Site icon Desi Kahani

सरकारी स्कूल के मास्टर ने मम्मी को चोदा (Sarkari School Ke Master Ne Mummy Ko Choda)

मेरा नाम मनीष है, और मैं अभी 20 साल का हूं। मेरी मम्मी का नाम सुनीता है, और वह अभी 40 साल की है। मेरी मम्मी दिखने में बहुत ही ज्यादा सुंदर और सुशील है उनका रंग गोरा और बदन छरहरा है।

मम्मी की यह सुंदरता का भोग केवल पापा ही लगाते थे। जब रात को मम्मी सोने जाती, तब पापा अच्छे से चोदते थे। लेकिन पापा भी हमेशा घर पर नहीं रहते हैं। वह काम के सिलसिले में बाहर रहते थे।

मम्मी का यह गोरा बदन केवल पापा के लिए था। क्योंकि वह बाजार जाती तभी लोग देख पाते थे, इसके अलावा घर से बाहर वह बहुत ही कम निकलती थी। हमारे घर के पास एक सरकारी स्कूल है जहां पर एक नया मास्टर आया था। उस दिन मैं बाहर ही खेल रहा था तब वह आया।

दिखने में वह 45 या 50 साल का लग रहा था। मुझे अपने पास बुला कर मेरे बाल को सहलाते हुए बोला-

सर: बेटा तुम्हारे घर में कौन-कौन लोग हैं और तुम किस क्लास में पढ़ते हो?

मैं: मेरे घर में तो मेरी मम्मी है। पापा बाहर रहते हैं मैं अभी कॉलेज में प्रथम वर्ष में पढ़ता हूं।

सर: बहुत अच्छी बात है। ऐसे ही मन लगाकर पढ़ाई किया करो और खेल खुदा करो। मैं तुम्हारी मम्मी से बातें करना चाहता हूं। तुम जरा अपनी मम्मी को बाहर बुलाओ?

फिर मैं अपनी मम्मी को बाहर बुला लाया। तब उन्होंने मेरी मम्मी को देखते ही नमस्ते किया। मेरी मम्मी ने भी अपनी साड़ी के पल्लू को सर पर रख कर उन्हें नमस्ते किया, और उन्हें अंदर ले आई। फिर उन दोनों में बात-चीत हुई और सर ने बताया कि वह नए-नए यहां पर आए हुए थे। तो लोगों से बात-चीत कर करके परिचय बनाना चाहते थे।

मम्मी भी उनसे काफी खुल कर बातें कर रही थी। वह आते ही अपनों से लगने लगे थे। मम्मी अपनी उन्हें चाय दी और बोली-

मम्मी: सर आप तो यहां पर बच्चों को पढ़ाने के लिए आए हुए हैं। स्कूल से मेरा ही घर नजदीक है तो आप सुबह थोड़ा जल्दी आ जाइयेगा, और हमारे घर चाय पी लीजिएगा। उसके बाद आप बच्चों को पढ़ लीजिएगा।

मम्मी के हंसमुख और गोरी चेहरे से सर का तो नज़र ही नहीं हट रहा था।

सर: अरे आप कैसी बातें करती हैं! आप बुलाएं और हम ना ऐसा हो सकता है। और क्या मैं आपका नाम जान सकता हूं?

फिर मम्मी हंसते हुए अपनी नाम सुनीता बताई, और उसके बाद सर चले गए। फिर रोज वह सर पढ़ाने के लिए स्कूल आते, उससे पहले मेरे घर चाय पीते। पापा रहते तो पापा के साथ बातें करते, नहीं तो मम्मी के साथ बातें करते। ज्यादातर वह मम्मी के नज़दीक जाने की कोशिश कर रहे थे। मम्मी भी उनसे अब हंस-हंस कर बातें करने लगी थी।

सर लंच ब्रेक में जब सारे बच्चे खेल रहे होते थे, तब वह मुझे अपने पास बुला कर बोलते थे कि जाओ अपनी मम्मी को बुला लो कुछ काम है। फिर मैं मम्मी को बुला लाता था। फिर वह दोनों बैठ कर आपस में बातें करने लगते थे। मम्मी को भी काफी उनके साथ अच्छा लग रहा था। सर मम्मी से बातें करते हुए कभी-कभार उनकी जांघों पर हाथ रख देते। मम्मी इन सब को इग्नोर करके उनसे बस हंसती हुई बातें कर रही थी।

इसी तरह कई दिनों तक चलता रहा, कि एक दिन मैंने मम्मी से उनकी बात करते हुए सुना घर पर। मम्मी अपनी नज़रें झुका कर उनके सामने बैठी हुई थी और बोल रही थी-

मम्मी: सर इस तरह से हम दोनों का पास आना ठीक नहीं है। मैं एक शादी-शुदा महिला हूं, और आप भी हमारे यहां के मास्टर हैं। यदि हमें किसी ने इस तरह देख लिया, तो बहुत ज्यादा बदनामी होगी। गांव में तो आप जानते ही हो कितना बदनामी होती है।

सर: हां सुनीता जी मैं जानता हूं। मेरे साथ के टीचर भी बोलने लगे हैं कि क्या आपका और सुनीता जी का कुछ चल रहा है क्या, और हंसने लगते हैं। मुझे थोड़ी यह बात बुरी तो लगती है, पर मैं चुप हो जाता हूं। क्या ही बोल सकता हूं?

