Site icon Desi Kahani

Maya Ki Chut Ne Lagaya Chodne Ka Chaska – Part II

Maya Ki Chut Ne Lagaya Chodne Ka Chaska – Part II

सरोज: (मेरे लंड को पकड़ते हुए) वाव क्या मस्त मुसल हे….मजा आ जायेगा मेरी जाआअन्न्न्न्न्न्न्न्न्. माया की चूत को आज रात इतना ठोक की साली लाइन पे आ जाये..

सरोज: देख जीजू वेसे तो माया मेरा माल हे पर आज साली को इतना चोद हे की उसकी चूत का भोसडा बन जाये और उसे इतना चिर दे के साली दूसरी बार लोडे लेना भूल जाये. साली मुझसे भागकर कितना दूर जा सकी बोल.

वो मेरे लोडे को मुठियाने लगी ही थी की माया आकर बोली…

माया: एई सरू की बच्ची तूने सिर्फ देखने का वादा किया था. इसे छोड साली…. वो मेरा पति हे… तू साली सिर्फ आधी घरवाली हे समजी…छोड़ इसे….

सरोज: आधी उसकी और तेरी तो पूरी हू. और साली मादरचोद आधी तो हु ना….बस चूत चाटने काम आये और अन्दर की थोड़ी खुजली मिटा दे तो भी चलेगा…. क्यों जानू..????.

हमसब जोर से हंस पड़े और मेन गेट पे ताला लगा के हम कमरे में गए..माया ने अपने कमरे से दो बड़े बिस्तर को बाजु वाले बड़े कमरे में निचे डाल दिए थे ताकि किसीको बहार आवाज न आये.. वो कमरा अन्दर कोने में था और बड़ा साफ़ सुथरा और खाली था. वहा पानी की ठंडी बोतल, तेल बोतल और क्रीम पड़े थे. मैंने अपने जेब से पान और कंडोम भी वहा रख दिए. माया ने अच्छा प्लानिंग किया ताकी निचे तीनो आराम से सो और चोद भी सके.

सरोज बड़े प्यार से मुजे लिपट कर चूमने लगी.. धीरे धीरे उसने मेरा टी शर्ट को उतर फेका, उसकी जबान मेरे मुह घुस के चपक चपक चल रही थी. उसकी नशीली आंखे मेरी आँखों में तडपते हुए देख रही थी. गजब की प्यास थी और बड़ा गर्म था उसका बदन, सांसे तेज और वो वासना की मारी कॉप रही थी साली. अहिस्ता से उसने अपना एक हाथ से मेरी बरमूडा को जटके के साथ खीच निचे उतार दिया. में अब में केवल अपने काले निक्कर में था. उसने निक्कर के ऊपर से ही मेरे तने हुए लौड़े को दबोचकर मुझे तडपना सुरु कर दिया. में काप रहा था, मेरे बदन से मानो बिजली का २३० वोट का करंट पास हुआ हो, मेरे लंड में गजब की गुदगुदी हो रही थी और मेरे लौव्ड़े के अन्दर से जटके आ रहे थे. में आंखे मूंद पाव फेलाकर मजे ले रहा था, आह्ह क्या एहसास था..!! तभी माया ने उसको पीछे से जकड़ा और उसकी चुचिया पिछेसे जोर से रगड़ते हुए उसके कंधे को चूमना सुरु कर दिया. सरोज की यह कमजोरी वो जानती थी, सरोज एकदम कसमसा उठी और उसने मुझे छोड़ माया को लपका.. जोकि उसकी फेवरिट थी. उसने जोर से माया को अपनी बाहों लिया और उसे लिप लॉक किस कर दी. और अपनी जबान उसके मुह में डाल माया की जबान को जोर से खीच बड़ी बेदर्दी से उसे चूस रही.. दोनों जोस में एक दूसरेको बेतहासा चूमने लगी और में तो बस साइड कलाकार हो कर दोनो तड़प और प्यार महसूस कर उसे देखने का लुफ़्त ले रहा था. दोनो एक दुसरे की जबान को चूसे जा रही थी. चप चप पुच पुच. चप चप गपक गपक गपाक, साथ में अहिस्ता अहिस्ता मीठी आहे बहर रही थी..ऊऊम्म्म…..स्स्सल्ली इस्सस मा….आउच…आःह्ह्ह, काट मत…सुरु..उम्म्म्म सी स चप चप चप पुच…पचाक..चप सी सीस स्स्स्स माँ.. या… तू…. ने…… मु… जे…. इ.. तना….. त.. ड…. पा.. या… क्यों…….. जा…. न…. आह्ह्हह्ह. वो दोनो इतनी मदहोश होक चूम रही थी के शायद मुझे भूल गयी हो…सरोज माया के बालो को तो कभी उसके मांसल बूब्स को सहलाते सहलाते धीरे धीरे उसके गाउन की ज़िप खोलने लगी और उसने माया की गाउन फक से उतार फेकी. माया ने अन्दर कुछ नहीं पहना था तो साली पूरी की पूरी नंगी हो चुकी. माया को नंगी देख सरोज और भी नशे में मस्त हो गयी. वो उसके को पागलो की तरह उसके बड़े बड़े जुलते स्तनों को जोर दबोच उसकी गुलाबी टाइट निप्पलो काट ने लगी…

