मेरी चूत की आग नौकर ने ठंडी की-2 (Meri Chut Ki Aag Naukar Ne Thandi Ki-2)

पिछला भाग पढ़े:- मेरी चूत की आग नौकर ने ठंडी की-1

नमस्कार दोस्तों, मैं मन्नू अपनी xxx नौकर से चुदाई कहानी के अगले पार्ट के साथ हाजिर हूं। उम्मीद है आपने पिछली सेक्स कहानी को पढ़ कर मजा लिया होगा। अगर आपने पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है, तो कृपया पहले उसको जरूर पढ़ें।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, कि मेरे अंदर अपने नौकर धीरज का जवान लंड देख कर वासना जाग उठी। फिर मैंने उससे चुदने का फैसला किया, और उस पर अपने जिस्म का जादू चलाने की कोशिश करने लगी। इसी कोशिश के तहत मैं एक दिन बाथरूम में बिना कपड़ों के नहाने चली गई, और उसको मुझे कपड़े देने को कहा। अब आगे-

धीरज: जी आंटी जी, बोलिए।

मैं: बेटा मैं अपने कपड़े बाथरूम में ले जाना भूल गई, तुम जरा दे दो।

धीरज: कहां है आंटी जी आपके कपड़े?

मैं: वहीं बेड पर पढ़े है।

धीरज: ठीक है मैं लाता हूं।

फिर एक मिनट में धीरज कपड़े लेके आया। बाथरूम के बाहर आके उसने मुझे आवाज लगाई। मैं अंदर बिना कपड़ों के थी, और मेरा सेक्सी बदन भीगा हुआ था। मैंने जल्दी से अपने चेहरे पर साबुन माला, और मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा, ऐसा नाटक करते हुए बाथरूम का पूरा दरवाजा खोल दिया।

दरवाजा खुलते ही धीरज की नज़र मुझ पड़ी, और मेरा नंगा बदन देख कर उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया। उसको इस बात पर यकीन हो गया था कि मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, तो वो आँखें फाड़ कर मेरे नंगे बदन को निहार रहा था।

फिर मैं बोली: धीरज कहां हो? कपड़े देदो मेरे।

मेरी आवाज सुन कर धीरज होश में आया, और कपड़े मेरी हाथ में दे दिया। फिर मैंने शुक्रिया बोल कर दरवाजा बंद कर दिया। मैंने सोचा कि अब इससे ज्यादा तो मैं क्या उसको दिखा सकती थी। और मुझे पूरा यकीन था कि धीरज इस बार तो मेरे जाल में फंस जाएगा।

फिर जैसा मैंने सोचा था, वैसा ही हुआ। आज धीरज मुझे किसी अलग नज़र से देख रहा था। जब भी मेरी नज़र उस पर पड़ती, तब वो कभी मेरी गांड देख रहा था, और कभी बूब्स। जब उसको पता चलता कि मेरी नज़र उस पर थी, तो वो आपको नज़र हटा लेता। 2-3 दिन ऐसे ही चला।

फिर आया वो दिन जिस दिन धीरज ने पहली बार मुझे लंड का मजा दिया। हुआ यूं, कि रात को अचानक मेरी नींद खुली। मुझे प्यास लग रही थी, तो मैं पानी पीने रसोई की तरफ गई। हमारे घर के बाहर छोटा सा सर्वेंट हाउस है, जो नौकरों के लिए बनाया गया है। धीरज भी वहीं रहता था। वो सर्वेंट हाउस रसोई की खिड़की में से दिखता है।

पानी पीते हुए मेरी नज़र सर्वेंट हाउस पर गई तो मैंने देखा वहां की लाइट जली हुई थी। मैंने सोचा इतनी रात को धीरज क्या कर रहा होगा, जो लाइट जल रही थी। फिर मैं घर से बाहर गई, और सर्वेंट हाउस पहुंच गई। मैंने देखा कि खिड़की खुली थी, तो मैं धीरे से अंदर झांकने लगी।

मैंने देखा धीरज बिस्तर पर पूरा नंगा लेटा हुआ था। उसके एक हाथ में फोन था, और दूसरे हाथ से वो अपना लंड हिला रहा था। उसके लंड का साइज देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया। मुझे धीरज को रंगे हाथ पकड़ना था, तो मैंने खिड़की पर खड़े रह कर ही उसको आवाज दी-

मैं: धीरज! ये तुम क्या कर रहे हो?

