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मैं और मेरा गे परिवार-2 (Main aur mera gay parivar-2)

पिछला भाग पढ़े:- मैं और मेरा गे परिवार

हैलो दोस्तों, अब तक आपने पढ़ा, कि एक रात मैंने अपने दादा जी को अपने चाचा को अपनी बीवी की तरह चोदते हुए देखा। फिर मैंने कैसे अपने छोटे भाई की सोते हुए गांड सहलाई और चाटी। अब आगे।

और चाटते-चाटते उसकी गांड के सुराख को चाटने लगता हूं। फिर अपनी एक हाथ की उंगली से उसे कुरेदने लगता हूं। फिर मुझसे ज्यादा बर्दास्त नहीं होता, तो मैं बाथरूम में मुठ मारने जाता हूं और लंड हिलाने लगता हूं और झाड़ कर वापिस आके सो जाता हूं।

फिर सुबह मेरी 8 बजे आंख खुलती है, तो देखता हूं कि मैं अकेले सो रहा था। फिर उठ कर मैं बाथरूम जाके फ्रेश होता हूं, और कमरे से बाहर निकलता हूं नीचे जाने के लिए। फिर जो बगल में मम्मी-पापा का कमरा था, उसमें से चूड़ियां और पायल की आवाज सी आ रही थी। तो मैंने सोचा शायद चाचा होंगे, एक बार देख लेता हूं क्या कर रहे है।

फिर जब मैंने खिड़की से अंदर देखा, तो मैं हैरान रह गया। क्योंकि अंदर चाचा नहीं मेरी जान मेरा छोटा भाई था। जो मम्मी की साड़ी ब्लाउज पहन कर चूड़ियां पहने शीशे के सामने खुद का मेकअप कर रहा था और गाना गा रहा था।

किरन: सजना है मुझे सजना के लिए।

ओह काश मैं भी साड़ी पहन पाता चाचा जी की तरह। 1 साल से देख रहा हूं दादा जी और चाचा एक-दूसरे को कितना प्यार करतें है। काश भईया भी मुझे प्यार करते, जैसे दादा जी चाचा को करते है।

मैंने अपने मन में सोचा: ओह, तो मेरा भाई मुझे पसंद करता है। मैं तो इसे बहुत सीधा-साधा और मासूम समझता था। और ये दादा जी और चाचा की रासलीला 1 साल से देखते आ रहा है। मतलब साला मुझे ही नहीं पता था। कोई बात नहीं मेरी जान, तुझे मैं प्यार करूंगा अपने 10 इंच के लोड़े से, और इतना मसल-मसल के ओर रगड़-रगड़ के चोदूंगा, कि जिंदगी भर मेरी रांड बन कर रहेगा।

फिर मैं नीचे आ जाता हूं, और प्लान बनाने लग जाता हूं कि कैसे किरन को अपने नीचे लाया जाए। और थोड़ी देर बाद मुझे 1 तरकीब सूझती है। फिर मैं उसे ही शुरू करने की सोचता हूं। पहले में देखता हूं घर में मेरे और किरन के अलावा कोई नहीं दिखता, तो मैं किरन को आवाज देता हूं। वो 5 मिनट बाद नीचे आता है तो मैं उससे पूछता हूं।

मैं: किरन दादा जी और चाचा कहा गए?

किरन: भईया वो लोग शहर गए है किसी काम से, और बोल रहे थे रात तक आयेंगे।

मैं: अच्छा कुछ चाय नाश्ता है तो देदे।

किरन: ठीक है भईया, 10 मिनट रुको अभी देता हूं।

फिर मैं सोचता हूं कि यही सही वक्त था प्लान शुरू करने का, तो मैं उससे बोलता हूं।

मैं: किरन यार अब तो छुट्टियां भी शूरू हो गई है, और घर में अकेले भी है। तो बोर हो जायेंगे। क्यूं ना कुछ खेलते हैं।

किरन: हां भईया, बोर तो हो जायेंगे। आप बताइए क्या खेले?

मैं: कुछ ध्यान में नहीं आ रहा है। यार तू बता ना कोई खेल।

किरन: भईया लूडो या फिर कैरम खेले?