माया: आउच…सुरु यार धीरे…खून निकलकर पी जाओगी क्या??? ओह्ह्ह्ह सुरु मजा आ रहा हे…. यार तेरे काटने से मेरी चूत में लवक लवक जटके आ रहे हे, अन्दर गुदगुदी होती हे.. अरे साली रंडी धीरे…..ओह्ह्ह्ह माँ फिर काट लिया सीस सीस ओह्ह माँ….. सीस आआआआआआआह्ह्ह..

सरोज उसे भूखी शेरनी की तरह बेदर्दी से नोच के खा रही थी…मैंने सोचा अगर औरते ऐसे आपसमे चुदवाने लगी तो साला हम मदों का क्या होगा… पर असल में सरोज माया को मेरे लिए तैयार कर रही थी.. उसे एक्दम गर्म कर राही थी और बिच बिच में मुझे आख मर रही थी…

कमरे में तो बस आहे, हलकी चीखो से गूंज रहा था….पुच……पुच.. उम्ह्ह्ह अहह इस्स्स्सस, आःह्ह्ह मेरीईईइ माआआयाआअ ऊह्ह्ह्ह पुच.. पुच्च्च्च.. चप्प्प्पप चु चु ऊऊह्ह्ह.. चूऊ…. त….. पा…. नी….छो…. ड…. र.. ही… हे… छोड़ सा… ली… में.. क्या… चु…. द्वौ.. उ…… गी….

सरोज: माया मेरी जान तूने मुझे बहोत तद्पाया माआअ ओह्ह्ह….. उसने गापक से उसकी चूत में अपनी ऊँगली घुसाई और गाली देते हुए…साली चिकनी चूत…. तू तो मरेगी.. साली….मादरचोद..

सरोज ने माया की गुलाबी उन्नत और कठोर निप्पल मुह में ले कर जोर जोर से काटते हुए चूसने लगी और बाये स्तन को घुमाघुमाँ कर दबोच रही थी. मुझे लगा माया मर जाएगी….माया आंखे बन्धकर सिसिया रही थी.

माया: ऊऊह्ह्ह मेरे लला ओह्ह्ह सुरु मुझे कंपकपी और मीठा दर्द हो रहा हे…. विकी तू भी आजा मेरी जान…वरना यह मुझे आज तेरे हाथ में नहीं…आआ ने देगी…आज वो अपनी भड़ास निकालेगी रंडी साली….

सरोज: आजा .. मेरे छोटे जीजू आजा…चल तुजे चोदने अच्छे अच्छे दाव सिखादु आजा …..

मेंने जाके माया के बाये स्तन को अपने मुह में लिया और अपने एक ऊँगली उसकी भारी चुतड के बिचमे उसकी गांड की छेद घुसने लगा और सरोज की तरह उसकी चुचिको दबोचते हुए थोडा और जोर से खीच खीच उसकी निप्पलो को चूसने लगा…मुझे भी नशा चढ़ गया था और में भी पागलो की तरह उसकी गांड के छेद खोल खोल उसमे ऊँगली घुसा रहा था. माया को बुरी तरह से दबोचकर मानो उसका रेप कर रहे थे पर वो माया को दुगना आनंद दे रहा था. वो नशे में चिल्लाने और आहे ले ने लगी और जोस में आके उसने सरोज की नाईटी खोल कर उतार फेका दिया. साली चुद्दाकड़ ठहर अभी चीरती हु तेरी चूत और गांड….वो दोनों नंगी और मस्ती में थी और दोनो के मस्त कुल्हे पीछे से थपक थपक जुल रहे थे. वो कभी मुझे तो कभी सरोज को..

