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प्रधान जी के खेत में उनके बेटे ने चोदा। (Pradhaan ji ke khet mein unke bete ne choda)

हेलो दोस्तों, मेरा नाम रिया है और मैं अभी 25 साल की हूं। मेरे शरीर की बनावट बहुत ही ज्यादा आकर्षक है। रंग गोरा और बदन गदराई हुई है।

मैं मम्मी-पापा के साथ शहर में रह कर पढ़ाई करती हूं। लेकिन मेरे दादा-दादी जी गांव में रहते हैं, तो मैं उनसे मिलने के लिए कभी-कभार गांव में आ जाया करती हूं।

बात कुछ साल पहले की है, जब मैं गांव में घूमने के लिए आई थी। तब मेरा रहन-सहन शहरी ही था। मैं छोटी स्कर्ट और शर्ट पहन कर पूरे गांव में घूमती थी।

जिन लोगों की भी नज़र मुझ पर पड़ती, वह अपने होंठों पर जीभ फिराने लगते। गांव के खेत घूमना मुझे बहुत ही ज्यादा पसंद था। मैं अपने दादी से बोली कि चलिए खेत में घूमने के लिए चलते हैं। तो दादी ने मुझे मना कर दी। तो मैं खुद ही खेत घूमने के लिए चली आई।

गांव के अधिकतर खेत प्रधान जी के थे। प्रधान वैसे तो ठीक आदमी थे, परंतु उनका बेटा बहुत ही बड़ा नालायक था। उसका नाम संजय तिवारी था। 28 साल का होगा। वह दिन भर गांव में आवारा गर्दी करता और लड़कियों के साथ छेड़-छाड़ करता था।

उस दिन मैं गन्ने की खेत की तरफ घूम रही थी, कि तभी मेरी उनके बेटे से भेंट हो गई। मैं उस दिन स्कर्ट और शर्ट पहनी हुई थी। वह मुझे बड़ी ही ललचायी नज़रों से देख रहा था। मैं रास्ता बदलने की सोची तभी वह बोल पड़ा-

प्रधान जी का लड़का: अरे रिया, तुम तो बहुत बड़ी हो गई। तुम इतनी खूबसूरत हो गई हो कि अब तो पहचान में ही नहीं आ रही हो।

वह बचपन में मेरे साथ ही गांव के स्कूल में पढ़ा था। मैं उसकी शैतानियां खूब जानती थी। वह एक बार तो मुझे क्लास रूम में ही अपनी बाहों में पकड़ लिया था। उस दिन किसी तरह में उससे बच गई थी पर वह हमेशा मेरे ही फिराक में रहता था। मैं उसे देख कर बोली।

मैं: ओह मैं तो तुम्हें देखी ही नहीं। तुम भी काफी बदल गए हो।

वह लगातार मेरी चूचियों को घूर रहा था, और मेरी तरफ बढ़ रहा था।

प्रधान जी का लड़का: रिया तुम अकेले इधर खेत में घूमने आई हो। चलो मैं तुम्हें खेत घुमा देता हूं।

मैं उसकी चालाकी खूब समझती थी, इसलिए मैं उसे मना करते हुए बोली-

मैं: नहीं रहने दो, मैं खुद घूम लूंगी।

यह कह कर मैं जैसे ही वहां से चलने को हुई, तभी उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया। मैं उसकी बाहों में कसमसाने लगी। उसकी बाहों से छूटने की कोशिश करने लगी। पर वह मुझे बहुत ही जोर से पकड़े हुए था।

मैं उससे बोली: देखो मुझे छोड़ दो।

प्रधान जी का लड़का हंसते हुए बोला: रिया देखो, तुम बचपन से ही मुझसे बचती आ रही हो, पर अब नही बचोगी। जिस खेत में खड़ी हो वह खेत और यह गांव दोनों ही मेरे बाप की है। मैं नहीं चाहता कि इतनी खूबसूरत लड़की के साथ में कोई जबरदस्ती करूं। इसलिए तुम खुद मान जाओ। वैसे भी शहर में तो तुमने बहुत किया होगा। पर आज गांव के देसी लंड के साथ खेल कर देखो।

