पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-17
दोस्तों, मम्मी जुनैद की आँखों में ऐसे बेसब्री से देख रही थी, जैसे उनकी आँखें कहना चाहती हों कि मेरी तरह मेरे पाठकों को भी इस सुहागरात का इंतज़ार बेसब्री से है। आगे–
जुनैद अपने हाथों में एक खिला हुआ गुलाब लेकर मम्मी के करीब जाता है। मम्मी बेड के बीचों-बीच लंबा घूंघट किए बैठी हुई थी। जुनैद फूलों से सजे बेड के किनारे पर बैठ जाता है और मम्मी को निहारने लगता है।
मम्मी घूंघट के अंदर से प्यारे स्वर में बोली: जी, आप उधर बैठ कर ऐसे कुछ सोचते हुए क्या निहार रहे हैं?
जुनैद गुलाब की सुगंध लेते हुए बोला: यही कि आज शुरुआत कहां से की जाए, ताकि हमारी रात हसीन गुजर सके। तुम्हें दुल्हन के लिबास में निहारने का मज़ा ही कुछ और है।
जुनैद मम्मी के करीब बैठ जाता है, फिर हल्के हाथों से धीरे-धीरे घूंघट उठा कर माथे तक कर देता है। मम्मी अपनी पलके झुकाए, चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए बैठी हुई थी। उनका चेहरा आज रोज़ के मुकाबले और ज्यादा निखर रहा था।
जुनैद अपने हाथों में लिए गुलाब को मम्मी के माथे से फेरते हुए जैसे-जैसे होंठों के पास लाता है, मम्मी के बदन में सिहरन उठने लगती है। मम्मी अपनी प्यारी पलके उठा कर जुनैद की तरफ देखती हैं। जुनैद उस फूल को गर्दन से फेरते हुए मम्मी की उभरी हुई क्लीवेज पर रगड़ता है। जैसे वह मम्मी को बस तड़पाना चाहता हो।
मम्मी की आंखें नम और नशीली होती जा रही थी। वह जुनैद की तरफ इस तरह हवस भरी निगाहों से देख रही थी, जैसे आज पहली बार वह उसके साथ हमबिस्तर हो रही हों।
जुनैद उस फूल को चूमते हुए बोला: मेरी जान, आज तुमने मुझे सब के सामने किस्स करके खुश कर दिया। इस दिन का हम कब से इंतज़ार कर रहे थे।
मम्मी नशीली आंखों से उसकी आंखों में देखते हुए बोली: जुनैद जी, फिर अब किस बात का इंतज़ार है? मुझे और क्यों तड़पा रहे हो?
जुनैद करीब जाकर उसका चेहरा ऊपर उठाकर आंखों में आंखें डालते हुए बोला: जान, आज हम सब कुछ बिस्तर पर करने वाले हैं। तुम्हारे जिस्म के हर एक कोने पर अपने निशान छोड़ दूंगा, ताकि तुम अपने उस पति को फिर कभी याद ना कर सको।
मम्मी अपने तड़पते, प्यासे होंठों को उसके होंठों के नज़दीक लाकर धीरे स्वर में बोली: उसे याद करती तो मैं आपको इस दुल्हन के लिबास में ना मिलती। मेरे जिस्म का रोम-रोम तुम्हारे मूसल का दीवाना है।
जुनैद ने दोनों हाथों से मम्मी का चेहरा बड़े प्यार से पकड़ कर उनके माथे को चूमते हुए कहा: मैं ज़िंदगी भर तुम्हें अपने मूसल का प्यार देना चाहता हूँ।
दोनों कुछ देर चुप-चाप एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे, फिर जुनैद मम्मी के होंठों पर लपक कर अपने होंठ रख देता है।
