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ऑफिस की काम वाली थी बड़ी गांड वाली-1 (Office ki kamwali thi badi gaand wali-1)

देसी कहानी में चुदाई की कहानियां पढ़ने वालों को मेरा नमस्ते। मेरा नाम देव है। मैं दिखने में ठीक ठाक दिखता हूं। मेरा लंड इतना मोटा और एक-दम सख्ती के साथ कड़क तो होता ही है, जिससे मैं किसी भी औरत को चुदाई का भरपूर मज़ा दे सकता हूं।

दोस्तों मेरी ये कहानी मेरे ऑफिस में साफ-सफाई, झाड़ू-पोछा करने वाली काम वाली बाई के साथ हुई चुदाई के बारे में है। दोस्तों ये काम वाली बाईयों को चुदाई के लिए पटाना किसी भाभी को पटाने से कही ज्यादा आसान होता है। इन औरतों को इनके पति वैसे भी ज्यादा खुश नहीं रखते हैं। और उसके साथ इन लोगों को ज्यादा पैसों की भी जरूरत होती है, अपने घर के खर्चों को निकालने के लिए।

तो अगर इन्हें आपकी तरफ से थोड़ी इज्जत और प्यार मिल जाए, और उसके साथ आप इनकी पैसों से थोड़ी मदद कर दो, तो ये आपके नीचे लेटने में ज्यादा वक्त नहीं लगाती हैं।‌ ऐसी ही एक झाड़ू-पोछा करने वाली बाई को मैंने अपने ऑफिस में चोदना चालू किया था। पढ़िए कैसे मैंने उसे पटाया और उसकी टांगें फैला कर उसकी दमदार चुदाई की।

दोस्तों मैं जिस ऑफिस में काम करता था, अभी उसको मुझे छोड़े करीब-करीब 1 साल ही हुआ होगा। मैंने इस ऑफिस में 10 महीने ही काम किया था।

लेकिन इन दस महीनो में मैंने वहां की एक काम वाली बाई की खूब जम कर चूत और गांड मारी थी। उस बाई का असली नाम तो मैं नहीं बता सकता, लेकिन आपके लिए मैं उसको कामिनी नाम देता हूं।

उसको मैंने ये नाम भी इसीलिए ही दिया है, क्योंकि वो थी भी बहुत बड़ी कामिनी और सेक्स की भूखी। मैंने पहले दिन जब उसको देखा, तभी उसकी ऑफिस के दूसरे काम करने वालों के साथ की हरकतों से मैंने समझ लिया की ये पूरी चालू माल थी।

वो वहां के दूसरे मजदूरों और मशीन चालकों के साथ एक-दम खुल कर बहुत ज्यादा हसीं मजाक करती थी। वो उन लोगों के साथ चिपक कर खड़ी होती थी। कभी किसी मजदूर के कंधे पर हाथ रखना, कभी कोई मजदूर उसकी पीठ पर हाथ मार देता या उसकी कमर पकड़ लेता था।

देखा जाए तो वो उस ऑफिस की रांड जैसी थी। कामिनी कभी भी अपना बदन साड़ी से ढकने की सोचती भी नहीं थी। कमर खुली हुई रहती थी। साड़ी नाभि से नीचे ही बांधती थी। उसके स्तनों के बीच की लकीरें तो हर वक्त देखने को मिल ही जाती थी।

उसका ब्लाऊज पीछे पीठ से एक-दम नीचे ही होता था, जो कि एक पतली डोरी से बांध कर रखती थी। उसका बदन भी तो एक-दम छरहरा था। सख्त गठीला जिस्म, बड़े-बड़े गोल तरबूज़ जैसे स्तन, उसकी कसी हुई चिकनी मोटी मांसल जांघें, उसके दो बड़े पहाड़ जैसे चूतड़ थे।

जब भी वो झुक कर झाड़ू-पोछा लगाती, तो ऑफिस के सारे मर्दों का ईमान डोल जाते। सब उसकी बड़ी सी गांड देख कर अपना लंड पैंट के ऊपर से रगड़ते थे, और कामिनी को आंखों ही आंखों में चोदा करते थे। लेकिन ये सब कुछ होता था हमारे ऑफिस के मालिक की नाक के ठीक नीचे।

खैर ऑफिस के मालिक को तो बस काम से मतलब होता था। बाकी ऑफिस के कर्मचारियों में आपस में क्या चलते रहता है, उससे उसका कोई लेना देना नहीं था।

लेकिन आश्चर्य की बात तो ये थी, कि कामिनी के ऐसे खुले व्यवहार के बाद भी, उसने इनमे से किसी का भी बिस्तर अभी तक गरम नहीं किया था। ये बात कामिनी ने मुझे हमारी चुदाई के वक्त बताई थी। अभी मैं आपको इस कहानी में वजह नही बताऊंगा कि क्यों कामिनी ने ऑफिस के किसी और मर्द के साथ चुदाई नहीं की थी।

बहरहाल हम कहानी में आगे बढ़ते हैं। कामिनी के साथ एक दूसरी बाई भी काम करने के लिए आती थी। लेकिन वो दिखने में बिल्कुल अच्छी नहीं थी। और ना ही उसका जिस्म उतना आकर्षित करने वाला था, जितना आकर्षण कामिनी के जिस्म में था। वो दूसरी काम वाली बाई शायद कामिनी से जलती भी थी।

उन दोनों को सुबह 9 बजे तक ऑफिस आना होता था, और शाम को वो दोनों 6 बजे तक चली जाती थी।