मेरी आवाज सुन कर वो हैरान हो गया। उसकी नजर खिड़की पर पड़ी, और अपने हाथों से अपने लंड को छुपाने लगा। फिर मैंने उसको दरवाजा खोलने को कहा। वो कपड़े पहनने लगा तो मैंने उसको मना किया, और उसी हालत में दरवाजा खोलने को कहा।

अब वो मजबूर था, और उसने नंगे रहते हुए ही दरवाजा खोला। मैं तो उसके नंगे शरीर को देख कर गरम हो गई। फिर मैं अंदर गई सीधे उसके बेड की तरफ, और वहां पड़ा उसका फोन पकड़ा। इससे पहले वो कुछ समझ पाता, या कर पाता, मैंने उसका फोन खोल लिया, क्योंकि उस पर कोई स्क्रीन लॉक नहीं था। फिर जो मैंने देखा, मैं हैरान हो गई।

उसके फोन में मेरी अलग-अलग एंगल से ली हुई सेक्सी फोटोज थी। किसी फोटो में मेरी क्लीवेज दिख रही थी, और किसी में मेरी उभरी हुई गांड। ये देख कर मुझे खुशी तो बहुत हुई, कि वो मुझे देख कर मुठ मार रहा था। लेकिन मैंने उसको दिखाया नहीं। बल्कि मैंने गुस्सा होने का दिखावा किया।

फिर मैं उसकी तरफ पलटी, और उसको घूर कर गुस्से से देखने लगी। उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था। मैं कुछ बोल नहीं रही थी, और बस उसको देखे जा रही थी। फिर वो बोला-

धीरज: मुझे माफ कर दीजिए आंटी, गलती हो गई मुझसे।

मैं: तेरी मुझ पर ही गंदी नजर है?

धीरज: नहीं ऐसी बात नहीं है। आपके बारे में तो बुरा मैंने कभी सोचा नहीं। लेकिन आप इतनी खूबसूरत है, कि अगर आपके बारे में सोच कर हिलाता हूं, तो बहुत मजा आता है। वैसे मैंने कभी आपके साथ कुछ करने की, या आपको छूने की कभी कोशिश भी नहीं की।

उसकी ये बात सुनते ही मैं उसके करीब गई। फिर मैंने उसके लंड पर अपना हाथ रखा। उसका लंड अभी पूरा तो नहीं खड़ा था, और डर की वजह से आधा हो चुका था। फिर मैं उसको बोली-

मैं: यहीं तो मैं  चाहती हूं, कि तुम मेरे साथ कुछ करने की सोचो, मुझे छूने कि कोशिश करो, और मेरे साथ गंदी हरकतें करो।

मेरी ये बात सुन कर धीरज के चेहरे पर हैरानी साफ झलक रही थी। उसका लंड भी टाइट होना शुरू हो गया था। फिर मैं देर ना करते हुए नीचे अपने घुटनों पर बैठ गई, और उसके लंड पर किस किया, और लंड को हल्का सा हिलाया। मेरे ऐसा करते ही धीरज का लंड लोहे ही रॉड की तरह सख्त हो गया। फिर मैं ऊपर धीरज के चेहरे की तरफ देख कर मुस्कुराई, और उसको देखते-देखते उसके लंड को मुंह में ले लिया।

इसके आगे इस सेक्स कहानी में और क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। अगर आपको यहां तक की कहानी पढ़ कर मजा आया हो, तो कमेंट करके अपनी फीडबैक जरूर दें। मेरी xxx नौकर से चुदाई कहानी का अगला पार्ट जल्दी ही आएगा। कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद।

 

 

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