मम्मी, जुनैद के होंठ लगते ही मोम की तरह पिघलने लगती हैं। वो अपनी आँखें बंद कर उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगती हैं। जुनैद जैसे ही होंठ चूसते हुए मम्मी के बूब्स पर हाथ रखता है, वो सिहर उठती हैं और अपने पैर को दूसरे पैर से रगड़ती हैं। जुनैद चोली के ऊपर से ही बूब्स की गोलाई नाप रहा था।
दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसते हुए बिस्तर पर लेट जाते हैं। फिर जुनैद मम्मी को तड़पाने के लिए अपने होंठ उनसे अलग कर लेता है।
मम्मी तब उसे खा जाने वाली नज़रों से देख बोली: यूँ मेरे बदन को तड़पा कर मत देखो ज़ालिम, मैं आग-सी जल रही हूँ।
फिर अपने होंठों को होंठों से रगड़ते हुए उसका कुर्ता पकड़ कर अपने क़रीब खींच लेती हैं। जुनैद उसकी जलती हुई आँखों में देख कर अपने होंठ मम्मी के होंठों पर रखने ही जाता है कि तभी मम्मी हँसते हुए गोल घूम कर पेट के बल लेट जाती हैं, और उसकी तरफ़ देख एक क़ातिलाना मुस्कान देती हैं।
जुनैद अपनी एक उंगली को उनकी गर्दन से धीरे-धीरे फेरते हुए चोली के नज़दीक लाकर बोला: तो तड़पाना हमें ही नहीं, हमारी जान को भी आता है।
इतना कहते ही वो चोली की डोरियाँ खोल देता है। डोरी खुलते ही चोली के दोनों हिस्से अलग हो जाते हैं। जुनैद झुक कर उनकी नंगी पीठ को ऊपर से नीचे तक चूमता है। चूमते हुए जब भी मम्मी की चर्बी पर अपने दाँत लगाता, माँ के मुँह से आह… आह… उफ़्फ… की आवाज़ निकल रही थी।
फिर वो दूसरी तरफ करवट लेकर एक हाथ से चोली उतार अपने से दूर फेंक देती है। तभी जुनैद मम्मी की नंगी चूचियों की चमक और उनके उभार को देख कर उन पर टूट पड़ता है। एक बूब्स को मुँह में लेकर दूसरे को ज़ोर से दबाता है। मम्मी अपनी आँखें बंद किए उसके सिर पर हाथ फेरती हुई—
माँ: आह… आह… उफ्फ… जालिम! कब से तड़पा रहा है… आह आह… ऐसे ही निचोड़ दे मुझे।
जुनैद और ज़ोर से माँ के बूब्स चूसने व दबाने लगता है। उसके चूसने से माँ का पूरा बदन अकड़ रहा था। माँ कामुकता से अपने पैरों को बिस्तर पर कभी रगड़ती, कभी इधर-उधर फेंकती। उनके पैरों की पायल की छन-छन कमरे में गूंज उठती।
दोनों बूब्स का रस चूसने के बाद जुनैद पेट को चूमते-चूसते हुए मम्मी की नाभि पर आ जाता है। मम्मी इससे और पागल हुई जा रही थी।
मम्मी (छटपटाते हुए कामुक अंदाज़ में): आह… आह… हहह… जुनैद जी, बस करो… आह उफ्फ्फ… क्यों तड़पा रहे हो? मैं… ममम… ऐसे ही झड़ने जा रही हूँ।
जुनैद (हांफते हुए): जान, तूने मुझे सुहागरात के लिए कितने दिन अपने आप को छूने नहीं दिया। तुझे पता है, मैंने खुद को कैसे रोके रखा!
