अगर मुझसे मोहब्बत है-13 (Agar mujhse mohobbat hai-13)

This story is part of the अगर मुझसे मोहब्बत है series

    करूंगा ख्वाहिशें तेरी पूरी मैं तुझ को पाने को।

    नहीं छोडूंगा मैं तुझ को भले छोडूं जमाने को।

    रहेगी हो के तू मेरी चुदायेगी तू जब मुझ से

    चुदेग़ी ऐसे तगड़ी के ना होगी दूर तब मुझ से।

    मैंने कहा, “मैंने आज जब सूरज को थैंक यू कहना चाहा तो वह नाराज हो गया। सूरज ने मुझे स्पष्ट रूप से कहा कि वह यह काम इसलिए कर रहा है कि वह तुम्हें बहुत प्यार करता है, और इसलिए यह उसका फ़र्ज़ था। उसने सीधा मुझे पूछा कि अगर उसकी जगह मैंने एक पति होने की हैसीयत से यह किया होता, तो क्या रीता शुक्रिया कहती?”

    मेरी बात सुन कर रीता सोच में पड़ गयी। कुछ देर बाद बोली, “तुमको भला शुक्रिया क्यों कहूंगी? मेरे जन्म दिवस पर सिर्फ तुम मेरे शुक्रिया करने से थोड़े ही मानते हो? हर साल तो मुझे अच्छी तरह पूरी रात चोदते हो और खुद भी और मुझ से भी सब उल्टे-पुल्टे काम करवाते हो।”

    मैं समझ गया कि लंड चूसना, चूत चाटना यह सब मेरी बीवी  के लिए उल्टे-पुल्टे काम थे। हर साल हम रीता के जन्म दिवस, हमारी शादी की सालगिरह और मेरे जन्म दिवस पर धमाकेदार चुदाई अवश्य करते थे।

    मैंने पूछा, “तो फिर तुम्हें सूरज का धन्यवाद करने के लिए क्या करना चाहिए?”

    रीता ने मेरी बात पर कुछ देर सोचा और फिर कुछ उलझन में पड़ी हुई बोली, “हम शुक्रिया के अलावा क्या कर सकते हैं? ज्यादा से ज्यादा मैं उसके गाल पर किस कर दूंगी, ताकि वह खुश हो जाए।”

    मैंने कहा, “सिर्फ गाल पर किस करने से खुश हो जाएगा सूरज? तुम्हें क्या लगता है?”

    रीता ने कहा, “तो क्या तुम्हें लगता है कि मैं उन्हें होंठो पर किस करूं? तुम बताओ मैं क्या करूं?”

    मैंने कहा, “बिल्कुल होंठों पर किस करनी चाहिए। होंठो पर किस करना कौन सी बड़ी बात है?। वैसे उन्होंने तो तुम्हारे बूब्स भी दबाये हैं। अगर वह संतुष्ट नहीं हों, तो तुम्हें सूरज को पूछना चाहिए कि उन्हें क्या चाहिए। मेरे हिसाब से तो जो सूरज चाहता है वह तुम्हें करना चाहिए।

    जैसे तुम मुझे एक पत्नी की हैसियत से हर साल प्यार से शुक्रिया अदा करती हो, उसी तरह से तुम्हें सूरज का भी शुक्रिया अदा करना चाहिए। आज के दिन उसने तुम्हारे दोस्त का नहीं पति का कर्तव्य निभाया है। फ़ौरन जाओ और उसको ऐसे प्यार भरा धन्यवाद करो जैसे एक पत्नी अपने पति का अपने जन्मदिवस पर करती है।”

    फिर रीता ने कुछ शंका की नजर से एक बार फिर मेरी और देखा और पूछा, “क्या तुम सच में चाहते हो कि मैं सूरज का वैसे ही प्यार से शुक्रिया अदा करूं जैसे मैं तुम्हें करती हूं? क्या तुम सच्चे मन से यह चाहते हो? तुम्हें कोई एतराज तो नहीं होगा? तुम्हें जलन तो नहीं होगी ना? पक्का?”

