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कहानी मेरे परिवार में हुए संभोग की-8

मैंने आपको पिछले भाग में बताया था कि मेरी चाची राधिका कैसे अपनी चूत में खीरा डाल कर मजे ले रही थी। मैं बाहर से उनको ऐसा करते अपना लंड हिला रहा था। अब आगे-

मैंने 10 मिनिट तक वो रमणीय नजारा देखा, और फिर मैं रूम के बाहर गया और घर के दरवाजे के पास जाके खटखटाने लगा, ताकि उनको पता ना चले कि मैंने उनको अपनी चूत में खीरा डालते देख लिया था।

मैंने आवाज लगाई।

मैं: चाची कहा हो आप?

चाची मेरी आवाज सुन कर हड़बड़ी में उठी, और खीरा फेंक कर बाहर आई।

चाची( हिचकिचाते हुए ):अरे चीकू, तू कब आया?

मन तो कर रहा था कि बोल दूं, कि जब से आप अपनी चूत में मजे ले रही थी तब से।

मैं: अभी आया चाची, आप क्या कर रहे थे? और आपको इतना पसीना क्यों आ रहा है?

चाची घबराते हुए: कुछ नहीं, मैं अंदर काम कर रही थी।

मैं: कैसा काम?

चाची: वो अंदर मैं मैं वो सामान सेट कर रही थी, और थोड़ा सफाई कर रही थी।इसलिए मुझे पसीना आ रहा है।

मैं: सामान सेट करने में इतना पसीना आता है? ये मैंने पहली बार देखा।

वो बहुत ज्यादा नर्वस हो गई थी, और कुछ नहीं बोल पा रही थी।

इतने में मैं बोला: अब चुप रहोगे या अंदर भी बुलाओगे?

चाची: आ ना अंदर आ।

हम दोनो अंदर गए, मेरी चाची ने मुझसे घबराहट में पूछा-

चाची: बता कैसे आया इस वक्त?

मैं: क्यों, मैं किसी भी वक्त नहीं आ सकता क्या? आप ही तो बोलती हो तेरा ही घर है जब चाहे आजा।

चाची: ऐसी कोई बात नहीं है। तू जब चाहे आ सकता है। मैं तो बस ऐसे ही पूछी।

मैंने बोला: सुबह जो नाश्ता नहीं कर पाया था, वहीं करने आया हूं। पर यहां तो कुछ और ही हो रहा है।

चाची एक-दम से डर के मारे पसीने पसीने हो गई और बोली: क्या, कब, कैसा, क्या काम चल रहा है?

मैं: आप सामान सेट कर रहे हो ना, वही काम।

चाची चुप थी, और सिर्फ हां में मुंडी हिलाई।

मैं: आपको बहुत पसीना आ रहा है। चाची इसे तो पोंछ लो।

चाची हां बोल कर झट से भाग के अंदर गई, और अपने पसीने को पोछने लगी। वो अभी भी बहुत घबराई हुई थी, कि कहीं मैंने उनको देख तो नहीं लिया करके।

मैंने फिर उनका वहम दूर करने के लिए एक-दम सॉफ्ट होकर बोला: मेरे लिए नाश्ते में क्या बनाई हो आप?

चाची बोली: क्या खायेगा, मैं अभी बना कर ले आती हूं।

मैंने बोला: मैगी बना दो, बहुत टाइम से नहीं खाया है।

वो हां बोल कर दौड़ी-दौड़ी अंदर गई, और मैगी बनाने लगी।

मैं उनको पीछे से ताड़े जा रहा था, और हस रहा था कि मेरा काम इस खीरे ने बना दिया करके। मैं अब एक-दम खुश हो गया कि अब तो मैं चाची को या तो मना के चोदूंगा, या फिर ब्लैकमेल करके चोदूंगा,

पर चोदूंगा जरूर। फिर चाची मेरे लिए अंदर से मैगी लेकर आई।

मैं उनसे बोला: मैं अकेले नहीं खाने वाला हूं, आप भी अपने लिए लेकर आओ।

चाची: मैंने बस ये तेरे लिए ही बनाया है चीकू, मैं सुबह नाश्ता कर चुकी हूं इसलिए।

मैं: तो मैं इसे अब अकेले नहीं खाऊंगा। आपको भी खाना पड़ेगा मेरे साथ।

चाची ने हां बोला और मेरे पास आकर बैठ गई।

वो बोली: तू पहले खाले, फिर जो बचे वो मुझे दे देना।

मैं: वाह! मैंने बोला ना अकेले नहीं खाऊंगा। आज आपको अपने हाथों से प्यार से खिलाऊंगा।

और मैंने चाची को मुंह खोलने के लिए बोला। चाची ने अपना मुंह खोला, और मैंने उनको अपने हाथों से खिलाया। फिर मैंने खाया। हम दोनों ने एक ही चम्मच में साथ में मैगी खाया।

और तब तक उनका डर शांत हो गया, और वो मुझसे खुल कर बाते करने लगी।

चाची (एकदम फ्री माइंड से): कैसा था टेस्ट?