मम्मी (कामुकता से): मेरे राजा… अपना सारा गुस्सा मेरे दोनों होलों में मूसल डालकर निकालो। आज मैं तुम्हारे मूसल से पूरी तरह तृप्त होना चाहती हूँ।
मम्मी हाथ आगे बढ़ा कर जुनैद का कुर्ता उतार फेंकती है, फिर उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फँसा कर उसे ज़ोरदार किस करती हैं। मम्मी अपने रसदार होंठ चुसवाते हुए जुनैद को अपने ऊपर लेकर लेट जाती हैं। जुनैद की मज़बूत छाती मम्मी की नर्म चूचियों को रगड़ रही थी।
एक-दूसरे को चूसते-चूसते दोनों लिपट कर करवट बदलते हैं। मम्मी जुनैद के ऊपर आकर उसे जबर्दस्त चूसने लगती है। वो जुनैद के होंठों से गले पर आती हैं, फिर उसकी मज़बूत छाती पर उतर कर दोनों निपल्स को चूमती और चूसती हुई नीचे आती हैं। फिर जुनैद के पजामे का नाड़ा एक झटके में खोल कर उसे पैरों से उतार फेंकती हैं।
मम्मी उसके अंडरवियर के ऊपर से ही लंड के उभार पर अपने होंठ फेरती हैं। जुनैद मम्मी का सिर पकड़ कर अपने लंड पर रगड़ते हुए कहा: साली, आज तू इस मूसल के लिए बहुत बेताब लग रही है?..
मां उसका अंडरवियर उतार कर उसके मूसल पर अपने कोमल होंठ फेरते हुए बोली: जुनैद जी, बेताब तो इसे पहली बार देख कर ही हो गई थी, जब आप बीच रास्ते में कार रोक कर पेशाब कर रहे थे। और आज तो सुहागरात पर इसे पाकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।
मम्मी लंड के सुपारे को मुंह में भर लेती है। जुनैद का लंड आज काफी चिकना और फूला हुआ लग रहा था। उसके लंड की नसें फूली हुई चमक रही थी। मम्मी अपना पूरा फोकस लंड पर रखती है।
जुनैद मम्मी के बाल पकड़ कर अपना लंड चुसवाते हुए: आह उफ्फ… साली, तू मजेदार है, तेरी जैसी और कोई मुझे खुश नहीं कर सकती! उफ्फ्फ्फ आह…
मम्मी जुनैद की तरफ अपनी निगाहें किए हुए, एक हाथ से लंड का निचला हिस्सा पकड़े सुपारा मुंह में लिए चूस रही थी। पूरे कमरे में चूड़ियों की खन-खन, लंड चूसने की घाप-घाप, सुर्रप-सुर्रप की आवाज़ें गूंज रही थी। जुनैद लेटा हुआ अपनी टांगे फैला देता है, ताकि मां उसका मूसल अच्छे से चूस सके।
मम्मी अपनी जीभ उसके चिकने अंडों पर फेरते हुए, लंड के अगले सिरे तक लाकर उसे फिर मुंह में भर लेती। मम्मी एक हाथ से लंड पकड़े हुए थी, और आधा मुंह में लेकर अपना सिर धीरे-धीरे, कभी तेजी से ऊपर-नीचे कर रही थी। उनका जोश आज वाकई और दिनों से ज्यादा दिख रहा था। वो काफी देर की लंड चुदाई के बाद—
मां हांफते हुए बोली: जुनैद जी, बस अब और नहीं रहा जाता, मेरी चूत अब मूसल के लिए फड़फड़ा रही है।
जुनैद उठ कर बैठा और मम्मी के बालों में अपने हाथ फेरते हुए कहा: मेरी जान, मूसल चूत में नहीं, गांड में जाना है, जिसके लिए तुमने मुझे इतने दिन तड़पाया।
मम्मी जुनैद के सीने पर हल्के हाथों से मुक्के मारते हुए बोली: मूसल को जहाँ डालना है डालो, पर मुझे शांत करो जुनैद जी, प्लीज़ मैं तड़प रही हूँ!