मैं: नहीं यार कोई इंट्रेस्टिंग खेल जिसमें दोनो को मजा आए। जैसे कोई बचपन का खेल हो। हां याद आया, क्यूं ना हम मम्मी पापा वाला खेल खेले, जैसे बचपन में खेलते थे।

तो वो शरमा गया और बोला।

किरन: क्या भईया, अब हम बड़े हो गए है। अब क्या खेलेंगे वो खेल?

मैं: अरे खेलते है ना, और अब इसमें कुछ नया भी करेंगे। चल ना खेलते है।

और थोड़ा बहुत मनाने के बाद वो मान जाता है। फिर वो पूछता है।

किरन: भईया इसमें अब क्या नया करेंगे?

मैं: इसमें अब जो पापा बनेगा वो पापा के कपड़े पहनेगा, और जो मम्मी बनेगा वो मम्मी के कपड़े। मतलब की साड़ी ब्लाउज पायल चूड़ियां पहन कर मेकअप करके रहेगा। तो अब तू बता कि तू क्या बनेगा, मम्मी या पापा?

मैंने उसका मन टटोलने के लिए कहा तो वो झट से बोल पड़ा।

किरन: मैं मम्मी बनूंगा भईया।

तो मैं मन ही मन मुस्कराने लगा, और ‘ठीक है’ बोल दिया।

मैं: चल तो फिर तैयार होने चलते है। नहा धोकर तैयार हो जाते है। और तू मम्मी के कमरे में जा कर नहा कर मम्मी के कपड़े पहन कर तैयार हो जाइयो, ठीक है? चल।

फिर मैं अपने कमरे में जाता हूं, और किरन मम्मी के कमरे में, और फिर हम नहा धोकर तैयार होने लग जाते है। मैं जल्दी तैयार हो जाता हूं, तो किरन के पास जाता हूं। कमरा बंद होता है, तो मैं‌ दरवाजा खटखटाता हूं और पूछता हूं।

मैं: किरन तैयार हो गया क्या? और कितना टाइम लगेगा।

किरन: भईया बस थोड़ा टाइम और।

मैं: ठीक है, तैयार होके नीचे आ जाइयो। मैं घर के बाहर खड़ा रहूंगा। तू नीचे आने के बाद मिस कॉल मार दियो, और गेट खोलने आ जाइयो। फिर मेरे घर के अंदर घुसते ही खेल शुरू करते है। ठीक है चल।

किरन: ठीक है भईया, आप चलिए।

फिर मैं नीचे आता हूं और गेट के बाहर चले जाता हूं। और 10 मिनट बाद मुझे किरन की मिस कॉल आती है। फिर मैंने दरवाजा खटखटाया तो किरन गेट खोलता है। तो मैं तो एक दम मूर्ति बन गया था क्यूंकि वो क्या लग रहा था। किरन एक दम खूबसूरत, बिल्कुल अप्सरा जैसा लग रहा था। उसने तो मुझ पर बॉम्ब ही फोड़ दिया था। फिर उसने मुझे हिलाया तो मैं होश में आया।

किरन: कहा खो गए आप?

मैं: कही नहीं, जब बीवी इतनी खूबसूरत हो तो होश तो उड़ ही जायेंगे ना।

वो शरमा गया।

किरन: क्या भईया आप भी।

मैं: नहीं। भईया नहीं सईया कहो मेरी जान।

और उसको गले लगा के उसके गाल को किस किया, और उसकी गांड को मसल दिया तो उसकी आह निकल गई। फिर मैं उसको छोड़ कर हॉल में आकर बैठ गया और फिर उसको बोला।

मैं: जान कुछ चाय नाश्ता देदो, बड़ी भूख लगी है।

वो अभी भी सोच में ही था। मेरी आवाज सुन के एक दम से होश में आते हुए बोला।

किरन: जी जी अभी लाई।

फिर वो मेरे लिए नाश्ता लाया, और मैंने खाया, और वाकई सच में नाश्ता बहुत अच्छा था। तो मैंने कहा।

मैं: वाह जानेमन, क्या नाश्ता बनाया है। दिल चाहता है तुम्हारे हाथ चूम लूं।

और मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे खीच कर अपनी गोदी में बिठा लिया। और उसकी आंखो में देखते हुए उसका हाथ चूम लिया तो वो शरमा गया।

