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पड़ोसी ने तोड़ी मेरी दीदी की सील-13 (Padosi Ne Todi Meri Didi Ki Seal-13)

पिछला भाग पढ़े:- पड़ोसी ने तोड़ी मेरी दीदी की सील-12

हिंदी सेक्स कहानी अब आगे से-

सलीम अब रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उसकी निगाहों में अब सिर्फ एक चाह थी। मम्मी को पूरी तरह महसूस करने की। धीरे से उसने पीछे से आकर उसके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए। कपड़ा सरकता हुआ कंधों से नीचे गिर पड़ा। फिर उसने उसकी ब्रा भी खोल दी, बिना कोई जल्दी किए, जैसे हर पल को जीना चाहता हो।

मम्मी अब भी उससे पीठ किए खड़ी थी। उसकी सांसें गहरी हो चली थी, जैसे उसके अंदर कुछ टूट रहा हो, और कुछ नया बन रहा हो। सलीम ने अपना चेहरा मम्मी के कंधे से सटा दिया। उसकी गरम सांसें मम्मी की पीठ पर पिघलती चली गई। फिर उसने अपने होंठ रख दिए, बहुत हल्के से, जैसे छू भी लिया और नहीं भी। धीरे-धीरे वो उसकी पीठ पर ऊपर से नीचे तक छोटे-छोटे किस्स देता गया।

फिर उसके दोनों हाथ सामने बढ़े और मम्मी की चूचियों तक पहुंचे। उसने उन्हें अपनी हथेलियों में भर लिया। उसका छूना ना तेज़ था, ना हल्का, बस ऐसा था जैसे कोई उस पल को थाम लेना चाहता हो। वो उन्हें बहुत धीरे-धीरे मसलने लगा, जैसे कोई अंदर तक महसूस कर रहा हो। एक-एक स्पर्श से, जैसे उसे सुकून देना चाहता हो और खुद को भी।

मम्मी ने आंखें धीरे-धीरे बंद कर ली। सांसें थमती-सी लगी, दिल की धड़कन तेज़ हो गई। सलीम की उंगलियां उसके बूब्स पर धीरे-धीरे चल रही थी। हर स्पर्श में एक हल्की कंपन। सलीम की उंगलियां जब मम्मी के निप्पल को छू गई, तो मम्मी के होंठों से एक मीठी, कांपती हुई आवाज निकली। वो खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन चाहत ने उसे पूरी तरह घेर लिया था। सांसें अनियमित हो गई, दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, और वो पूरी तरह उस पल में डूब गई। जैसे आंखों के सामने कोई सपना चल रहा हो जिसे वो छोड़ना नहीं चाहती।

मम्मी (सांसें तेज़, आवाज कांपती हुई): आह… सलीम… ये आप क्या कर रहे हो… उफ्फ… नहीं… ये ठीक नहीं है… प्लीज़…

सलीम (उसके सीने को हल्के से दबाते हुए): तुम्हारी चूचियां अब भी सख्त है। इसे छू कर बहुत अच्छा लग रहा है। इसे चूसने में बहुत मज़ा आएगा।

फिर सलीम ने धीरे से मम्मी की साड़ी का पल्लू पकड़ कर खींच लिया। अचानक हुए इस हमले से वो चौंक गई, और पलट कर देखने लगी। तभी उसकी साड़ी धीरे-धीरे उसके बदन से सरक कर नीचे गिर गई। शर्म से उसने तुरंत अपने बूब्स को दोनों हाथों से ढक लिया।

लेकिन सलीम अब खुद को रोक नहीं पा रहा था। उसने धीरे से उसके हाथ हटाए और बिना कुछ कहे अपना चेहरा उसके बूब्स के पास ले गया। वो हल्का सा कांपी, आंखें बंद कर ली, जैसे खुद को सलीम के हवाले कर रही हो।

सलीम ने उसके एक बूब्स को अपने होठों से छू लिया, और धीरे-धीरे उसे चूसने लगा। पहले तो वह थोड़ी झिझकी, लेकिन कुछ ही पलों में उसकी सांसें तेज होने लगी। अब उसके चेहरे पर अजीब सी शांति और सुख का एहसास झलक रहा था।

