मेरा नाम कुमारी है, और मैं आपको बताने वाली हूं कि कैसे मेरे बाप में मेरी चुदाई की। चलिए शुरू करती हूं।
पिछले साल की बात है। साल के शुरू में मेरी मां की मौत हो गई। मैं 23 साल की हो चुकी थी, और मेरा कॉलेज भी खत्म हो चुका था। मां की मौत के बाद पापा बहुत दुखी थे। अब मैं घर पर ही रहती थी, तो उनका दुख बांटने की कोशिश करती थी।
रात को वो अक्सर रोने लग जाते थे, तो मैं अपने कमरे से उनके कमरे में जाती थी, और उनको चुप करवाती थी। एक दिन ऐसे ही उनको चुप करवाते हुए काफी वक्त हो गया। मुझे भी बहुत नींद आई हुई थी, तो मैं भी उनके सोने के बाद वहीं उनके साथ बिस्तर पर सो गई।
वैसे मैं अपने बारे में बता देती हूं। मेरा फिगर साइज है 36-30-36, और रंग सावला है। उस वक्त मैंने पजामा और टी-शर्ट पहने हुए थे। गर्मी की वजह से मैंने टी-शर्ट के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी।
मैं जब गहरी नींद में थी, तो मुझे अपने शरीर पर कुछ महसूस होने से मेरी नींद खुल गई। मैं एक साइड मुंह करके सोई थी। जब मेरी आँखें खुली तो मैंने देखा मेरा पापा में पीछे चिपके हुए थे, और मेरी टी-शर्ट में हाथ डाल कर मेरे निप्पल को सहला रहे थे। मुझे पीछे से अपनी गांड पर पापा का सख्त लंड महसूस हो रहा था।
ये सब देख कर मैं डर गई। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि पापा मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे थे। तभी मैंने पापा को थोड़ा पीछे हटाने की कोशिश की, तो वो बोले-
पापा: सुलोचना करने दो ना। मैं तुमको प्यार करना चाहता हूं।
उनकी ये बात सुन के मैं समझ गई कि वो ये हरकत नींद में कर रहे थे, और मुझे मम्मी समझ रहे थे। पहले तो मैंने सोचा कि उनको रोकूं और बताऊं कि वो गलत स्टेशन पर थे। पर फिर मुझे उन पर तरस आ गया, कि बेचारे पापा की बीवी मारने से उनकी रोमांटिक लाइफ खत्म हो गई थी। इसलिए मैंने सोचा कि करने देती हूं, थोड़ा करेंगे, और फिर सो जाएंगे।
पापा जिस हाथ से मेरे निप्पल सहला रहे थे, फिर उस हाथ से मेरे चूचे को दबाने लगे। मुझे भी थोड़ा मजा आ रहा था, लेकिन मैं पापा से ऐसी कोई फिलिंग नहीं ले सकती थी। धीरे-धीरे पापा ने चूचों को जोर से से दबाना शुरू कर दिया। इससे मेरे मुंह से हल्की आहें निकलनी शुरू हो गई।
थोड़ी देर ऐसा करने के बाद पापा ने मेरे चूचों को छोड़ दिया। मुझे लगा कि अब ये कार्यक्रम खत्म हो गया। लेकिन ऐसा नहीं था। कार्यक्रम तो अभी शुरू हुआ था। चूचे छोड़ने के बाद पापा अपना हाथ मेरे पेट पर फेरने लगे, और मेरी नाभि में उंगली भर कर घुमाने लगे। इससे मेरे जिस्म में अलग सी सनसनी पैदा होने लाई।
अभी मैं उस सनसनी से उभर ही नहीं पाई थी, कि पापा घसीटते हुए अपना हाथ मेरे पजामे के अंदर ले गए, और पैंटी के ऊपर से मेरी बुर पर रख दिया। जैसे ही उनका हाथ मेरी बुर पर पड़ा, मेरे बदन में एक जोर का झटका लगा। फिर उन्होंने मेरी बुर को मसलना शुरू कर दिया।
