कहानी मेरे परिवार में हुए संभोग की-7

This story is part of the KAHANI MERE PARIWAR MEIN HUE SAMBHOG KI series

    मैंने आपको पिछले पार्ट में बताया था कि मैं बोर हो रहा था इसलिए मैं चाची के घर चला गया और दरवाजे में जाकर बेल बजायी।

    थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला। अब आगे –

    चाचा ने दरवाजा खोला। वो निक्कर और बनियान में थे, और वो थोड़ा थके हुए लग रहे थे। मैं समझ गया कि ये दोनो पक्का चुदाई कर रहे थे, इसलिए दरवाजा नहीं खोल रहे थे।

    चाचा: अरे चीकू तू, आजा बेटा अंदर आजा।

    मैं: आप लोग सोए थे, शायद मैंने आप लोगो को परेशान कर दिया, माफ कीजिएगा।

    चाचा: कोई बात नहीं बेटा।

    मैं: चाची नहीं दिख रही कही, बाहर गई है क्या?

    चाचा: नहीं वो अंदर ही है।

    चाची बाहर निकली और वो गाउन पहनी हुई थी पर्पल कलर का।

    चाची: हम कहा जायेंगे भई, हमारा दाना पानी सब यही है।

    मैं: हां।

    चाची: वैसे अहो भाग्य हमारे, जो आप हमारे घर पधारे।

    मैं: इसमें क्या भाग्य?

    चाची: चल अच्छी बात है कि तू आया। बता क्या खायेगा, या कुछ पिएगा?

    मैं: मैं मेहमान हूं क्या आपके लिए, जो आप ऐसा पूछ रहे हो?

    चाची: अरे नहीं रे! अब मैं मीनाक्षी दीदी तो नहीं हूं, कि जो बनाऊ तुझे अच्छा लगे।

    मैं: आप कुछ मत बनाओ, आप बैठ जाओ, हम बातें कर लेंगे।

    चाची: ऐसे कैसे कुछ नहीं खायेगा, कुछ तो बता?

    मैं(टोंट मरते हुए): अच्छा ऐसा है तो खीरा ले आओ।

    चाची चुप होकर यहां वहा देखने लगी। मैं समझ गया कि चाची और खीरे का आपस में कुछ ना कुछ तो झोल था। वो हमारे पास आकर बैठ गई। फिर हमने खूब सारी बातें की।

    चाची ने मुझे रात के खाने के लिए बोला: आज तू यहीं खाले खाना।

    मैंने हां बोल दिया।

    मैं: चलो ठीक है, फिर मैं रात के खाने में मिलता हूं आप सबसे।

    चाची: तो रात तक यही रुक जा ना।

    मैं: मैं रुक जाता, पर मैं सोच रहा था कि बाहर घूम कर आ जाऊं।

    चाची: अच्छा ठीक है, पर टाइम से आ जाना 9 बजे।

    मैं बाहर घूमने पार्क चला गया। वहा मैं अपने पुराने दोस्तों से मिला, और रात में खाने के लिए  चाची के घर पहुंच गया। सब ने साथ में खाना खाया। फिर चाचा पान लाने के लिए पनवाड़ी चले गए, और प्रियंका अनीता से बाहर बात कर रही थी। अब मैं और चाची ही थे बस।

    चाची: खाना कैसा बना था।

    मैं: बहुत अच्छा टेस्ट था। बस एक चीज की कमी हो गई।

    चाची: किस चीज की?

    मैं: सलाद में खीरा नहीं था।

    चाची चुप हो गई और मैं हसने लगा जोर-जोर से।

    मैंने चाची से बोला: चलो चाची, अब मैं नीचे जा रहा हूं।

    चाची: अरे रुक ना, तेरे चाचा पान लेके आते होंगे। और मैं तो कहती हूं तू आज यही रुक जा।

    मैं तो हां बोलना चाहता था, पर रात में मां को भी तो चोदना था। इसलिए नहीं बोल दिया।

    चाची: क्यों, यहां क्या प्राब्लम है तुझे?