सलीम ने प्यार से बारी-बारी दोनों बूब्स को चूमा, चूसा, जैसे हर पल को महसूस कर रहा हो। मम्मी अब पूरी तरह उसी में खो गई थी। उसकी आँखें बंद थी, होंठ दांतों से दबा रखे थे, और वो सलीम के बालों में अपने हाथ फेर रही थी।

सलीम मम्मी की चूचियों को प्यार से चूमते हुए उसके पेटीकोट की डोरी खोल देता है। पेटीकोट फिसल कर पैरों के पास गिर जाता है। अब वो उसके सामने सिर्फ लाल पैंटी में खड़ी थी। उसकी आंखें झुकी थी, जैसे खुद को सलीम की नज़रों से छुपाना चाह रही हो।

सलीम ने मम्मी की झुकी पलकों को देखा, फिर खुद भी धीरे से अपना हाफ निक्कर उतार दिया। अब दोनों के बीच कोई परत नहीं बची थी, दोनों पूरे नंगे खड़े थे। मैंने देखा, सलीम का लंड पूरी तरह से उत्तेजित हो उठा था। उसकी नोक से कुछ गाढ़ा और चिपचिपा सा तरल बाहर आने लगा था, मानो उसकी तमन्ना अब और नहीं रुकी जा रही हो।

सलीम ने मम्मी को अपनी मजबूत बाहों में भर लिया। मम्मी का बदन हल्का-सा कांप रहा था, सांसें तेज़ थी, और आंखें अब भी बंद। सलीम उसके कान के पास जाकर फुसफुसाया: अब अपनी आंखें खोल भी लो।

मम्मी के होठों पर एक धीमी मुस्कान तैर गई, लेकिन उसने आंखें नहीं खोली। धीरे से बोली: मुझे आपसे शर्म आ रही है।

सलीम ने उसके गालों को हल्के से छुआ और उसकी गर्दन के पास अपने होंठ ले जाते हुए कहा: ये पहली बार है तुम्हारा मेरे साथ। लेकिन अगर आज तुम इस पल को दिल से महसूस करोगी, तो अगली बार खुद मेरे करीब आने से खुद को रोक नहीं पाओगी।

मम्मी की सांसें और भारी हो गईं। धीरे-धीरे उसकी पलके उठी, और जैसे ही उसकी नजर सलीम की आंखों से मिली वो खुद को रोक ना सकी। एक झटके में उसने खुद को सलीम के सीने से भींच लिया। उसका बदन अब खुल कर सलीम से सट गया था, जैसे हर दूरी खुद-ब-खुद मिट गई हो। उसकी उंगलियां सलीम की कमर में धंस गई, और उसके चेहरे पर अब झिझक नहीं, कोई और जज़्बा था।

मम्मी बिना कुछ कहे सलीम की नंगी पीठ पर धीरे-धीरे अपना हाथ फेरने लगी। उसकी आंखों में एक नरम सी चाहत थी, और उसके होंठ सलीम के होंठों के पास आने लगे। सलीम सब समझ गया, आज ये औरत बिना शब्दों के ही उसके करीब आना चाहती थी।

सलीम झुका और उसके होंठों को अपने होठों में भर लिया। वो एक पल के लिए भी पीछे नहीं हटा। धीरे-धीरे, पूरे मन से वो उसके होंठ चूमता रहा, जैसे हर चुम्बन में उसकी सारी भावनाएं पिघल रही हो।

क़रीब पांच मिनट तक यही सिलसिला चलता रहा। फिर सलीम थोड़ा पीछे हटा, और हल्की सी मुस्कान के साथ मम्मी से कहा कि वो नीचे बैठ जाए।

