पुराने खंडहर में काव्या की ताबड़-तोड़ चुदाई-1 (Purane khandar mein Kavya ki tabad tod chudai-1)

मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा होगा कि कैसे मैंने काव्या को बजाया।

वक्त बीतता गया, पर फिर भी गांव के लड़कों की हवस नहीं खत्म हुई। क्यूंकि मेरे द्वारा काव्या की जोरदार चुदाई के बाद काव्या का बदन और निखर गया था। वो और भी हाॅट और सेक्सी लगने लगी थी।

काव्या की उम्र अब 22 हो चुकी थी, और वो अब जिंदगी के उस पड़ाव पर थी, जब लड़कियों के गलत रास्ते पर भटकने का सबसे ज्यादा डर होता है।

काव्या गोरी, गदराई कमसिन जवानी वाली लड़की, जिसके फिगर की बात करूं तो अब तक वो 34-30-34 हो चुका था। 34″ की पपीते जैसी चूचियां एक-दम से मखमल की तरह कोमल थी। जिसे देख ऐसा लगता है कि मलाई से भरपूर होगा।

कमर और गांड को देखने के बाद ऐसा लगता है कि कोई हूर की परी आसमान से आई हो। जिसका बदन सुडौल और सुसज्जित है।

उसकी हल्की उठी गांड जीन्स और कुर्ती में देख कर किसी का भी मन डोल जाए, और अगर साड़ी पहन ले तो उसमें काव्या की कमर और गांड देख कर लोगो का लंड पानी छोड़ दे, और हर कोई उसे अपना बनाने की सोचने लगे। अगर कुछ शब्दों में कहूं तो 2 बार मुझसे चुदने के बाद काव्या एक-दम जबरदस्त माल लगने लगी थी। काव्या का हर अंग काव्या की खूबसूरती की मिसाल देता है।

अब मैं ज्यादा वक्त ना गंवाते हुए सीधे कहानी पर आता हूं। काव्या का कालेज खत्म हो चुका था, और वो अब बी.एड. के लिए दूसरे कालेज जाने लगी थी। और जैसा कि आपको पता है कि बी.एड. में लड़कियों को आए दिन साड़ी पहन कर जाना पड़ता है। तो उस वजह से काव्या ने कालेज का जो ड्रेस था पिंक साड़ी, तो वो पहन कर कालेज जाने लगी।

आपको बता दूं कि काव्या साड़ी में तो कमाल की लगती है। उसकी 30″ की कमर जब चलती है, तो मोरनी जैसे लगती है, और उसके 34″ की गांड साड़ी में एक-दम से भारी भरकम लगती हैं। अगर कोई दमदार मर्द पा जाए काव्या को, तो साड़ी के ऊपर से ही चोद दे। और डीप नेक ब्लाउज के अन्दर की 34″ की पपीते जैसी चूचियों के बीच की नाली देख तो हर कोई लंड हिला कर मुट्ठ मार देता होगा।

काव्या का कालेज घर से 7-8 किमी की दूरी पर था, तो वो आटो से ही आती-जाती थी। पर आटो गांव के बाहर ही छोड़ जाती थी, तो काव्या को करीब 500 मीटर पैदल आना पड़ता था। पर एक दिन गज्जू जो कि अब आटो चलाता है, वो काव्या को आटो से उतरता देखा तो एक पल के लिए उसका मन मचल गया। और वो बिना चेहरा देखे बोला कि क्या हाट लग रही है, क्या माल है यार, क्या गांड दिख रही है।

पर जब काव्या सामने से गुजरी तब वो पहचान गया कि ये तो राजू की बहन है। पर उस दिन गज्जू के दिल और दिमाग में काव्या छप चुकी थी, और अगर गज्जू ने जिसे पसन्द कर लिया तो वो बिना चोदे छोड़ता नहीं था। फिर धीरे-धीरे गज्जू काव्या का पीछा करने लगा और उसके आने-जाने का समय जान गया।