माया: व्वव्व्वीक्क्कक्की ल्लाआआअ चूस बस ऐसे ऐसे ही… आआआआआआआह्ह्ह सुरु चूस साली अबतो तुजे मेरे पके आम खिला रही ऊह्हऊऊऊऊऊऊ आआह्ह्ह्ह स स स स स सी सीस सी सी साली कबसे मेरे पीछे पड़ी थीईइ. ओह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह्ह्ह लालाआआआ उम्म्मम्म हां हा ऐसे…जोर…. से….. साआली सुरु आज तूने मुझे खा ही लिया हरामखोर…..आआआआआज्ज्ज ओह्ह्ह्हह्ह ऊऊम्म्म उह्ह्ह सी स स सी सीस सी सीस…. साली चूत में तेरे नाख़ून चुभते हे अहिस्ता….मुझे कुती समजा हे क्या…उसने सरोज के चुतड पर जोर से चपत मारी ठपाक………. सरोज उसकी दुश्मनी माया की चूत पे उतर रही थी. उसने एक की जगह दो उंगलिया घुसेड दी गापाक……

वो सरोज के चुतड को अपनी हथेलियो से जोर जोर से थोक रही थी थप थप थप और उधर उसकी मस्त चूत से चिकना पानी बह रहा था. इस चिकनाई ने उसकी गुलाबी चूत को और सेक्सी बना रही थी. वो बड़े जोस में चील्ला रही थी, उसकी चूत में जटके आ रहे थे, और वो बारी बारी अपनी आंखे मुद कर अपनी चूत की ऊपर भग को ऊँगली से खुजा रही थी.

माया: चूस साली रंडी पुर्र्र्ररी करले आज तेरी इच्छा आआआआआअह्ह्ह्ह सा……..ली जोर से काट…. फाड़ दे मेरी चु……अह्ह्ह्हह्ह. सरोज ने चूत से ऊँगली निकालकर उसे चाट ने लगी… उसने ऊँगली निकाली तो मैंने घुसेड दी..गप्प्……

माया: ओह्ह्ह्ह लल्ल्ला अहिस्ता….. ऊपर ले रगड़,,,,,हां आआआआआआआह्ह्ह जोर से ललाआ आआआआआआआह्ह्ह……जोरसे ऊपर की और…. हा.. बस वहा… जल्दी…कर…बस ऐसे…..आह्ह्ह माआआयाआअ …..ऊऊफ़्फ़्फ़ सीस सीस ….आ….गे….ज…रा…औ….र…द..बा..के…. र….गड़……हा बस वही…..यस….हा बस वो……मसल……….हाफ्ते हुए…हां ब..स..उफ्फ्फ सी सी इसी तरह……वाओ ….आआह्ह्ह

सरोज उसकी चुचियो को अपने दांतों से काट ने लगी थी. माया अब एक हाथ से कभी मेरे बालो को तो कभी लौव्ड़े को सहला रही थी और एक हाथ से सरोज के मांसल कुलहो को अपनी हथेलियों से थोक रही थी. ठाप ठाप ठाप ठाप ठाप….. एक तरफ चूसने की आवाज़ पुच पुच पुच पचाक चप चप स्लर्प स्लर्प पच …..उधर सरोज सरोज की गर्म सांसे उसकी चूची से टकरा रही थी… वो पागलो की तरह माया को चूसे ही नहीं खाये जा रही थी…

पुच चप स्लर्प स्लर्प चिट चु चप चप चप उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सी सीस सी. कमरा दोनो की मीठी आहटो से गूंज रहा था. क्या नशीला माहोल था!!!!!. मेरी पहली चुदाई और वो भी दो दो लडकियों से… आज मुझे स्वर्ग का आनंद मिल रहा था. मुझे सीमा याद आ रही थी…

माया: आआह्ह्ह्ह उईई ओह्ह्ह आआअ माआआ ऐसे ही जोर से खाजा स्स्स्सूउर…. ललाआआ खीच के चूस आह हाआअ ओह्ह्ह्ह

सरोज ने उसे धका देकर बिस्तर पे सुलाया और मर्दों की तरह उसपे चढ़ कर उसकी दोनों भारी चुचिया रगड़ते रगड़ते मुझे कहा….