    मैंने अपनी मुंडी हिला कर कहा, “जलन क्यों होगी मुझे? तुम तो भली-भांति जानती हो कि मैं क्या चाहता हूं? मैं बिल्कुल पक्का कह रहा हूं। उसने जो कुछ तुम्हारे लिए किया है, वह कमाल का है। मुझे कोई जलन नहीं बल्कि ख़ुशी होगी। तुम बिंदास जाओ और सूरज जैसे भी खुश और संतुष्ट हो उस तरह से उसको शुक्रिया कहो।”

    यह सुनते ही रीता तेज़ी से भागती हुई सूरज के पास पहुंची। उस समय सूरज हम से दूर रिसोर्ट में अंदर ऑडिटोरियम हॉल में एक कोने में बैठा हुआ किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था। यह वही हॉल था जिसमें रीता की स्कूल का प्रोग्राम होने वाला था। कुछ दूरी पर दूसरी जगह पर कुछ मिस्त्री और कारीगर शाम के लिए हॉल में सजावट को फाइनल टच दे रहे थे।

    साड़ी पहनी हुई रीता भागती हुई बड़ी ही मादक और कामत्तेजक लग रही थी। रीता की साड़ी और घाघरा रीता के दौड़ने से चारों और फ़ैल रहे थे और ब्लाउज में समा पा नहीं रहे रीता के मादक उरोज ऐसे उछल रह थे, कि देखने वाले की हालत खराब हो जाए। इस सब से बेखबर रीता पहुंचते ही सूरज से लिपट गयी। सूरज ने रीता को भाग कर उसकी और आते देख कर फ़ोन बंद किया।

    सूरज कुछ समझे उसके पहले रीता आ कर सूरज से लिपट गयी, और सूरज के गालों को एक बार चूमने के बाद कुछ हांफते हुए बोली, “सूरज, आपने आज जो मेरे जन्मदिवस मनाने के लिए किया है, उसके लिए शब्दों में धन्यवाद कहना छोटा सा लगेगा। मेरे पति सच्चे दिल से कहते हैं आज आप ने वह काम किया है जो उनको एक पति की हैसियत से करना चाहिए। मैं उनकी बात से पूरी तरह से सहमत हूं। वह कहते हैं कि मुझे आप का वैसे ही धन्यवाद करना चाहिए जैसा मैं अपने पति का मेरे जन्मदिवस पर करती।”

    सूरज ने बड़े ही आश्चर्य से रीता की पूरी बात सुनी। उस के बाद हसते हुए सूरज ने फुर्ती से रीता की बगल में होने दोनों हाथ डाल कर पकड़ कर उसे आसानी से एक झटके में अपनी बाहों में ऊपर उठाया, और अपनी कमर पर चढ़ा दिया। चौंकी हुई रीता ने भी सूरज की कमर के इर्द-गिर्द अपने पांव कस कर जकड़ लिए, ताकि वह गिर ना पड़े।

    सूरज ने रीता की गर्दन को अपने बाहुपाश में ले कर मेरी पत्नी रीता के होंठो से अपने होंठ चिपका दिए, और रीता को अपना मुंह खोलने के लिए मजबूर कर दिया। रीता ने भी बिना कोई विरोध किये अपना मुंह खोल सूरज की जीभ को अपने मुंह में लिया मेरे और किरण के देखते ही सूरज और रीता एक-दूसरे के बाहुपाश में जकड़े एक-दूसरे को चुम्बन करने और एक-दूसरे की जीभ चाटने और लार निगलने में व्यस्त हो गए।