अब वो उसी वक्त अपनी आटो लेकर आता-जाता ताकि काव्या एक बार उसकी गाड़ी पर बैठ जाए, और वो अपनी किस्मत के भरोसे उसके बैठने का इन्तजार करता रहा। पर महीना बीत गया और काव्या किसी भी आटो से निकल जाती, और गज्जू देखता रह जाता। पर आखिर वो दिन आ ही गया जब गज्जू की लाटरी लगी।

उस दिन जब काव्या कालेज से घर के लिए आटो पर बैठी, तो वो आटो वाला कोई और नहीं गज्जू ही था। गज्जू को देख काव्या पहचान गयी, और फिर दोनो बातें करने लगे। पर जब कालेज से आते समय सुनसान सिवान (जहां पर दूर-दूर तक कोई घर ना हो ) आया तो, आटो को गज्जू खेत खलिहान वाले रास्ते की तरफ लेकर चला गया, जो कि एक करीब 8 फीट पतला रास्ता रहा होगा और वहां शायद ही कभी कोई जाता रहा होगा। तो ऐसा देख काव्या बोली-

काव्या: गज्जू भैया इधर कहां ले जा रहे हैं?

तो गज्जू बोला: इधर से भी रास्ता है, शार्टकट है। सामने पुलिस वाले रास्ते पर चेकिंग लगाए हैं, और मेरी गाड़ी का इंश्योरेन्स खत्म है, तो चालान काट देंगे वो।

तो ऐसा सुन कर काव्या कुछ नहीं बोली। कुछ दूर बाद एक खंडर घर था जो सालों से बंद पड़ा था। वहां कोई आता-जाता नहीं था। तो वहां आटो ले जाकर गज्जू ने आटो रोक दिया।

तो काव्या बोली: यहां क्यूं रोक दिए भैया?

तो गज्जू बोला: रूक जाओ पेशाब कर लूं।

और पेशाब करने के लिए गज्जू उतर कर पैन्ट की जिप खोल दिया, और पेशाब करने लगा। पर असली मकसद तो काव्या को लंड दिखाने का था। और पेशाब करके गज्जू ने जिप बन्द करते समय लंड काव्या की तरफ कर दिया, जिसे देख काव्या चौंक गयी क्यूंकि गज्जू का लंड तो कड़क था।

गज्जू समझ चुका था कि काव्या ने उसका लंड देख लिया था, और वो ये भी जानता था कि एक बार कोई भी लड़की गज्जू का लंड देखने के बाद उसे अपनी चूत में लेने को सोचने लगती है। तो गज्जू ने अब गाड़ी आगे बढ़ाते हुए अपनी बात भी बढ़ानी शुरू की, और पुरानी बातें काव्या से पूछने लगा।

गज्जू: काव्या फिर तो कभी वो लड़के परेशान नहीं किए तुम्हें?

काव्या: कौन से लड़के भैया?

गज्जू: अरे वहीं, जो तुम्हे गन्दी-गन्दी बातें बोल रहे थे, कि तुम्हे चोदेंगे, तुम्हारी गांड मारेंगे…

काव्या: नहीं भैया तब से वो कुछ नहीं बोले, जब से आपने उन्हें पीटा था।

गज्जू: चलो फिर अच्छी बात है। वैसे क्या पढ़ाई करती हो तुम?

काव्या: भैया बी.एस.सी. कर रही हूं।

गज्जू: चलो बढ़ियां है। वैसे एक बात और पूछूं अगर बुरा ना मानो तो?

काव्या: अरे बोलिए भैया, बुरा क्यूं मानूंगी।

गज्जू: तुम्हारा कोई फ्रेंड है या नहीं?

काव्या: मेरे तो बहुत फ्रेंड हैं।

और वो सबका नाम गिनाने लगती है।

गज्जू: अरे मतलब कोई ब्वायफ्रेन्ड है?

काव्या कुछ देर चुप हो गयी। फिर बोली: नहीं भैया, पर आप ये सब क्यूं पूंछ रहे हैं?

