पापा ने घड़े बनाना सिखाया-2 (Papa ne ghade banana sikhaya-2)

पिछला भाग पढ़े:- पापा ने घड़े बनाना सिखाया-1

बाप-बेटी सेक्स कहानी अब आगे से-

दूसरे दिन पापा अपने काम कर रहे थे और मां खेत पर जाने के लिए तैयार थी। तब मैं घर का काम खत्म करके यहां पापा की मदद करने के लिए आई और वैसे ही माँ चली गई। पापा मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे। आज मेरे मन में भी गुदगुदी हो रही थी। मैंने दरवाजा को बंद किया और घड़े को सुखाने के लिए बाहर निकालने लगी।

पापा अभी भी घड़े बना रहे थे। मुझे घड़े निकालने में ज्यादा देर नहीं लगी, और उसके बाद मैं उनके सामने बैठ कर, अपना पल्लू नीचे करके, उनको घड़े बनाते हुए देखने लगी।

शादी से पहले भी मैं पापा के साथ काम करती थी। लेकिन कभी उनके साथ हो ऐसा फील नहीं हुआ जैसा आज हो रहा था। कई बार पापा जब मिट्टी को पैरों से गूंथते थे, तब मैं भी उनके साथ ही पैरों से गूंथने लगती थी। वह तो मेरी कमर पकड़ कर मुझे मिट्टी रौंदते थे, लेकिन पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ जैसा अब हो रहा था।

शायद पहले मेरा जो बॉयफ्रेंड था मैं उसके साथ खुश थी और पापा मां के साथ खुश थे। इसलिए हम दोनों बाप-बेटी का रिश्ता बना रहा। लेकिन आज जब मैं अपने पति से 3 महीने तक नहीं मिली थी, तो मेरे अंदर भी वासना जग गई और शायद बाबू जी भी अब माँ से उतना प्रेम नहीं करते थे।

खैर, थोड़ी देर बाद पापा उठे और मूतने चले गए। उसके बाद उन्होंने खैनी खाया और मुझे बोले कि, “चलो बेटी अब तुम्हें थोड़ा घड़ा बनाना सीखा दूं।”

मैं भी तैयार ही थी और तपाक से उनकी गोद में बैठ गई। आज उनका लंड पहले से ही खड़ा था और शायद पापा सेट करके ही उधर से आए थे। जैसे ही मैं उनके गोद में बैठी, ऐसा लगा जैसे उनका लंड मेरे कपड़े सहित अंदर घुसने की कोशिश कर रहा हो। आज मैं भी पैंटी नहीं पहनी थी। पापा मेरे हाथों को सहलाते हुए घड़े बनाना सिखाने लगे।

बाबू जी, “कैसा लग रहा है बेटी?”

मैं, “बहुत अच्छा पापा। मन कर रहा है बस आपसे सिखती रहूं।” मेरी बातों में कामुकता झलक रही थी, जो पापा ने भांप ली थी। उन्होंने अपने होंठ को मेरे गर्दन के पास सटा कर हल्के से चूमना शुरू किया, मैं मदहोश होने लगी!

“पापा यह क्या कर रहे हो, मैं आपकी बेटी हूं!”

बापू जी को तो जैसे अभी होश आया। उन्होंने फिर से मुझे सिखाने पर जोर दिया। लेकिन इधर उनका लंड मेरे गांड में घुसने को बेकरार हो रहा था।‌ मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिर चुका थी। बाबू जी मेरे गोरी-गोरी मोटी चूचियों को देखते हुए मुझे घड़े बनाना सिखा रहे थे, और मेरी उंगलियों में अपनी उंगली सहला कर मेरे मुलायम हथेलियां को महसूस कर रहे थे।

एक बार फिर से पापा अपने होठों का कमाल मेरी गर्दन और गाल पर दिखाने लगे। मैंने मदहोशी में अपनी आंखें बंद कर ली। पापा अपने दोनों हथेलियां को मेरे पास लाये और मेरे दोनों चूचियों पर रख हल्का सा मसलते हुए मेरे गाल को काटने लगे। मेरे मुंह से सिसकियाँ निकल गई। मैं पापा के ऊपर पूरी तरह से गिर गई। पापा मेरे नीचे और मैं उनके ऊपर लेटी हुई थी।