मम्मी ने अपनी आंखें बंद नहीं की। वो बिना किसी हिचकिचाहट के नीचे बैठ गई। लेकिन उसे अंदाज़ा नहीं था कि अब आगे क्या होने वाला है। सलीम कभी अपने लंड को मम्मी के मुलायम होठों के करीब लाता, तो कभी धीरे-धीरे उसके चेहरे की गर्म सांसों पर फिराता। उसके लंड से हल्की-सी रस रिसने लगी थी, जो अब मम्मी के होठों को भिगो रही थी। मम्मी ने जब होठों पर उस गीलापन को महसूस किया, तो उसने अनजाने में अपनी जुबान से उन्हें छू लिया, जैसे किसी अनकहे स्वाद को पहचानने की कोशिश कर रही हो। उसकी हरकत में कोई जल्द-बाज़ी नहीं थी, बस एक धीमा, डूबा हुआ एहसास, जैसे वो किसी पुराने सपने में उतर रही हो।

सलीम का वीर्य चख कर मम्मी के चेहरे पर एक हल्की, छुपी-सी मुस्कान उभर आई, जिसे सलीम नहीं देख पाया। वो बार-बार उससे मुंह खोलने की जिद कर रहा था। लेकिन मम्मी ना तो आंखें खोल रही थी, ना ही होंठ। सलीम अपने लंड से उसके चेहरे को छूते हुए उसे और भी उकसा रहा था।

जब काफी देर तक मम्मी सलीम का लंड नहीं चूसती, तो सलीम उसे खड़ा करके बेड पर पटक देता है। फिर वह उसकी पैंटी एक झटके में उतार कर उसे नंगी कर देता है।

मम्मी की चूत को देख कर लग रहा था कि वो भी उत्तेजित होकर अपना रस छोड़ रही थी। सलीम ने उसे धीरे से पकड़ कर बिस्तर के किनारे खींचा। वह खुद को ढीला छोड़ते हुए अपनी टांगें मोड़ कर पेट की तरफ ले आई। सलीम नीचे बैठ गया और धीरे से उसका मुंह चूत पर रुख किया।

उसने प्यार से चूत को छूना शुरू किया और फिर अपना मुंह उसके बेहद करीब ले जाकर उसे महसूस करने लगा। जब सलीम की जीभ वहां चलने लगी, तो मम्मी की सांसें तेज़ हो गई, और उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं। वो खुद को रोक नहीं पा रही थी।

मम्मी के होंठों से हल्की सिसकारी निकली: ऊह… सी… उफ़्फ़…

उसके बदन में एक लहर सी दौड़ गई। सलीम झुक कर धीरे-धीरे चूत की गरमी महसूस करने लगा। चूत की रेशमी त्वचा की गर्माहट को होंठों से चूमते हुए सलीम रुका नहीं, जब तक कि वह हल्के कंपन के साथ थरथरा कर झड़ कर शांत ना हो गई।

कुछ पल बाद सलीम उठा, और उसके लंड को मम्मी की चूत महसूस कराने लगा। मम्मी ने हल्की-सी मुस्कान के साथ आंखें खोली और उसकी आंखों में गहराई से देखते हुए चुप-चाप अपनी टांगे ढीली छोड़ दी, जैसे वो अब खुद को पूरी तरह उसके हवाले कर चुकी हो।

सलीम मम्मी की आंखों में देखता रहा और धीरे-धीरे अपना लंड मम्मी की चूत पर रगड़ने लगा। वो उसे तंग कर रहा था, पर अंदर नहीं डाल रहा था। मम्मी उसकी तरफ देखने लगी। वो होंठ काट रही थी और उसकी आंखों से साफ़ दिख रहा था कि वो बहुत बेचैन हो रही है।

सलीम बार-बार लंड को उसकी चूत पर रगड़ रहा था, लेकिन अंदर नहीं डाल रहा था। मम्मी तड़प रही थी, जैसे बिना पानी की मछली हो। वो चुदना चाहती थी, लेकिन शर्म की वजह से कुछ बोल नहीं पा रही थी। सलीम मम्मी की आंखों से उसकी हालत समझ रहा था, लेकिन वो चाहता था कि मम्मी खुद कहे।

