Site icon Desi Kahani

पापा की परी से पापा की दुल्हन (Papa ki pari se papa ki dulhan)

हेलो दोस्तों, मेरा नाम प्रिया है, और मेरी उम्र 24 साल है। मैं अभी कॉलेज में पढ़ती हूं। मेरा रंग गोरा और बदन छरहरा है। मेरा फिगर 34-30-34 है।

इस कहानी के हीरो मेरे पापा है, जिनका नाम हरेंद्र है। इनकी उम्र 48 साल है। पापा का फिजिक बहुत ही अच्छा है। ये विदेश मे जॉब करते है और साल में एक बार 2 महीने के लिए आते है।

मम्मी का नाम सुनीता है। वह दिखने में बहुत ही सुंदर और सुशील है। पापा काम की वजह से मम्मी को अच्छे से टाइम नहीं देते हैं, जिसकी वजह से मम्मी पापा से नाराज़ रहती हैं। पापा-मम्मी में ज्यादा बात-चीत नहीं होती। वह लोग सोने के लिए रूम में जाते हैं। बस वही टाइम होता है जब वह दोनों एक साथ रहते हैं।

बरसात का मौसम चल रहा था। मम्मी नानी के यहां जाना चाहती थी और वह मुझे और भाई को भी ले जाना चाहती थी। भाई 12वीं का एग्जाम देकर फ्री हो गया था, तो वह मम्मी के साथ जाने के लिए तैयार हो गया। पर मैं नानी के यहां नहीं जाना चाहती थी, और घर पर अकेली रह गई।

अकेले घर पर मैं बोर होने लगी तो मोबाइल में कहानी पढ़ने लगी, और उसके बाद उंगली की और फिर सो गई। सो कर उठने के बाद मैं बैठ कर पढ़ाई करने लगी, कि तभी डोर बेल बजी। मैं दरवाजा खोलने चली गयी। दरवाजा खोलते ही मैं चौंक गई। दरवाजे पर पापा खड़े थे। वह साल भर बाद आए थे, और वह भी सरप्राइज के साथ।

उन्हें देखते ही मेरी सारी उदासी दूर हो गई और मैं पापा के गले लग गई। वह भी मुस्कुराते हुए मुझे अपने बाहों में भर लिए।‌फिर हम दोनों अंदर आए पापा सोफे पर बैठ गए और मैं उनके लिए चाय बनाने चली गई।

थोड़ी देर बाद में पापा को चाय दे दी और उनके साथ बातें करने लगी। जब मैं पापा को बताई की मम्मी और भैया नानी के यहां चले गए‌‌ थे, तब पापा थोड़े मायूस हुए, और फिर थोड़े ही देर बाद वह खुश होते हुए बोले कि, “कोई बात नहीं, मेरी परी तो है मेरे साथ।”

पापा प्यार से मुझे परी बुलाते हैं। जब मैं 18 साल की हुई थी, तब से पापा मेरे ऊपर लट्टू हो गए है। वह मुझे अकेला पाकर अपने बाहों में भर लेते, और मुझे खूब प्यार करते थे। मुझे भी उनके बाहों में बहुत अच्छा लगता था। जब वह मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर मुझसे प्यारी-प्यारी बातें करते तो मैं बहुत खुश रहती थी।

पापा ऊपर छत पर बैठ कर अकेले शराब पीते थे। तब मैं चुपके से उनके पास चली जाती, तो पापा मुझे भी थोड़ा सा पिला देते और हम दोनों मजे करते। वह मेरे कान के पास आकर धीरे से बोलते, “मेरी परी बेटी चुप-चाप जाकर अपने कमरे में सो जाना। वरना तुम्हारी मां देखेगी तो तुम तो पिटोगी ही, मुझे भी डांट खानी पड़ेगी।”