    रीता नीचे फिसल ना जाए इसलिए सूरज को रीता के दोनों कूल्हों को अपने दोनों हाथों से अपनी कमर से चिपका कर रखने लिए सख्ती से जकड़ कर अपने बदन से दबा कर रखना पड़ रहा था। अगर उन्होंने कपडे नहीं पहने होते, तो देखने वालों के लिए वह चुदाई का एक बहुत बढ़िया सीन बन रहा था। जब रीता सूरज की कमर पर चढ़ गयी थी, तब उसकी साड़ी और घाघरा रीता की जांघों के ऊपर तक चढ़ गया था। रीता की जांघें नंगी हो गयी थी। पर मेरी बीवी  ने उसके ऊपर कोई ध्यान नहीं दिया था।

    सूरज तो मारे ख़ुशी और उन्माद के मेरी पत्नी रीता का इस तरह का स्वैच्छिक समर्पण देख कर गदगद हो उठा। अपनी जीभ बार-बार ड़ाल कर सूरज रीता के मुंह का रस चूसने में व्यस्त हो गया। रीता भी सूरज के मुंह की लार ले कर उसे निगलते हुए आँखें बंद कर तल्लीन सी उन प्यारी घड़ियों को मनाती रही। चुम्मा लेते हुए दोनों प्रेमी एक-दूसरे के मुंह के रस को अपना मुंह इधर-उधर घुमाते हुए चूसते रहे और काफी कुछ “अच्च.. बच्च…” की आवाजें निकालते रहे।

    किरण भी उसी समय उस हाल में दाखिल हो रही थी। रीता का यह साहस देख कर वह भी हतप्रभ सी रह गयी। किरण के लिए वह घड़ी अमूल्य तोहफे की तरह थी, क्यूंकि मेरी पत्नी रीता को इसके लिए पटाने में उसे काफी मशक्क्त करनी पड़ी थी। रीता का जन्म दिवस मनाने का आइडिया भी उसी के दिमाग की उपज थी।

    मैंने भी हॉल के दूसरे दरवाजे से दाखिल होते हुए यह देखा। मैंने किरण की ओर देखा। मुझे देखते ही किरण चल कर मेरे पास आयी। हम दोनों दूर से ही रीता और सुरज की हरकतों को देख रहे थे। हालांकि हमें उनकी बातें सुनाई नहीं पड़ रही थी।

    रीता ने सूरज से लिपट कर सूरज के कान में पूछा, “अब तो आप खुश हो ना? आप मुझसे यही चाहते थे ना?”

    तब सूरज ने जवाब दिया, “रीता, एक बात पूछूं? क्या तुम सच्चा जवाब दोगी?”

    रीता ने कहा, “जरूर दूंगी।”

    सूरज ने कहा, “देखो रीता, मैं भी तुम्हें सच्चे दिल से बहुत बहुत प्यार करता हूं। और प्यार में शुक्रिया अथवा माफ़ी को शब्दों में बोला नहीं जाता। मैं समझ सकता हूं कि यह एक आम पब्लिक प्लेस है तो हमें यहां कुछ संयम बरतना चाहिए। पर तुमने जब यह बात छेड़ी ही है तो मुझे एक बात सच्चे दिल से बताओ कि ऐसे हालात में क्या आज दिन में शाम में या रात में मौक़ा मिलने पर तुम अपने पति का सिर्फ किस करके ही शुक्रिया अदा करती?

    आज पूरी शाम और रात भर हम इसी रिसोर्ट में रहेंगे। हम कुछ देर बाद हमारे फार्महाउस के स्विमिंगपूल में स्विमिंग करने भी जाएंगे। आज हमें ऐसे कई मौके मिलेंगे जब जनता की नजरों से दूर हम अकेले होंगे। तो क्या तुम मेरे साथ भी उस समय वैसे ही मनाओगी जैसे तुम अपने पति के साथ मनाती? सच बोलो, मनाओगी क्या?”

    रीता ने लाज से अपनी नजरें नीचीं कर लीं, फिर एक-दम धीरे से बोली, “बताइये आप मुझसे क्या चाहते हैं सुरज?”