मैंने सोचा कि बस बहुत हो गया, और पापा को रोकने लगी। लेकिन जितना मेरा शरीर उनकी हरकतों से गरम हो गया था, उसने मुझे इजाजत नहीं दी उनको रोकने की। मेरे मन में बार-बार आने लगा कि अगर मैं अपनी सीमा लांघ भी गई, तो पापा को कौन सा कुछ पता चलने वाला था। क्योंकि वो तो नींद में थे।
ये सोच कर मैंने उनको रोक नहीं, और वासना के समुद्र में बहने की सोची। पापा चूत मसले जा रहे थे, और उनका सख्त लंड पीछे से मेरी गांड में घुसने की कोशिश किए जा रहा था। फिर मैंने पीछे हाथ किया, और उनके लंड को उनके पजामे के ऊपर से पकड़ लिया। अब मैं लंड मसलने लगी। उनका लंड मोटा, बड़ा, और तगड़ा था। एक बार के लिए तो मुझे लगा कि मम्मी किस्मत वाली थी, जो उनको ऐसे लंड वाला पति मिला।
जैसे ही मैंने लंड मसलना शुरू किया, पापा ने अपना हाथ मेरी पैंटी में डाल लिया। उन्होंने मेरी चूत में उंगलियां फेरनी शुरू कर दी, और मैं मस्ती में अपनी गांड पीछे करके उनके लंड पर दबाने लगी। फिर पापा ने मेरा पजामा और पैंटी दोनों नीचे किए। मैंने जल्दी से उनको निकाल दिया। फिर पापा खुद भी नीचे से नंगे हो गए। अब मुझे पापा का नंगा लंड अपनी नंगी गांड पर महसूस हो रहा था।
नंगे होने के बाद पापा ने मेरी दाई टांग उठाई (क्योंकि मैं बाई तरफ मुड़ कर लेटी थी), और पीछे से लंड मेरी चूत पर सेट करके रगड़ने लगे। मेरी बेताबी बढ़ती जा रही थी। फिर पापा ने लंड चूत के मुंह पर टिकाया, और अंदर पेल दिया। मैं एक बार चुदी हुई थी, लेकिन पापा के मोटे लंड ने मुझे वैसा ही दर्द दिया जैसा पहली चुदाई के वक्त होता है। मैं चिल्ला नहीं सकती थी, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि वो उठ जाएं।
फिर पापा मेरे चूत में लंड घपा-घप लंड अंदर-बाहर करने लगे। शुरू-शुरू में मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन धीरे-धीरे सिर्फ मजा आने लगा। उनका लंड मेरी बच्चेदानी तक पहुंच कर मुझे अदभुत मजा दे रहा था। मेरी चूत धड़ाधड़ पानी छोड़ रही थी, जिससे कमरे में चप चप की आवाजें आ रही थी।
फिर मैंने अपनी उठाई हुई टांग को आराम देते हुए पापा की जांघ पर लपेट लिया, और पापा मेरे चूचे दबाते हुए तेजी से मेरे बुर चोदने लगे। वो मेरे चूचे इतनी जोर से दबा रहे थे, जैसे उखाड़ ही देंगे मेरी छाती से। कुछ देर ऐसे ही चुदाई करने के बाद पापा मुझे अपने ऊपर खींचने लगे।
मैं भी उनके जागने की परवाह किए बगैर उनके ऊपर आ गई, और उनके लंड को अपनी बुर में लेकर उछलने लगी। मैं आज जन्नत में थी। एक तो पापा का लंड तगड़ा था, दूसरा पापा का लंड ले रही हूं, ये सोच कर ही वासना बढ़ जाती है।
कुछ देर उछलने के बाद मेरा पानी निकल गया। मैं थक गई थी, लेकिन पापा मेरे चूतड़ों को पकड़ कर मुझे उछाले जा रहे थे। कुछ मिनट में मुझे अपनी चूत में पापा का बहुत सारा ग्राम लावा निकलता महसूस हुआ। मैंने स्पीड बढ़ाई, और पूरा लावा अपनी चूत को खिला दिया। फिर मैं लंड से नीचे उतर गई, और उनकी साइड में लेट गई। वो दूसरी तरफ मुंह करके वैसे ही नंगे सो गए, और मैं धीरे से कपड़े उठा कर अपने कमरे में आ गई। इस बात का सिर्फ मुझे याद है, पापा को नहीं है।
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