जुनैद तुरंत बेड से उतर कर ज़मीन पर खड़ा हो गया। मम्मी बेड के किनारे पर आकर अपने लहंगे का नाड़ा खोल देती हैं। जुनैद माँ का लहंगा पकड़ता है, तो माँ अपनी गांड हल्की ऊँची कर देती हैं, जिससे जुनैद माँ का भारी लहंगा आराम से उनके पैरों से निकाल देता है। माँ ने अंदर लाल रंग की सिल्क फैंसी पैंटी पहनी हुई थी, जो आगे चूत के हिस्से से काफी गीली हो गई थी।
जुनैद माँ की टाँगें पकड़ कर उन्हें और आगे खींचता है, ताकि वह माँ की पैंटी आराम से उतार सके। जुनैद माँ की चिकनी टाँगों को चूमते हुए उनकी जाँघों तक आता है। फिर उनकी मस्त, रस भरी जाँघों को थोड़ी देर चूसते और काटते हुए उनकी पैंटी पर आता है। फिर अपने दोनों हाथों से पैंटी को पकड़ कर धीरे-धीरे उनकी जाँघों से नीचे लाकर पूरी उतार देता है। मम्मी अब पूरी नंगी हो गई थी, उनके बदन पर बस मेरा हार ही चमक रहा था। मम्मी जुनैद की तरफ देख कर अपनी टाँगें फैलाती हैं। मैंने जब उनकी गांड के छेद में कुछ चमकती चीज़ देखी, तो मैं हैरान हो गया कि आखिर वह क्या चीज़ थी।
जुनैद मम्मी को बेड के बिल्कुल कोने पर लाता है, फिर उनकी टाँगे फैला कर उनकी चूत की फाँकों के बीच देखते हुए मुस्कराते बोला: मेरी जान, मेरे तोफे ने तुम्हें बुरी तरह गर्म कर दिया है… देखो तो, चूत कैसे गीली पड़ी है।
फिर अपनी गलियों को चूत के दरम्यान घिसता है। मम्मी उसके हाथ चूत पर लगते ही और भी तड़प उठती हैं। वो बिना पानी की मछली की तरह फड़फड़ा रही थी। मम्मी अपने हाथ आगे बढ़ा कर जुनैद का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर रख देती हैं। जुनैद अपनी जीभ चूत पर चलाना शुरू कर देता है।
मम्मी, जुनैद के बालों में अपनी उंगलियाँ फँसाए लंबी सिसकारियाँ भरते हुए बोली: आह्ह्ह… आह्ह… जुनैद जी उफ्फ्फ्फ्फ… तुम्हारा ये बट्ट प्लग, मेरे अंदर कब से तैयार था… प्लीज़ अब मुझे और मत तड़पाओ… आह्ह्ह… जुनैद जी, तुम बहुत जालिम हो…
जुनैद जीभ के साथ अपनी दो उंगलियाँ चूत में डाल कर उसके ऊपरी हिस्से को कुत्ते की तरह चूस रहा था। मम्मी इस मज़े का एहसास सातवें आसमान पर उड़ते हुए ले रही थी, उनकी आँखें ऊपर की ओर चढ़ती जा रही थी।
वो कपकपाती, कामुक आवाज़ों में बोली: आह्ह्ह… आह्ह्ह… जुनैद जी, बस और नहीं… रुक जाओ… प्लीज़… मैं झड़ रही हूँ… उफ्फ्फ्फ्फ्फ… आह्ह्ह्ह्ह्ह…
मम्मी, जुनैद के मुँह में झड़ जाती हैं। झड़ने के बाद उन्हें काफ़ी रिलैक्स मिलता है। वो जुनैद का सिर ऊपर उठाती हैं, जो अब भी उनकी चूत का रस चाट रहा था।
मम्मी उसकी आँखों में देखते हुए बोली: जुनैद जी… अब मुझे वो दर्द दो, जो पहली सुहागरात पर नहीं मिला था।
