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बहन ने रंगे हाथ पकड़ा और चुदाई हो गई (Behan ne range hath pakda aur chudai ho gayi)

नमस्कार दोस्तों, मैं Thor आपके लिए लेस्बियन सेक्स स्टोरी लेके आया हूं। मेरी पिछली कहानियों को प्यार देने के लिए आपका आभारी हूं। आगे भी ऐसे ही लिखता रहूंगा, और आप सब ऐसे ही प्यार देते रहना। ये कहानी मुझे हिमाचल की आरती ने भेजी है। चलिए कहानी शुरू करते है आरती की जुबानी।

दोस्तों मेरा नाम आरती है, मैं हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हूं। मेरी उमर 23 साल है, और मैं नौकरी ढूंढ रही हूं। मेरा रंग गोरा है, और फिगर 36-30-36 है। मेरा फिगर एक वजह है जिसको देख कर कोई भी लड़का या मर्द मुझ पर मर मिटता है। लेकिन मुझे लड़कों से कोई मतलब नहीं है, क्योंकि मैं एक लेस्बियन लड़की हूं। चलिए अब बिना टाइम वेस्ट किए कहानी पर आती हूं।

स्कूल में पढ़ते वक्त ही मुझे पता चल गया था कि मैं एक लेस्बियन हूं। क्योंकि जब लड़कियां लड़कों को देख-देख कर आहें भरती थी, तब मैं उन लड़कियों को ही देख कर खुश होती थी। फिर कॉलेज में आई तो और ज्यादा पक्का हो गया कि मैं लेस्बियन ही हूं, और मेरी जिंदगी में किसी लड़के के होने का कोई चांस नहीं है।

कॉलेज के बाद मैंने प्राइवेट जॉब के लिए इंटरव्यू, और सरकारी जॉब्स के लिए एग्जाम देने शुरू कर दिए। अभी कुछ महीने पहले ही मुझे एक सरकारी जॉब के एग्जाम के लिए पंजाब जाना था। मेरा सेंटर वहां आया था। मेरी मम्मी के भाई, यानी कि मेरे मामा जी पंजाब में रहते है। मम्मी ने उनको फोन कर दिया कि मैं वहां आ रही थी, और उनके घर ही रुकूंगी। मामा जी ये सुन कर बहुत खुश हुए।

मामा जी के घर में वो खुद, उनकी पत्नी (यानी मेरी मामी), उनकी एक बेटी, और बेटा रहते है। उनकी बेटी मुझसे एक साल बड़ी है, और वो भी काफी खूबसूरत है। उसका नाम कविता है। मुझे वो शुरू से ही बहुत पसंद थी, तो मैं भी बहुत खुश थी कि उससे मिल पाऊंगी।

फिर मैं उनके घर के लिए निकल पड़ी। वहां पहुंची तो उन्होंने बड़े प्यार से मेरा वेलकम किया। मामा मामी ने मुझे बहुत प्यार दिया। फिर हमने साथ में बैठ कर खाना खाया, और बहुत हंसी-मजाक किया। मेरा ध्यान तो कविता की तरफ ही था, जो शॉर्ट्स और टीशर्ट में बिल्कुल एक केक की तरह लग रही थी।

फिर शाम हो गई, और सब सोने की तैयारी करने लगे। मैं भी सोने के लिए उतावली थी, क्योंकि मुझे कविता के कमरे में उसके साथ सोने को मिलने वाला था। फिर हम सब गुड नाइट बोल कर कमरों में जाने लगें। कविता मेरे आगे चल रही थी, और मेरी नज़र उसकी मटकती गांड पर थी।

अब हम कमरे में पहुंच चुके थे। मैं कविता को देख कर उत्तेजित हो रही थी। दिल कर रहा था उसको बिस्तर पर गिरा कर उसका पूरा बदन नंगा करके चाटूं। फिर हम एक साथ बेड पर बैठ गए। मैंने पजामा और टीशर्ट पहनी थी। हमने थोड़ी बातें की। इस दौरान उसके परफ्यूम की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। उसके होंठों को चूसने का दिल कर रहा था, लेकिन ऐसा करने की हिम्मत नहीं हुई।