दोस्तों मैंने पहले दिन से ही कामिनी पर नज़र रखनी चालू कर दी थी। मुझे ऑफिस में काम करने के लिए अलग से एक छोटा कैबिन दिया गया था। मैंने जिस समय ऑफिस में काम करना शुरू किया था, उसके कुछ महीने पहले ही ऑफिस में आग लग गई थी, जिसके कारण काफी बड़ा नुकसान हुआ था। ऑफिस में मरम्मत का काम चल रहा था। नई मशीनें लगाई जा रही थी। इसीलिए सी.सी.टीवी? कैमरे नहीं लगे थे।

तो ऑफिस में कौन, कब और कहां क्या कर रहा होता था, ये सिर्फ वहां मौजूद लोग ही देख पाते थे। इसीलिए तो कामिनी और ज्यादा खुल कर अपना रंडी-पना दिखा रही थी।

इसी बात का मैंने पूरा फायदा उठाया और रोज़ जब कामिनी मेरे कैबिन में झाड़ू-पोछा लगाने आती थी, तो मैं उसके खुले जिस्म पर हल्का-हल्का हाथ फेर देता था।

कामिनी भी मुझे मुस्कुरा कर देखती थी। उसकी नजरों में हवस और कमीना-पन साफ झलकता था। मैंने कुछ ही समय में कामिनी से उसका फोन नंबर ले लिया, और उसके साथ बात करना चालू किया। उसने मुझे अपने परिवार और पति के बारे में बताया कग उसका पति पूरा नशेड़ी और शराबी था। और उसके अंदर अब वो दम और ताकत भी नहीं बची थी।

उन लोगों को पैसों की भी थोड़ी तंगी थी। क्योंकि पति कुछ काम करता नहीं था, और कामिनी के कमाए हुए पैसों को शराब में बर्बाद कर देता था। उसके बच्चे भी अपने बाप से तंग आ गए थे। तो कामिनी ने अपने पति को छोड़ दिया और अपने बच्चों के साथ अलग होकर अपने मायके रहने आ गई।

मैंने भी फिर उसको अपनी थोड़ी सहानुभूति दिखाई और दिलासा दिया। जिससे वो मुझसे खुश हो गई। मैंने उसे थोड़े पैसे भी दे दिए, तो वो और ज्यादा खुश हो गई।

वो मुझसे बोली: देव जी मैं भी आपको अपनी तरफ से पूरी तरह से खुश रखने की पूरी कोशिश करूंगी।

ये सब बातें मैंने उससे ऑफिस में ही की थी। ऐसे ही मेरा उसके साथ बात करना और थोड़ी बहुत छेड़खानी करना चलता रहा।

वो रोज़ मेरे कैबिन में आती और मेरे सामने झुक कर अपनी गांड मेरी तरफ उठा कर झाड़ू-पोछा सब लगाती।

मैं भी उसकी गांड पर हाथ लगा कर उसको दबा दिया करता था। कभी-कभी ऑफिस की किसी खाली जगह पर उसको पकड़ लेता था, और उसके होठों को चूमता था, चूसता था। वो भी बराबरी से मेरा पूरा साथ देती थी। ऐसे ही हम दोनों को ये सब करते एक महीने से ज्यादा हो चुका था।

अब हम दोनों को ही चुदाई की बड़ी ज़ोर से तलब लगी हुई थी। लेकिन क्योंकि मुझे ऑफिस में आए हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ था, इसीलिए मैं थोड़ी सतर्कता बरत रहा था।

दोस्तों हमारे ऑफिस की छत पर दो कमरे बने हुए थे। वो मजदूरों और बाकी दूसरे कर्मचारियों के लिए बनाए हुए थे, कि कभी किसी की तबीयत खराब हो जाए, या किसी को आराम करना हो। तो वो सीनियर स्टाफ से इजाज़त लेकर उन दोनो कमरों में जा कर आराम कर सकते थे। सहूलियत के लिए बाथरूम भी बना हुआ था।

अब मुझसे और कामिनी से चुदाई किए बिना नहीं रहा जा रहा था। तो ऐसे एक दिन मैं थोड़ा जल्दी ऑफिस पहुंच गया।

उस दिन सुबह कोई नहीं आया था, सिर्फ ये दोनों बाई ही आई हुई थी। तो मैंने अपने कैबिन में कामिनी को बुलाया और उसे ऊपर छत पर आने के लिए बोला। कामिनी भी तुरंत मान गई। मैं फिर अपना सब सामान कैबिन में रख कर ऊपर छत पर कमरे में चला गया। मैं कमरे में पहुंचा और कामिनी भी पीछे-पीछे पहुंच गई।

इस दिन भी कामिनी ने रोज़ की तरह ही नाभि से नीचे साड़ी बांधी हुई थी। उसकी चिकनी खुली पीठ और कमर कमाल के सेक्सी लग रहे थे।

वो सब झाड़ू-पोछा लगाते हुए पसीने से भीगी हुई थी। उसके गोरे बदन पे पसीने की बूंदें चमक रही थी। उस वक्त वो कमाल की सेक्सी लग रही थी।

फिर हम दोनों कमरे में अंदर गए और मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया। इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। आप लोगों को ये कहानी कैसी लगी, कृपया कर मुझे मेल और कमेंट्स करके जरूर बताएं। मेरी मेल आईडी – vanko7036@gmail.com

मुझे आपके विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा, खास कर मेरी कहानी पढ़ने वाली मेरी महिला पाठकों का।

मुझे उम्मीद है की आप सब को मेरी कहानी पढ़ कर मज़ा भी आएगा, और चुदाई की तलब भी आपके मन में हिलोरें मारेगी।

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