मम्मी अपनी टाँगें फैला कर अपने पेट की तरफ मोड़ लेती हैं। मैंने गौर किया कि उनकी गांड के छेद में कुछ गुलाबी हीरे जैसा चमक रहा था। मैं हैरान था कि यह नई चीज़ क्या है, जो मम्मी अपने छेद में घुसाए हुए थी।
जुनैद, मम्मी की तड़प को देखते हुए बोला: जान, मैं तुझे दर्द भी प्यार से दूँगा, क्योंकि तू मेरे दिल में बस गई है।
जुनैद मम्मी के नीचे एक तकिया रखकर उनकी गांड को और ऊँचा कर देता है। फिर जाँघों को थोड़ा और फैला कर उस चीज़ को गौर से देखता है जो उनकी गांड में घुसी हुई थी। जुनैद अपना हाथ आगे बढ़ाकर उस चीज़ को हल्के हाथों से धीरे-धीरे बाहर निकालता है। जैसे-जैसे वह चीज़ बाहर आ रही थी…
माँ दर्द से, आह… उफ़्फ़… जुनैद जी, बस अब इसे निकाल दो। अब इसकी जगह अपना मूसल डाल दो। उफ़्फ़…
जब वह पूरी बाहर निकली, तो मैंने देखा कि वह चीज़ आगे से नुकीली थी और उसके पीछे का हिस्सा धीरे-धीरे मोटा होता जा रहा था। वह देखने में एक क्रिस्टल के रंग का था। जब मैंने उसे खोजा तो पता चला कि वह एक बट प्लग था।
जैसे ही वो बाहर आया, मम्मी ने एक लंबी गहरी साँस लेते हुए कहा: आह.. इतनी देर तक इसे अंदर रखना बहुत मुश्किल था। आह उफ़्फ़ इईईईई..
मैंने देखा कि मम्मी की गांड का छेद एक इंच खुला हुआ था। उसके अंदर का गुलाबी माल साफ़ दिखाई दे रहा था, मम्मी धीरे-धीरे अपना छेद सिकोड़ रही थी।
जुनैद ने एक क्रीम उठाई और अपने मूसल पर लगाते हुए कहा: तो जानू, अब तुम दर्द के लिए तैयार हो ना? मेरा मूसल पहले तुम्हारी गांड में जाएगा!
मम्मी ने हल्की मुस्कान के साथ जुनैद से कहा: मूसल के लिए कोई भी दर्द ठीक है, पर थोड़ी नरमी बरतो जुनैद जी।
जुनैद गांड के छेद पर भी थोड़ी क्रीम लगाता है, वो एक उंगली पर ढेर सारी क्रीम लेकर गांड में डाल कर अंदर लगाता है। मम्मी होने वाले दर्द का एहसास जुनैद की आँखों में देख कर कर रही थी, क्योंकि अब उसे जुनैद के मोटे मूसल से मिलने वाला था। जुनैद अब ज़्यादा समय ना लगाते हुए अपना लंड गांड के छेद के पास लाता है और मम्मी की तरफ देख कर लंड डालने की सहमति लेता है।
मम्मी हल्की मुस्कान के साथ सिर हिला कर हाँ में जवाब देती हैं और अपनी टांगों को और अच्छे से पेट की तरफ मोड़ लेती हैं। जुनैद अपना लंड हल्का-हल्का गांड के हॉल पर रगड़ता है। मम्मी दर्द के डर से बार-बार गांड के हॉल को सिकोड़ रही थी। उसके चेहरे पर लंड लेने की बेताबी और होने वाले दर्द की झलक साफ़ दिखाई दे रही थी, लेकिन सुहागरात में मूसल अपनी गांड में लेने की बेताबी उन्हें अपनी टांगें फैलाने पर मजबूर कर रही थी।
