Drishyam, ek chudai ki kahani-46

चुदवाने को बेताब हो फिर भी मनाना है तुझे, गोरे बदन से प्यार से कपडे हटाना है तुझे। क़दमों में गिर कर गिड़गिडा चुदवाने को तैयार कर।

Drishyam, ek chudai ki kahani-45

औरत मर्दों से ऊँची है, सारे संसार की द्योति है। कमजोर नहीं चुदवाते हुए चूँकि वह निचे सोती है। माँ, बहन, बेटी, पत्नी बनकर बोजा सारा वह ढोती है।