मैं हंसते हुए उनसे लिपट जाती और फिर चुप-चाप अपने कमरे में जाकर सो जाती। पापा जिस रात को शराब पीते थे, उस रात को मम्मी की चीखे निकाल देते थे। जब भी पापा बाहर से 2 महीना के लिए घर आते तो मेरे लिए बहार हो जाती थी। पापा मुझे प्यार करते और अच्छी-अच्छी चीज़ों से एन्जॉय कराते।

मैं अब तक 18-24 साल की हो चुकी थी पर पापा ने मुझसे कभी भी जबरदस्ती नहीं की। वह नशे की हालत में भी मुझे बाहों में भर कर प्यार करते, पर जबरदस्ती कभी नहीं। वह मेरे गालों को किस्स कर लेते, अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ लेते। पर कभी भी उन्होंने मेरे बूब्स और मेरे पैंटी में हाथ डालने की कोशिश नहीं की।

मैं अभी पापा के साथ बैठ कर उनसे बातें कर रही थी। तभी मम्मी को मैं कॉल की और उन्हें बताई कि पापा आए हुए थे, आप लोग जल्दी चले आना।

तब मम्मी ने बहुत ही बेरुखी से जवाब देते हुए बोली कि, “अभी तो आए हैं, और इतनी जल्दी वापस नहीं आने वाली मैं। उन्हें आना ही था तो बात करके आते।”

फोन स्पीकर पर थी और पापा यह बात सुन कर उदास हो गए। मैं फोन काट कर अलग रख दी, और पापा के गोद में जाकर बैठ गई।

मैं बोली: उदास होने की कोई बात नहीं है पापा। आपकी परी हमेशा आपके साथ है।

यह कहते हुए मैं पापा के सीने से लिपट गई। पापा ने भी मुझे कस के अपनी बाहों में भर लिए, मेरी दोनों चूचियां उनके सीने में दबी हुई थी।

मैं पापा से लिपटे हुए ही बोली: अच्छा बताओ आप क्या खाओगे? आपके लिए क्या बनाऊं?

पापा मुझे अपनी बाहों में कसते हुए मेरे सर को सहला कर बोले: मेरी परी को तकलीफ करने की कोई जरूरत नहीं है। खाना आज हम बाहर ही खाएंगे। चलो जल्दी से तैयार हो जाओ हम दोनों आज रेस्टोरेंट चलेंगे।

पापा बोले तो मैं झट से अपने कमरे में गई और तैयार होकर आई। एक टाइट जींस और शर्ट पहन ली थी, जिसके भीतर से मेरी चूचियां और गांड के उभार पापा के लड में तनाव ला रहे थे। हम दोनों रेस्टोरेंट गए और खाना खा कर लौटे।

घर आ कर हम लोगों ने अपने कपड़े चेंज किये, और उसके बाद पापा शराब की बोतल निकाल कर गिलास से पीने लगे। उन्होंने मुझे भी बैठा दिया और एक गिलास मुझे भी दी। मैं भी एक गिलास पी, पर उससे ज्यादा मुझसे नहीं पी गई। पापा ने चार गिलास गटक लिए।

उसके बाद मैं पापा से बोतल छीन कर रख दी और बोली: बस बहुत हुआ पापा, चलो अब सोने चलते है!

रात के 11:00 बज चुके थे। पापा बोले: इतनी जल्दी सोने की क्या जरूरत है? चलो आओ मैं तुम्हें कुछ उपहार दिखाऊं।

पापा को नशा हो चला था। वह कमरे में गए और गिफ्ट्स निकलने लगे। पापा सभी के लिए बहुत ही अच्छी-अच्छी गिफ्ट्स लाए थे। मम्मी के लिए वो लाल रंग की साड़ी लाए थे। मुझे वह साड़ी अच्छी लगी तो पापा बोले कि, “चलो इसी वक्त पहन कर दिखाओ, मैं भी देखना चाहता हूं मेरी परी साड़ी में कैसी लगती है।”

मैं बाथरूम में गई और कपड़े चेंज करके साड़ी पहन कर जब बाहर आई, तो पापा देखते ही रह गए। वह मुझे देखते हुए मुस्कुरा रहे थे, और मैं लाल रंग की साड़ी ब्लाउज पहन कर शीशे के सामने जाकर खड़ी हो गई।