मेरे दोनों चूचियाँ उनके सीने में धसी हुई थी। पापा अपने हाथों से मेरे सर को थोड़ा नीचे झुकाए और अपने होठों से मेरे होठों का रसपान करने लगे। मुझे शर्म आने लगी तो मैं अपनी आंखें बंद कर ली, और उनके होंठों को चूसना जारी रखा। पापा अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे गांड को साड़ी के ऊपर से ही दबाने लगी।

हम दोनों वहीं मिट्टी पर लेटे हुए थे और एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। चाक चल रहा था और अभी भी उस पर मिट्टी रखा हुआ था। लेकिन पापा किसी भी हाल में अपनी बेटी को छोड़ना नहीं चाह रहे थे। उन्होंने मेरे होंठों को चूसने के बाद खुद मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर चढ़ गए।

उन्होंने मेरे ब्लाउज के एक-एक करके बटन को खोलना शुरू किया और मेरे गाल को चूमते रहे। जैसे ही मेरी ब्लाउज के सारे बटन खुल गए वो ब्रा में कैद चूचियों को देख कर तो जैसे पागल ही हो गए। उन्होंने झट से मेरी ब्रा को भी खोल दिया और दोनों चूचियों को मसलने लगे। अपनी शादी-शुदा बेटी की चूचियों को देख कर आज पापा पागल हो गए थे।

वो दोनों चूचियों को चूस कर आनंद लेने लगे। हम दोनों के हाथ मिट्टी से लेटे हुए थे, बदन के जिस हिस्से पर भी हाथ लगता है, वह बदन मिट्टी से गंदा हो जाता। बाबू जी मेरे सारे बदन में मिट्टी मलते हुए चूम रहे थे और चूस रहे थे। उन्होंने धीरे से मेरी साड़ी को अलग किया और पेटीकोट को भी उतार दिया। मैं अंदर पैंटी नहीं पहनी हुई थी।

अब मैं अपने बाबू जी के सामने पूरी तरह नंगी थी। मैं अपने दोनों हथेलियां से अपने मुंह को छुपा ली। इतने में पापा ने भी अपने धोती और गंजी को उतार कर अलग कर दिया उनका बड़ा सा लंड फनफनाता हुआ मेरे सामने आ गया।

भारी दोपहर था और लू चल रही थी। उसी के साथ हम दोनों बाप-बेटी की सिसकारियों और साँसों की आवाज गूँज रही थी। अब पापा ने मुझे कमर से पकड़ लिया था, और अब वो मेरे और करीब थे।

पापा (मेरे कान में फुसफुसाते हुए): ममता, तुम तो मेरे सोच से भी अधिक गोरी और कोमल हो, बचपन में और अब में जमीन-आसमान का फरक है। ऐसा लगता है कि तुम्हारी माँ फिर से जवान हो गयी है।तू तो जानती है कि तेरी चूत मेरे लंड के लिए तड़प रही है।

मैं (काँपते हुए): पापा, प्लीज… ये गलत है।मैं आपकी बेटी हूँ। मम्मी को पता चला तो…

पापा (हँसते हुए): किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।

उनकी उंगलियाँ मेरी चूत पर फिसल रही थी, और मेरी सिसकारी अपने आप निकल गई। “उह्ह…” मेरे होंठ काँप रहे थे।

मेरी चूत इतनी गीली थी कि उनकी उंगलियाँ आसानी से अंदर-बाहर हो रही थी। “चप-चप” की आवाज कमरे में गूँज रही थी।

मेरी गोरी, गोल गांड हवा में खुली थी, और मेरी चूत उनके सामने चमक रही थी।
पहले ही चूचियाँ इतना टाइट था कि मेरे निपल्स बाहर उभर रहे थे। मेरे 36 इंच के बूब्स हवा में उछल पड़े, और मेरे निपल्स टाइट हो चुके थे।

“क्या मस्त चूचियाँ हैं, मेरी बेटी,” पापा ने कहा, और उनकी आवाज में एक गंदी भूख थी। उन्होंने मेरे बूब्स को दोनों हाथों से जोर-जोर से मसला, और मेरे निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे।

