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संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-19 (Sanskari vidhwa maa ka randipana-19)

पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-18

हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-

अगले दिन सुबह मेरी आँख खुली तो मैंने पहले समय देखा, 9 बज रहे थे। मैं रात मुठ मार कर नंगी हालत में ही सो गया था। मैं इतना लेट सो कर उठा कि सोचने लगा कहीं कोई मेरे कमरे में ना आ जाए। मैं तुरंत बिस्तर से उठ कर बाथरूम जाकर नहाने लगा।

फिर मैं तैयार होकर बाहर बगीचे में गया तो उधर कोई दिखाई नहीं दिया। फिर होटल की किचन कैंटीन में जाकर देखा, उधर भी मुझे कोई नज़र नहीं आ रहा था। फिर लौट कर बगीचे में आया तो देखा, जुनैद और आरिफ होटल के पीछे से आ रहे थे। दोनों आपस में बातें करते हुए काफी हँस और मुस्कुरा रहे थे। आरिफ और जुनैद ने गहरे पीले रंग का कुर्ता-पायजामा पहन रखा था।

मैं उनके पास गया और माँ और मौसी के बारे में पूछा तो वे दोनों एक-दूसरे के चेहरे देखने लगे।

मैंने फिर कहा: जुनैद, क्या बात है? मम्मी और मौसी कहाँ हैं?

जुनैद बोला: वो लोग अभी तक सो रही हैं।

मैंने आश्चर्य से कहा: क्या! वो लोग अभी तक सो रही हैं? उन्हें नाश्ता नहीं करना? मैं जाकर बुला लाता हूँ।

तभी आरिफ ने मुझे रोकते हुए कहा: राहुल, मैंने उनके कमरे में नाश्ता भिजवा दिया है। वो कल रात की पार्टी से बहुत थक गई थी, इसलिए आज देर तक आराम करना चाहती हैं।

जुनैद, आरिफ की बात पर हामी भरते हुए बोला: हाँ सर, उन्हें अभी आराम करने दो। मैं आपके लिए नाश्ता लेकर आता हूँ। फिर हम राफ्टिंग का मज़ा लेने चलते हैं।

फिर मैंने नाश्ता किया और उसके बाद जुनैद और आरिफ के साथ राफ्टिंग के लिए जाना पड़ा। वहाँ जाकर मेरा मन नहीं लग रहा था। काफ़ी समय बीतने के बाद हम शाम तक रिसॉर्ट लौट आए।

मैं फ़्रेश होकर सीधा मम्मी के पास चला गया। मम्मी अपने कमरे में बैठी हुई फ़ोन चला रही थी।

मम्मी ने बड़ा ही सुन्दर गाउन पहन रखा था, जो गर्म और नरम कपड़े से बना था। वह हल्के क्रीम रंग का था और घुटनों से थोड़ा नीचे तक आ रहा था। मम्मी की नंगी टाँगें देख कर लग रहा था जैसे उन्होंने नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा हो। दिन भर के आराम ने जैसे उनके बदन को और निखार दिया था। उनके चेहरे का नूर, होंठों की लाली और नाक की चमकती नथ उन्हें क़ातिल बना रही थी।

मैं अंदर जाते ही बोला: ओह मम्मी, क्या हुआ आपको? आप सुबह नाश्ते के समय भी नहीं मिलीं और आपने मुझे कुछ बताया भी नहीं।

मम्मी ने मुझे देखते ही अपना फ़ोन साइड में रख दिया और बोली: माफ करना राहुल, मुझे पता है तुम मुझसे नाराज़ हो रहे होगे। कुछ ख़ास नहीं बेटा, बस कल रात की पार्टी में मुझे काफ़ी थकान हो गई थी। इसलिए मैंने देर तक आराम करने का सोचा। वैसे तुम्हें राफ्टिंग करना अच्छा तो लगा ना?

मैं मुँह बनाते हुए बोला: बकवास! मैं यहाँ आपके साथ घूमने आया था, पर आप हैं कि मेरी तरफ़ ध्यान ही नहीं देती!