पापा मेरे पीछे आकर खड़े हो गए, और अपनी बाहों को मेरी कमर में डाल कर मुझे अपने से लगा लिया। पापा मेरी खूबसूरती को बड़े गौर से देख रहे थे। वाकई में आज मैं बहुत खूबसूरत लग रही थी।

पापा बोले: आज मेरी परी दुल्हन लग रही है।

मैं हंसते हुए मजाकिया अंदाज में बोली: आज पापा की परी पापा की दुल्हन बन गई।

पापा को यह बात दिल में लगी और उन्होंने अपनी बाहों को और मजबूती से कस लिया। मेरे गांड में उनका कठोर लंड महसूस होने लगा। उनकी गर्म सांसे मेरी गर्दन पर महसूस हो रही थी। पापा मुझे कई सालों से बाहों में पकड़ते आ रहे थे, पर आज की पकड़ थोड़ी अलग थी। उनकी आंखों में वासना साफ झलक रही थी।

तभी लाइट चली गई। कमरे में अंधेरा हो गया, पर पापा मुझे अभी भी बाहों में पकड़े रखे थे। खिड़की से एक तेज रोशनी आई और हम दोनों का चेहरा चमक उठा। थोड़ी ही देर बाद एक तेज़ गर्जन हुई। बाहर बारिश शुरू हो चुकी थी, और इधर पापा ने अपने होंठों को मेरे गाल पर रख दिया। मेरी सांस भारी हो गई। मेरी चूचियां ऊपर-नीचे होने लगी।

पापा मेरे गाल को चूमने लगे। मेरी आंखें बंद हो गई, और मैं उनकी बाहों में मदहोश हो गई। पापा मेरे गाल और गर्दन को चूमने लगे, और उनका हाथ मेरे नंगे पेट पर फिसलने लगी। बिजली चमकने से हम दोनों के बदन चमकने लगते, और बारिश के आवाज में हम दोनों की मादक सिसकियां गूंज रही थी। हम दोनों पर आज नशा छाया हुआ था। वह लगातार मेरे नंगे पेट को मसलते और मेरे गाल और गर्दन को चूमते।

पापा ने मुझे गोद में उठाया,‌ और बेड पर लिटा दिया। मेरी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा कर, मेरे नंगे पेट पर होंठ लगा कर चूमने लगे। आआआआआहहहहहह.. पापा….. पापा लगातार मेरी नंगे पेट और नाभि को चूमते और जीभ लगा कर चाटते। बाहर से बिजली चमकने की लाइट आती और मेरे बदन चमकने लगती तो और अच्छे से चूमते।

इसी तरह उन्होंने मेरी कमर से साड़ी निकाली, और मैं बिना पेटिकोट के साड़ी पहनी थी, तो सीधा पैंटी उन्हें दिखने लगी। पापा मेरी पैंटी के ऊपर से चूत को चूमने लगे, और मेरी नंगी गोरी जांघों को चूमते हुए अंगूठे को मुंह में भर कर चूसने लगे। पापा के इन हरकतों से मेरी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी।

मेरी सांसे तेज चल रही थी। मैं बिस्तर पर छटपटा रही थी, और उधर बादल गरजने की आवाज़ आ रही थी। पापा मेरी पैंटी को निकाले और मेरी नंगी चूत को चूम लिये। पापा ऊपर की ओर आए और मुझे उल्टा लिटा कर मेरे दोनों चूतड़ों को चूमने लगे। मेरे चूतड़ों से होते हुए पीठ को चूमे और ब्लाउज खोल कर अलग कर दिया। फिर उन्होंने ब्रा को खोला और निकाल कर मेरी नंगी चूचियों को अपने हाथों में भर के पीठ को चूमने लगे।

