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मम्मी के काले जामुन चूसे-3

पिछला भाग पढ़े:- मम्मी के काले जामुन चूसे-2

मम्मी मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखी और बोली: बेटा अब तो इतनी तेज बारिश में नहीं जा पाएंगे घर, और देखो मेरे कपड़े भी भीगने लगे हैं।

मैं मम्मी के कपड़ों की तरफ देखा। उनका टाइट सलवार सूट उनके गोरे बदन से चिपक चुका था। उनका गोरा-गोरा बदन अब बाहर की ओर साफ झलक रहा था। उनकी गोरी-गोरी चूचियां साफ नज़र आ रही थी। उनकी चूचियों के ऊपर के दो काले जामुन मेरे जी को ललचा रहे थे।

मैं भी भीग गया था। मेरे भी कपड़े अब मेरे बदन से चिपक चुके थे। मैं और मम्मी दोनों ही पास में खड़े थे। तभी पास में एक सांप को जाते हुए मम्मी ने देखा, और जोर से चिल्लाते हुए मुझसे आकर चिपक गई।

सांप तो चला गया, पर मम्मी मुझसे चिपकी रही। मम्मी का बदन गर्म हो गया था। मम्मी को मैं सोचा कि थोड़ा अलग करूं, परंतु मम्मी मुझे जोरों से पकड़ी हुई थी‌‌। मुझे भी मजा आ रहा था। मैंने भी अपना हाथ को हिम्मत करके मम्मी की गांड और पूरे बदन पर फिराना शुरू किया। मम्मी की गर्म सांसे मेरी गर्दन पर महसूस हो रही थी। बारिश की बूंद के साथ मैं और मम्मी इस प्यार भरी धारा में बहता जा रहे थे।

मम्मी ने धीरे से मेरे कान के पास हल्के-हल्के दांतों से काटना शुरू किया। मेरे अंदर अब जोश बढ़ने लगा, और मैं उनके बदन के हर एक हिस्से को अच्छे से दबा रहा था। मैंने सर घुमा कर चारों तरफ देखा, तो घनघोर बारिश के सिवा मुझे कुछ नहीं दिखाई दिया। फिर हम दोनों मां बेटे एक दूसरे में लिप्त हो गए। मैंने मम्मी के मुलायम गालों पर अपने होंठों को रगड़ते हुए हल्का-हल्का चूमना शुरू किया। मम्मी अपनी आंखों को बंद करके मेरे साथ गाल चूमती और चुम्मी का आनंद ले रही थी।

मैं मम्मी के दोनों गालों को अपने होठों से रगड़ता और हल्के-हल्के दांतों से काटता मम्मी के मुंह से हल्की-हल्की आआआह्ह की आवाज़ आ रही थी। फिर मैं अपने होंठों को मम्मी के होंठों से रगड़ने लगा। मम्मी अपनी आंखें बंद करके मेरे द्वारा होंठों की लड़ाई में मदद कर रही थी।

कभी मैं मम्मी के होंठ को चूसता, तो कभी मम्मी मेरे होंठों को चूसती। कभी मैं अपनी जीभ को मम्मी के जीभ से रगड़ता, तो कभी मम्मी अपनी जीभ को मेरी जीभ में रगड़ती। हम दोनों एक दूसरे में खोए हुए थे।

मम्मी के चेहरे को अपनी हथेलियां में थाम कर उनके होंठों के रस को बड़े आनंद से चूस रहा था। चारों तरफ घनघोर बारिश हो रही थी। हम दोनों बारिश में पूरी तरह से भीग रहे थे, और एक-दूसरे के बदन का आनंद ले रहे थे। मम्मी मेरे होंठों को चूस रही थी, और मैं उनके बदन को अपने हथेलियों से दबा रहा था।

मैंने मम्मी से कहा: मम्मी मुझे आपका काला जामुन खाना है। क्या आप मुझे अपने काले जामुन दोगी?

मम्मी ने मुझे प्यार से एक किस्स देते हुए बोली: बेटा अब तो सब तेरा ही है। जो खाना हो वह ले लो।

फिर मम्मी ने अपने सूट के ऊपरी हिस्से से ही अपने दोनों चूचियों को बाहर निकाला, और मम्मी के काले जामुन बाहर आ गए। मैं मम्मी को वहीं पेड़ से सटा कर खड़ा किया, और प्यार से उनके काले जामुन को अपने मुंह में भर के जीभ से चूस कर आनंद लेने लगा।

मम्मी अपनी आंखे बंद करके मजा लेने लगी, और मेरी बालों को सहलाते हुए अपने जामुन मेरे मुंह में देने लगी। उउफ्फ्फ़ ये बारिश में जामुन की चुसाई, गजब का आनंद आ रहा था। मैं बारी-बारी से मम्मी के दोनों जामुनों को चूसता रहा। मम्मी अपनी आंखें बंद करके मेरे बालों को सहलाते हुए बोली-

मम्मी: आआह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह सनोज बेटा चूस ले अपनी मां के जामुन उउउफ्फ्फ्फ़।

मैं मम्मी के जामुन को चूसते हुए धीरे से सलवार का नाड़ा खोल दिया, और सलवार नीचे सरक गई। फिर मैंने मम्मी की पेंटी में अपना हाथ डाला और उनकी गरम मलाईदार चूत में उंगली डालते ही मेरे पूरे बदन में आग लग गई।