सरोज: (हाफ्ते हुए, कम्पते स्वरों में) आजा मेरे छोटे दुल्हे तुजे अब चूत चुसना सिखादु.. उसका चेहरा लाल हो गया था. वो काप रही थी, बड़े ही नशे में थी. उससके कुल्हे लाल चटक हो गए थे. उसने माया के कुलहो को उठाया और निचे तकिया रखा ताकि उसकी चूत का छेद ठीक से ऊपर आये और खुल के फूल की तरह खिल जाये.. मैंने पहेली बार इतनी नजदीक से चूत के लाल चटकक फाको को देखा… ओह्ह्ह्हह्ह क्या मस्त चूत थी माया की…. उसकी गुलाबी कसी हुई चूत के ऊपर की लाल पंखुड़िया एकदम बन्ध थी उसे सरोज ने खोला. वो शिलपैक माल थी यारो. अब मुझे ग्यात हुआ लड़के चूत के पीछे इतना पागल क्यों हे..!!!!?? उसकी चूत को देख मेरे मुह में पानी आ गया , मेरे लंड का तो हाल बहोत बुरा ही था. उसपे जटके आया रहे थे और वो तन के निक्कर पे अपना सर याने सुपाडा थोक रहा था. उधर माया और सरोज की चूते चीकना पानी छोड़ रही थी, उसकी कसी हुई चूत मुलायम जाट से ढकी और भी मस्त लग रही थी जिसे देखकर मेरा लंड जटके देता हुआ ऐसा तन गया की मुझे लगा इसके अन्दर का खून लंड की नसों को फाड़ कर बहार आ जायेगा. उसके मखमली जाटे भी चूत के पानी से गिले थे. सरोज ने उसकी उभरी गुलाबी चूत की पंखुड़ी को लपक के अपने मुह में ली तो वो चीलाई. इस्स्स्स, उईईईए……. सरोज उसपे अपनी जबान बड़े प्यार से घुमा कर रगड़ रही और उसे तडपा रही थी. वो अपने दातो को उसपे दबाते हुए…

सरोज: स्स्सल्ल्ली आज तुजे काट के खाउंगी ले साली मादरचोद… मुझे तूने बहोत ललचाया पर…. ले साली रंडी.

सरोज ने अपनी जबान को नोकिली कर माया की चूत के फाको को चोदने लगी, और…. में उसको बड़ी बेताबी से उसे देखकर चूत चाटना शिख रहा था. सरोज बड़ी बेदर्दी से माया की चूत काट काट के चूस रही थी और अन्दर अपनी जबान घुसेड रही थी. बड़ी हेवान हो कर उसे काट रही और खुद भी तड़प रही थी. एक भूखी शेरनी जैसे हिरन को काट काट के खा रही हो…

सरोज: आआह्ह साली माया तेरी चूत का रस काफी मीठी हे. उम्म्म्म ला इसे खा खा के चिर दू….

लपक लपक चप चप चप गपक गपक गपाक…. चप चप सी सी स स स स स.

माया: ओह्ह्ह्ह साली मदरचोद… मुझे अन्दर जटके… आआ रहे हे उईई मा स स स स स स सी सी सीस सीस सीस उफ्फ्फ्फ़ जोर से लालाआअ अआजा मुझे अपनी बाहों में ले ले अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह सुसुस्सूरूरु मुझे बहोत कुछ हह ह्ह्ह हो रहा हे हे सीस सी सीस इस्सस सीस इस्स्सस ओफ्फ्फ्फ़ आःह्ह्ह स.आआआआआआआह्ह्ह.

मेने भी कस के उसकी निप्पल को मुह में लेके काटना सुरु किया तो वो उछल पड़ी और वो अपने पैरो से सरोज का चेहरा दबोच कर चूत की तरफ दबाने लगी और मेरे सर को खीचकर अपने चुचियो की और दबाने लगी….