उसके बेशर्मी-पन से मैं शर्मा गई। परंतु उसका लंड अब मेरी गांड में घुस रहा था, और मेरी चूत में हलचल मचने लगी थी। मैंने शांत रहने में ही समझदारी समझी, और वह मेरे गर्दन को चूमने लगा, उफ्फफ्फ्फ़।

खेत के चारों ओर ऊंचे-ऊंचे गन्ने लगे हुए थे। मेरे मन में भी अब उसके प्रति आकर्षण बढ़ने लगी थी। उसके लंड का दबाव मेरी गांड में बढ़ रहा था, और इधर वह मेरी गर्दन और नंगी पीठ को चूमते हुए मेरे चूचियों को सहलाने लगा था।

वह मुझे अपनी तरफ घुमाया, और मेरे होठों पर होंठ रख कर मेरे होठों को चूसने लगा। साथ ही मेरे दोनों गांड को दबाने लगा। मेरी चूत अब गीली होने लगी थी। वह अपनी एक उंगली को मेरी स्कर्ट के नीचे डाला, और पेंटी के ऊपर से चूत को रगड़ने लगा। उउउउफ्फ्फ़, वह मुझे अपनी गोद में उठाया, और खेत के भीतर ले गया, जहां पर एक खटिया डाला हुआ था।

वह मुझे खटिया पर लिटाया और मेरी शर्ट को खोल कर ब्रा निकाल दी। फिर मेरी दोनों चूचियों को आजाद करके बड़े आराम से पीने लगा आआफह्ह्ह्हह्ह। वह लगातार मेरे निपल्स को काट रहा था, और मेरी चूचियों को दबा कर चूस रहा था आअह्ह्ह।

फिर उसने मेरी पैंटी और स्कर्ट को निकाला, और मुझे नंगी लिटा कर मेरे पैरों के बीच में आ गया, और मेरे होंठ को चूसने लगा। वह अपनी पैंट को नीचे सरका दिया, और अपने लंड को मेरे चूत पर रगड़ते हुए धीरे-धीरे अपने लंड को भीतर घुसाने लगा। वह मेरे दोनों हाथों को अपने पंजों में कस कर मेरे होंठ को चूस रहा था, और अपने लंड को मेरी चूत में उतारते हुए आआ्हहहहहह ऊऊह्ह्ह्ह।

वह मेरे ऊपर लेट कर मेरी चूत में धक्का लगाने लगा, और मेरी चूत को चोदने लगा आआहहहह ऊऊह्ह्ह्ह। प्रधान जी का लड़का अपने खेत में मुझे आधे घंटे तक अलग-अलग तरीकों से चोदता रहा, और उसके बाद मेरे मुंह मे झड़ गया। मैं उसके सारे रस को पी गई। उसके देसी लंड का स्वाद मुझे भा गया था।

उसके बाद मैं जितने दिन भी उस गांव में रही, प्रधान जी के लड़के से खेत में चुदवाती रही। वह मुझे हर दिन अलग-अलग तरीकों से चोद रहा था। जब मैं खेत पर पहुंचती, तब वह मुझे गन्ने के खेत में भीतर ले जाता, और खाट पर लिटा कर नंगी कर देता। उसके बाद मेरी फूली हुई चूत को अपने जीभ से चाटता, और मेरे भीतर गर्मी पैदा कर देता उउफ्फ्फ़।

उसके बाद वह अपने काले मोटे लंड को मेरे चूत पर सेट करता, और भीतर घुसा देता। मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठ को चूसते हुए अपनी कमर को जोर-जोर से मेरी चूत पर पटक के चोदने लगता आआहहहह।

जब वह सीधे मुझे चोद कर थक जाता, तो उल्टा लिटा देता, और पीछे से मेरी चूत में लंड डाल कर पेलने लगता। उसका लंड मेरी चूत में जाते ही मेरे पूरे शरीर में आग लगा देता था आआआहहहहह। इसी बीच उसने मेरी गांड को भी मार लिया। मेरी गांड मारने में उसे और ज्यादा मजा आता था। मेरे दोनों चूतड़ फुले हुए थे। वह पीछे से मेरी गांड में लंड डाल देता, और मेरी दोनों चूचियों को मसलते हुए मेरी गांड को चोदता उउउउउफ्फ्फफ्फ्फ़ याररर।

इस 1 हफ्तों में वह मेरी चूत को चोद कर फुला दिया था।

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