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मेरी आंटी मेरी पड़ोसन-2 (Meri aunty meri padosan-2)

पिछला भाग पढ़े:- मेरी आंटी मेरी पड़ोसन-1

दोस्तों, मेरी हिंदी सेक्सी कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरी नज़र सामने वाली आंटी के लिए गंदी हो चुकी थी। फिर मैंने मौका मिलते ही उनको अपने दिल की बात बतायी। अब आगे-

आंटी: यह क्या बोल रहे हो? मैंने कभी ऐसा सोचा नहीं था कि तुम अपनी मां की उमर वाली किसी औरत के बारे ऐसा कहोगे।

यह बोल कर वो आगे बढ़ गई। मेरे दिमाग में तो बस आंटी को चोदने का नशा चढ़ा हुआ था। मैंने आंटी को पीछे से पकड़ के अपनी और खींच लिया, और अपनी गोद में बिठा लिया। फिर उनके दोनों मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा। आंटी की तो जैसे चीख निकल गई, और मुझसे छूटने का नाटक करने लगी। वो ऐसा दिखा रही थी कि वो इन सब के लिए तैयार नहीं थी, और जो भी कुछ हो रहा था, उनके मन के खिलाफ हो रहा था।

मैं उनके दोनों मम्मों को मसलते हुए, अपने मुंह को उनकी गर्दन में ले जा कर उनकी गर्दन चाटने लगा। एक हाथ उनके ब्लाउज में डाल कर मैं उनके निप्पल को निचोड़ रहा था। आंटी भी सिसकियां ले रही थी और बोल रही थी-

आंटी: छोड़ मुझे आह आह उफ्फ यह यह गलत उफ्फ है। किसी को पता चलेगा आह आह तो क्या होगा? यह पाप प ऊ मा है।

मैं: बस कर नौटंकी, अब सीधे से चुदवा। नहीं तो यही घोड़ी बना कर तेरी ढीली चूत को जवान कर दूंगा। क्या मस्त माल है तू। जरा अपने आम को चुसवा तो सही।

आंटी: उई मां आउच उफ्फ जरा धीरे दबा। मेरी जान मत निकाल। जब तुझे पता चल गया है आह उफ्फ मैं तेरा लौड़ा अपनी चूत में आह आह लेनी वाली हूं, तो अब प्यार से कर हरामजादे।

मैंने उन्हें अपनी तरफ घुमा लिया। आंटी ने अपने हाथों से अपने ब्लाउज का एक-एक हुक खोल कर अपने मम्मों को आजाद कर दिया। उनके दोनों गोरे बड़े-बड़े मम्मे मेरे मुंह से सिर्फ आधे फुट पर थे। उनके काले बड़े निप्पल उन पर चार चांद लगा रहे थे। आंटी ने अपना एक मम्मे को मेरे मुंह में भर दिया, और अपनी गर्दन पीछे झुका कर उन्हें चूसने कहा। मैं भी कुत्तों की तरह उनके मम्मे चाट रहा था, चूस रहा था, तो कभी उनके निप्पल को काट रहा था।

आंटी अब जोर-जोर से सिसकियां ले रही थी, मानो आज उनकी पहली बार सुहागरात होने वाली थी। कभी आंटी एक तो कभी दूसरा मम्मा मेरे मुंह में ठूस रही थी, और आंखें बंद करके मजे ले रही थी। मैं कुर्सी पर और आंटी मेरे ऊपर दोनों टांगे फैला कर बैठ कर मजे ले रही थी।

आंटी: आह आह उफ्फ आउच जरा धीरे, आह आह बहुत मजा आ रहा है। आह मेरी जान जरा अपना लौड़ा तो दिखा, जिसे देखने के बाद मैं पागल हो गई हूं, आह आह।