माया: मम्मा आआआआआआआह्ह्ह उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ हेईई आऔच…..आह्ह्ह सीस इसी तरह ज्जोर्र्रसे जोर से ऐसे चूस लअला लल्ल ओह्ह्ह्ह माँ में मर गयीई ह्हहहहह ऊऊम्म्म सु….रु… विकी ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह मा….र…. दो…….गे हा हा हा हा सुरु तेरे दांत चुभते है साली मार देगी धीरे आआअह्ह्ह्ह सु ऊऊउ ह्ह्हह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हम्म्म्म सु सस उस उस स स स स सु सी सीस सीस सीस

माया की चूत और चुचियो की एक जोरदार और जबरदस्त चुदाई हो रही थी. वो मछली की तरह तड़प रही थी.. कमरे में एक जोरदार जंग चल रही थी और नशे का आलम था. दोस्तों, यह कहानी लिखते हुए इतने सालो बाद भी मेरा लंड कड़ा हो कर पानी छोड़ रहा हे में तुम्हे क्या कहू..

वो अपने कमर ऊपर उठाकर सरोज को और मेरे चेहरे को अपने स्तनों पर दबाकर आंखे बन्धकर कम्पते हुए लब्जो से हमें थैंक्स कह रही थी और सरोज को गालिया भी दे रही थी.

माया: स्स्सल्ली रंडी ने आखिर मुझे नहीं बक्शा अह्ह्ह्हह्ह साली मुझे आखिर चोद के ही छोड़ा…. ओह्ह्ह विकी खाजा मेरे लाल हह्ह्ह्हा आःह्ह्ह uऊऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़ चाट साली…. बना दे मेरे विकी को भी एक नंबर का पति, साली तू जानती हे एक औरत को कैसे सुख दिया जाता हे.

वो सरोज को बिच बिच में पिट रही थी. और सरोज उसका बदला चूत से ले रही थी. कमरे मीठी सीत्कार और चूसने आवाज़ थी बस….

चप चप मुह्ह्ह्ह आआह्ह्ह सी सी सी सस उस सीस सीस सस माँ ह्ह्ह्हह खा साली खा ….सीस ईईस ईईस्स्स ओह्ह्ह्हह माँ सुरु ऊऊऊ विकीईईईईईई बस ऐसे सिख गया मेरे लाल्ल्ला वाह्ह बस ऐसे ऐसे अह्ह्ह्ह ह़ा तुम दोनोनोनो अह्ह्ह्ह मु….जे…… की……त…..ना…… आ…..न….द दे र…हे…हो कमीनो आआआअह सी सीस सीस चपक चपक चपक गपाक गपाक चु चु चप चप……उईई सीस…….

लगभग ८-१० मिनट हम उसको रेंगते और बेदर्दी रगड़ते रहे…पता नहीं अब मुझे भी माया दया नहीं आ रही थी. में भी अपने दांतों कश्मशाके उसे रेंग रहा था..

माया: हा ब…..स… ऐसे अह्ह्ह अह्ह्ह इस्स्स्सस्स्स ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ल….लाआआआआअ ह्ह्हह्हह्ह्ह्सिस

अंत में उसका पूरा बदन एक दम अकड़ा और उसने खीच के मुझे बुरी तरह से अपने चुचियो पे दबोचा और जोर से चिलाई…आआह्ह्ह्ह सी सीस सीस लला कस के………..ओह्ह्ह्हह माँ आआआआआआआह्ह्ह और जोरदार जटको के साथ कापते हुए, अपने पैरो को सिकुड़ते हुए जड़ गयी….

माया: हाआआआआअ माआअ सु सस रू में मरीईईईईई ईईई ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़ विई लाआअ मुझे अपने स्तनों पे जकड़ के जड़ गयी…….. उसने सरोज के मुह में अपना गरमागरम कामरस छोड़ दिया.. सरोज बड़े प्यार से कुतिया की तरह अपनी जबान से उस्क्की चूत चाट रही थी….

माया: माँ……………..में मरीईईईई ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फ्फफ्फ्फ़

मैंने उसके होठ पे अपने होठ जड़ दिए और उसे चुप करा दिया…

माया आंख बन्ध कर बिस्तर पे ढेर हो गयी… उसे पसीना छुट गया था.. वो जोरो से हाफ रही थी, उसका तनबदन तप के लाल लोहा बन के हमें जला रहा था. वो ऐसी बिलकुल नंगी मचलती मछली सा तडपते हुए शांत हो गयी…. उसकी आंखे बन्ध थी और में उसकी जोरदार लपेट में था… इस अवस्था में वो और भी मस्त लग रही थी.

