे में ऐसे आये। अब ये बात किसी को बोलना मत, की तूने मुझे ऐसे देखा था
दीदी ने उसे खाना बना कर दिया और कहा: अब में नहाने जा रही हूं। तुम खा कर सिंक में प्लेट रख देना। मैं बाद में साफ कर लूंगी (और वो नहाने चली गयी)।
उसके दिमाग में शैतानी जागी, और वो भी दीदी के पीछे बाथरूम की ओर जाने लगा। दीदी अन्दर अपने कपड़े उतार रही थी, और वो ऊपर के रोशनदान से दीदी को देखने लगा। उसने देखा दीदी एक-दम नंगी थी, और दीदी के बड़े-बड़े बूब्स लटक रहे थे, और चूत पर हल्के से बाल दिख रहे थे। वो अपना लंड हिलाने लगा, और दीदी को देखने लगा। तभी अचानक उसका हाथ छूटा, और वो ऊपर से नीचे गिर पढ़ा।
दीदी को आवाज सुनाई दी तो उसने ऊपर कि ओर देखा। वो समझ गई कि उसका देवर उसको नहाते हुए देख रहा था। वो तुरंत पानी डाल कर, खुद को साफ़ करके, कपड़े पहन के बाहर आई, तो देखा उसका देवर बाहर बाथरूम के गेट के पास पढ़ा था।
उसने उसे देखा और गुस्से में कहा: तुझे शर्म नहीं आती अपनी भाभी को नहाते देख रहा था? रुक आने दे तेरे भैया को, सब बताती हूं तेरी हरकते!
वो डर गया, और वहां से उठ कर चला गया। दीदी भी अपने कमरे में आ गयी, और शाम का इंतजार करने लगी कि कब जीजू आएंगे, और उनको वो सब बताएगी।
शाम को उसने जीजू को सब बताया पर जीजू ने नज़र-अंदाज कर दिया, और दीदी और जीजू के बीच में झगड़ा हो गया। 2-4 दिन निकल गए, और दीदी अब उसे देख भी नहीं रही थी। लेकिन उसकी नज़र दीदी पर ही रहती थी अब।
एक दिन दीदी दोपहर में सो रही थी हाल में। उसका देवर कहीं से आया और देखा कि भाभी सो रही थी। उसने उसका फायदा उठाना चाहा। दीदी उलटी सो रही थी, और उनकी गांड बाहर उभरी थी। साड़ी में उनकी गांड बहुत ही मोटी लग रही थी। उसने दीदी की गांड के ऊपर से फोटो खींचे।
फिर कुछ देर बाद दीदी ने अपनी करवट बदली, तो उसके बूब्स भी बाहर आने लगे। वो सोफे के पीछे गया जहां दीदी का सर था। उसने वहां से मोबाइल नीचे करके दीदी के बूब्स के फोटो खींचे और खुद का लंड बाहर निकाल कर दीदी के मुंह के पास कर दिया और फोटो खींचने लगा। उसका लंड दीदी के मुंह को छू रहा था, और एक दम कड़क हो गया था। उसका मन तो दीदी के मुंह में डालने का था। लेकिन तभी दीदी पलटी और उसने अपना लंड हटा लिया।
उसने दीदी के बहुत सारे क्लोजअप वाले फोटो खींच लिए थे। 1 घंटे बाद दीदी जाग गई, और उठ कर मुंह धोने जाने लगी। तो उसे बाथरूम में उसके देवर की आवाज सुनाई दी। वो दीदी का नाम लेकर अपना लंड हिला रहा था, और कह रहा था, “भाभी आओ मेरा लंड चूसो। आपके लिए मेरा लंड देखो कितना बड़ा हो गया है। मैं आपको चोदना चाहता हूं। भाभी एक बार मेरे लंड पर बैठ जाओ भाभी। अहह भाभी चूसो मेरा लंड, अपने मुंह में समा लो भाभी।
दीदी ये सब सुन रही थी, लेकिन पता नहीं उसको ये सब सुन कर क्या हुआ, और वो भी थोडा मदहोश होकर सुन रही थी। वो अपनी आँखे बंद करके अपनी साड़ी को खींचने लगी थी। तभी एक-दम से उसका देवर चीखा, “ओह भाभी, मेरा निकल रहा है। मुंह खोलो अपना अहह अहह।” और उसने अपना ढेर सारा लंड का पानी जमीन पर गिरा दिया। वो पसीना-पसीना हो गया था। तभी उसने गेट खोला तो देखा बाहर भाभी सब सुन रही थी, और साड़ी उठा रखी थी
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में। कहानी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके बताएं।