    मैं: कुछ नहीं चाची।

    चाची: तूने पिछली बार भी मना कर दिया था। आज तो तुझे रुकना ही पड़ेगा।

    मैं: मां को पूछना पड़ेगा चाची।

    चाची: उनसे क्या पूछना? रुक मैं ही बोल देती हूं उनको।

    चाची ने मां को बोला: चीकू को आज यही रुकने दो ना दीदी।

    मां पहले मना कर रही थी, क्यूंकी उसे भी चुदाई की भूख थी, और उसे सिर्फ मैं मिटा सकता था। पर चाची ने मां को मना ही लिया।

    चाची: चल तेरी मां से बात करली हूं, वो मान गई ।

    मैं मन ही मन में खुश था, कि आज सारी रात यही रुकूंगा और क्या पता चाची को चोद भी लूं। अब ये तो मेरी सोच थी। होना क्या था ये तो कुछ बोल नहीं सकता था।

    इतने में चाचा पान लेकर आ गए। मैं और चाची साथ में पान खा रहे थे। चाचा अंदर चले गए। प्रियंका भी अपने रूम के अंदर जाके अपने फोन में कुछ करने लगी। अब बस मैं और चाची बचे थे।

    चाची बोली: मैं कपड़े चेंज करके आती हूं, फिर हम बातें करेंगे ढेर सारी।

    चाची चेंज करके बाहर आई। उन्होंने एक ब्लू स्काई कलर की स्लीव लेस नाइटी पहनी थी, जो घुटनों से थोड़ा ही नीचे था।‌ उनके बड़े-बड़े वो चूतड़ गदराए हुए थे। उनके बड़े बूब्स भी माहौल बना रहे थे। मेरी तो मन ही मन में उत्सुकता बढ़ते जा रही थी।

    पता नहीं क्यों वो ऐसे कपड़े पहन कर आई थी? शायद वो मुझे लुभाने तो नहीं आई थी? वो सब पता नहीं, पर वो एक नंबर की चुदक्कड़ लग रही थी।

    चाची: क्या देख रहा है बच्चे?

    मैं (हिम्मत करके): कुछ नहीं, बस आपको देख रहा हूं कि आप कितने सुंदर दिख रही हो करके।

    चाची: इससे पहले क्या जला हुआ कबाब लग रही थी क्या?

    मैं: नहीं, पहले भी अच्छे लग रहे थे।‌ पर अभी तो सीन ही कुछ अलग लग रहा है।

    चाची सेक्सी स्माइल करने लगी।

    मैं: आप रोज ऐसे ही रात में पहनते हो क्या?

    चाची: हा, क्यों अच्छी नहीं है क्या?

    मैं: बहुत अच्छी है, पर।

    चाची: पर क्या?

    मैं: कुछ नहीं।

    चाची: बोल-बोल।

    मैं: आप ऐसा रोज पहनते हो तो चाचा का क्या हाल होता होगा?

    चाची: उनको क्या होगा?

    मैं: वो तो आपको देख कर पागल हो जाते होंगे, कि उनके पास बहुत ही सुंदर बीवी है।

    चाची: वो तो बात होती ना जब वो ऐसा सोचते, पर वो तो कुछ बोलते ही नहीं है।

    मैं: क्यों, आपमें तो कोई कमी नहीं है?

    चाची: अब ये तो तुझे लगता हैं, ना तेरे चाचा को नहीं। चल पर किसी ने तो देख कर मुझे ऐसा कहा।

    मैं: क्यों, आज से पहले आपको ऐसा किसी ने नहीं बोला क्या?

    चाची: नहीं, तू पहला है जिसने बोला।

    मैं: आप सच में बड़ी सुंदर और प्यारी लग रही हो। आपको देख कर ऐसा लग रहा है कि आप मेरी चाची नहीं बल्कि एक जवान लड़की हो, जो कालेज में पढ़ती हो।

    चाची: बड़ी तारीफ कर रहा है तू तो, सच में ऐसी लग रही हूं मैं तुझे?

    मैं: हा चाची, आप जवान दिख रहे हो। वहां शहरों में लड़किया तो ऐसे ही छोटे-छोटे कपड़े पहन कर घूमती रहती है। जिसे देख कर किसी का भी मन डोल जाए।

    चाची: तेरा मन डोला है क्या किसी को देख कर?

    मैं: नहीं, मैं इन सब में ज्यादा ध्यान नहीं देता। हां पर इतना कहूंगा कि पहले नहीं डोला था, पर आज डोल गया।

    और ये बोल के मैंने स्माइल कर दी।

    चाची: चल झूठे! तो अब मैं तुझे जवान लग ही रही हूं तो मुझे चाची बोल कर मेरी बेइज्जती कर रहा है?

    मैं: तो क्या बोलूं फिर?

    चाची: राधिका बोल?