सरोज: देखा मेरे राजा चूत ऐसे चाटते हे. अब तुजे मेरी चूत ऐसे ही चाटनी हे. माया की छाती से खीचकर उसने मुझे अपनी नंगी छाती से चिपका कर मेंरे गले को चुमते हुए दातो से मेरे कंधे और गले को काटा तो मेरा तना हुआ लाल चटक लवड़ा ९० डिग्री के ऊपर खड़ा हो गया. में कांप उठा…
में: ऊफ्फ सुरु…..अहिस्ता आह्ह्ह्ह

वो घुटनों के बल बैठ गयी और मेरा निक्कर खीचके मुझे भी पूरा नंगा कर दिया. मेरा ६ इंच बड़ा लाल चटक लंड बहार आते ही जुलने लगा. उसने लपककर मेरे लंड को अपने मुह में खीच लिया (जैसे नाग चूहे को खा लेता हे..) वो मेरा लंड पूरा का पूरा अपने मुह में घुसेड़कर अन्दर उस पर अपनी जबान रगड़ रही थी. वो मेरे लौव्ड़े को अपनी गीली जबान से मलते हुए खीच खीच कर चूस रही थी.

चप चाप पुच पुच की आवाज़ आने लगी.. साली थकती ही नहीं थी. बस पुच पक पक पुच चप गप्प गपाक गपाक गप्प पूउच पुच्च्च पुच्च्च पुचच्च्च्च चप चप गु गुप गुप….की आवाज़ आ रही थी. में बहोत तड़प रहा था…मेरे लंड में सनसनी हो रही…थी में कही का न रहा… में खड़ा भी नहीं रह सकता था… ओह्ह्ह्हह सस.सु…रु….में…री…जा…न………..

में भी जोस में आके उसका चेहरा पकड़ कर उसे आगे पीछे करने लगा. कमरे में बस पु..च.. प..क पक पु..च प…क पु….च. मेरी आंखे बन्ध थी और सांसे तेज, एक जबरदस्त चिंगारी मेरे लंड पे लग रही ऐसा एह्सास मुझे कभी बही मिला, बिजली का जटका मेरे लंड पे जटके दे दे कर उससे एक मीठा दर्द दे रहा था.. पु…च पु…च प्चुह पक पक स्लर्प स्लर्प स्लर्प स्लर्प पुच पुच….. निचे उसकी चुचिया और उपर से चुतड हवा में जुल रहे थे.. वो तो बस मेरे लंड को खाए जा रही थी. क्यो ना हो.. ६-७ महीने बाद उसे ऐसे बिना जाटे कर ६ इंच का मस्त लंड चोदने को मिला था. वो कोई मौका गवाना नहीं चाहती थी. एक तरफ मेरा लंड और एक तरफ माया उसकी जान जो उसे बड़े अच्छे नसीब से आज अच्छी तरह से मिल गयी थी. वो तो बस पुच पुच पपुच पक पक पक चप चप चप……..

अचानक उसने मेरे लोडे को बहार निकाल और चीलाई……

सरोज: साला तू जड़ता क्यों नहीं….??? इतना बड़ा लौड़ा मेरी जान लेगा क्या…

एसे में कैसे जड़ जाता… मुझे माया ने थोड़ी देर पहले ही मेरे लंड को चूसचूस के जड़वाया था. पर सरोज बहोत ज्यादा आनंद दे रही थी. उसकी चूत भी एकदम गीली थी. उसपे एक भी बाल नहीं था उसकी गुलाबी चूत भी बड़ी सुदर दिख रही थी. मेरा लंड एक दम टाइट हो के लोहा हो गया था. और वो थक गयी थी. उसे और कुछ न सुजा तो उसने साइड पे पड़ी तेल की बोतल उठाई और उसमे से तेल निकाल कर मेरे लौड़े पे उसे जोर से मलने लगी…

जब मेरा लंड एकदम कड़ा लोहे जैसा और तेल से जोरदार चिकना हो गया तो उसने मुझे माया की और लेके इसके पैरो के पास घुटनों के बल बिठा दिया.