मैं: बिल्कुल आप ही की तरह एक-दम स्वीट।

चाची सहम कर बोली: अच्छा?

हमने काफी टाइम तक बाते की, और मैं घर जा रहा हूं बोल कर वापस आ गया। मैंने प्लान कर लिया कि अब जो भी हो, मैं चाची को अपने लंड का स्वाद चखा कर ही रहूंगा।

अब मैं उनकी हर एक हरकत में नज़र रखने लगा था। वो क्या कर रही थी, कब कर रही थी, वगैरा-वगैरा। मैंने देखा कि मेरी चाची ना कल घर आई थी, और न ही आज सुबह आयी थी खीरा लेने। मैं समझ गया, कि जब से मैं उनके घर गया था तब‌ से मुझे शक ना हो गया हो, इसलिए वो नहीं आ रही थी। फिर मैं मां के पास गया, और उनसे पूछने लगा-

मैं: मीनाक्षी, चाची दो दिन से घर नहीं आई खीरा लेने। क्या बात है?

मां: हो सकता है वो मार्केट से ले आती होगी।

मैं भले ही बचपन से उनके साथ था, पर ज्यादा कुछ नहीं जानता था। क्यूंकी मैं शुरू से बाहर रहता था।‌फिर मैंने मां से पूछा-

मैं: वैसे ये चाची का स्वभाव कैसा है? मतलब वो कैसी टाइप की है?

मां: बहुत अच्छी है वो, और सीधी-साधी है। हमेशा मेरा ख्याल रखती है। वो हेल्पिंग स्वभाव की है। तेरे पापा और बहनों के जाने के बाद एक वही तो है, जिसके साथ मैं बाते करती रहती हूं।

मैं: वो सच में ऐसी है, या दिखावा करती है?

मां: नहीं वो सच में अच्छी है। वो किसी गैर मर्द को क्या बल्कि कोई उसे घूर कर देखे, तो भी उसे पसंद नहीं।

मैं: मुझे नहीं लगता।

मां: कैसे, और आज अचानक तू उसके बारे में ऐसा क्यों पूछ रहा है?

मैं: पता है उस दिन मैं उनके घर गया तो मैंने क्या देखा? जिसे देख कर मेरे होश ही उड़ गए।

मां: ऐसा क्या देख लिया तूने?

मैं: मैंने देखा कि वो अपनी चूत में खीरा डाल रही थी, और बड़े मजे ले रही थी।

मां चकित हो गई और बोली-

मां: वो सच में ऐसा कर रही थी?

मैं: मैं दरवाजे के बाहर से देख रहा था कि वो कितनी हवस के साथ वो खीरा अंदर ले रही थी।

मां: हे भगवान, जिसका डर था वहीं हुआ।

मैं: क्या मतलब?

मां: अब जिसका पति ही चुदाई के मामले में कमज़ोर हो, तो उस बेचारी के पास और कोई रास्ता नहीं रह जाता।

मैं: क्या मतलब है,‌चाचा उनको चोदते नहीं है क्या?

मां: चोदता तो है, पर वो बताती है कि वो 3 या 4 मिनट से ज्यादा टिकता नहीं और चोद के सो जाता है।

मैं: अरे बाप रे!

मां: चुदाई के मामले में वो तेरे पापा से भी कमज़ोर है। तेरा बाप कम से कम मेरे सामने 10-15 मिनट टिक जाता है। पर वो बिल्कुल भी नहीं।

मैं: तभी वो इसका सहारा लेती है।

मां: और करेगी भी क्या?

मैं:‌ हमम।

मां: उसे पता तो नहीं है ना कि तूने उसे ये सब करते देखा है?

