हेलों दोस्तों, आप सभी लंडों और चूतों को मेरी खुली चूत का प्यार भरा हेलो। दोस्तों आज मैं अपनी लाइफ की पहली सेक्स स्टोरी लिखने जा रही हूं, और मैं उम्मीद करती हूं कि आप लोगों को मेरी ये स्टोरी बहुत पसंद आएगी, और आप सभी का मनोरंजन भी होगा।
ये मेरी पहली कहानी है, इसलिए हो सकता है आप इसमें शुरू में थोड़ा सा बोर हों। क्योंकि इसमें मैंने मेरी शादी के पहले से शादी के बाद तक का थोड़ा-थोड़ा सा बताया है। लेकिन मुझे उम्मीद है कि जैसे-जैसे आप मेरी कहानी को आगे पढ़ते जायेंगे, आपको मजा आने लगेगा।
मेरा नाम सीमा है। मैं 36 साल की सांवले रंग की एक तलाकशुदा औरत हूं। रंग थोड़ा सांवला, लंबाई 5 फुट 5 इंच है। मेरा फिगर साईज 36-34-38 है। मैं प्राईवेट नौकरी करती हूं। मेरे होंठ इतने रसीले है कि हर कोई पीना चाहे।
मेरा बदन बहुत ही रसीला है। चूचियां बड़ी-बड़ी है। मेरी चूत बहुत लाजवाब है। इसका रस अभी तक पति के अलावा केवल मेरे कजिन भाई को ही नसीब हुआ है। पूरा रस मैंने अपने होने वाले पति के लिए बचा कर रखा था। रसीले होंठ, बड़ी-बड़ी आंखें, और मेरी भारी भरकम गांड और चूंचियां है, जिनको कोई भी देखे तो बस चोदने को मरने लगे।
मेरी मोटी चूचियां जो मेरी साड़ी में ठूसी हुई रहती हैं, और मेरी मटकती गोल-मटोल गांड जो हर मर्द को अपनी तरफ आकर्षित कर देती है। मेरी गांड का उभार हर कदम पर लोगों की नज़रें चुरा लेता है। मेरी गोल मटोल गांड इतनी मस्त है कि अच्छे-अच्छों का लंड खड़ा कर दे। जब मैं चलती हूं तो मेरी गोल-मटोल गांड लचकती है, और ना जाने कितने मर्दों के लंड को खड़ा कर देती है।
मेरा शरीर बिल्कुल भरा हुआ है। मेरे भरे-पूरे बूब्स और मस्तानी चूतड़ों की थिरकन हर मर्द के दिल में हलचल मचा देती है। सामने से देखने वालों की आंखें मेरे टाइट बूब्स पर अटक जाती हैं, और पीछे से देखने वालों की नज़रें मेरे हिलते-डुलते चूतड़ों पर टिकी रहती हैं।
मेरी चूचियां भरी हुई, सख्त, और गोल हैं, जो साड़ी में उभरी रहती है। साड़ी में भी छुप नहीं पाती। मेरी बड़ी-बड़ी भरी हुई रसीली चूचियां जो साड़ी में उभर कर फटने को तैयार रहती है।
किसी भी मर्द को देखते ही मेरे होंठ चुदाई की भूख से कांप जाते हैं। कोई मेरी चिकनी जांघों को देख ले तो अपना लंड रगड़ कर मेरी चिकनी गोरी मांसल जांघों पर ही अपने लंड का पानी निकालना चाहे। मेरी चिकनी मांसल जांघे ही किसी भी मर्द का लंड खड़ा करवाने के लिए काफी है।
मर्दों की नज़रें मेरी चूचियों और मटकती, गांड पर भूखे कुत्तों की तरह लगी रहती हैं। मुझे भी उनकी इस तरह की वासना से भरी निगाहों को देख कर बड़ा अच्छा लगता है। मैं भी ज्यादा से ज्यादा खुले गले का ब्लाउज पहन कर मर्दों को रिझाने की कोशिश करती हूं। जिसे देख कर मर्दों के मुंह में पानी आ जाता है।
बहुत से लोग मुझे चोदने की इच्छा जाहिर करते है, जो कि सम्भव नहीं है। क्योंकि मैं चुदक्कड़ जरूर हूं, लेकिन रंडी नही हूं, जो सभी के लंड मेरी चूत में लेलूं। मेरे पति एक इंजीनियर थे। वो एक बड़ी कम्पनी में सर्विस करते थे। वो मुझे बहुत प्यार करते थे। उनके साथ मेरी सेक्स लाइफ बहुत ही अच्छी थी क्योंकि वो सेक्स में बहुत मजा देते थे, और मुझे बहुत गर्म करके चोदते थे।