मैं कुर्सी से खड़ा हो गया, और अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स निकाल के अंडरवियर में आंटी के सामने खड़ा था, और आंटी के होंठ चूस रहा था। आंटी मेरे तने हुए लौड़े को अंडरवियर के अंदर हाथ डाल कर मसल रही थी। फिर आंटी ने मुझसे दूर हो कर अपनी साड़ी को उतार दिया, और पेटीकोट के ऊपर से अपने हाथ से अपनी चूत खुजा रही थी।

मैं आंटी को अपनी बाहों में उठा कर उनके सोफा कम बेड पे ले गया, और उन्हें लिटा कर उनके सामने अंडरवियर निकाल के खड़ा हो गया। आंटी ने मेरे लौड़े को एक हाथ से पकड़ कर, मेरे लौड़े के गुलाबी टोपे को सहलाते हुए कहा-

आंटी: कभी सोचा नहीं था कि तेरा लौड़ा लूंगी। लेकिन तुझे तो नई जवान चूत चाहिए होगी, तो मुझ जैसे ढीली चूत में तुझे क्या मजा आएगा?

मैंने अपने लौड़े को उनके हाथों से निकाल कर उनके चेहरे पर फेरते हुए कहा-

मैं: चूत तो चूत होती हैं, वो चाहे जवान की हों या किसी बूढ़ी की। बस लौड़े को घुसने की जगह चाहिए। और हां, तेरी चूत में वो मजा मिलेगा, जो एक जवान चूत मुझे नहीं दे सकती।

यह कह कर मैं उनका पेटीकोट उनके कमर के ऊपर ले गया। उनकी मोटी-मोटी गोरी जांघों के बीच मुझे उनकी चूत के दर्शन हो गए। उनकी चूत मानो फूल के डबल रोटी जैसे हो गई थी। उसमें से बहुत पानी रिस रहा था, मानो किसी ने पानी का नल खोल दिया हो।

मैं अपने लौड़े को आंटी के होंठों से लगा कर उनके ऊपर रगड़ने लगा। आंटी इस उमर में भी समझदार थी। उन्हें पता था कि मेरे लौड़े को क्या चाहिए, तो उन्होंने धीरे से अपना मुंह खोल लिया, और मेरे लौड़े के टोपे को अपने मुंह में भर के चूसने चाटने लगी।

मुझे तो मानो जन्नत मिल गयी। मैं धीरे-धीरे करते अपना लंड उनके मुंह में डाल कर धीरे-धीरे उनके मुंह को चोदने लगा। अब तो मेरी रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ने लगी। मेरे दिमाग में यह था कि मैं अपना पानी निकाल देता हूं। क्योंकि बाद में चुदाई में टाइम बढ़ जाएगा। यह सोच कर मैंने अपनी रफ्तार बड़ा दी, और अपने लौड़े को उनके गले तक उतारने लगा। आंटी इस हमले को तैयार नहीं थी।

मैं: तेरी मां को चोदूं आह और आह उफ्फ पूरा ले अंदर तक आह आह मजा आ गया मेरी रंडी।

नीचे आंटी उम्म उम्म करते हुए अपने मुंह से मेरा लौड़ा निकालने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मुझे रुकना नहीं था। उनका मुंह पूरा लाल हो गया था‌। आंखों से आंसू आ रहे थे। अब यह हालत मुझसे देखी नहीं जा रही थी‌।‌ मैं वैसे ही उनके मुंह में लौड़ा रख के उनसे कहा-

मैं: देख मेरी जान, जब यह सब हो गया है, तो चुदवाने से मना नहीं करना। क्यूंकि तेरी चूत लिए बिना अब जाऊंगा नहीं।

यह बोल कर मेरा लौड़ा उनके मुंह से निकाल लिया। मेरा पूरा लौड़ा उनकी थूक से भीग गया था, और ट्यूबलाइट की रोशनी में चमक रहा था। आंटी जोर-जोर से हाफ रही थी।

आंटी: मादरचोद क्या कर रहा था? मैं क्या रंडी हूं? जिंदगी मे पहली बार किसी लौड़ा मुंह में लिया, और तूने ऐसा किया मेरे साथ।

मैं: देखो आंटी, पहली बात यह है कि तेरे नंगे जिस्म को देख कर मैं कंट्रोल नहीं कर पाया, और तेरे मुंह में इतनी गर्मी थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। सॉरी, इसमें मेरा कसूर नहीं है। तेरा जिस्म ऐसा हैं कि कोई भी कंट्रोल नहीं कर सकता।

अब मैंने अपने खड़े लंड को दिखते हुए बोला: अब इसका क्या करूं?