    सूरज ने कहा, “मैं तुम्हे सच्चे दिल से तन और मन से प्यार करना करता हूं, और तुम्हें तुम्हारा प्रेमी बन कर अपना बनाना चाहता हूं। आज अगर तुम्हें मेरा अपना पति समझ कर धन्यवाद करना है तो क्या तुम मुझे यह वादा करती हो कि तुम मुझसे अकेले में कोई भी पर्दा नहीं करोगी, और वैसे ही प्यार करोगी जैसे कि तुम अपने पति को आज करती? तुम सच सच बताओ, क्या तुम तैयार हो?”

    सूरज की बात सुन कर रीता बड़ी ही उलझन में फस गयी। सूरज की बात सौ फीसदी सही थी। रीता अपने जन्मदिवस पर, मेरे जन्मदिवस पर और हमारी शादी की सालगिरह, यह तीन मौकों पर तो बगैर भूले ही हर साल रात में मुझ से बड़े प्यार से जरूर चुदवाती थी। यह हमारा पक्का नियम था।

    रीता ने सूरज की बात का जवाब नहीं दिया पर होठों से होंठ मिला कर जोश से सूरज की जीभ और होठ चूसने और चाटने लगी। रीता ने बहुत कस के अपना बदन सूरज के बदन के साथ मिलाया। सूरज ने जब रीता के बदन को एडजस्ट करने के लिए उसे अपनी कमर पर कुछ ऊपर-नीचे किया, तब रीता ने अपनी चूत को सूरज के लंड से चिपका दिया और सूरज के खिसकाने पर भी रीता उस पोजीशन से नहीं हटी।

    बल्कि रीता कुछ उत्तेजित सी हो कर जैसे अपने बदन को एडजस्ट कर रही हो, ऐसे अपने कूल्हे ऊपर-नीचे करके जाने-अनजाने में अपनी चूत को सूरज के लंड पर घिसने लगी, हालांकि दोनों ने सारे कपड़े पहने हुए थे। रीता की चुप्पी और उसकी मासूम सी लगती हरकतों से सूरज को पहली बार लगा कि शायद रीता उसको मूक सहमति जता रही थी। सूरज का मन कह रहा था कि शायद रीता उस रात सूरज की शयनभागिनी बन सकती थी।

    करीब चार पांच मिनट के लम्बे वक्त तक दोनों एक-दूसरे को चूमते और चूसते रहे। उसके बाद सूरज ने रीता को अपने बदन से नीचे उतारते हुए कहा, “रीता अभी पूरी शाम बाकी है। हमें कुछ आराम और चाय नाश्ता करने के बाद शाम को यहीं नजदीक में ही मेरे फार्म हाउस जाना है।

    वहां हम हमारे प्राइवेट स्विंमिंगपूल में कुछ देर स्विमिंग करेंगे। उसके बाद मैंने तुम्हारे लिए एक ख़ास बड़ा प्रोग्राम रखा है। तुम आज का दिन, आज की शाम, और आज की रात अपनी जिन्दगी में कभी भूल नहीं पाओगी यह मेरा वादा है। पर तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। बताओ क्या तुम मुझे एक पत्नी की तरह प्यार करने के लिए तैयार हो?”

    रीता ने कुछ व्यंगात्मक स्वर में शरारत भरी मुस्कान देते हुए कहा, “सूरज जी, किरण कह रही थी कि आप को स्त्रियों के बारे में बड़ा अनुभव है। पर मुझे लगता है वह गलत थी। आपका पाला शायद विदेशी महिलाओं से ही पड़ा होगा। भारतीय नारियों से नहीं।”

    सूरज ने कुछ आश्चर्य से रीता की ओर देखते हुए पूछा, “तुम ऐसा क्यों कहती हो? भारतीय नारियों में ऐसी कौन सी ख़ास बात है?”