मैं: उसे शक तो हुआ है, पर मैंने उसे भनक भी नहीं लगने दी।

मां: तब ठीक है।

मैं चाची की कमजोरी अब जान चुका था कि वो भी मां के जैसे ही भूखी थी चुदायी के लिए।‌ फिर क्या था, मैं उसकी प्यास बुझाने के लिए रेडी था

मैंने मां से कहा: मैं उसकी प्यास बुझा दू क्या? वो भी तो आपकी कितनी मदद करती है।

मां भड़क गई और मुझे चिल्लाने लगी: तू सिर्फ मेरा है कुत्ते। मैं तुझे उसके साथ नहीं सोने दे सकती समझा। और तुझे उसपे इतनी ही दया आ रही है, तो जा चोद ले उसको भी।‌‌ पर मेरे बारे में सोचना भी मत कभी।

मैं: अरे मेरी डार्लिंग, मैं तो मजाक कर रहा था। तू तो खाम-खा रूठ गई, मैं सिर्फ तेरा हूं, और तेरा ही रहूंगा।

मां को ऐसा करके मैंने गले लगा लिया, और मन ही मन में चाची के ख्यालों में खो गया। उसे याद करके मैं मां के चूत को सहलाने लगा, और उसकी याद में मां को नंगी किया, और फर्श में लिटा कर चोदने लगा।

मां को अच्छे से चोदने के बाद मैं चाची के घर गया। वो घर पर नहीं थी,‌ और मैं उदास होकर वापस घर आ गया। फिर उस रात मां मेरे कमरे में आई और मां को फिरसे मैंने सारी रात 3 बजे तक चोदा।

चूदाई के बाद मां ने मुझसे पूछा-

मां: तू उसको सच में चोदना चाहता है?

मैं: नहीं मीनाक्षी, तू है ना चोदने के लिए मेरे पास, गुड़िया।

मां: सच बता, अगर तू उसे चोदना चाहता है, तो मैं तेरी मदद करूंगी।

मां ने मेरी तरफ जाल फेका था, ये जानने के लिए कि मैं क्या चाहता था। पर मैंने साफ-साफ मना कर दिया। फिर वो समझ गई कि मैं ऐसा नहीं करना चाहता। अगली सुबह मैं जल्दी उठा और छत पर चला गया।

चाची योगा कर रहीं थी। मैं उनके पास गया तो वो मेरी तरफ देख कर बस हस रही थी।‌‌ फिर उसने कहा-

चाची: तू भी आजा चीकू, योगा कर ले।

मैं: आप कर लो, मैं ऐसे ही ठीक हूं।

ये कह कर मैंने स्माइल कर दिया।

मैं तो बस उनके स्तनों को निहारे जा रहा था। ऐसा करते हुए मेरी चाची ने मुझे देख लिया था, पर वो कुछ नहीं बोली। वो अपने योगा में व्यस्त हो गई। योगा करके वो नीचे जाते हुई मुझसे बोली-

चाची: चलेगा नीचे चाय पीने?

मैं: बिलकुल, नेकी और पूछ-पूछ।

मैं उनकी लटकती गांड के पीछे-पीछे चला गया। फिर वो अंदर से मेरे लिए चाय बना कर लाई।

वो योगा ड्रेस में थी जिससे उसके चूत और भरे हुए दूध काफी कामुक लग रहे थे।

मन तो कर रहा था सब सच बता के उसे ब्लैकमेल करके चोद लूं। पर मैंने सोचा ऐसे में मजा कहा।

जो वो खुद से देगी, उसमे जो मजा है वो अलग ही नशा होगा।

मैंने चाची से बात करते हुए उनके बूब्स की ओर इशारा किया। वो बोली-

चाची: क्या हुआ?

मैं: आपके उसमें कुछ लगा है।

चाची: किसमें क्या लगा है?

मैं: उसमें मतलब जहां से बच्चे दूध पीते है।

वो नादान हसने लगी, कि ये नहीं जानता इसे किस नाम से बुलाते है।

मैंने बोला: साफ कर लो।

चाची: कहां पर, मुझे तो कही कुछ नहीं दिख रहा?

मैंने उंगली दिखते हुए उनके बूब्स के बीच के लाइन में उंगली डाल दी। ‌जब मैंने उंगली डाली, तो चाची के चेहरे में एक अलग ही चमक आ गई, और आंखे बंद होने लगी थी।

मैं वहा साफ करके बोला: कुछ काला-काला सा लगा था। अब साफ हो गया वो।

चाची मुझे घूर कर देखने लगी।

मैं: ऐसे क्या देख रहे हो आप?