मम्मी ने मेरे गाल अपने नर्म हाथों में लेते हुए कहा: ऐसा नहीं है राहुल। तुम होटल में अकेले बोर ना हो जाओ, इसलिए मैंने जुनैद से कहा था कि वो तुम्हें राफ्टिंग पर ले जाए।

मैंने थोड़ी और नाराज़गी जताते हुए कहा: मम्मी, आप मुझसे भी तो कह सकती थी। आप हर बात में जुनैद को ही आगे क्यों करती हैं? मुझे समझ नहीं आता कि आप उसे इतनी ख़ास अहमियत क्यों देती हैं।

मेरी बात सुन कर जैसे उनके चेहरे का नूर उड़-सा गया। वो कुछ देर तक चुप-चाप मेरी तरफ देखती रहीं।

फिर मम्मी की आँखें नम हो गई और उन्होंने धीमे स्वर में कहा: बेटा, मेरे लिए तो तुम ही सबसे ज़्यादा ख़ास हो… इतने ख़ास कि मैं शब्दों में भी नहीं बता सकती। लेकिन इसके लिए मुझे माफ़ करना कि मैं यह बात तुमसे कह नहीं पाई।

उन्होंने आगे कहा: बोलो, क्या मैं अपने कान पकड़ लूँ? (और यह कहते हुए उन्होंने सचमुच अपने कान पकड़ लिए।)

मैंने उनके हाथों को कानों से अलग करते हुए कहा: अब मुझे शर्मिंदा मत करो, इसकी ज़रूरत नहीं है।

मम्मी हल्की मुस्कान के साथ बोली: तो फिर तुम्हारा ग़ुस्सा शांत करने के लिए मैं क्या करूँ? होंठों पर एक किस दूँ या फिर एक झप्पी?

मैं उनकी बातों पर मुस्करा दिया, तो मम्मी ने तुरंत मुझे अपनी बाहों में भर लिया।

मम्मी ने मुझे किस किया, मेरे होंठों को चूसते हुए बोलीं: मेरा तेरी मौसी से भी मिलना नहीं हुआ… आज पूरा दिन ऐसे ही निकल गया। राहुल, तुम ज़रा बाहर घूम लो, मैं थोड़ी देर उनसे मिलने जाती हूँ।

जब मैं कमरे से बाहर निकला तो देखा, शाम काफ़ी ढल चुकी थी। सूरज की जगह अब चाँद की रोशनी जगमगा रही थी। मम्मी अपने कमरे से निकल कर मौसी के कमरे के बाहर खड़ी होकर उन्हें फ़ोन कर रही थी। कुछ देर बाद मौसी ने कमरे का दरवाज़ा खोला और मम्मी को देख कर ख़ुश हो गई।

मौसी ने एक बेहद सेक्सी ड्रेस पहन रखी थी, जो नीचे से फ़्रॉक जैसी उनके घुटनों तक आ रही थी। ऊपर से उन्होंने मुलायम और गर्म कपड़े का एक कोट पहन रखा था।

मौसी कमरे को बंद कर मम्मी के साथ बगीचे की ओर जा रही थी। उनके चेहरों पर हल्की मुस्कान और शर्माए हुए भाव साफ़ नज़र आ रहे थे।

मौसी रात वाली जगह पर जाती है, जहाँ बैठने के लिए दो सोफ़े लगे हुए थे। यह जगह काफ़ी एकांत और रोमांस लायक थी, बीच में आग जलाने की व्यवस्था का पूरा साधन मौजूद था। मौसी मम्मी के साथ एक सोफ़े पर बैठ जाती हैं, दोनों ही एक-दूसरे को देख शर्माती जा रही थी।

मम्मी ने मौसी का हाथ अपने हाथों में थाम कर शर्मीले स्वर में कहा: बस दीदी, प्लीज़ ऐसे मत देखो।

मौसी बोली: क्यों? मैं तो बस तुम्हारी ख़ूबसूरती देख रही हूँ। अब शरमाओ मत मेरी बहन… सुहागरात काफ़ी दर्द भरी रही क्या? जुनैद तो ज़रूर बेरहम हो गया होगा। वैसे भी तुम्हारा पीछे वाले हॉल में पहली बार था, और वो तो हर मर्द की पसंदीदा जगह होती है।

मम्मी बोली: दीदी, आप मेरी टांग क्यों खींच रही हो? आप बताओ… आप क्यों पूरा दिन आराम कर रही थी? आरिफ ने भी तो आपको जम कर मज़ा दिया होगा! वैसे आपका तो आगे ही था ना?

मौसी शर्मीले स्वर में बोली: उफ़… आगे लेना ही काफ़ी तकलीफ़देह था, अगर पीछे लेती तो अभी तक मेरी चाल बिगड़ गई होती। वाक़ई में मूसल बड़ा दमदार है… उफ़्फ, आरिफ जी का सुपारा तो किसी मशरूम जैसी मोटी छतरीदार आकृति का है। उसके मूसल की मोटाई तो…

मम्मी शर्मा कर मौसी को रोकते हुए बोली: ओहो दीदी बस भी, आप तो बिल्कुल पुरानी कविता बनती जा रही हैं जैसे कॉलेज टाइम में थी।

मौसी मम्मी को अपने गले लगाते हुए बोली: मेरी बहन, कल रात की बात ही अलग थी। आरिफ की दमदार चुदाई ने मेरा जिस्म निचोड़ कर रख दिया। ऐसा मीठा एहसास तो जवानी में ही महसूस किया था, और आज तेरी वजह से फिर से कर पाई हूँ। थैंक्यू सविता… हम आज फिर से पुरानी दोस्त बन पाई हैं।

मम्मी बोली: लगता है दीदी, फिर आपका दिल आरिफ पर अटक गया है… आगे कुछ और?