“अह्ह… पापा… धीरे…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थी।

उनके दाँत मेरे निपल्स पर हल्के-हल्के काट रहे थे, और मेरी चूत से जूस टपकने लगा था। पापा ने मेरे बूब्स को छोड़ा और मेरी टाँगें चौड़ी की।

“देख, मेरी बेटू, तेरी चूत कितनी गीली है।
ये तो मेरे लंड को बुला रही है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने अपना मुँह मेरी चूत पर रखा और मेरे छोटे से मोती को चाटने लगे।

उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और वो उसे चूस रहे थे जैसे कोई भूखा शेर। “चप-चप… स्लर्प…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थी।

“उह्ह… अह्ह… पापा…” मैं अपने होंठ काट रही थी, और मेरे हाथ उनके बालों को जोर से पकड़ रहे थे।

मेरी गांड अपने आप उठ रही थी, जैसे उनकी जीभ को और गहरा लेना चाहती हो। मेरी चूत इतनी गीली थी कि मेरे जूस बेडशीट पर टपक रहे थे।

मैं (हाँफते हुए): पापा… प्लीज… अब और मत तड़पाओ… बस… बस चोद दो मुझे…

पापा (हँसते हुए): अरे, मेरी बेटी, इतनी जल्दी है?

अभी तो तुम्हारी चूत को और गर्म करना है।‌ तुम्हारी इस रसीली चूत को चाट-चाट कर इसका सारा रस पी जाऊँगा। उनका 9 इंच का लंड मेरे सामने था, मोटा, काला, और नसों से भरा हुआ, जैसे कोई लोहे का रॉड। मैं उसे देख कर डर गई।

मेरी चूत टाइट थी, और मुझे यकीन था कि ये अंदर नहीं जाएगा। पापा ने मेरे चेहरे पर अपना लंड रगड़ा, और उसका प्री-कम मेरे होंठों पर लग गया। “चूस इसे,” उन्होंने कहा। “इसे गीला कर, ताकि तेरी चूत में आसानी से घुस जाए।”

मैं (घबराते हुए): पापा, मैंने कभी ऐसा नहीं किया… मुझे डर लग रहा है…

मैंने डरते-डरते उनका लंड मुँह में लिया।
उसका नमकीन स्वाद मेरी जीभ पर फैल गया, और उसकी गर्मी मेरे मुँह में दौड़ रही थी। पापा ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे मुँह में धक्के मारने लगे। “ग्लक-ग्लक” की आवाजें गूँज रही थी, और मेरा गला दब रहा था।

मेरी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन मेरी चूत और गीली हो रही थी। हम दोनों के शरीर पर बहुत सारा मिट्टी लगे हुए थे। मैं मिट्टी पर लेटे हुए थी और पापा अपने लंड को मेरे मुंह में पेले जा रहे थे। पापा ने मेरे मुँह से लंड निकाला, और मेरे होंठों पर हल्का मारा। “क्या चूसती है, मेरी प्यारी बेटी। तू तो बहुत मस्त है,” उन्होंने कहा।

पापा ने मुझे लिटाया और मेरी टाँगें इतनी चौड़ी की कि मेरी चूत पूरी तरह खुल गई। “देख, तेरी चूत कितनी टाइट है।” उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा, और उसका गर्म टिप मेरे मोती को छू रहा था। मैं डर रही थी, लेकिन मेरी चूत उसे अंदर लेने को तड़प रही थी।

मैं: पापा, प्लीज धीरे… बहुत दर्द होगा…

पापा (हँसते हुए): दर्द तो होगा, मेरी बेटी तुम्हारा पति ने अच्छे से नहीं चोदा है।
लेकिन तू मेरी बेटी है, ले लेगी मेरे लंड को।

उन्होंने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह्ह!” मैं चीख पड़ी। मेरी चूत में जैसे आग लग गई थी। उनका लंड सिर्फ आधा ही अंदर गया था, लेकिन मुझे लग रहा था कि मेरा शरीर फट जाएगा। पापा रुके और मेरे माथे पर हाथ फेरा। “बस, मेरी बेटी, थोड़ा और,” उन्होंने कहा।