    मैं: ये अच्छा नहीं होगा, मैं आपको चाची ही बोलूंगा, वही ठीक रहेगा।

    चाची और मैं काफी सारी बात करने लगे थे। ‌बात करते करते मेरी नजरे कभी चाची की गोरी टांगों में जाती, कभी उनके भरें हुए दूध में, तो कभी उनकी कमर में। मैं और चाची मानो दोस्त जैसे घुल मिल गए थे। उन्हें भी मेरी दोस्ती पसंद आई। रात बहुत हो चुकी थी। बाते करते-करते चाची बोली-

    चाची: चल रात बहुत हो चुकी है, अब हमें सोना चाहिए। सुबह मुझे काम भी रहेगा, और लेट हो गई तो सुबह योगा भी नहीं कर पाऊंगी।

    मैं: आप रोज योगा करती हो?

    चाची: हां रोज।

    मैं: तभी इतनी फीट दिखती हो।

    चाची: फिट तो तू भी है, चल अब बाते बंद और सोने चलते है। तू प्रियंका के बगल वाले रूम में सोजा, मैंने तेरा बिस्तर लगा दिया है।

    मैं: ठीक है, लेकिन मुझे आपसे बाते करता रहूं लग रहा है। और बाते करते-करते आपके पास ही सो जाऊं। पर कोई बात नहीं, बाकी बातें कल।

    और मैं अपने रूम में चला गया। पर मुझे इस वक्त मां को चोदने की आदत लग गई थी। इसलिए मुझे नींद नहीं आ रही थी। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला, और मुठ मार कर सो गया। सुबह 5:30 बजे चाची मुझे योगा में साथ चलने के लिए उठाने आई। मैं औंधे सोया था।

    चाची: उठ, सुबह हो गई है। योगा करने चल तू भी।

    मैं: रुको ना चाची, थोड़ी देर सोने दो, नींद आ रही है।

    मैं आधी नींद में था, और मेरा लंड खड़ा था। चाची मुझे उठा तो रही थी, पर मेरे मोटे लंड को घूरे जा रही थी, कि जैसे पहले कभी नहीं देखा हो।

    मैंने ये देख लिया था। फिर मैंने सोचा यही मौका था अपना रास्ता बनाने का, तो चाची को लंड देखने दिया जाए। और मैं सो गया। नींद खुली थोड़ी देर बाद और चाची ने मुझे चाय पीने को कहा। मैं चाय पिया और उनको बोला-

    मैं: अब मैं जा रहा हूं, फिर आऊंगा बाद में।

    चाची: नाश्ता तो करले‌

    मैं: बाद में आकर कर लूंगा।

    और ये बोल कर जल्दी-जल्दी नीचे चला गया। घर में पापा और अनीता अपने-अपने काम में चले गए थे।

    मैं सीधा मां के पास भागते हुए गया। वो रूम में झाड़ू लगा रही थी। मैं चुपके से पास गया और उनकी कमर को जोर से पकड़ के उनकी सारी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाने लगा था। मां डर गई और बोली-

    मां: पागल! मैं तो डर गई थी। आने से पहले तो बता दिया कर।

    मैं: मुझसे क्या डरना मीनाक्षी? मैं तो तुम्हारा पति हूं।

    मां: हां, पर फिर भी मैं डर गई थी।

    मैं: छोड़ो ना वो सब, मैंने आपको कल रात में बहुत याद किया। मुझे तो नींद ही नहीं आ रही थी।

    मां: मुझे भी नहीं आईं। तेरे लंड की जो आदत पड़ गई है मुझे।

    मैं: मैं कल रात का खाना नहीं खाया था, इसलिए मुझे अब भूख लग रही है। मुझे खाने को मिलेगा?

    और बोलते-बोलते उनकी चूत को मसले जा रहा था।

    मां: भूख तो मुझे भी लग रही है मेरे लाल, पर पहले दरवाजा तो बंद करले। फिर जितना मर्जी उतना खा लेना।

    मैं झट से दरवाजा बंद करके आया। मां ने अपनी साड़ी और ब्लाउस उतार दी थी, और अधनंगी बिस्तर में लेटी थी।‌ मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और मां की भूख में ऊपर चढ़ गया। मैंने उनकी ब्रा और चड्डी उतार दिये। फिर मैं मां की चूत को सहलाने लगा, और उसमे उंगली करने लगा।

    मां आह आह करके सिसकारियां भरे जा रही थी। फिर मैंने मां के पैरों को फैलाया, और उनकी चूत में अपने होठ रखा दिए और चूमने लगा।

    मां: रात से मैं इसके लिए मरी जा रही थे मेरे राजा आह आह, और जोर से चाट।

    मैं मां की चूत को चाटने लगा जोर-जोर से, और उनकी चूत से निकलते पानी को शप-शप करके चाटे जा रहा था।