फिर उन्होंने मुझे सीधा किया और मेरी दोनों चूचियों को बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर चूसने लगे। उउफ्फफ्फ्फ़… पापा… आआहहहह…. पापा लगातार मेरी चूचियों को चूसते हुए मेरे हाथ के ऊपर आए, और मेरे दोनों रसीले होठों को अपने होंठ में दबा कर पीने लगे। आज पहली बार मैं किसी मर्द के नीचे दबी हुई थी। मुझे भी उनके साथ बहुत अच्छा लग रहा था। मैं भी उनके होंठों को पीते हुए उनकी पीठ को सहला रही थी।

फिर पापा ने अपने सारे कपड़े उतारे और अपना मोटा सा लंड मेरे सामने रख दिया। मैं उनके लंड को हाथों में लेकर सहलाने लगी। पापा वैसलीन लेकर आए, और अपने लंड पर लगा कर उन्होंने मेरी चूत पर लंड को सेट कर दिया। पापा मेरे ऊपर लेटे हुए मेरे गाल को सहलाते हुए धीरे-धीरे धक्का अंदर लगाने लगे, और लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर जाने लगा। मैं दर्द के मारे उनके पीठ में नाखून गड़ाने लगी।

पापा ने थोड़ी ही देर में अपने पूरे लंड को मेरी चूत में उतार दिया, और मेरी चूचियों को चूसते हुए हल्के-हल्के धक्का लगाने लगे। मुझे भी थोड़ी देर में बहुत मजा आने लगा, और मैं पापा का साथ देने लगी। पापा अपने लंड से मेरी चूत को जोर-जोर से चोदने लगे। मेरी चूत अब पानी छोड़ने लगी थी, जिसकी वजह से पापा का लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। वह बड़े मजे से मेरी चूत को चोदते हुए कभी मेरे होंठ चूसते, तो कभी गाल को चूम लेते, तो कभी गर्दन पर दांत गड़ाने लगते। उउउउउउफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ पापा आआआहहहहहह……

फिर पापा ने मुझे कुतिया बनाया और पीछे से मेरी चूत में लंड घुसा दिया। वह मेरे ऊपर लेट गए, और मेरे गाल को चूमते हुए जोर-जोर से मुझे चोदने लगे। पापा मुझे ऐसे चोद रहे थे, जैसे लग रहा था मैं कोई रंडी थी। पापा ने अपनी रफ्तार और तेज बढ़ा दी और दो-चार झटको के बाद उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला, और मेरी पीठ पर अपना माल झाड़ दिया। हम दोनों थक चुके थे, और मैं कुतिया बने ही नीचे लेट गई और सो गई। पापा मेरे बगल में पड़े-पड़े सो गए।

सुबह जब नींद खुली तो मैं औंधे मुंह लेटी हुई थी।‌ मेरा एक पैर आगे और दूसरा पीछे थे, जिसकी वजह से मेरी चूत खुली हुई थी, और पापा उसमें जीभ डाल कर चूस रहे थे। फिर वह मेरे ऊपर आए, और अपने लंड को मेरी‌ चूत में घुसा दिया, और मुझे उल्टा लेटे ही मेरी गाल और होंठ को चूसने लगे। पापा मुझे पीछे से ही चोद रहे थे।

सुबह की सुनहली धूप निकली और खिड़की से होते हुए हम दोनों की बदन को छू गई। जिसकी वजह से हम दोनों का नंगा बदन चमकने लगा। पापा अपनी रफ्तार में मेरी चूत चोद रहे थे। लगभग 1 घंटे तक पापा ने मुझे अलग-अलग तरीकों से चोदा, और उसके बाद मेरे ऊपर झड़ गए। फिर हम दोनों साथ में ही नहाए, और उसके बाद मैं नंगी ही पापा के लिए चाय बनाने लगी। पापा ने चाय को खत्म की, और मुझे सख्त निर्देश दिए कि अब तुम पापा की दुल्हन हो और नंगी ही रहोगी, जब तक तुम्हारी मां नहीं आ जाती।

सेक्स वीडियोस देखने के लिए क्लिक करे:- Desi Sex Videos

Exit mobile version