गज्जू: अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही।

काव्या (मुस्कुराते हुए): भैया आपकी कोई गर्लफ्रेन्ड तो होगी ही?

गज्जू: नहीं तो, कोई नहीं है।

काव्या: झूठ मत बोलो भैया।

गज्जू: अरे सच में नहीं है।

काव्या: क्यूं? अच्छे खासे तो हो आप।

गज्जू: कहां अच्छा खासा हूं? अगर होता तो कोई ना कोई तो होती ही।

चूंकि गज्जू खिलाड़ी लड़का था, तो वो बहुत समझदारी से काव्या को अपनी बातों में ला रहा था।

काव्या: कोई पसन्द नहीं आई क्या कभी?

गज्जू: नहीं ये सब रहने दो।

काव्या: बताओ ना भैया?

और गज्जू तुरन्त आटो रोक देता है। वहां दोनो तरफ गन्ने का खेत था।

गज्जू: पसन्द नहीं आई कोई।

काव्या: क्यूं? और कैसी लड़की चाहिए आपको?

गज्जू: कोई अच्छी मिली नहीं, बिल्कुल तुम जैसी।

काव्या: मेरी जैसी, मैं तो उतनी अच्छी नहीं हूं।

गज्जू: तुममें वो है जैसा किसी में नहीं।

काव्या: मुझमें क्या है बताइए तो जरा?

गज्जू: नहीं रहने दो जैसे तुम मुझे बोल रही थी कि आप बहुत अच्छे खासे हो। वैसे तुम भी हो, मुझमें क्या अच्छा खासा है, बताओ जरा?

काव्या: भैया आप जब पेशाब कर रहे थे, तभी मैंने देखा आपका लंड बहुत मोटा तगड़ा है, जो भी लेगी वो बहुत खुशनसीब होगी।

इतना सुनते ही गज्जू ने बिना देर किए मौके पर चौका मारते हुए बोला: क्या वो खुशनसीब तुम बनना चाहोगी?

काव्या: क्या, क्या मतलब आपका?

गज्जू: मैं तुम्हे पसन्द करता हूं काव्या। क्या तुम मेरा लंड लेना चाहोगी?

काव्या: अरे नहीं-नहीं भैया मेरा वो मतलब नहीं था।

गज्जू: अरे शरमाओ मत मेरी जान, क्या मैं पसन्द हूं तुम्हें?

काव्या: नहीं-नहीं मतलब हां, नहीं, हां, मेरा मतलब आप अच्छे लगते हो।

गज्जू: अरे डरो मत, आराम से, आराम से, बोलो क्या मैं पसन्द हूं तुम्हें?

काव्या: भैया चलो देर हो रही है घर चलते है।

और अब आखिरकार गज्जू ने काव्या को जाल में फंसा ही लिया। वो समझ चुका था कि चिड़िया जाल में फंस चुकी थी। पर वो जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था।

तो वो बोला: ठीक है चलो चलते हैं।

और आटो स्टार्ट करके जब गांव में पहुंचने वाला था, तो बोला-

गज्जू: काव्या एक बार सोचना मेरे बारे में। मैं तुम्हे हमेशा खुश रखूंगा तुम्हारा, बहुत ख्याल रखूंगा।

काव्या मुस्कुराते हुए कुछ बोली नहीं। फिर वो उतर गयी और गज्जू फूले नहीं समा रहा था। क्यूंकि उसे एक नई जवान कच्ची कली की चूत जो मिलने वाली थी। उसका प्लान सही जाने लगा। फिर दूसरे दिन छुट्टी के समय गज्जू फिर काव्या के कालेज के गेट के पास आटो लेकर पहुंच गया, और फिर गज्जू ने बैठने को कहा तो काव्या बैठ गयी, और फिर आटो लेकर चल दिया। अब दोनों चुप थे, पर गज्जू ने चुप्पी तोड़ते हुए काव्या से बोला-

गज्जू: तो क्या सोचा काव्या तुमने?