मौसी ने अपनी आँखें घुमाते हुए और गर्दन हिलाते हुए कहा: अरे, ऐसा कुछ ख़ास नहीं करना… बस मस्ती और मज़ा ही! वैसे ये लोग अभी तक आए क्यों नहीं? मेरा तो ठंड से बदन अकड़ता जा रहा है।

मैं तो हैरान रह गया… मौसी तो मां से भी दो क़दम आगे निकली। मौसी का खुले अंदाज़ में यह कहना कि चुदाई सिर्फ़ मस्ती और मज़े के लिए है… सुन कर मैं मन ही मन बोला – पक्का मौसी कॉलेज के टाइम से ही चुदक्कड़ रही होंगी।

कुछ देर में आरिफ और जुनैद आते हुए दिखाई दिए। जुनैद को देखते ही मां के चेहरे पर हल्की मुस्कान उतर आई।

मौसी आरिफ के लिए अपनी बाहें फैला कर खड़ी हो गई और बोली: ओहो जान… हम लोग कब से आपके इंतज़ार में यहाँ बैठी हैं।

आरिफ मुस्कराते हुए मौसी के क़रीब आकर उनसे लिपटते हुए बोला: मेरे लिए इस तरह अपनी बाहें फैलाना… तुम्हारी यही अदा मुझे बेहद पसंद आती है।

मम्मी मौसी के पास से हट कर जुनैद के पास आ जाती हैं। वह एक बार मौसी की तरफ देखती हैं, जो आरिफ से लिपटी हुई थी।

फिर मम्मी हल्की शर्म के बाद खुद को जुनैद की बाहों में सौंप देती हैं। जुनैद मम्मी के शर्माते हुए चेहरे को ऊपर उठा कर उनके होंठों पर अपने होंठ रख देता है। मम्मी भी अपने होंठ उसके होंठों से मिला कर चूसने लगती हैं।

आरिफ उनकी तरफ देख कर बोला: लगता है इन ठंडी वादियों में हमारी हसीनाओं के जिस्म की गर्माहट कम हो रही है… क्यों सविता जी?

मम्मी अपने होंठों को जुनैद से अलग कर शर्माते हुए उसके सीने में सिर छुपाए थी।

तभी जुनैद बोला: सविता जी की इसमें कोई गलती नहीं है, आरिफ भाई… हमें ही इन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए था।

इसके बाद मौसी आरिफ के साथ एक सोफ़े पर उसकी बाहों में लिपट कर बैठ जाती हैं। उनके सामने जुनैद भी मम्मी को अपनी बाहों में लेकर बैठ जाता है।

सब एक-दूसरे को देख कर हंसी और मुस्कराहट का माहौल बना रहे थे। मम्मी, मौसी के पास होने से खुद को थोड़ा शर्मिंदा महसूस कर रही थी। मगर मौसी आँखों के इशारों से मम्मी को इस पल को एन्जॉय करने की सहमति दे रही थी।

दोनों ही कपल अपनी हसीनाओं को लेकर सुहाने मौसम का लुत्फ़ उठा रहे थे। एक तरफ मेरी मां जुनैद के होंठों को चूम रही थी, तो दूसरी तरफ मेरी मौसी आरिफ के होंठों को चूस रही थी।

आरिफ मौसी के साथ ज़्यादा ही रोमांटिक हो रहा था। वह उनके होंठ चूसते हुए अपने हाथ मौसी के बूब्स पर रख रहा था। मौसी उसका हाथ बार-बार ऐसे हटा देती, जैसे खुले में आरिफ को और बेक़ाबू होने से रोक रही हों।

आरिफ हालात को समझते हुए, जुनैद की तरफ बिना देखे बोला: जुनैद भाई, अब तो अपनी हसीनाओं की थकान मिट गई है… तो प्रोग्राम डिनर का करें या फिर बेडरूम का?

जुनैद के होंठ अभी मम्मी के होंठों से चिपके हुए थे। वह तुरंत अपने आप को संभालते हुए बोला: भाईजान, यह तो हमारी हसीनाएँ ही बता सकती हैं।

मौसी मम्मी की तरफ देख कर बोली: मेरा तो आज डिनर का कोई ख़ास मन नहीं है।

मम्मी उनकी तरफ देख हल्की मुस्कान लिए बोली: पूरे दिन सोने की वजह से मेरा भी नहीं है… लेकिन राहुल को क्या बोलूँ, यह समझ नहीं आ रहा।

जुनैद बोला: जान, उसे हम बता देंगे कि आज सब अपने-अपने कमरों में डिनर करने वाले हैं।

आरिफ बोला: तो फिर सब का बेडरूम प्रोग्राम पक्का हुआ… वैसे भी मुझे अपनी जान को डिश में खाना है!