उनका लंड काफी लम्बा मोटा है, और जब पूरा तन जाता है, तो और भी ज्यादा लम्बा और मोटा हो जाता था। शादी के बाद मुझे एक दिन में कई-कई बार बिल्कुल नंगी करके चोदते थे। आफिस से आते और खुद बिल्कुल नंगे हो जाते, और अपना लम्बा मोटा लंड हिला-हिला के दिखाते और इतना गर्म कर देते कि मैं भी पागल हो कर, अपने सब कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो जाती थी। फिर उनके साथ चुदाई करती थी।
उनके आफिस से आते ही मैं उनका लंड पकड़ के हिलाने लगती। मैं उनका लंड चूसती और वो भी मेरी चूत में अपनी जीभ डाल कर खूब चोदते है। कई बार तो मैं उनके लंड को चूस-चूस कर अपने मुंह में झाड़ देती, और झड़ा हुआ सारा वीर्य पी जाती।
शादी से पहले मैंने कभी कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं बनाया, क्योंकि मैं डरती थी कि घर पर पता ना चल जाए। मैंने अपनी एक सहेली से ये तो सुना था कि मर्द और औरत मिल कर किस तरह अपने जिस्म की प्यास को बुझाते है। कैसे लड़का लड़की की चुदाई कर उसकी जवानी का मजा लेता है।
मगर मैंने अभी तक ना तो किसी लड़के का रियल में लंड देखा था, और ना ही मुझे पता था कि जब लंड चूत में जाता है, तो कैसा मजा आता है, और चूत में कैसा लगता है। मन तो मेरा भी बहुत करता था, कि मेरा भी एक बॉयफ्रेंड हो। मैं उसके साथ बाहर घूमने जाऊं, अपनी चूत चुदवाऊं, अपनी जवानी का मजा लूं।
शादी से पहले मैं पटियाला सलवार-सूट पहनती थी। सूट का गला नीचे तक गहरा होता था, और बड़े गले के सूट पहनने की वजह से हमेशा मेरी छाती की लाईन साफ साफ नज़र आती थी। मेरी सलवार में मेरी गोल-मटोल, गोरी, भरी हुई गांड और भी ज़्यादा उभरी हुई नज़र आती थी। जब मेरे काले घने, लंबे पानी से भीगे हुए मेरी भरी हुई गांड तक लटक कर पानी टपकाते थे, तो देख कर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाए।
जब भी मेरे कजिन भाई मेरे घर आते, तो मुझे कस कर बांहों में भर के अपने गले लगाते। उस समय मेरे संतरे जैसे दूध उसकी छाती से दब जाते थे। फिर वो मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए मुझे कस कर भींच लेते और बोलते, “अरे सीमा तू तो बहुत बड़ी हो गई है। कितनी जल्दी जवान हो गई है।”
मेरे कजिन भाई अक्सर मुझसे मजाक करते थे, और नॉटी बातें करते थे। मैं अक्सर उनकी नॉटी बातों को नज़र अंदाज कर टाल देती थी। भाई मुझ पर फिदा थे, और हो भी क्यों नहीं? आखिर मैं इतनी मस्त माल जो हूं।
उनकी इस बात पर में शर्मा जाती। जब वो मेरी तरफ देखते तो मुझे उनकी नज़रों से ऐसा लगता कि जैसे वो मेरे जवान कमसिन बदन का नाप ले रहे हों। नज़रों ही नज़रों में मेरे कपड़ों के भीतर झांकने की कोशिश कर रहे हों। सोच कर ही मेरे बदन में एक बिजली सी दौड़ जाती थी। उनके गले लगने से मुझे मर्द के शरीर का अहसास मिलने लगता था। मुझे कई बार ये अहसास हुआ कि मर्द के शरीर से चिपक कर कितना मजा आता है।
जब भी मैं झुक कर झाड़ू लगाती, तो मेरे मम्मों की लकीर साफ दिखती थी। मेरे कजिन भाई की नज़र मुझ पर रहती। वो मेरे थिरकते मम्मे को देखते। मैं उसको अपने दूध देखते हुए नोटिस करती, और एक हल्की सी स्माइल करके उसकी पेंट की तरफ देखती, तो मुझे उसकी पेंट पर उसके तने हुए लंड का उभार नज़र आता।