काव्या: कुछ नहीं भैया, भैया एक बात पुछूं, बताएंगे?

गज्जू: पूछो।

काव्या: आप में और मेरे भैया में क्या दुश्मनी है? आप दोनो तो दोस्त थे।

गज्जू: हां पर कुछ वजह से दुश्मनी हो गई, और अब तो राजू मुझसे गुस्सा ही रहता है।

काव्या: क्या आप दोनों फिर से दोस्त नहीं बन सकते?

गज्जू: नहीं, और शायद कभी नहीं। पर वो सब छोड़ो, तुम बताई नहीं मैं पसन्द हूं या नहीं हूं?

काव्या: जब आप दोनो एक नहीं हो सकते, तो मेरे पसन्द करने या ना करने से कुछ नहीं होने वाला है।

गज्जू: क्या मतलब?

काव्या: कुछ नहीं, भूल जाओ मुझे। ऐसे तो मैं आपको कभी नहीं पसन्द करूंगी।

मन में सोचते हुए फिर गज्जू ने काम बिगड़ता देख सोचा कि एक बार इसे चोद लूं, फिर दुश्मनी निकालूंगा। अभी पहले अपना काम बनाऊं।

गज्जू: पर तुम्हारा भाई नहीं मानेगा। वो बहुत गुस्से वाला है। वो माफ नहीं करेगा।

काव्या: वो आप मुझ पर छोड़ दो।

फिर गज्जू काव्या को लेकर घर पर पहुंचा तो सामने मैं खड़ा था। वो मुझे देख कर सिर झुका कर चला गया। मैंने काव्या को देखा तो वो खुश नजर आ रही थी। पर मैं कुछ समझ नहीं पाया, और वो घर के अन्दर चली गई।

रात में काव्या मेरे रूम में आई, और फिर गज्जू के बारे में बताने लगी और बोली: वो आपसे माफी मांगना चाहते हैं, और वो चाहते हैं कि आप दोनों पहले जैसे दोस्त बन जाओ।

तो मैंने नहीं माना पर किसी तरह बहुत मिन्नतें कर काव्या मुझे मना ली। दूसरे दिन मैं गज्जू से मिला वो मुझसे हाथ जोड़ कर माफी मांगा, और उसके आंखो में आंसू आ गए। फिर मैंने दिल पर पत्थर रख कर उसे माफ कर दिया। फिर मैं, काव्या, और गज्जू तीनों दुकान पर गये, और चाय समोसा खाए। ऐसे ही एक महीना बीत गया। अब गज्जू रोज काव्या को आटो से घर छोड़ता, और मैं भी गज्जू के साथ मस्ती करता।

पर आए दिन अब काव्या बदली-बदली सी लगने लगी। उसकी चाल-ढाल से कुछ मुझे शक होने लगा। उसका गज्जू से हंस कर बात करना और घर देर से आना। और तो और एक दिन मैंने काव्या के ड्रेस पर कुछ दाग लगा देखा जो कि कुछ स्पर्म के जैसा दाग था। तो मैं शक करने लगा और फिर छान-बीन करनी शुरू की। हफ्ते भर मैंने आंख गड़ाए रखी, पर कुछ भी नहीं पता चला। गज्जू आराम से छोड़ कर चला जाता और काव्या आराम से घर में चली जाती।

मुझे शक होने लगा कहीं ये दोनो कांड कर तो नहीं लिए जिस वजह से शान्त थे। पर आग अगर एक बार लग जाती है तो भड़कती जरूर है, ये बातें मुझे अच्छे से पता थी, और उसी दिन का इन्तजार था।  फिर वो दिन आ ही गया।

