Pados Ki Vidhwa Aurat Hina

This story is part of the Pados Ki Vidhwa Aurat Hina series

    दोस्तो, एक २१ साल का जवान लौंडा आखिर कब तक मुठ मारकर काम चलाता, सो घर के अंदर ही दीपक और रिया में जिस्मानी ताल्लुकात हो गए। उसकी २३ साल की मस्त सेक्सी बहन भाई के साथ अनगिनत बार शारीरिक सम्बन्ध बना डाले।

    दीपक का ६’० फिट का कद, कसरती बदन, सांवला चेहरा देख रिया तो उसके काबू में आ चुकी थी। लेकिन क्या पड़ोस की औरत हिना, जोकि देखने में काफी खूबसूरत, उम्र ३३-३४ साल, सुराही नुमा गर्दन, मस्त उरोज और गोल गुंबदाकार चूतड़ की मलिका है।

    दीपक के झांसे में आ पाएगी? दीपक अपने छत से हिना को घूरता रहता था और दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुराते भी थे। एक दोपहर दीपक मार्केट में कुछ खरीदने गया था, तभी मेरी मुलाकात हिना से हो गई।

    वो एक छोटा सा थैला हाथ में लिए मेरी ओर बढ़ी, तो मै उसको देख कर उसकी ओर बढ़ने लगा।

    हिना – और बाज़ार घूम रहे हो।

    मैं – हां आंटी, और आप?

    हिना – कुछ सामान खरीदना था, तुम तो बगल के घर में ही रहते हो ना?

    मै – हां, आप तो मेरी मम्मी से मिलती रहती है।

    फिर दोनों एक काफी शॉप में चले गए, वसंत ऋतु की दोपहर में मन का तड़पना काफी खूबसूरत एहसास है, और फिर दोनों कुर्सी पर आमने सामने बैठकर बातें करने लग गये।

    हिना की नशीली आंखों को मेरा चेहरा भा रहा था और दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे। बिन बाहें वाली कुर्ती और टाईट लेगिंग्स में हिना अपने जिस्म का आकार प्रदर्शित कर रही थी।

    उसके छाती की कनाखिया के देख मेरा लन्ड तमतमा उठा था, बड़े बड़े गोल आकार के मुलायम गुदाज अंग उनके जिस्म की खूबसूरती को बढ़ा रहे थे। तभी वो पूछती हुई बोली।

    हीना – दीपक, तुम तो कॉलेज में पढ़ते हो ना?

    मैने हां में सर हिलाया तो हीना फिर से बोली – तो कोई गर्ल फ्रेंड है कि नहीं?
    मै झेंप गया और बोला – आंटी एक तो मेरी दिलचस्पी लड़कियों मे है ही नहीं, और किसी ने मेरे सामने अभी तक प्यार का इज़हार तक नहीं किया है।

    और फिर दोनों काफी की चुस्की लेते हुए एक दूसरे से बातें का रह थे, वो मेरे इरादे को समझ चुकी थी। कि मै उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने के लिए आतुर था।

    फिर दोनों वहां से निकले और हिना मेरे साथ बाईक पर बैठ गई, दोनों पैर एक ही दिशा में करके एक हाथ मेरे कंधे पर रख वो मेरे से थोड़ी दूरी बना कर बैठी थी।

    कुछ दूरी के बाद हिना आंटी के हाथ का एहसास मुझे मेरी कमर पर हुआ, तो मानो शरीर में करेंट दौड़ने लग गया। अब तो मेरा शरीर करेंट के आवेश में ही आ चुका था।

    उसके गुदाज चूची का एहसास मुझे मेरी पीठ पर होने लग गया था, और अब मुझे लग रहा था कि पिछले २-३ महीने से जो घूरने का कार्य मैं कर रहा था वो अब सफल हो रहा है।

    फिर मैंने हिना को उनके घर के बाहर छोड़ा और वो बोली – ठीक है दीपक, लिफ्ट देने के लिए धन्यवाद।

    मै – आंटी आप भी ना, खैर मै चलता हूं।
    मेरी रात खुली आंखों से सपना देखने में गुजरने लग गयी, फिर देर रात सोया और सुबह स्नान करने के बाद नाश्ता किया। फिर मैं कालेज जाने की तैयारी कर रहा था, सुबह के ०९:१५ बजे बाईक से कालेज की ओर निकल पड़ा।

    मै अभी पंकी चौक पहुंचा और जैसे ही विजय नगर चौराहे के लिए बाईक घुमाई, तभी मेरी नजर ऑटो स्टैंड पर खड़ी हिना पर पड़ गई। तो मै बाईक को उसकी ओर ले गया और वो मुझे देख मुस्कुराते हुए मेरी ओर बढ़ने लगी।

    हीना – अरे दीपक, सुबह सुबह किधर चल दिए?