चाची: देख रही हूं कि तू कितना बड़ा हो गया है।

मैं: क्या? मैंने तो आपकी मदद की, उसे साफ करने में।

चाची: ठीक है।

चाची समझने लगी थी कि मेरे इरादे सही नहीं थे। और उनके प्रति मेरी सोच बदलती जा रही थी। मैं अपने प्लान का पहला हिस्सा तो पार करके कामयाब हो चुका था। अब आगे बढ़ना था मुझे अपने प्लान में।

मैंने चाची से पूछा: आप रोज हमारे घर आते थे। अब क्यों नहीं आते चाची?

चाची कुछ नहीं बोल पाई। मैं उनको अपने जाल में फसाने के लिए बात करने लगा।

मैं: चाची आज आप इस योगा ड्रेस में एक-दम यंग लग रहे हो।

चाची: क्या बात है, आज सुबह से तारीफ।

मैं: अब सुंदर लोगों की तारीफ में क्या दिन और क्या रात।

चाची: अच्छा।

मैंने उनका हाथ पकड़ लिया, और बोला-

में:आपकी स्किन भी कितनी नर्म है, जैसे किसी 2 साल के बच्चे की हो। आपका सब कुछ एक-दम परफेक्ट है।

चाची: और क्या-क्या जानता है?( वो अपनी तारीफ सुनने के लिए बोली)

मैं: आप इतनी सेक्सी हो, कि कोई भी आपके प्यार में अभी भी पागल हो जाए। आपका ये मक्खन जैसा गोरा रूप, आपके ये काले घने लंबे कमर तक आते बाल, आपकी सुंदरता को चार चांद लगा देते है।

चाची समझ गई थी मेरी बातों का मतलब। वो बोलने लगी-

चाची: तू तारीफ तो बहुत अच्छी कर लेता है। किसी को भी अपने जाल में लेने के लिए।

मैं: क्या क्या मतलब है आपका?

चाची: मतलब ये है कि तू जब से मुझे देखा है बिल्कुल बावला हो गया है मेरी खूबसूरती के पीछे।

तुझे कोई और लकड़ी नहीं मिली, जो मुझसे ये बोल रहा है?

मैं आगे बढ़ते हुए-

मैं: मिली तो अब तक नहीं थी, पर अब जाकर मिली तो वो भी मेरी चाची।

चाची: तो क्या अपनी चाची पर ही ये पैंतरा आजमाएगा?

मैं: मैं समझा नहीं?

चाची: पर मैं समझ चुकी हूं कि तू क्या समझने लगा है।

मेरी गांड़ फट गई की चाची ये सब समझ तो नहीं गई। और ये सब मां से ना कह दे। क्यूंकी अगर मां को पता चलता तो वहां से मेरा चोदने का पत्ता कट हो जायेगा।

मैं: मैं तो बस आपकी तारीफ कर रहा था।

चाची: मैं तुम लड़को की तारीफ समझती हूं। पहले तारीफ करेंगे, और ना जाने उनके बारे में क्या-क्या सोचेंगे। और अंत में अपना अंजाम दोगे।

मैं: आप गलत मत समझो।

चाची भड़की हुई लग रही थी मुझे, और गुस्से से बात करने लगी थी। मुझसे रहा नहीं गया, और कांपते-कांपते बोल पड़ा-

मैं: अब आप समझ ही गई हों तो बोल ही देता हूं। आप मुझे बहुत पसंद हो। आप बहुत सेक्सी और हॉट लगते हो। मुझे मन करता है कि आपका बन कर हमेशा के लिए रह जाऊं। और मुझे ये भी पता है कि आपको सेक्स का बहुत मन होता है। पर आप बहुत ही अच्छी स्वभाव की हो, इसलिए आपने अपनी सीमा को पार ना करते हुए किसी और मर्द की तरफ नहीं देखा।

मैं: पर प्लीज आप मुझे गलत मत समझना, और ना ही ये बात आप किसी से कहना। किसी को ये बात पता चलेगी तो मेरी खैर नहीं। प्लीज आप किसी से मत कहना।

आप मुझे बहुत पसंद हो। I Love You चाची।

चाची: कोशिश अच्छी थी तेरी बच्चे, पर मैं तेरे जाल में नहीं फसने वाली। और हां, चिंता मत कर, मैं किसी से नहीं कहूंगी। पर इतना कहूंगी कि तेरी सोच बहुत घटिया है मुझे लेकर।

मैं: मैं एक राज की बात जानता हूं, जो शायद आप नहीं जानते।

चाची: कैसा राज?