किरन: क्या आप भी, क्या करते है। छोड़िए मुझे, बहुत काम पड़े है।

मैं: क्या यार थोड़ा रोमांस भी नहीं करने देती हो। चलो जल्दी काम खतम करके ऊपर आ जाओ, फिर बात करते है।

किरन: ठीक है, आप चलिए मैं आती हूं।

और उसको छोड़ कर मैं ऊपर आ जाता हूं मम्मी पापा के कमरे में। और अब मैंने सोच लिया था कि अब यही मेरा कमरा था, और अब से मैं और किरन यही रहा करेंगे।‌ क्योंकि अब मुझे किसी की टेंशन नहीं थी। और अगर गलती से भी दादा जी या चाचा के सामने ये राज़ खुला, तो फिर तो मैं खुलेआम अपनी बीवी के साथ प्यार कर सकता हूं। क्योंकि मुझे भी उनका राज़ पता था।

लेकिन अभी तक वो मेरी बीवी बना नहीं था। पहले किरन को अपनी बीवी बनाना पड़ेगा, क्योंकि अभी तक तो सिर्फ खेल ही चल रहा था। तो कुछ सोचते हुए मैं किरन को आवाज देता हूं ऊपर आने के लिए, और दरवाजे के पीछे छुप जाता हूं। फिर जैसे ही वो आता है, मैं उसे पीछे से पकड़ लेता हूं, और उसकी गर्दन पर किस करने लगता हूं। मैं उसकी गांड पर अपना लंड रगड़ने लगता हूं, तो वो छुटने की कोशिश करता है।

किरन: आह भईया, क्या कर रहे हो? छोड़ दीजिए।

मैं: अपनी बीवी को प्यार कर रहा हूं जान।

किरन: मैं आपकी कोई बीवी नहीं हूं। हम बस खेल रहे है।

मैं: लेकिन मैं तो तुम्हे अपनी बीवी ही मानता हूं।

किरन: ये आप क्या कह रहे हो भईया?

मैं: वही जो तुम चाहते हो। मैं जानता हूं कि तुम मुझसे प्यार करते हो, और मुझे पसंद करते हो। और आज सुबह जो तुम इस कमरे में कर रहे थे, और जो बोल रहे थे, मैंने सब सुन लिया था।

तो वो एक-दम से डर जाता है, और एक-दम शांत खड़ा रहता है। तो मैं समझ गया कि अब बातचीत करके प्यार से मनाना था।

मैं: देख किरन, तुझे डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैं भी तुझसे प्यार करता हूं, और हमेशा करता रहूंगा। और हम जिंदगी भर साथ रहेंगे खुशी-खुशी। और मैं तुझे बहुत प्यार करूंगा। अब बोल तेरे दिल में क्या है?

किरन: भईया मैं भी आपसे प्यार करता हूं। मैं भी आपको हमेशा खुश रखना चाहता हूं। पर दादा जी या चाचा को पता लग गया तो क्या होगा?

मैं: तुझे डरने की जरूरत नहीं है, मैं हूं ना। और वैसे भी मैंने भी कल रात उनको देख लिया था। तो अब हमें उनसे डरने की जरूरत नहीं है। और तुझे तो 1 साल से पता है। तो अब बता, रहेगा हमेशा मेरी बन के? बनेगा मेरी बीवी मेरी जान?

किरन: हां भईया, मैं आपके साथ रहूंगा आपकी बीवी बन के आपकी जान बन के, और हमेशा आपको खुश रखूंगा।

मैं: तो तू 1 मिनट रुक।

फिर मैं उसको बेड पर बिठाता हूं, और मम्मी की अलमारी से उनका मंगलसूत्र निकाल कर किरन का हाथ पकड़ कर उसे शीशे के सामने ले जाता हूं, और उससे पूछता हूं-

मैं: तो माई डियर डार्लिंग किरन, क्या आप मुझे अपने पति के रूप स्वीकार करती हैं?

तो वो शरमा कर बोलता है।

किरन: जी, मैं आपको अपने पति के रूप में स्वीकार करती हूं।

अगला भाग पढ़े:- मैं और मेरा गे परिवार-3

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