शुक्रवार की रात मैंने काव्या को देखा वो किसी से चैट कर रही थी, और अपनी उंगली चूत में डाल रखी थी। फिर करीब 20 मिनट बाद वो उठी, और मोबाईल रूम में रख कर वाशरूम में चली गयी। मैंने तुरन्त जाकर उसके मोबाईल में चेक किया तो पता चला वो गज्जू का मोबाईल नम्बर था और उसमें बहुत रोमांस भरी चैट हुई थी। फिर मैंने थोड़ा और ऊपर चैट देखा तो-

गज्जू: जानू आज मजा नहीं आया, पता नहीं कैसे उधर से वो आदमी आ गया, जबकि उधर से कोई नहीं आता। वरना आज आपको अपनी रानी बना ही देता।

काव्या: अरे अच्छा हुआ वो आदमी आ गया। वरना आज तो तुम मुझे मार ही डालते। मैं तो आपका लंड देख कर ही डर गयी थी, कि इतना बड़ा कैसे लूंगी मैं।

गज्जू: फिर भी तो तुम पूरा अन्दर ले ही ली थी ना मेरी जान। पर आज मुझे मजा नहीं आया, बीच में ही रूकना पड़ा।

काव्या: वो तो मुझे पता है कैसे दर्द हुआ था, और तुम भी तो एक-दम भूखे भेड़िए की तरह मुझ पर टूट पड़े थे, और सटा-सट दो ही झटके में लंड पूरा पेल दिए थे। भाग थोड़ी ना जा रही थी।

गज्जू: क्या करूं यार तुम्हें देख कर रहा ही नहीं गया। जब इतनी जबरदस्त माल सामने नंगी हो, तो भूखा भेड़िया तो बन ही जाएगा कोई भी।

काव्या: फिर भी तुम पागलों की तरह मेरी चूचियों को चूसे जा रहे थे, जैसे कि खा जाओगे।

गज्जू: यार मैंने बहुत लड़कियां चोदी है, पर जिस तरह तुम्हारी चूची है वैसी किसी की नहीं थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे मलाई भरा हो पूरा। कितनी नाजुक कोमल चूचियां हैं तुम्हारी, और उस पर छोटे-छोटे निप्पल।

काव्या: चलो ठीक है ज्यादा तारीफ मत करो नहीं, तो मेरा भाव बढ़ जाएगा।

गज्जू: कितना भी भाव बढ़ जाए, आना तो तुम्हे मेरे लंड के नीचे ही है। और कल तो वैसे भी मैं तुम्हारी जम कर बजाऊंगा। कल तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना दूंगा। एक-दम कचूमड़ निकाल दूंगा उसका।

काव्या: ठीक है ठीक है पर कल कंडोम लेकर आना जानू। मुझे डर है कि तुम्हारा बच्चा मेरे पेट में ना आ जाए। कल जब तुम मेरी चूत में ही झड़ गए थे, तो तुम्हारा पूरा माल मेरी चूत में ही भर गया था, और कुछ ही बूंदे बाहर निकली थी। और उससे मेरी साड़ी में दाग लग गया है।

गज्जू: अच्छा है ना तुम मेरे बच्चे की मां बन जाओगी, तो हमारी शादी करवा देगा तुम्हारा भाई। और फिर मैं तुम्हे दिन रात चोदूंगा।

और एक-दम लास्ट में दोनो बातें इस पर खत्म हो गयी थी कि कल फिर से उसी खंडह्र पर अपनी अधूरी चुदाई पूरा करेंगे। और काव्या ने बोला कि ठीक है बाबू।

फिर काव्या के वाशरूम से आने की आहट सुन मैं तुरन्त मोबाइल रख कर अपने कमरे में आ गया। उन्होने ऐसी बहुत सारी बातें की थी जिसे सोच कर मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया, और अब मुझे पता चल गया था कि गज्जू कल फिर चोदेगा काव्या को, तो मेरा भी अब मन होने लगा था दोनो की चुदाई देखने का। मैंने सोच लिया था कि अब इनकी चुदाई देख कर ही मानूंगा।

आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। धन्यवाद।

अगला भाग पढ़े:- पुराने खंडहर में काव्या की ताबड़-तोड़ चुदाई-2