इस पर मम्मी ने कुछ नहीं बोला। तब सर मम्मी के पास जाकर बैठ गए, और उनकी जांघों पर हाथ रख कर हल्के से सहलाते हुए बोले-

सर: सुनीता जी दुनिया तो वैसे भी बातें बना ही रही है। हमें दुनिया वालों की नहीं सुननी चाहिए। और हमें थोड़ा चौकन्ना भी रहना चाहिए।

मम्मी को सर के साथ अच्छा लग रहा था। मम्मी चुपचाप बैठी थी, और सर मम्मी की जांघों को सहला रहे थे, और धीरे-धीरे उनके नजदीक और ज्यादा बढ़ते जा रहे थे। मम्मी ने सर का हाथ पकड़ लिया जब सर ने अपने हाथ को जांघों से होते हुए मम्मी की बुर तक ले जा रहे थे।

फिर मम्मी वहां से उठ खड़ी हुई। तभी सर ने मम्मी का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा, और अपने सीने से लगा लिया। मम्मी अपना सिर सर के सीने पर रख ली, और मुस्कुराते हुए हल्की मध्यम आवाज में बोली-

मम्मी: सर प्लीज छोड़िए ना। कोई देख लेगा तो बहुत बड़ा अनहोनी हो जाएगी।

सर ने मम्मी की बातों को अनसुना करते हुए उन्हें अपनी बाहों में भर लिया, और अपने हाथ को धीरे-धीरे मम्मी के नितंबों पर ले जाने लगे। मम्मी भी उनसे चिपकी हुई थी, और उनकी सांसे अब तेज़ हो रही थी, धड़कनें बढ़ रही थी।

सर: सुनीता जी वैसे भी स्कूल की छुट्टी हो चुकी है। अब हमें यहां कौन देखने वाला है? मैं शाम को घर जाऊंगा आज। इससे पहले मैं आज आपके साथ थोड़ा प्यार करना चाहता हूं?

मम्मी शरमाते हुए अपने सिर को उनके सीने में छुपाई हुई थी, और उनके गले लगी हुई थी। सर उन्हें अपने बाहों में भर कर उनके नितंबों को हल्के-हल्के सहला रहे थे। तभी मम्मी बोली-

मम्मी: कहीं कोई आ गया, और हमें देख लिया तब क्या होगा?

सर: सुनीता जी आप चिंता मत करिए। मैंने दरवाजा को ठीक से बंद कर दिया है, और सारे बच्चे भी घर चले गए हैं।

मम्मी उनकी बात सुन कर आश्वस्त हो गई, और उसके बाद मम्मी को सर ने वहीं टेबल पर बिठाया, और मम्मी के सर को उठा कर अपने होंठ मम्मी के होंठ से लगा कर चूसने लगे। थोड़ी देर तो मम्मी वैसे ही उनके होंठों में होंठ डाले रही। फिर मम्मी भी उनके होठों को चूसने लगी और अपने हाथों को उनके पीठ पर चलाने लगी।

सर खड़े हुए थे और मम्मी टेबल पर बैठी हुई थी, और सर उनके होंठों को कस रहे थे, और अपने हाथ को धीरे-धीरे मम्मी की चूचियों के तरफ ले जा रहे थे। जैसे ही सर ने मम्मी की चूचियां दबाई मम्मी के मुंह से बहुत ही मादक आवाज निकली। सर ने मम्मी के होंठों को अपने होठों से बंद कर दिया, और मम्मी की चूचियों को दबाने लगे।

मम्मी अब पूरी तरीके से गर्म हो गई थी। सर का पूर्ण रूप से साथ दे रही थी, और सर मम्मी के मुलायम गालों को चूम रहे थे, और फिर लाल-लाल होठों को चूस रहे थे। वो कभी गर्दन को चूमते, तो कभी हाथ को चूमते। इसी तरह मम्मी के ब्लाउज से उनके दोनों चूचियों को निकाल कर चूसना शुरू कर दिया।