मैं बार-बार नोटिस करती, तो उसकी नज़र मेरे मम्मों पर ही टिकी रहती। तो मैं जान-बूझ कर झुक-झुक कर काम करती। जब मैं चलती तो मेरी चूचियां उपर-नीचे हो कर लड़कों के लंडों में आग लगाती। मोहल्ले का हर लड़का मुझे उपर से नीचे तक एक नज़र देखने को तरसता था।
कई बार कजिन भाई डबल मीनिंग में बातें करता कि, “सीमा दीदी मुझे आईटमों की सील तोड़ने में बहुत मजा आता है, तुझे सील तुड़वानी हो तो बता।” मैं बस मुस्कुरा देती। वो मेरी इसी मुस्कुराहट पर फिदा हो गया था।
मुझे उसके लंड का उभार देखना अच्छा लगने लगा था। उसके लंड के उभार को देख कर मेरे दिल में गुदगुदी सी होने लगती। मैं उसकी नज़रों में बहन के प्रति एक भाई के प्यार की जगह एक पुरुष की वासना भरी भूखी नज़र को पहचान गयी चुकी थी। आखिर मैं एक कमसिन लड़की थी जो जवानी के दहलीज़ पर खड़ी थी। मैं सोचती वो कौन खुशनसीब होगा जो मेरी पहली चूत चुदाई करेगा। कौन मेरी रसीली चूत की सील तोड़ेगा? पके हुए फल की तरह मैं पता नहीं किसकी गोद में गिरूंगी।
मैं सोचती बाहर चुदवा नहीं सकती, और चुदाए बिना रह नहीं सकती। तो क्यों ना कजिन भाई से ही चुद लूं, आखिर इसके पास भी तो लंड है।
मैं सोचती रहती की काश भाई ही मुझे चोद देता, तो मुझे जवानी का मज़ा तो मिल जाता। मेरा दिल तो भाई से चुदवाने को कर रहा था। लेकिन ये बात मैंने जाहिर नहीं होने दी। जोश के मारे मेरी चूत गीली हो जाती थी।
मैं यही सब सोचती कि भाई मेरे चूचे दबा तो में गर्म होकर सिसकारियां भरने लगूं। भाई मेरी कमीज़ को उतार कर मेरी पटियाला सलवार का नाड़ा खोल कर उतार दें, और मेरे अधनंगे बदन पर काली ब्रा और प्यारी सी चूत पर काले रंग की पेंटी देखे। फिर मेरी ब्रा का हुक खोल कर मेरे नर्म और गर्म चूचों को ब्रा की कैद से आज़ाद कर दें। फिर मेरी सिल्की पेंटी उतार कर मुझे बेड पर लिटा कर चोद डाले।
मेरी छाती पर तनी हुई चूचियां, बल खाती कमर और चूतड़ों के उठाव ऐसे, मानो दो पहाड़ रगड़ रहे हों। आंखों में भरी हुई चुदास और मेरे दूध से झर-झर बहती हवस देख कर कजिन भाई का लंड खड़ा हो जाता था। शायद भाई का मन करता होगा कि अभी मुझे पटक कर मेरे ऊपर चढ़ जाये।
घर में मुझे देख कर सब की निगाहें मुझमें अटक जाती। मुझे देख कर उनकी लार टपकने लगती थी। चाहे लड़का हो या आदमी सब मुझे उसी नज़र से देखते। शायद वो सब मेरे साथ सोना चाहते हो। यहां तक कि मेरे सगे करीबी रिश्तेदार भी मुझे हवस भरी नज़र से देखने लगते। शायद वो बस मुझे चोदना चाहते थे। मुझे देख कर उनके मन में मेरे रसीले होंठों को चूसने का खयाल आता होगा।
आखिरकार मेरी नाम की कुंवारी प्यासी रसीली चूत का रिश्ता मेरे पति के लंड से हो गया। मतलब मेरी शादी हो गई।
दोस्तों कहानी जारी रहेगी अगले भाग में…. आप मजा लेकर पढ़ते रहिए, और पानी निकालते रहिए। तब तक मैं कहानी का अगला पार्ट लेकर आती हूं। यदि आप मेरी इस कहानी के संबंध में कोई फीडबैक/कमेन्ट करना हो तो मेरी मेल आई डी hadasonal67@gmail.com पर दें निसंकोच सकते है।