जुनैद अपनी आँखों से मम्मी को हिम्मत देते हुए मूसल को गांड के छेद में डालने का प्रयास कर रहा था। वैसे तो मम्मी ने बट्ट प्लग लगा कर अपने छेद को पहले ही ढीला और नर्म कर लिया था।जुनैद धीरे-धीरे मम्मी की आँखों में आँखें डाल कर अपने लंड के सुपारे को गांड में प्रवेश कर देता है।
हल्का सा सुपारा अंदर जाते ही उसकी आँखों में देखते हुए, मम्मी एक लंबी सिसकारी भरती हुई बोली: आह आह ह ह ह.. उफ्फफफ सी सी सी आई.. ओहो ओहो, काफी मोटा है, जुनैद…
जुनैद अपने टोपे को डाल कर हल्का-हल्का अंदर-बाहर करता है। उसका मूसल जैसे-जैसे अपनी जगह बनता, मम्मी को एक चीनी जैसी राहत महसूस होती गई।
जुनैद धीरे-धीरे अपने मोटे मूसल को और अंदर की तरफ ढकेल रहा था। मम्मी की गांड की स्किन लंड के हिसाब से चीरती जा रही थी। वह अपने दांत पीसते हुए जुनैद को देख रही थी। मम्मी का दर्द से बुरा हाल हो रहा था। मम्मी छटपटा रही थी और अपनी मुठ्ठी में बेड की चादर समेट रही थी। वह बिना पलके झपकाए जुनैद को देख रही थी।
जुनैद का आधा लंड मम्मी के अंदर समा गया था, पर अभी बचा हुआ हिस्सा मूसल के आगे वाले हिस्से से भी मोटा था। मम्मी अपने एक हाथ को पीछे लाकर लंड का जायजा लेती हैं, जो अभी आधा बाहर था, और उससे और हैरान होती हुई मां, चेहरे पर दर्द और डर के भाव लिए, बोली: जुनैद जी, रेहम करो! अभी तो आपका आधा ही गया है, उससे ही मेरा बुरा हाल हो गया। पूरा जाएगा तो मैं मर ही जाऊंगी। उफ्फफफ सीईई.. काफी जलन हो रही है… आह ह उफ्फफफ, ऐसा दर्द!
जुनैद, मां की चूत को हल्के हाथों से छूते हुए, कहा: जान, बस थोड़ा दर्द और सह लो, फिर मैं तुम्हें सच में सेर का मज़ा दूँगा।
जुनैद, दर्द को राहत में बदलने के लिए, चूत को थोड़ा रब करना शुरू कर देता है, जिससे मां को दर्द में भी अब मज़ा महसूस होने लगा। धीरे-धीरे मां की सिसकारियां निकलनी शुरू हो जाती हैं। जुनैद चूत को और तेज़ रगड़ता है और साथ में एक-दो उंगलियां भी डाल देता है। जब जुनैद को लगा कि मां अपने दर्द पर काबू पा चुकी है, तो उसने अपने मूसल को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया।
मां को अब मज़ा और दर्द दोनों मिल रहे थे, तो वह भी कामुक हो कर लंबी-लंबी सिसकारियां ले रही थी। फिर जुनैद ने अचानक हमला किया और अपना आधा मूसल भी मम्मी की गांड में उतार दिया।
मां, दर्द से चीखती हुई, बोली: आई ईई ईई… जालिम, तूने मुझे मार डाला! उफ्फफफ, आईईईई… मां सीईईईई, आह ह ह ह… बहुत दर्द हो रहा है, जालिम, रेहम कर! आई आईईईईईई ई!