फिर उन्होंने एक और धक्का मारा, और उनका पूरा 9 इंच का लंड मेरी चूत में समा गया। “चट-चट… फच-फच…” की आवाजें गूँज रही थी। मेरी आँखों में आँसू थे, और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थी।भारी दोपहर में लू की आवाज मे मेरी सिसकियाँ गूंजने लगी। “अह्ह… उह्ह… पापा… धीरे…” पापा ने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया।

हर धक्के के साथ मेरी चूत में दर्द कम और मजा ज्यादा होने लगा। “फच-फच… चट-चट…” की आवाजें तेज हो रही थी।

मेरी गांड नीचे से रगड़ रही थी, और मेरे बूब्स हर धक्के के साथ उछल रहे थे। पापा ने मेरे निपल्स को जोर से मसला, और मेरी चूत में और तेज धक्के मारे।

“ले, मेरी बेटी। ले मेरे लंड को। तेरी चूत को चोद-चोद कर इसका भोसड़ा बना दूँगा,” उन्होंने कहा।

मैं (सिसकारते हुए): पापा… आह्ह… और… और तेज…

मेरे मुँह से ये शब्द कैसे निकले, मुझे नहीं पता। मेरी चूत अब दर्द की बजाय मजा ले रही थी। पापा ने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में लंड डाला। “पट-पट” की आवाजें गूँज रही थी, और मेरी गांड उनके धक्कों से लाल हो रही थी। पापा ने मेरी गांड पर एक जोरदार चांटा मारा।

“क्या मस्त गांड है, मेरी बेटी। कितनी मस्त गदराई हुई है तू। शादी के बाद बेटी की चूत का मजा ही कुछ और है।”

मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “अह्ह… उह्ह… पापा… चोदो मुझे…” मेरी चूत उनके लंड को चूस रही थी, और मैं मस्ती में डूब चुकी थी। पापा ने मेरे बाल खींचे और मेरी चूत में और तेज धक्के मारे।

“ले, मेरी बेटी। तेरी चूत को मेरे लंड का गुलाम बना दूँगा,” उन्होंने कहा। मेरे शरीर में एक गर्मी सी दौड़ रही थी। मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली थी। “पापा… मैं… मैं…” मैं चीखी, और मेरी चूत ने उनके लंड को जकड़ लिया। मैं झड़ गई। मेरे जूस उनकी जांघों पर टपक रहे थे, और मेरी साँसें इतनी तेज थी कि मुझे लगा मैं बेहोश हो जाऊँगी।

पापा ने धक्के और तेज कर दिए। “फच-फच… चट-चट…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थी। “बस, मेरी बेटी, अब तेरा बाप भी झड़ेगा,” उन्होंने कहा। उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे बूब्स पर अपना गर्म, चिपचिपा माल छोड़ दिया।

“आह्ह…” उनकी साँसें तेज थी। मैं हाँफ रही थी, मेरी चूत दर्द और मजा दोनों से भरी थी। मेरे बूब्स पर उनका माल चिपचिपा रहा था, और मेरी चूत से मेरे जूस टपक रहे थे। पापा मेरे बगल में लेट गए और मेरे माथे पर हाथ फेरा।

“क्या चुदाई थी, मेरी बेटी,” उन्होंने कहा।
“तेरी चूत ने मेरे लंड को ऐसा मजा दिया कि मैं भूल गया कि तू मेरी बेटी है।” मैं उनके सीने पर अपने सर रख कर उनसे नंगी ही लिपट गई। “पापा अब मैं आपको छोड़ कर नहीं जाऊंगी, आप मुझसे शादी कर लो। मैं आपके साथ ही रहूंगी।”

“अरे मेरी बिटिया रानी क्या हो गया है तुम्हें, तुम तो एक ही चुदाई में मेरी हो गई। अगर ऐसे ही बात थी तो तुम शादी से पहले बोलती, मैं तुम्हारी चूत को चोद कर हमेशा के लिए अपना बना लेता। लेकिन कोई बात नहीं।‌ तू चिंता मत कर। जब तक तेरा मन चाहे तू मेरे साथ रहना, और जब भी हमें मौका मिलेगा मैं तुम्हारी चूत की प्यास अवश्य बुझाऊंगा। अब चल हमें हम दोनों को साफ होना पड़ेगा। देख तो हम दोनों के शरीर पर कितनी मिट्टी लगी है। आज तो घड़ा भी अधिक नहीं बना पाया।”