    मैं: मीनाक्षी तेरी बुर का पानी तो बहुत नमकीन है रे,

    जितना पी‌लो मन ही नहीं भरता

    मां: जी भर कर चाट मेरे लाल, तेरा ही पानी है।

    मैंने मां के ऊपर जाके उनके होठों को चूमना शुरू किया, और एक हाथ से उनकी चुचियों को जोर-जोर से मसलने लगा

    मां: आह आह हमम हमम।

    मैंने अपना लंड उनकी लाल और मखमली चूत में डाल दिया, और मां की चूत को जोर-जोर से चोदे जा रहा था।

    मां आहे भर-भर कर चुदे जा रही थी। हमें एक दूसरे को चोदने में मजा आने लगा था। मैं उनको कुतिया की तरह चोदे जा रहा था। हम दोनों इतने मिल चुके थे कि मैं मां को कुछ भी बोलता वो बुरा नहीं मानती थी।

    चोदते चोदते मैं बोलता रहता: साली रांड, तेरी चूत चोदने में मुझे अलग ही सुकून मिलता है। मन करता है तेरी चूत को खा जाऊ।

    अब मां भी बोलने लगी थी।

    मां: साले मादरचोद, तू अपनी मां को इतना चोदता है, तेरी प्यास नहीं मिटती।

    मैं: प्यास तो तेरी भी कभी नहीं बुझती साली रांड़। तभी पापा तुझे चोद नहीं पाते।

    मां: तेरे बाप के लौड़े में तेरे जैसा दम नहीं कि मेरी चूत फाड़ दे आह आह।

    मैं: तभी तो साली मेरी छिनाल है मीनाक्षी ओह आह।

    मैंने मां से कहा: मीनाक्षी मुझे तेरी गांड़ चोदनी है।

    मां: नहीं, वहा दर्द होगा बहुत।

    मैं: तू चिंता मत कर, मैं ज्यादा जोर से नहीं चोदूंगा। बस एक बार तेरी ठुमकती गांड़ को चोदने दे।

    मां: नहीं, मत कर ऐसा।

    मैं मानने वाला नहीं था, और उनको उल्टा किया और उनकी गांड में अपना लंड घुसा दिया। मां जोर-जोर से चिल्लाने लगी दर्द से।

    मां: मत कर मादरचोद, बहुत दर्द हों रहा है। बाहर निकल अपना लोड़ा।

    मैं उनकी बातो को अनसुना करके बरसे ही जा रहा था उनके गांड में। मां को बहुत दर्द होने लगा था। मैंने अपना लंड बाहर किया और उनकी गांड के छेद को चाटने लगा, और इससे उनको राहत मिल रही थी। इधर मैंने अपनी थूक को अपने लंड में लगाया और फिर से उनकी गांड मारने लगा।

    उनकी ठुमकती बड़ी गांड को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने उनका मुंह दबा दिया था, ताकि वो ज्यादा चिल्लाए मत करके। उनकी गांड को चोदने से ठप ठप ठप फट फट फट की जोर-जोर से आवाजें आ रही थी।

    मैं इतनी ताकत से उनको चोदे जा रहा था, कि बिस्तर से भी चर चर की आवाजें आ रही थी। मैं अब और जोर के झटके से उनको चोदे जा रहा था। फिर वो बोली-

    मां: बहुत दर्द दे रहा है राजा, तू प्लीज उसको छोड़ कर मेरी चूत जितनी ताकत से चोदना चाहे चोद सकता है।

    मैंने अपना लंड उनकी गांड से निकाल कर उनकी चूत में डाल दिया, और ताकत से उनकी चूत चोदे जा रहा था। अपनी स्पीड बढ़ाई और भका भक चोद रहा था।

    मेरी मां का दम टूटने लगा था, और वो अब झड़ने वाली थी। फिर आह आह करते हुए वो झड़ गई, पर मेरा अभी बाकी था तो। मैंने अपना लंड निकाला, और मां को बिठाया,

    और मैंने लेट कर उनको मेरा लंड चूसने को बोला।

    मां मेरा लंड चूसने लगी लॉलीपॉप के जैसे। मैं उनके बालों से उनके सिर को कस के पकड़ लिया, और

    मेरे लंड में हपा हप डाले जा रहा था। मेरी मां के गले के अंदर तक मेरा लंबा लौड़ा जा रहा था। मेरा भी इतनी जोरों की चुदाई और चुसवाई के बाद निकलने वाला था।

    मैंने मां से कहा: मेरा आने वाला है।

    मां: मुंह के अंदर मत छोड़ना।

    मैं: एक बार इसका भी स्वाद लेलो।

    मां: तेरे बाप के लौड़े का स्वाद अपनी चूत में लिया। तभी तेरे जैसे चोदू बच्चा पैदा हुआ है।

