पिछला भाग पढ़े:- ऑफिस वाली प्रिया मैडम-1
मेरी ऑफिस सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि ऑफिस में भीगी हुई प्रिया मैडम को देख कर मेरा खड़ा हो गया। फिर उनके घर में मैंने उनको नहाते हुए देखा, जो उन्होंने देख लिया। फिर वो नहा कर बाहर आई। अब आगे-
उन्होंने काले रंग की कुर्ती पहनी हुई थी और नीचे खुला प्लाजो (पजामे जैसा) पहनी हुई थी। वो शर्मिंदगी से अब नज़र भी नहीं मिला रही थी।
उन्होंने नीचे की तरफ देख कर मेरे को बोला: क्या तुम चाय पियोगे?
मैंने हां बोल दिया, और वो रसोई की तरफ बढ़ गई। बाहर बारिश रुक गई थी। मैं उनकी बुकशेल्फ को देखने लगा, जो मेरे सामने थी। जिसमें बहुत सी किताबें पड़ी हुई थी। मैं एक किताब निकालने की कोशिश कर रहा था, कि पूरी की पूरी किताबें नीचे आ गिरी। उनमें एक फिश पॉट भी था। यह आवाज सुनते ही
मैडम क्या हुआ कह कर भाग कर बाहर बाहर आई, तो फिश पॉट के पानी में पैर फिसल कर वह गिर गई। उनके पांव में कमर पर गिरने से चोट लग गई।
मैंने संभाल कर मैडम को हाथ पकड़ कर उठाया, और वो एक पैर से लंगड़ा कर सोफे पर बैठा गई। फिर मैं जल्दी से उनके लिए पानी का गिलास भर कर लाया।
प्रिया मैडम: शुक्रिया, पानी के लिये।
मैं: सॉरी मैंने आपका फिश पॉट और बुकशेल्फ गिरा दिया। और आप भी।
मैडम: कोई बात नहीं, वो पहले से टूटा हुआ था।
मैं: सॉरी……
मैडम: अरे कोई बात नहीं, बार-बार सॉरी मत बोलो (करवट लेते हुए)।
मैडम: आह!
मैं: दर्द ज्यादा हो रहा है क्या?
मैडम: हां थोड़ा ज्यादा तो है।
मैं: आप कहें तो मैं मुंह की मालिश कर दूं?
मैडम: नहीं ठीक है।
मैं मैडम की कमर की तरफ देख रहा था, जहां उनकी कुर्ती का कपड़ा थोड़ा ऊपर उठा हुआ था, और नीचे से उनका बदन दिख रहा था।
उन्होंने मुझे बताया कि स्टोव पर चाय पड़ी थी। मैं रसोई में गया और चाय में दूध डाल कर चाय उनके और मेरे लिए दो कप में डाल कर बाहर ले आया।
मैडम चाय के लिए उठने लगी तो उनसे उठा ना गया। मैंने उनकी कमर में हाथ डाल कर उनको उठा दिया और सोफे के सहारे बिठा दिया। इतने में बाहर बारिश बंद हो गई थी।
तो मैडम ने कहा: चाय पीकर चलते हैं।
मैंने कहा: चलो।
मैं बैठे हुए मैडम के बूब्स की तरफ देख रहा था, जो मुझे काली कुर्ती में बहुत आकर्षित लग रहे थे। उन्होंने शायद आज थोड़ी सी टाइट ब्रा डाल रखी थी, जिससे उनका उभार उनकी कुर्ती के ऊपर से साफ-साफ दिखाई दे रहा था। चाय खत्म होने पर उन्होंने उठ कर चलना चाहा तो उनके पैर पर भार नहीं आ रहा था। तो वह फिर से सोफे पर गिर गई।
मैं: आप बैठो मैं मालिश कर देता हूं मूव से।
मैडम (कुछ सोच कर): ठीक है, मेरे बेडरूम में पड़ी है।
मैं जब उनके कमरे में दाखिल हुआ, तो एक आकर्षक खुशबू से मेरा अंदर भर गया। वाह क्या खुशबू थी। मैंने उनके बेडरूम में जाकर ऊपर वाला ड्रा खोला और मूव उठा कर जाने ही लगा था कि मैंने दूसरा ड्रा खोल लिया, तो देखा ड्रॉ में उनकी ब्रा और पैंटी पड़ी थी। तो मैं उनको अपने हाथ में लिया और सूंघने लगा। गजब की खुशबू आ रही थी उनकी ब्रा से।
प्रिया: मिली क्या?
मैं (डरता हुआ): हां-हां मिल गई।
मूव लेकर मैं बाहर सोफे पे आ गया। मैडम ने अपने प्लाजो को थोड़ा ऊपर करते हुए मेरी गोदी में अपना पैर रख दिया, और मैं पैर पर मालिश करने लगा। मैंने बात शुरू करने के लिए बोला-
मैं: चाय आप भी बहुत अच्छी बनाते हो।
मैडम: हां कभी-कभी अच्छी बन जाती है।
मैं (बुक्स की तरफ देखते हुए बोला): आप को पढ़ना पसंद है।
मैडम: हां बहुत ज्यादा, और तुम्हें?
मैं: हां जी थोड़ा बहुत।
मैडम: किसी तरह की बुक पढ़ना पसंद है?
