मैं बनी अपनी क्लास में पढ़ने वाले दो दोस्तों की रंडी (Main bani apni class mein padhne wale do doston ki randi )

यह बात पिछले साल की है। मैं उस टाइम कॉलेज में हुई थी। हमारी क्लास में कुछ नये विद्यार्थी भी आ गए थे। हमारी क्लास की टीचर्स ने हम सब को नये तरीके से बिठाना शुरु कर दिया। मतलब दो लड़कों के बीच में एक लड़की, तांकि पढाई अच्छे से हो सके। मुझे नये लड़को के बीच में बैठना पड़ा। उनमें से एक का नाम रवी कुमार और दूसरे का नाम शाहीद था।

कुछ दिन तक सब ठीक ठाक चल रहा था। एक दिन हमारी क्लास के टीचर्स नहीं आये थे, तो शाहीद ने अपना फोन निकाला और फोन पर कुछ देखने लगा। तभी शाहीद ने रवी को अपने पास आने को बोला। रवी शाहीद के पास चला गया और दोनों फोन देखने लग गए।

मेरी नजर जब फोन पर गई तो मैं देख कर हैरान रह गई। वो दोनों फोन पर गंदी फिल्म देख रहे थे, और उस दिन हम सब से अन्तिम में बैठे हुए थे, तो कोई देख भी नहीं सकता था।

अगला पीरियड शुरु हुआ। रवी और शाहीद अपनी-अपनी जगह पर आ गए, और सब पढ़ाई करने लग गए। तभी शाहीद ने अपना एक हाथ मेरी टांगो पर रख दिया। मैंने बहुत बार उसका हाथ हटाया पर वो बार-बार मेरी टांगो पर हाथ रख देता।

दूसरे दिन हम सब से आगे बैठे थे, तो उस दिन कुछ नहीं हुआ मेरे साथ। अगले दिन फिर से पहले शाहिद ने मेरी एक टांग पर हाथ रख दिया, और सहलाने लगा। मैं फिर से उसका हाथ हटा देती, पर वो फिर से रख देता।

अब शाहीद के साथ-साथ रवी भी मेरी जांघों को रोज सहलाने लगे। उनके ऐसा करने से मुझे भी अब बहुत मजा आने लगा। अब मैं उनको अपनी टांगो को खुल कर सहलाने देती।

एक दिन हमारी बारी फिर से लास्ट बैंच पर आई। शाहीद और रवी मेरी चूत तक हाथ फेरने लगे। मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी, पर दोनों मेरी स्कर्ट के उपर से मेरी चूत से खेलने लगे।

रवी ने मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल दिया, और टांगो को सहलाते हुए मेरी पेंटी के उपर हाथ फेरने लगा। शाहीद ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी पेंट के ऊपर रख लिया। फिर कुछ देर बाद शाहीद ने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया।

आज पहली बार मैंने किसी का लंड अपने हाथ में लिया था। शाहीद मेरा हाथ पकड़ कर अपना लंड हिलाने लग गया। कुछ देर बाद मैं खुद ही शाहीद का लंड हिलाने लगी।

रवी ने बहुत कोशिश की, पर वो मेरी चूत के अन्दर हाथ नहीं डाल सका। रवी ने भी अपना लंड पेंट से बाहर निकल लिया, और मेरे हाथ में दे दिया। मैं दोनों के लंड हिलाने लगी। कुछ देर बाद शाहीद के लंड से पानी निकल आया, और थोड़ी देर बाद रवी के लंड ने भी पानी छोड़ दिया।

दोनों बहुत खुश हो गए। अब हम हमेशा किसी ना किसी बहाने पीछे वाली सीट पर बैठ कर यह काम करने का मजा लेते। एक दिन जब मैंने दोनों का लंड हिला लिये, तो उन दोनों ने मेरी पेंटी ऊतार दी।

उस दिन पहली बार उन दोनों ने मेरी चूत पर अच्छे से हाथ चलाऐ, और अपनी उंगली मेरी कुंवारी चूत के अन्दर-बाहर करने का मजा लिया। फिर उन दोनों ने मुझे बिना पेंटी के रोज कॉलेज आने को बोल दिया।

अब जब भी मौका मिलता दोनों मेरी चूत को चाटने लगे। मैं भी दोनों से बहुत खुश थी। अब मेरी चूत भी उनके लंड के लिए तरसने लग पड़ी थी। शाहीद समझ गया था कि मेरी चूत तड़फ रही थी।

तो शाहीद ने कॉलेज की छुट्टी होने पर बोला-

शहीद: पुजा सुबह प्राथना के लिए कॉलेज के मैदान में मत जाना, तुझे एक गिफ्ट देना है मुझे।

मैंने हां कर दी। दूसरे दिन मैं थोड़ी देरी से कॉलेज पहुंची। क्लास में कोई नहीं था।

शाहीद मेरे पास आया और मुझे टीचर्स के बाथरूम में आ जाओ जल्दी से बोल कर शाहीद जल्दी से क्लास से बाहर चला गया। मैं भी छुप कर बाथरूम के अंदर चली गई।