मैं: मैंने आपको उस दिन आपको कुछ करते देखा था।

चाची एक-दम चौंक गई थी पहले तो, और पसीने आने लगे थे उनको।

चाची: क्या देख लिया था तूने?

मैं: वही जो आपको बहुत पसंद है, और आपको उसको करने में सुकून मिलता है।

चाची: क्या?

मैं: हां चाची, जब उस दिन आप अपनी चूत में खीरा डाल रही थी, तो मैंने चुपके से आपको ऐसा करते देख लिया था।

चाची: क्या शब्द बोला तूने अभी?

मैं: चूत।

चाची: छी… कितना घटिया इंसान है तू। मैं क्या समझती तुझे, और क्या निकला।

मैंने तेरे साथ क्या 2 बात कर ली हसी-मजाक में, तू तो अपने आप को क्या समझ लिया।

मैं: गुस्सा मत करो चाची। मैं भी ये बात किसी से नहीं कहूंगा कि आप ये सब कर रही थी।

आप मेरी बात किसी से ना कहना, मैं भी किसी से नहीं कहूंगा।

चाची का अब पूरा शक दूर हो गया था कि मैंने उनको देख लिया था। अब वो जान चुकी थी। इसलिए वो पूरी इस चीज से फ्री हो गई थी। और  वो बोली-

चाची: मुझे लगा भी था कि तूने देख लिया था, पर अनजान बनने का नाटक कर रहा था।

मैं: तो आपको पता चल गया?

चाची: मैं दिखती सीधी हूं, पर जानती सब हूं। पर तू उस समय मुझे आके ये सब नहीं बोला, और अनजान बनने का नाटक किया, और रिश्तों को समभाला। ये मुझे अच्छा लगा। इसलिए मैं तेरे से ज्यादा नाराज नहीं हूं। पर ऐसा मत सोचना कि मैं तेरे जाल में फसने वाली हूं।

मैं: छोड़ो ना चाची उस बात को, अब जाने भी दो। मैं आपको क्यों जाल में फसाऊंगा?

चाची: वैसे मुझे भी एक राज की बात पता है, जो तू शायद नहीं जानता।

मैं एक-दम फ्री था, और हस्ते मिजाज में बोला-

मैं: भला आपको कौन सा राज पता है, जिससे मैं अनजान हूं?

चाची: तू शायद सुनना नहीं चाहेगा। बोल‌ दूं?

मैं: बोल‌ दो।

चाची: भोला बनने का बहुत नाटक करता है ना।

मैं: मैं आपके जितना नहीं हूं।

चाची गुस्से में बोल पड़ी-

चाची: हां जो अपनी मां को चोद सकता है, वो मेरे बारे में क्या ही अच्छा सोच सकता है।

मैं एक-दम भौचक्का हो गया। मेरे कान से धुआं निकल गया ये सब सुन कर।

मैं: आप ये क्या कुछ भी बोल रहे हो( घबरा के)।

चाची: बड़ी ही हवस हैं तुझमें। अपनी मां को तो छोड़ देता।

मैं: आप इतना बुरा कैसे बोल सकते हो? वो भी मां बेटे के रिश्ते के बारे में।

चाची: अब इतना भोला मत बन। मैं सब जान चुकी हूं, और देख भी चुकी हूं कि तेरे और दीदी के बीच में क्या रिश्ता है।

मैं एक-दम चुप था कि घर में किसी को भनक नहीं, और इसे कैसे पता चल गया।

चाची: तू होगा बड़ा होशियार, पर मुझसे एक कदम पीछे ही रहेगा। याद है वो दिन तुझे जब तेरी मां रो रही थी छत में, और तूने उसकी गांड को पकड़ रखा था, और तूने उसे किस नजरों से उनको चूमा था होठों को।

मैं: तो मेरा शक सही था। मैंने सोचा भी था कि वहां पर कोई था।‌पर मैंने अनदेखा किया था।

चाची: मैंने तो सोचा था तू अपनी मां को चुप कराने के लिए ऐसा किया था।

मेरी मुंडी शर्म के मारे नीचे हो गई थी। कुछ नहीं बोल पा रहा था।

चाची: चोर अक्सर कोई ना कोई अपना सुराग छोड़ ही देता है मेरे लाल। मुझे यकीन तो नहीं था पर जो मैंने उस दिन सुबह देखा और सुना, उससे मेरा शक यकीन में बदल गया।

मैं: कब, कौन से दिन?