आख़िर में, जब मम्मी से सहा नहीं गया, तो उसने अपनी टांगे फैला दी, और सलीम की कमर को जकड़ लिया। जैसे अब उसने बिना बोले सब कुछ कह दिया हो। सलीम ने धीरे से अपने लंड का टोपा मम्मी की चूत के अंदर रखने की कोशिश की ही थी, कि मम्मी ने अचानक अपनी टांगों से उसे कस कर खींच लिया। इस अप्रत्याशित खिंचाव से सलीम का आधा लंड उसकी चूत की गहराइयों में उतर गया।

लंड अंदर आते ही मम्मी की सांस जैसे अटक गई। उसके होंठों से एक लंबी और डूबती हुई सिसकारी फूट पड़ी: आ… ह्ह… उफ़्फ्फ…

जैसे उस क्षण ने उसकी रूह को छू लिया हो। मम्मी दर्द से तड़प रही थी। उसका आधा शरीर सुन्न पड़ चुका था। वह बेड पर पड़ी चादर को मुट्ठियों में जकड़े हुए थी, और होंठ भींचे, दांत पीस रही थी। जैसे कुछ सह पाने की कोशिश कर रही हो। लेकिन सलीम, जो खुद को चुदाई में माहिर समझता था, वो मम्मी की इस बेचैनी को समझ नहीं पाया।

वह मुस्कराते हुए बोला: तुमने तो कमाल ही कर दिया। बिना एक शब्द बोले, मेरे लंड को अपनी चूत में समा लिया।

मम्मी दर्द में थी। फिर भी उसकी तरफ देख कर हल्की-सी मुस्कराई। सलीम ने आगे कहा: मैंने अब तक जिन औरतों को चोदा है, वो सब मेरा लंड लेने को बेताब रहती थी। लेकिन तुम बिल्कुल अलग हो। आज मैं तुम्हे भी तुम्हारी बेटी की तरह ही खुश कर के घर भेजूंगा।

फिर सलीम ने मम्मी के पैर अपने मज़बूत हाथों से थाम लिए। उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी।‌ लेकिन मम्मी की आंखों में हलकी बेचैनी तैर रही थी। सलीम ने धीरे-धीरे लंड को चूत के अंदर उतारना शुरू किया। जब उसका आधा लंड ही अंदर गया, मम्मी का बदन एक झटके से सिहर उठा। उसकी सांसें तेज़ हो गई, चेहरा दर्द से तड़पने लगा।

मम्मी: उफ्फ… रुक जाओ… हां… बहुत तेज़ लग रहा है…

उसके होंठों से खुद-ब-खुद सिसकियां निकलने लगी।

मम्मी: थोड़ा धीरे… बहुत गहराई तक जा रहा है…

मम्मी की आंखें भींची हुई थी और सांसें बार-बार टूट रही थी। पूरे शरीर में जैसे कोई भारी लहर दौड़ गई थी।

मम्मी: आई… आह… हां… वहीं…

वो चाहती थी कि सब रुक जाए, लेकिन शरीर उसकी बात नहीं मान रहा था।

मम्मी: उफ्फ… क्या कर रहे हो तुम… बहुत दर्द रहा है…

हर बार जब सलीम अपने धक्के लगाता तो मम्मी की आवाज़ कभी धीमी, कभी तीखी हो जाती।

मम्मी: सी… हां… अभी मत रुकना…

मैंने देखा कि सलीम का मोटा लंड मम्मी की चुत के अंदर पूरी तरह से समा चुका था। वो चुत की गहराई तक जा चुका था। मम्मी का चेहरा साफ बता रहा था कि उसने इससे पहले कभी सलीम के जितना मोटा और लंबा लंड नहीं लिया था।

दर्द मम्मी के चेहरे पर अब भी था, लेकिन उसने एक बार भी सलीम से पीछे हटने को नहीं कहा। कुछ देर बाद उसकी सिसकियां हल्की हो गई। वो अब भी थकी हुई थी, लेकिन उसकी सांसों में एक अजीब-सी शांति उतर आई थी।
आप को अभी तक की कहानी कैसी लगी मुझे deppsingh471@gmail.com पर मेल करे।

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