सरोज: चल मेरी मायादेवी सुहागरात के लिए तैयार हो जा…. तेरा असली साजन तेरी चूत में अपनी बारात ले जा रहा हे…..

माया: (अपनी नशीली आंखे खोल लाचारी से बोली) यार अहिस्ता से में तुम दोनों की प्रेमिका हु…. जरा प्यार से…दुखेगा यार….

सरोज: दुखेगा क्या इस्ससे तो चिरके फाड़ देना हे साली हरामखोर लंड देखा तो चुदने तैयार हो गयी पर मेरी एक न मानी.. मेरी चूत से तुजे क्या कांटे लगने वाले थे? रुक साली रंडी….

माया: यार ऐसा न बोल…. प्लीज मेरी जान जरा दया रख अपनी जानू पर…

सरोज: तो मेरी जान जरा अपनी टाँगे फेला कर थोड़ी ऊँची कर और अपना बदन एकदम ढीला छोड़ चल हम अहिस्तासे करेगे… हे न जीजू..!!!!

माया ने तकिये पे ही अपनी टाँगे फैलाई और चूत के फाको को चोडा किया..लाल चटक गीली मुलायम जाटो से ढकी चूत मेरी मौत बन रही दोस्तों..

सरोज ने मुझे माया पैर फेलाकर उसके बिच घुटनों के बल बिठाया, मेरे लंड का सुपाडा उसकी चूत के मुह पे सटा कर…..

सरोज: चल छोटे जीजू….फाड़ दे साली की बुर…..पेल साली को बिना रोके पेल दे….मेरे लला… (उसने मुझे जोर से चूमा और पिछेसे धक्का दिया….).

मेरे मन में उसकी (मायाकी) छोटी सी कसी हुई गुलाबी बुर देख दया आई, मैंने अहिस्ता से अपना लंड उस्क्की गीली बुर के फाको पे दबाया तो वो फ़िसल के साइड में हो गया… और माया आंखे बन्धकर कंपकंपाती अपने दांतों से होंठो को दबाके मेरे लंड के वार की मानो राह देख रही थी. अभी भी आंख बन्धकर अपने होंठो को दबा के मस्त सो रही की सरोज में गर्म चिकने लोहे को चूत के मुह पर फिर से टिकाकर मेरे कुलहो को जोर से धक्का मारा तो मेरा आधा लंड माया की कोमल कसी चिकनी गीली चूत की जिल्ली फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया… सरोज बड़ी मस्त होते हुए अपने दांतों को पिसते हुए….

सरोज: ठोक साली चुडेल रंडी को… ठोक ठोक इतना ठोक की उसकी बुर का भोसडा हो जाये …..(वो दांतों को पिस कर माया पे जपतने को कह रही थी). साली ने मुझे बहोत तडपाया हे.

माया: ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह मआआआआआआआह्ह्ह में मर गयी सालो…… ओह्ह्हह्ह्ह्ह माँ फाड़ दी ओह्ह्ह्ह स स स स रोज ……. ये क्या किया साली मुझे बोल तो सही … उसके पैर कम्पकापा ने लगे थे. उसकी आँखों में पानी आ गया, वो दर्द के मरे छटपटा रही थी और अपनी बुर से मेरा लंड बहार करने की नाकाम कोसिस करने लगी.. मुझे दया आ गयी. में अपना लंड निकाल रहा था की सरोज और एक जोर धक्क्का मारा और कहा…

सरोज: साले अनाड़ी अब मत निकाल… निकाल के फिर से डाला तो फिर और भी दुखेगा बस्स अब्ब तो हो जायेगा तू इसे घुसेड ही दे…. फाड़ दे साली की चूत…….. बहोत गुमान था ना तुजे अपनी चूत पर….. ले साली लेती जा चुद अब्ब….. विकी बनादे इसकी चूत चिर के उसको भी भोसड़ा…दोनो टपके लाल लोहे जैसी हो गयी थी और बापरे माया चूत इतनी गरम थी……….ओह्ह्ह

अगला एपिसोड बहोत जल्द आएगा बाय… प्लीज मुझे मेल करे ….

दोस्तों मेरी ईमेल आई डी है “picaso.360001@rediffmail.com”। कहानी पढने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट्स में जरुर लिखे। ताकी हम आपके लिए रोज और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सकें। डी.के

Exit mobile version