जुनैद अपनी चूत में डाली हुई उंगलियों को और तेज़ अंदर-बाहर करता है, साथ में वह चूत के दाने को भी अपने अंगूठे से रगड़ रहा था।
मां: उफ्फफफ, उफ्फफफ… आईईईई… जुनैद जी, एक तरफ दर्द देकर भी मुझे मज़ा दे रहे हो! आह आह आह ह ह ह… तुम ही असली मर्द हो, जुनैद! ई लव यू, ई ई ई लव… चोदो मुझे और चोदो।
जुनैद अपने मूसल को आगे-पीछे करते हुए चूत भी मसल रहा था। उसका ऐसा करना अब मम्मी को बहुत मज़ा दे रहा था। धीरे-धीरे जुनैद के हल्के धक्के तेज़ होते जा रहे थे, और मम्मी उसकी आँखों में देख कर उसका हौसला बढ़ा रही थी।
जुनैद कुछ देर में मम्मी की दोनों टांगे मजबूती से पकड़ कर अपने धक्के तेज करता है, मम्मी अब सातवें असमान पर उड़ते हुए गांड चुदाई का मजा ले रही थी।
मम्मी उसकी आँखों में देखते हुए अपने दोनों बूब्स खुद मसलती, कामुक सिसकारियां भरती हुई बोली: आह आह आह उफ़ उफ़… जुनैद जी… आह ह हहहह, आह आहहह ह… तुम कमाल के मर्द हो, मज़ा ही आ गया इस सुहागरात।
जुनैद मम्मी की दोनों टांगे वी-टाइप फैला कर तेज़ धक्कों से चोद रहा था। उसके हर धक्के मम्मी को एक-एक इंच हिला रहे थे। फिर जुनैद बेड पर चढ़ कर मम्मी को घोड़ी पॉजिशन में चोदना शुरू करता है। जुनैद मां के बड़े कूल्हों को मजबूत हाथों में पकड़ कर तेज़ धक्के मार रहा था। तेज़ धक्कों से जुनैद की थाई मां के चूतड़ों से टकरा रही थी। पूरे कमरे में थप-थप और मां की कामुक आवाज़ें गूंज रही थी।
मां की चूत लगते ही थरथरा रही थी, उनके चूत से रस टपक कर बेड शीट पर गिर रहा था। कुछ देर में मम्मी जुनैद को अपने ऊपर आने के लिए बोलती हैं। जुनैद मां की दोनों टांगों के बीच आकर मूसल के जोरदार धक्कों से चुदाई करता है। मां एक बार फिर जुनैद के साथ लंबी-लंबी सिसकारियां भरती हुई झड़ जाती हैं। थोड़ी देर की तेज़ चुदाई पर जुनैद मां की गांड में ही झड़ जाता है।
एक लंबी चुदाई के बाद, जुनैद कुछ देर मम्मी के ऊपर ही लेटा रहता है, जब उसका मूसल ढीला होकर गांड से बाहर निकल रहा था। उसके मूसल के साथ उसका ढेर सारा वीर्य भी बाहर आ रहा था। जुनैद मां के ऊपर से उतर कर बगल में लेट जाता है।
मम्मी उसके सीने से चिपक कर उसके होंठों पर किस की बौछार करती हुई बोली: ओह, जुनैद जी, आपने तो मुझे खुश ही कर दिया। बक्के में मेरी ऐसी चुदाई पहली सुहागरात पर नहीं हुई थी। आज आपने मुझे दर्द के साथ एक अलग ही खुशी दी है। ई लव यू।
जुनैद मम्मी के होठों को अपने दांतों के बीच काटते हुए बोला: मुझे भी तेरी चुदाई करके बहुत मज़ा आया। तेरी टाइट गांड को खोलने में एक अलग ही मज़ा था।
मम्मी थोड़ी उदास होते हुए बोली: काश, जुनैद जी, मैं आपको अपनी सील-पेक चूत भी सुहागरात पर दे पाती, तो आज मुझे और भी खुशी मिलती।
जुनैद: पर वो नामर्द के किस्मत में थी। पर जान, मेरी नजर में तेरी गांड भी सील-पैक से कम नहीं थी।
मम्मी जुनैद से लिपटते हुए बोली: थैंक्यू, जुनैद जी। आपने मुझे विधवा औरत की जिंदगी से बाहर निकाल दिया। अगर आप मुझे नहीं मिलते, तो मैं उस उदास ज़िंदगी से बाहर ही नहीं आ पाती।