मौसी अपने होंठ आरिफ के होंठों पर रख कर बोली: ठीक है, थोड़ी देर में आ जाना।

फिर मौसी आरिफ की गोद से उतर कर ज़मीन पर खड़ी हो जाती हैं। उन्हें देख कर मम्मी भी जुनैद के होंठ चूस कर, मौसी के साथ कमरे की तरफ निकल जाती हैं।

उनके जाने के बाद आरिफ अपना लंड मलते हुए बोला: भाई, ये सालियाँ क्या आइटम हैं! कल रात कविता की टाइट चूत चोदने के बाद तो मज़ा ही आ गया। इन संस्कारी रंडियों के पति इन्हें कभी सही से मसल नहीं पाए थे। अब इन्हें पता चल गया है कि हमारे मूसल ही इन्हें असली चरमसुख दे सकते हैं।

जुनैद थोड़ी हसरत से आरिफ की तरफ देख कर बोला: भाईजान, आप कविता को कुछ भी कहो… पर सविता तो मेरी जान बन चुकी है।

आरिफ ने जुनैद के कंधों पर हाथ रखते हुए कहा: ओहो… तो भाईजान, आपका सविता के साथ क्या इरादा चल रहा है?

जुनैद हल्की आवाज़ में बोला: यार, सविता मेरे दिल में बस गई है। अब उसके हुस्न के अलावा मुझे कुछ नज़र ही नहीं आता। बस अब मैं सविता से शादी करना चाहता हूँ… ताकि उसे मुझसे पति का प्यार मिले और मुझे वो सब, जो मुझे चाहिए।

आरिफ बोला: क्या सच में? भाई, अगर तू भाभी का साथ निभाना चाहता है, तो मैं तेरे साथ हूँ।

जुनैद बोला: भाई, अभी मैंने इस बारे में सविता से बात तो नहीं की है… लेकिन ट्रिप के ख़त्म होने तक ज़रूर करना चाहता हूँ। उम्मीद है, मैं तुम्हें जल्द ही खुशख़बरी दूँगा।

जुनैद की बातें सुन कर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मेरा माथा गर्म आग बबूला हो गया। मैं मन ही मन सोचने लगा कि मैं ऐसा नहीं होने दूँगा। मेरी मां, जुनैद को मेरा बाप बना दे, यह मुझे मंजूर नहीं हो सकता। बस, अगर जुनैद इसकी सूरत बनाए, मैं इसका अंत कर दूँगा।

फिर मैं बगीचे की तरफ आया। तभी मम्मी का फ़ोन आया। मैंने कहा: ओह मम्मी, आप कहाँ हैं? मैं कब से आपको ढूँढ रहा था।

मम्मी ने कहा: राहुल, मैं अभी दीदी के साथ हूँ। आज डिनर मैं अपने कमरे में ही करने वाली हूँ। तुम डिनर करके सो जाना। गुड नाइट बेटा।

मैं थोड़ी देर वहीं खड़ा रहा और मन ही मन सोचने लगा कि आज रात अपने पाठकों को मौसी की चुदाई दिखाई जाए।

मौसी की रस भरी चूत कैसी होगी, यही सोच कर मेरा लंड खड़ा हो गया। फिर मैंने उनके कमरे के चारों तरफ़ घूम कर एक अच्छी जगह ढूंढी, जहाँ से उनकी चुदाई आराम से देख सकूँ।

मैं उस जगह पर गया और अपनी निगाहें उनके कमरे में टिका दीं। अंदर मुझे कुछ स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था, बस बाथरूम से कुछ गुनगुनाने की आवाज़ें आ रही थी। मैं समझ गया कि मौसी अभी नहा रही थी, ताकि वह अपने महकते जिस्म से आरिफ को खुश कर सकें। थोड़ी देर बाद जब मौसी बाथरूम से बाहर आई, मेरी आँखें उन्हें देखकर चौंधिया गई और मेरे मुंह से उफ़्फ़ निकल गया।

तो दोस्तों, मौसी क्या रंग दिखाती हैं, यह मैं आपको अगले भाग में बताऊँगा। तब तक के लिए, सभी को मेरी तरफ़ से नमस्ते। उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसंद आ रही होगी।

मेरी कहानी पर आप सभी का अच्छा फीडबैक मुझे मेरी ईमेल पर भेजने का इंतजार रहेगा।
deppsingh471@gmail.com
धन्यवाद, दोस्तों।

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