तो उसने अपने चूत की और इशारा करके कहा: चूत चोद मेरी।

मैंने कहा: तेरी चूत तो चोदनी है, लेकिन पूरे नए स्टेमिना के साथ। अभी तो पानी निकालना हैं। उसके बाद तुझे दूसरे राउंड में चोदूंगा।

यह कह कर मैं उनके छाती पर आ कर उनसे कहा: मेरे लौड़े को अपने दोनों मम्मों के बीच दबा कर रख, ताकि तेरे मम्मे चोद कर पानी निकाल लू।

आंटी ने भी वैसे ही किया।

आंटी: बहनचोद आज कल क्या हो गया है तुम सब को? सीधे चूत चोदना चाहिए, तो यह नए-नए तरीके ला रहे हो।

मैंने आंटी के मम्मे चोदना चालू कर दिया। आंटी ने अपने मम्मे इतने टाइट पकड़े थे, जैसे मैं किसी सोलह साल की गरम टाइट चूत चोद रहा हूं। बस क्या था, दस-बारह झटकों के बाद मैंने अपना पानी छोड़ दिया मेरा आधा पानी आंटी के मम्मे के बीच और आधा पानी उनके मुंह पर उड़ गया। आंटी ने मुझे बहुत गालियां दी, और अपने ऊपर से उठा कर बाथरूम चली गई। वहां आंटी आईने में देख कर मेरा पानी साफ कर रही थी।

मैं वैसे ही उनके पीछे आ कर उनके मम्मे दबा कर पेटीकोट के ऊपर से अपना लौड़ा उनकी गांड में घुसाने की कोशिश कर रहा था। आंटी नाराज थी, क्योंकि ऐसा कभी उनके साथ नहीं हुआ था। तो मैंने भी अब आंटी को खुश करने के लिए अपना काम चालू कर दिया। आंटी के मुंह में मुंह डाल कर उनकी जीभ को अपने मुंह में चूस रहा था, और एक हाथ से उनके पेटीकोट को उठा कर उनकी चूत सहला रहा था।

जैसे आंटी नॉर्मल हुई, तब उन्होंने मुझे जकड़ना शुरू किया, और अब जोर-जोर से सिसकियां लेने लग गई, मानो अब वो चुदाने के लिए तैयार थी। मैं आंटी को बेड पे लाया, और उनकी दोनों टांगों को खोल कर, अपने कंधों पर लेकर, उनकी चूत पे झुक गया।‌

आंटी की चूत बहुत रस छोड़ रही थी। उनमें से आती भीनी-भीनी खुशबू मानो चूत चाटने की दावत दे रही थी। आंटी ने भी मेरे सिर को पकड़ के अपने चूत से लगा दिया, और मैं चपर-चपर उनकी चूत को चाटने लगा। आंटी मेरे मुंह को अपने चूत में घुसा रही थी, और अपनी गांड उठा-उठा कर मानो अपनी चूत को मेरे मुंह में ठूस रही थी।

आंटी: आह उफ्फ उफ्फ ऐसे ही, और, और चाट भड़वे। मेरी चूत की जड़ तक डाल अपनी जुबान को आह उफ्फ उफ्फ मर गई आह आह ऐसे ही अह आह मर गई। मेरा पानी आ आ आह आरी मोरी मैया उम्म उम्म आह चाट मादरचोद आह उफ्फ ओह आह।

ये करके पूरा पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया, मानो बरसो बाद उनको इतना मजा आया होगा।

इसके आगे क्या हुआ, आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। मेरा ईमेल आईडी dilipmastram000@gmail.com है

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