मैं: कुछ भी अच्छी सी किताबें, लव स्टोरी वाली और रोमांटिक।
इतना कहते ही सन्नाटा सा छा गया, और फिर मैडम भी चुप कर गई। मैं भी चुप करके बैठ कर मालिश करने लगा। मालिश के करीब दो-तीन मिनट बाद मैंने देखा कि मैडम ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। मैंने हिम्मत करके हाथ थोड़ा आगे बढ़ाया और पैर के थोड़ा सा ऊपर मसाज करने लगा। मैडम चुप थी। फिर थोड़ी हिम्मत की और आगे हाथ करके घुटने के ऊपर मसाज करने लगा।
मैडम ने कुछ नहीं बोला, पर उनकी आंखों से लग रहा था कि वह बस सोने का नाटक कर रही थी। मैं थोड़ी सी और हिम्मत करते हुए मैडम की थाई पर मसाज करने लगा। पांव से थाई पर आकर मेरी हिम्मत और बढ़ चुकी थी। मैंने धीरे से अपना हाथ की दोनों उंगलियों को मैडम की योनि टच कर दी जिससे मैडम के मुंह से आह की आवाज निकली।
आवाज सुन कर मैं पूरा कामुक हो गया और ग्रीन सिग्नल पाकर अपने हाथ की दोनों उंगलियां मैडम की योनि के अंदर और बाहर करने लगा। मैडम अपने हाथों से सोफे को नोच रही थी। उनकी आंखें अभी भी बंद थी।
मैं (धीरे से उनके कान के पास जाकर): आंखें तो खोलो।
उन्हें मैं कुछ नहीं बोला, बस ना में सिर हिला दिया। मैं फिर से अपने काम में लग गया। मैं एक हाथ से मैडम की योनि में उंगली अन्दर-बाहर कर रहा था। दूसरे हाथ से उनके बूब्स को मसल रहा था, जो मुझे बहुत मुलायम-मुलायम लग रहे था। मैंने कुर्ती के ऊपर के बटन खोले और बूब्स पर हाथ रख दिया। देखा कि अंदर मैडम ने कुछ नहीं पहना हुआ था।
मैंने मैडम की कुर्ती को ऊपर उठा कर उतार दिया, जिसकी सहमती उन्होंने आगे होकर कुर्ती उतारने में मदद करके जताई।
उनके बूब्स को देख कर मैं अचंभित रह गया। साइज में ना ज्यादा बड़े ना छोटे। मैंने मैडम के बूब्स को मुंह में भर लिया, और आम की तरह चूसने लगा। क्या पल थे वो। मैडम मेरे बालों में हाथ फेर रही थी, और मुंह से सिसकियां निकाल रही थी, जिससे मेरा जोश और बढ़ रहा था। मैंने उनके कान में धीरे से कहा-
मैं: प्लाजो उतार दूं?
उन्होंने ना हां बोल ना नहीं। मैंने सहमती समझी और उनके प्लाजो को उतार दिया। मैडम की योनि कमल के पौधे की कली की तरह क्लीन और पिंक थी। एक भी बाल नहीं था उसपे। मैंने जब मैडम की योनि पर अपनी जीभ रखी, तो मैडम ने मेरे सिर के बाल जोर से नोच डाले, और आवाज की उफ्फ।
मेरे में जोश आ गया और मैं जीभ से उनकी चूत की चुदाई करने लगा। मैडम एक हाथ से मेरे सिर को जोर से अपनी चूत पर रगड़ रही थी। जीभ अंदर-बाहर करने के 10 मिनट बाद मैडम ने मेरे हाथ को जोर से पकड़ लिया। मैं समझ गया वो झड़ने वाली थी। उनकी चूत से पानी का फुहारा मेरे मुंह पर पढ़ा। वह सारा पानी मैं पी गया। अब मैडम बिल्कुल शांत सोफे पर पड़ी थी। मैं अपना लंड निकलने लगा, और मैडम के हाथ में दे दिया। अब उन्होंने अपनी आंखें खोली थी। उनकी आंखों में संतुष्टि थी।
वह लंड को ऊपर-नीचे कर रही थी। मैंने मुंह में लेने को कहा तो वो लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं तो जन्नत में था। वह आराम-आराम से मेरे लंड को चूस रही थी अंदर-बाहर, और हाथ से गोटियों से खेल रही थी। मैं उनके सिर पर हाथ रख कर जोर से अंदर-बाहर करने लगा, और हाथ से मैं मैडम के बूब्स को मसल रहा था।
मैंने कहा: मुझे आपके बूब्स को चोदना है।
वो बोली: आराम से करना, मेरी कमर में दर्द है गिरने से।
मैंने मैडम के बूब्स के बीच लंड रखा, और उन्होंने दोनों हाथों से बूब्स को लंड के ऊपर जकड़ दिया। मैं जोर-जोर से मैडम के बूब्स को चोदने लगा। ऐसा करीब 10 मिनट तक चला। फिर मैंने दोबारा उनके मुंह की चुदाई की जिसके चलते मेरा पानी निकल गया। वह मेरा सारा पानी पी गई, और मुंह से खींच-खींच कर लंड को साफ किया। मैंने उठने में सहारा देकर सोफे से उठाया, और जोर से हग करके उनके कान में ‘चूत चुदाई’ बोला।
तो वह मेरे कान में बोली: हमें दफ्तर जाना हैं। आराम से करेंगे चूत चुदाई। मैं पीजी में अकेली हूं। तुम रात रह सकते हो मेरे पास।
इतना सुन कर मैंने उन्हें जोर से हग किया। उसके मुंह से आह निकली। मैं भूल गया था कि उसकी पीठ में दर्द था। उनके पैर का दर्द अभी भी था। वह मेरे साथ मोटरसाइकिल पर दफ्तर की तरफ चल दी। फिर मैं उनके पास रात को आया। आगे की कहानी आगे के हिस्से में। मेरी ऑफिस सेक्स कहानी कैसी लगी [email protected] पर जरूर बताएं, धन्यवाद।