चाची: वो सुबह जब तू अपनी मां को पकड़ रखा था, और उनसे चोदने की बाते कर रहा था।

मैं: तो आपने सब सुन लिया?

चाची: जी सर! जैसे आपने मुझे छुप कर खीरा डालते देखा, वैसे ही मैं बाहर खड़े होकर सब देख और सुन रही थी।

मैं: मुझे माफ कर दो। मैं अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं करूंगा चाची। मैं मां चोदना तो दूर उनके बारे में अब बुरा तक नहीं सोचूंगा। पर प्लीज आप ये बात किसी को बोलना मत।

चाची: दीदी तेरे से खुश है‌। इसलिए मैं किसी से कुछ कहना नहीं चाहती, और मैं किसी का सुख नहीं छीनना चाहती। तू चोद तेरी मां को जितना चाहे,

पर तू मेरे बारे में चोदने का ख्याल अपने दिमाग से भूल जा। मैं बिल्कुल भी नहीं करने वाली।

मैं: मैं आपके बारे में सोचना तो दूर आपसे अब मिलने को भी डरूंगा। आप किसी से कुछ नहीं कहोगे, ये ही मेरे लिए बड़ी बात है।

चाची: ठीक है।

मैं: मैं जानता हूं कि आप भी सेक्स के लिए प्यासे हो, और चाचा से बिल्कुल भी खुश नहीं हो।

चाची: तो क्या, मैं अब तेरे जैसे छिछोरे से चुद जाऊं?

भले ही मेरा पति मुझे खुश नहीं कर पाता, पर मैं खुद से करके खुश हूं।

मैं: खुद से करने में कैसी खुशी? एक बार मुझे बोलिए, मैं आपको खुश कर दूंगा।

मेरी चाची को और गुस्सा आया, और वो बोली-

चाची: तू पजामे में ही रह समझ गया? ज्यादा उछलने की जरूरत नहीं है। वरना तेरे लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा।

मैं ये बात तेरे मां पापा और तेरे से कह दूंगी।

मैं: माफ कर दो प्लीज, अब से मैं कभी नहीं बोलूंगा।

चाची: अब जा यहां से।

मैं: मैं चला जाता हूं, पर किसी से ये बात मत कहना।

मैं अपना सर झुकाए और अफसोस करता हुआ बाहर आ गया।

मैं उनकी तीखी बातों को याद करके डरने लगा और रोने जैसा चेहरा बना लिया था।

मैं नीचे पहुंचा। मेरी मां ने मुझे उदास देखा और मुझे बोली-

मां: क्या हुआ मेरे राजा, तू परेशान लग रहा है? और चेहरे का भाव कैसे बना लिया है?

मैं: कुछ नहीं मां, ऐसे कोई बात नहीं है। बस यूं ही थका हुआ हूं, इसलिए आपको लग रहा है।

मां: ओ मेरा लाल, अपनी मां को चोदने के बाद आज थक गया क्या? कोई बात नहीं, आ तुझे एनर्जी देती हूं, आजा।

मां मुझे नीचे अपने चूत के पास ले जा रही थी चटवाने के लिए।

मैं घबराया हुआ था, इसलिए मना कर रहा था। पर मां को सुबह  भी चुदाने की आदत हो गई थी, इसलिए वो मान नहीं रही थी।

मैं अपने आप को छुड़ा रहा था, पर उनकी पकड़ से खुद को आज नहीं छुड़ा पाया, और उनकी चूत को नीचे जाकर मजबूरन चांटना पड़ा।

मैंने मां को बेमन से चोदा और उनको हल्का किया। मैं अपने रूम में आ गया, और चाची की बातों को याद करके खुद को कोस रहा था कि मैंने ये क्या कर लिया।

अगर चाची किसी को ये सब बोल देंगी, तो मेरा और मां का क्या होगा? फिर मैं अपने दिमाग को ठंडा करने के लिए नहाने चला गया। नहा कर बाहर आया तो चाची को देख कर मेरी गांड फट के चार हो गई।

वो मां से कुछ बाते कर रही थी, और बातो-बातो में मां से बोला कि…

आपको कैसी लगी मेरी कहानी, और अब क्या होने वाला है? कहीं चाची मां से मेरी बात तो नहीं कह‌‌ देंगी? कहीं चाची मां को सच-सच तो नहीं बोल देगी?

जानने के लिए मिलते है अगले भाग में। मुझे मेल करके बताए कैसा लगा आपको मेरा ये भाग

nutankashyap78612@gmail.com

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