फिर ऐसे ही सोचते हुए मैं सो गई। कुछ घंटे बाद आधी रात में मेरी नींद खुली। मुझे बहुत तेज सुसु लगी थी। मैं बिस्तर से उठी, और बाथरूम की तरफ जाने लगी। बाथरूम में जा कर मैंने सुसु किया, और फिर बाहर आने लगी। तभी मेरी नज़र दरवाजे पर लटकती ब्रा पर पड़ी। वो कविता की ब्रा थी। वैसे तो मैं नींद में थी, लेकिन कविता की ब्रा को देखते ही मेरी आँखें पूरी खुल गई।

मैंने उसकी ब्रा को कुंडी से निकाला, और सूंघा। वो कविता की यूज्ड ब्रा थी, और उसमें से उसके सेक्सी बदन की खुशबू आ रही थी। उसकी खुशबू सूंघते ही मैं मदहोश होने लगी, और मेरे शरीर में कंपन होने लगा। मैं उत्तेजित होनी शुरू हो गई। मैं उसकी ब्रा को चूमने लगी, चाटने लगी।

उसकी ब्रा को फील करते हुए पता नहीं कब मेरा हाथ मेरे पजामे और पैंटी के अंदर चला गया, और मैंने फिंगरिंग करनी शुरू कर दी। मैं इतनी खो गई थी, कि मुझे कोई सुध-बुध नहीं रही। तभी मुझे अचानक से पीछे से कविता की आवाज आई-

कविता: आरती!

उसकी आवाज सुन कर मेरी तो गांड ही फट गई। मेरे हाथ पांव कांपने लगे। मुझे समझ नहीं आया कि मैं कैसे उसको मुड़ कर देखूं, और क्या कहूं। लेकिन मुड़ना तो था ही। फिर मैं मुड़ी तो वो मेरी तरफ हैरानी से देख रही थी। इससे पहले मैं कुछ बोलती, तो वो वहां से जाने लगी। मैं उसके पीछे गई। वो बिस्तर के पास आके रुक गई। उसका मुंह दूसरी तरफ था। मैंने उसको बोला-

मैं: कविता मैं समझा सकती हूं। मुझे एक मौका दो।

इससे पहले मैं आगे कुछ बोलती, वो मेरी तरफ मुड़ी, मेरे करीब आई, और मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिए। मैं एक-दम हक्की-बक्की रह गई। वो मेरे होंठों को चूसने लगे। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन उसका किस्स अच्छा लग रहा था। तो मैंने भी सब भूल कर उसका साथ देना शुरू कर दिया।

फिर हम किस्स करते हुए एक-दूसरे के चूचे दबाने लगे, और उसके बाद एक-दूसरे की चूत सहलाने लगे। कुछ मिनट यहीं सब चलता रहा। फिर कविता बेड पर चढ़ गई, और अपने कपड़े उतारने लगी। मैं भी कपड़े उतारने लगी। कुछ ही सेकंड्स में हम दोनों नंगी हो गई। फिर मैं बेड पर आई, और हम दोनों फिर से किस्स करने लगे।

कुछ देर में मैं उसके चूचे चूसने लगी, और वो मेरी चूत में उंगली करने लगी। बड़ा मजा आ रहा था। मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। फिर हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए, और एक-दूसरे की चूत चूसने लगे। हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था। दोनों एक-दूसरे की चूत में उंगली डाल कर चोद रहे थे, और चूत के दाने को रगड़ रहे थे। आधा घंटा हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरे को चरमसुख देते रहे। फिर दोनों झड़ गए और एक-दूसरे का पानी पी लिया।

शांत होने के बाद उसने बताया कि वो भी लेस्बियन थी, और बहुत वक्त से मुझे पसंद करती थी। तो उस दिन के बाद से मेरे पास एक लेस्बियन पार्टनर है।

कहानी की फीडबैक gulati.gulati555@gmail.com पर भेजे।

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