    मै – वही रोज रोज की क्लास, कालेज जा रहा हूं और आप?

    हिना – मै आर्म्स डिपो में जॉब करती हूं, ऑफिस जा रही हूं।

    मै – तो फिर मेरे साथ चलिए, उसी रास्ते से तो मुझे कालेज जाना है।

    फिर हिना बेझिझक मेरे बाईक पर सवार हो गई, आज वो सलवार कमीज़ में और सुंदर दिख रही थी। मेरे कंधे पर हाथ रखकर उसने सीधे दूसरा हाथ मेरी कमर में लपेट दिया।

    वो अपनी दाईं चूची को मेरे पीठ से रगड़ने लग गयी। जिससे लन्ड जल्द ही मेरा लंड टाईट होकर चोदने को आतुर हो जाये। खैर ज्योही उसके डिपो के सामने बाईक रोकी तो वो बोली।

    हीना – मुझे विजय नगर चौराहे पर थोड़ा काम है।

    मै – तो चलिए मै भी तो आपकी काम इच्छा को समझ रहा हूं।

    तभी जब मै पीछे मूड कर देखा तो उसका चेहरा शायद गुस्से से लाल हो चुका था। लेकिन मै बाईक चलाता रहा और फिर वो विजय नगर चौराहे पर उतर गई। उसके चेहरे पर मेरे जवाब की प्रतिक्रिया का असर हो चुका था।

    खैर मै कालेज की ओर निकला और फिर क्लास में लग गया। शाम और रात को मै बस हिना की ही सोचता रहा, और फिर अगले दिन रविवार का दिन था।

    तो मै चाय का प्याला लेकर अपने बालकनी में कुर्सी पर बैठ गया, और फिर हिना अपने घर के आंगन में काम करते मुझे दिखी। उसके घर का पिछला हिस्सा मेरे घर के सामने वाले हिस्से की ओर था।

    कुछ पल बाद उसकी नजर मुझ पर पड़ी, तो हम दोनों एक दूसरे को घूरने लग गये। वो मुझे इशारे से आने को बोली, तो मझे लगा कि हिना की ख्वाइश और मेरी इच्छा एक सी है।

    मै आधे घंटे बाद मम्मी के सामने कुछ बहाना बनाकर घर से निकल पड़ा। फिर बाईक लेकर मै उसके घर की ओर गया, और उसके घर के दरवाजे पर लगी घंटी को बजने लग गया।
    कुछ पल बाद, हिना ने आकर दरवाजा खोला और वो मुझे देख मुस्कुराने लग गयी। फिर मै अंदर प्रवेश किया, हिना ने मुझे कुर्सी पर बैठने को बोला और वो अपने कमरे में चली गई।

    उसने एक नाईटी पहन रखी थी, तो उसके गोल गान्ड के दोनों भाग आपस में चलते वक्त टकरा रहे थे। जिसे देख कर मेरा तो लंड टाईट होने लग गया, लेकिन मै उसकी बेटी को इधर उधर अपनी नज़रों से ढूंढ रहा था।

    खैर बेटी के रहते मां मुझे बुलाती ही नहीं और तभी मेरा दिमाग सन्न रह गया। हिना अपने कमरे से एक सेक्सी नाईटी पहन कर बाहर निकली, उसके जालीदार नाईटी में उसके स्तन की गोलाई। जैसे हि वो करीब आई तो मेरी नजर उसकी चूची के काले रंग की घुंडी पर पड़ी।

    और फिर जैसे जैसे मेरी नजर उसके कमर की ओर बढ़ने लगी, उसकी कमर से लेकर उसकी मोटी चिकनी जांघो तक का नज़ारा मुझे मिलने लग गया। अब मेरा मन पूरी तरह से बेकाबू हो गया था।

    लंड महाराज कच्छा में फनफनाने लग गया, तभी मै उठा और मैंने हिना को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया। वो भी बिझिझक मेरे आगोश में समा गई, तो मै उसके बदन को सहलाता हुआ उसके स्तन का एहसास छाती पर पा रहा था।