शाहीद ने मुझे आते ही अपनी बांहो में भर लिया और मुझे चूमने लग गया। शाहीद ने मेरी स्कर्ट खोल दी शाहीद एक हाथ से मेरी चूत में ऊंगली डाल रहा था। मेरी चूत गीली होने लगी। शाहीद ने मुझे नीचे बिठा दिया। और अपनी पेंट खोल कर लंड को मेरे मुँह में भर दिया। कुछ देर बाद बोला-

शहीद: पुजा थोड़ा सा दर्द होगा तुझे, तू चिल्लाना मत। उसके बाद बहुत मजा आएगा हम दोनों को।

शाहीद ने मुझे वहीं पर लिटा दिया, और मेरी टांगो के बीच में आ गया। उसने लंड को मेरी चूत के मुँह पर लगा दिया, और एक जोर का झटका मारा। लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा।

मैं दर्द से सहर उठी। मेरी आंखो के आगे अंधेरा छा गया। मुझे चूत में बहुत दर्द होने लगा। शाहीद ने पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया। मैं दर्द से तड़पती रही, और शाहीद मेरी चूत को चोदता रहा।

15 मिनट के बाद शाहीद ने मेरी चूत को अपने लंड के पानी से भर दिया। शाहीद ने जब अपना लंड चूत से निकाला, तो मैं लंड में लगे हुए खून को देख कर डर गई।

फिर शाहीद मुझे बोला: आज तेरी चूत खुल गई है। अब तू अराम से लंड ले सकती है। अब तू कच्ची कली से फूल बन गई।

मुझे शाहीद ने उठाया, मैंने पेशाब किया, पर पेशाब करते हुए भी मेरी चूत में बहुत जलन हो रही थी। मैंने चूत साफ की और स्कर्ट पहनी। फिर कपड़े ठीक करके अपनी क्लास में आ गई।

मुझे उस दिन चूत में बहुत दर्द रहा। दूसरे दिन शाहीद ने कॉलेज आते ही मुझे एक दवाई खाने को दी जिससे मेरी चूत में आराम मिला। रवी ने जब मेरी चूत में मुँह लगाया तब उसको भी पता चल गया कि मेरी चुदाई शाहीद कर चुका था।

रवी ने दुसरे दिन सुबह मुझे कॉलेज के बाहर ही पकड़ लिया, और मुझे खींच कर साथ के पार्क में ले आया। रवी मुझे झाड़ियों के बीच ले गया, और फिर मुझ पर टूट पड़ा। रवी मुझे पागलों की तरह चूमने लगा। रवी ने मेरी कमीज के बटन खोल दिये, और मेरे छोटे बूबस को दबाने लगा। मैं रवी को रोकने लगी, पर रवी के सर पर मुझे चोदने का भूत चढ़ा हुआ था।

रवी ने मुझे लगभग पूरा नंगा कर दिया था। वो भी नीचे से नंगा हो गया, और मुझे बोलने लगा-

रवी: मुँह में लेकर मेरे लंड को चूस रंडी।

मैं रवी को बोली: मैं कोई रंडी नहीं हूं। मुझे रंडी मत बोल।

रवी बोला: आज तू मेरा लंड भी लेगी तो रंडी ही बनेगी हमारी।

रवी ने यह बोलते ही मेरे मुँह में अपना लंड भर दिया। मुझे उसका लंड भी चूसना पड़ा। रवी ने कुछ देर बाद मुझे पेड़ के साथ घोड़ी बना दिया, और खुद मेरे पीछे आ गया। रवी ने पिछे से मेरी चूत में एक ही झटके में लंड डाल दिया। मुझे आज थोड़ा दर्द हुआ।

रवी मेरी वैसे ही चुदाई करने लगा। बीच-बीच में मेरी गांड के ऊपर थप्पड़ मारने लगा। वो मेरी जानवरों की तरह चुदाई कर रहा था। रवी कभी मेरी कमर पकड़ कर जोर से लंड चूत में डालता तो मुझे बहुत दर्द होता। रवी ने मेरी 20 मिनट तक ताबड़-तोड़ चुदाई की, फिर लंड मेरी चूत से बाहर निकल लिया।

फिर मुझे नीचे बैठा दिया, और लंड मेरे मुँह में डाल कर मेरे मुँह को चोदने लगा। कुछ झटकों के बाद रवी के लंड ने पानी छोड़ दिया। सारा पानी मेरे गले से होता हुआ पेट में चला गया। रवी ने तब तक लंड बाहर नहीं निकाला, जब तक उसका पूरा पानी मेरे अंदर नहीं गया। फिर रवी ने मुझसे अपना लंड साफ करवाया।

हम दोनों ने कपड़े पहने और कॉलेज के लिए आ गए। अगली कहानी में बताऊंगी रवी और शाहीद ने कैसे मुझसे कॉलेज में ही लंड चुसवाया, और दोनों ने कैसे मुझे मिल कर चुदाई का मजा दिया।

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