    मैं: आज मेरे लौड़े का माल मेरी मीनाक्षी की चूत में नहीं, उनके मुंह में जायेगा।

    और ये बोलते-बोलते मैं मां के मुंह मैंने अपना गाढ़ा माल छोड़ दिया। मां उसे पूरा अंदर गटक गई, और बचा जो माल था, उसे उसके मुंह में लगाने लगी।

    मां: अब जाकर मेरी भूख मिटी है मेरे राजा।

    मैं: मेरा भी मेरी रानी।

    मां ऊपर आई और मेरे नंगे बदन में लेट गई‌। हम दोनों कुछ देर ऐसे ही नंगे-नंगी लेटे रहे। मां ने एक लंबी सांस ली और बोली–

    मां: चल अब अपनी रंडी को चोद के तेरा पेट भर गया होगा, तो उठ और जाके नहा ले।

    मैं: ऐसे ही लेटे रहो ना मीनाक्षी।

    मां: नहीं अब हो गया, चल अब उठ मुझे भी नहाना है।

    तेरे चुदाई से मैं पसीने से नहा ली हूं।

    मैं: बस थोड़ी देर।

    मां: नहीं मतलब नहीं, अब मुझे नहाने दे।

    मैं: चलो मैं तुझे आज नहला दूं।

    मां: नहीं, अभी तूं नहा ले वो कम नहीं है।

    मैं मां के साथ जबरदस्ती करने लगा, और वो मान गई और बोली-

    मां: पर बस नहलाएगा, और कुछ नहीं। साथ में तुझे भी नहला दूंगी। अरसे बीत गए तुझे नहलाए।

    मां और मैं दोनो साथ में उनके रूम में नहाने चले गए।

    उनका बाथरूम भी काफी बड़ा था। मैं मां को नहलाने लगा, और और उनकी चूत और पूरे बदन को रगड़ने लगा। मेरा फिर से मूड बना, और मैंने उनको दीवार पर टिका के फिर से बेदम चुदाई की।

    फिर हम साथ में नहा कर बाहर निकल गए। मैं अपने रूम में कपड़े पहनने चला गया, और मां अपने कपड़े पहनने लगी।

    मां अपना काम करने लगी, मैं फिर से बोर होने लगा था।

    मैं मां के पास उनके रूम गया और उनको एक बार और करने के लिए बोला। लेकिन उन्होंने मना कर दिया।

    मां: इतना चोदने के बाद भी तेरा मन नहीं भरा?

    मैं: तुझे जितना चोदूं उतना कम है मीनाक्षी।

    मां: पर अब हो गया, अब सीधे रात में। मुझे और भी काम पड़े है।

    मैं अपना उदास लंड लेके हाल में आ गया, और टीवी देखने लगा।

    मां को चोद-चोद कर मुझे उनकी लत लग चुकी थी। वो भी मेरी चोदने की दीवानी हो गई थी।

    मैं कभी उनको अपने रूम में, तो कभी बाथरूम में, तो कभी किचन में जम कर चोदा करता था।

    टीवी देख कर मैं बोर होने लगा। फिर मैंने मां से बोला-

    मैं: मैं ऊपर चाची के पास जा रहा हूं उनसे गप्पे लड़ाने।

    वो बोली: जा चला जा, वो खाली होगी अभी।

    मैं फोन चलाते-चलाते धीरे -धीरे ऊपर जा रहा था, और दरवाजे से बिना आवाज लगाए अंदर जा रहा था। तभी मैंने चाची की सिसकारियों भरी आवाज सुनी, और मैं ध्यान से उनको सुनने लगा।

    मैं उनके रूम के बाहर जा कर चोरी छुपे देखता हूं तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई। मेरी आंखे वो दृश्य देख कर बहुचक्का हो गई।

    मैंने देखा कि चाची अपने हाथ में वही खीरा पकड़ी थी, जो रोज हमारे घर से लाती थी। और उस खीरे को अपने चूत में अंदर बाहर कर रही थी। वो आह आह आह करते हुए मजे से खीरे से चुदे जा रही थी। यहां मैं बाहर खड़ा होकर अपने लौड़े को मसले जा रहा था।

    10 मिनट तक वो रमणीय दृश्य देखने के बाद कहानी में एक नया मोड़ आया, जो जानने के लिए आप मेरे अगले पार्ट में मिलिए‌, कि कैसे मैंने उस स्थिति का फायदा उठाया।

    मुझे मेल करके बताए कि कैसी लग रही है मेरी रोचक कथा। तब तक के लिए अलविदा।

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