    हिना की जांघ तक की सेक्सी नाईटी के जालीदार हिस्से ने मेरा लन्ड टाईट कर दिया था। अब मै उसकी गर्दन को चूम रहा था, तो वो भी होंठो से गर्दन पर चुम्बन देने लग गयी।

    धीरे धीरे हम दोनों कामुक होने लग गये और फिर मैने हिना के बाल को कसकर पकड़ा और उसके होंठो पर अपने होंठ रख चूमने लग गया। वो थोड़ा झिझक रही थी लेकिन मै उसके चेहरे को सीधा करके उसके होंठो को चूमता रहा।

    फिर क्या था हिना मेरे होंठो को अपने जीभ से चाटने लग गयी, और मेरा मुंह उसके जीभ को लेकर चूसता हुआ। उसके मांसाल गान्ड को सहलाने लग गया। हिना एक काफी सेक्सी औरत की तरह हरकतें करने लग गयी थी।

    उसकी जीभ को मै चूस रहा था, कि तभी उसका हांथ अब मेरे जींस के हूक पर गया। और तभी हिना अपनी जीभ मेरी मुह से निकालकर मेरे जींस को खोलने लग गयी।

    मै हिना के गोल स्तन को नाईटी पर से ही मसलने में मस्त ही रहा था। तो हिना मेरे बदन से कपड़ा निकालने में लग गयी, और फिर दीपक पूरी तरह से नग्न हो गया था।

    हिना की नाईटी की डोरी को मैने खींचा और खोल दिया। फिर क्या था, मेरे सामने संगमरमर सी नग्न मूर्त खड़ी थी, और मैने उसकी नाईटी को कंधे से नीचे करके बदन से निकाल दिया।

    फिर हम दो नग्न प्रेमी बेडरूम में चले गये, हिना और दीपक दोनों बेड पर बैठकर एक दूसरे के गुप्तांग के साथ खेलने लग गये। मै उसकी चूत को देख उस पर उंगली फेरने लग गया।

    फिर क्या था, मै लेट गया और हिना मेरे ऊपर ६९ पोजिशन में आ गई। उसका चेहरा मेरी लंड की ओर था तो मेरा चेहरा उसके दोनों मोटे जांघो के बीच में नीचे था।

    मैंने ऊपर देखा तो लालिमा लिया चुत मुंह खोले मुझे रिझा रही थी, और तभी वो मेरे लन्ड को मुंह में भर चूसने लग गयी। उसकी चुत को मैंने उंगली से फैलाया और फिर अपना लंबा सा जीभ चुत में घुसाकर चुत चाटने लग गया।

    हिना मेरे लंड को मुंह में रख सर का झटका देने लग गयी। तो मै भी चुत को जीभ से चोदकर मस्त था। आज मेरा सपना साकार हो रहा था, वो अब तेजी से मुखमैथुन करने लग गयी।

    तो मै बोला – उई आह तुम तो लंड चुसं की कला में दक्ष हो उह अब और नहीं।

    फिर मेरे थुक से सने लंड को निकाल कर वो अपनी जीभ से उसे चाटने लग गयी। तो मै चुत को कुछ देर तक चाटता रहा, और वो सेक्सी आवाज निकाल रही थी।

    हीना – आह उह दीपक तुम मेरे लिए देवता हो, रंगहीन जीवन में थोड़ी रंग भर दो।
    तो मै चूत से जीभ निकाल उंगली से चुत कुरेदता रहा और वो जीभ से लंड को चाटती रही।

    फिर जोर से बोली – अबे साले कुत्ते मुंह में भर और रस पी।

    ये कहकर उसने मेरे लंड को फिर से मुंह में ले लिया, और उसकी चुत का नमकीन रस पीकर मजा आ गया। अब मेरा लंड गरम सलाख की तरह ही चुका था।

    मैं – आह आह अब मैं तुझे चोद नहीं पाऊंगा आह मेरा रस निकलने वाला है।

    फिर हिना के मुंह में वीर्य का फव्वारा निकल पड़ा और वो वीर्य पीकर लंड चाटने लग गयी। फिर हम दोनों ने फ्रेश हो कर अपने अपने कपडे पहने। अब आगे क्या हुआ उसका थोडा सा इंतज़ार कीजिये।

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