फिर सर ने अपनी पेंट उतारी, और अपने लंड को निकाल कर हिलाते हुए मम्मी को चूसने को बोलने लगे। पर मम्मी मना करने लगी। तब सर ने मम्मी की साड़ी को कमर तक उठाया, और उनकी पेन्टी को निकाल कर मम्मी के चूत को चूसने लगे। मम्मी तो जैसे आंखें बंद करके आसमान पर पहुंच गई। उनके सिर को सहलाते हुए मम्मी आंखें बंद करके अपनी चूत चटवा रही थी।

फिर सर ऊपर उठे और मम्मी की बुर पर अपना लंड रखा, और धीरे से पेल दिया। मम्मी के मुंह से बहुत ही मादक आवाज निकली, पर सर ने उनके मुंह को अपने मुंह से बंद कर लिया, और नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए। मम्मी अपने पैर को सर की कमर में लपेट ली, और पायल की बहुत ही मधुर आवाज बज रही थी। सर धीरे-धीरे धक्के लगा रहे थे। मम्मी की बुर अब पानी छोड़ रही थी।

मम्मी की बुर अब रसीली हो चुकी थी, और सर उसमें अपने लंड को तेज-तेज चोदने लगे। धीरे-धीरे मम्मी की आवाज अब बढ़ने लगी, और सर की स्पीड भी बढ़ रही थी। उन दोनों ने चुदाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। सर उनकी चूचियां दबा रहे थे, और मम्मी उनकी पीठ सहला रही थी, और चुदाई पूरा चरम पर चल रही थी।

तभी दोनों ने आवाज करते हुए एक-दूसरे को बाहों में कस लिए और ऐसा लगा जैसे दोनों पूरी तरीके से संतुष्ट हो गए। मम्मी ने उनको अपनी बाहों में भर कर अपने सिर को उनके सीने में छुपा लिया, और सर ने भी मम्मी को अपनी बाहों में जकड़ लिया।

तभी मैं जिस दरवाजे के छेद से उन्हें देख रहा था, उस पर मेरा सर लग गया, और दरवाजा हिल गया। उन दोनों का ध्यान टूटा, और दरवाजे के तरफ देखने लगे। मैं वहां से भाग कर अपने घर आ गया।

थोड़ी देर बाद मम्मी घर आई और उसके बाद सर एक हफ्ते तक मेरे घर नहीं आए। वह आते और ऐसे ही चले जाते। लगभग 1 हफ्ते बाद सर ने मुझे फिर बुलाया, और बोले कि जाओ अपनी मम्मी को बुला लाओ। मैंने मम्मी को बुलाया तब मम्मी आई और उन दोनों में काफी गहरी बातें होने लगी, और उसके बाद वह लोग कहीं उठ कर जाने लगे।

मम्मी पास में खाली पड़े क्लासरूम में जाने लगी, और उसमें तो दरवाजा भी नहीं था। फिर सर भी वहीं पर चले गए। मैं दूसरी तरफ गया, जहां वेंटिलेटर से अंदर का नजारा देखा जा सकता था। वैसे भी वे लोग जिस रूम में गए थे उधर कोई जाता नहीं था। परंतु फिर भी सर बार-बार उठ कर बाहर देख रहे थे कि कोई आ तो नहीं रहा था।‌ और तब जाकर वह अंदर आए और मम्मी को नीचे लेटा दिया, और उनकी साड़ी को कमर तक उठा कर अपने लंड को बाहर निकाला।‌ फिर लंड मम्मी के बुर में डाला और उनके ऊपर आकर उन्हें चोदना शुरू कर दिए।

जब भी चोदते हुए सर का लंड मम्मी की बुर से बाहर निकलता, तो वह एक बार उठ कर बाहर जरूर देखते कि कोई आ तो नहीं रहा। फिर आकर मम्मी को चोदने लगते। इसी तरह चोदते हुए मम्मी की बुर में झड़ गये।‌ फिर मम्मी उठी और अपनी साड़ी नीचे की, और ठीक करके वहां से घर आ गई।‌ फिर मैं भी अपने घर आ गया।

मम्मी अब सर के साथ खुल गई थी। गांव के कई लोगों को यह पता चल चुका था कि मम्मी और सर के बीच बहुत कुछ चल रहा था। पर मम्मी अब उन सब बातों पर ध्यान नहीं देती। वह सर से मिलती और जब भी मौका पाती, उनसे चुद भी जाती। परंतु किसी ने भी मम्मी की चुदाई नहीं देखी थी। वह सभी जानते थे कि इनसे मिलती तो है पर चुदवाती है कि नहीं यह पक्का यकीन से कोई नहीं कह रहा था। बस मैंने ही कई बार देखी हुई थी‌ चुदाई।

Exit mobile version