मम्मी अपने होंठों से जुनैद के होंठ लॉक कर लेती हैं, और जुनैद मम्मी का बदन मसलना शुरू कर देता है। मां उसके ऊपर लेटी हुई उसे जबरदस्त चूस रही थी, अपनी चूचियों को उसके सीने में रगड़ते हुए, मूसल को भी चूत में गर्म कर रही थी।
थोड़ी देर की गर्मी के बाद मां फिर से चुदाई के लिए उतारू हो जाती हैं। वह एक हाथ पीछे करके जुनैद का मूसल चूत में सैट कर लेती हैं। फिर जुनैद नीचे से धक्के लगाते हुए मम्मी की चुदाई करने लगता है, मां उसके मोटे मूसल पर उछलते हुए बड़ी कामुक मोन महसूस कर रही थी।
पूरे कमरे में एक बार फिर से मम्मी की सिसकारियों और थप-थप की आवाज़ गूंज उठी। मां बड़े कामुक तरीके से उसके मूसल पर घुड़सवारी कर रही थी। वह कभी अपने खुले बालों में हाथ फेरती और कभी बालों को नोचने लगती।
जुनैद थोड़ी देर में मम्मी को काबू में ले लेता है, मम्मी अपने हाथों से चूत फैला रही थी। जुनैद मम्मी की चूत में जोरदार धक्के लगाते हुए गांड पर थप्पड़ मार रहा था। उसके थप्पड़ों से मां की गोरी गांड लाल हो रही थी।
मां की घमासान चुदाई देख कर मैं दो बार झड़ चुका था। एक तरफ मेरे मन में यह ख्याल आ रहा था कि जब जुनैद मां को इतना बुरा हाल कर रहा है, तो आरिफ मौसी का क्या हाल कर रहा होगा। मां की सुहागरात रात ना होती, तो मैं मौसी की चुदाई देखना पसंद करता। मेरी आँखें अब जवाब दे रही थी, पर मां की चुदाई से मैंने अपनी आँखों को थोड़ी देर हिम्मत दी।
फिर मैंने देखा कि जुनैद हांफते हुए घूर रहा था; वह झड़ने के करीब आ रहा था।
मां उसकी प्रतिक्रिया को समझते हुए बोली: जुनैद जी, चूत में नहीं… आह ह… मुझे मुंह में लेना है, बस, मैं हो जाऊँ… उफ्फ़… आईईई… सीईईई…
मां झड़ने के बाद तुंरत अपना मुंह जुनैद के मूसल के नीचे खोल कर बैठ जाती हैं, जुनैद लंबी लंबी गुरहट्टा के साथ मां के मुंह में अपना सारा मल निकाल देता है। मां उसका सारा वीर्य पी जाती हैं, फिर उसके मूसल पर भी लगा वीर्य को चाट लेती हैं। फिर मम्मी आराम से लेट कर जुनैद के पास लिपट जाती हैं, अपना सिर उसके सीने पर रखकर चैन की नींद सो जाती हैं।
चुदाई पूरी होने के बाद, मैंने सोचा, क्यों ना मैं भी अब सो जाऊँ। लगभग दो घंटे की नींद लेने के बाद मेरी आँखें फिर खुलीं, और मम्मी की सिसकारियां मेरे कानों में गूंज उठीं। मैं एक बार फिर उस जगह गया और देखा कि मां व्यस्त थी, और जुनैद मां की गांड चुदाई कर रहा था। उसके लंड में अब भी पहले जैसा ही तनाव था, और वह मां की गांड में तेज धक्कों से चोद रहा था।
मेरी मां थोड़ी देर में गांड में बट्ट प्लग लगा कर उसका मूसल चूत में घुसा लेती हैं। उनकी हवास देख कर मैं चौंक जाता हूँ कि मेरी मां के अंदर कितनी आग है। फिर उनकी ताबड़तोड़ चुदाई देख कर मैं सोने चला जाता हूँ।
तो दोस्तों, सुबह क्या हुआ, वो मैं आपको अगले पार्ट में बताऊँगा। मुझे उम्मीद है कि इस लंबी चुदाई के बाद आपका भी उत्साह कम हुआ होगा। तो सभी को मेरी तरफ से अलविदा। मेरी कहानी पर अपना फीडबैक मुझे मेरी ईमेल deppsingh471@gmail.com पर भेजें। धन्यवाद।