उउउउफ्फफ्फ्फ़ बारिश का पानी भी हम दोनों की आग ठंडा नही कर रहा था। मैंने मम्मी के जामुन को छोड़ा, और मम्मी की चूत को चूसना शुरू कर दिया। मम्मी अपनी टांगों को फैला कर मेरे सर को अपनी चूत में दबा रही थी, और चूत चुसाई का आनंद ले रही थी।

फिर मैं खड़ा हुआ और मम्मी के होंठों को चूसने लगा, और अपनी पैंट को नीचे सरका कर अपना लंड बाहर निकाल लिया। लंड मैंने मम्मी के हाथ में दिया। मम्मी उसे तेज-तेज हिलने लगी। मैं मम्मी के होठों को चूस रहा था। वह भी मेरे लंड को अपने हाथों से मुठिया रही थी। मैं तो सातवें आसमान पर था। ऊपर से यह तेज बारिश और मम्मी के काले जामुन उउउउउफ्फ्फ्फ़।

फिर मम्मी ने अपनी टांगों को थोड़ा सा फैलाया, और अपने हाथों से मेरे लंड को चूत पर रख दिया, और मेरी कमर को पकड़ कर धक्का देने लगी। पर मैं अभी डालने के लिए तैयार नहीं था। मैं मम्मी के होंठ चूस रहा था और उनके दोनों काले जामुन को मसल रहा था। परंतु मम्मी तो जैसे बहुत आतुर हो रही थी अपनी चूत में मेरे लंड को लेने के लिए।

इस जंगल में तेज बारिश के बीच चुदवाने का मजा ही अलग था। मम्मी अपनी आंखें बंद करके मेरी कमर को पकड़ी हुई थी, कि कब मैं उनके चूत में अपना लंड को प्रवेश कर दूं और मैं उनके होंठों को चूसने में व्यस्त था।

फिर मैं मम्मी की होंठों को छोड़ा, और अपने लंड को मम्मी की चूत में धक्का देना शुरू किया। मम्मी का मुंह खुलता चला गया, और मैं मम्मी की चूत में अपना लंड उतारते चला गया। मम्मी कराह उठी आआहह्ह्ह्ह, और मैं अपना लंड अंदर डालते चला गया।

जब लंड को पूरी तरह से मम्मी की चूत में उतार दिया, तब मम्मी ने आनंदपूर्वक मेरे होंठों को चूसना शुरू किया, और मैं धीरे-धीरे उनकी चूत को चोदना शुरू किया। मम्मी को पेड़ से सटा कर खड़े किए ही उनकी चूत में अपना लंड को आगे-पीछे करने लगा, और मम्मी के होंठों को चूसने लगा। कभी मैं मम्मी के होंठों को चूसता, तो कभी उन्हें चोदते हुए उनके काले-काले जामुन को मुंह में लेकर चूसता।

मम्मी अपनी चुदाई के आनंद में मेरी पीठ और मेरे बाल को सहला रही थी, और मेरे होंठ को चूस रही थी। अपनी जीभ को मेरे मुंह में डाल रही थी, और मैं अपने लंड को उनकी चूत में डाल कर लगातार तेज धक्कों की बारिश किए हुए था।

मैं मम्मी के दोनों काले जामुन को चूसता रहा, और मम्मी को चोदता रहा। सटासट लंड अंदर बाहर जा रहा था, कि एकाएक मैं लंड को बाहर खींच लिया। फिर मम्मी को पीछे की ओर घुमाया, और पीछे से उनकी चूत में लंड को डाल कर उन्हें चोदना शुरू किया, और पीछे से उनकी पीठ, कमर, गाल, हर चीज़ को चूमने लगा।

मम्मी के सर को पकड़ कर अपनी तरफ घुमा कर उसके होंठ को बड़े मजे से चूस रहा था। उसके होंठ में गजब का रस आ रहा था। ऊपर से यह बारिश का पानी और ही उसके होंठ को रसीला बना रहा था। मैं उसके दोनों काले जामुन को दबा-दबा कर लाल कर दिया था।

मैं तेज धक्कों के साथ मम्मी के कमर को पकड़ लिया, और लगातार धक्के मारते हुए मम्मी की चूत में ही रस छोड़ दिया, और मम्मी के ऊपर ही निहाल हो गया। मैं और मम्मी एक-दूसरे को पकड़े हुए थे। अभी भी मेरा लंड मम्मी के चूत में ही था, और रस मम्मी के जांघो पर बह रहा था।

मम्मी मुझसे लिपटी हुई थी। उनकी दोनों चूचियां मेरे सीने में दबी हुई थी, और मेरा लंड तो अभी भी मम्मी के चूत में ही था। हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही एक-दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहे। बारिश तो जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। तब मैंने मम्मी से कहा-

मैं: मम्मी लगता है हमें बारिश में भीगते हुए ही जाना होगा ऐसे ही। वरना हम यहीं रह जाएंगे। बारिश शायद आज नहीं ही रुकेगी।

परंतु मम्मी को तो जैसे मेरी आवाज ही नहीं सुनाई दे रही थी। वह मुझे जोर से अपने से लगाई हुई थी, और अपने सर को मेरे सीने में छुपाई हुई थी। फिर मैंने मम्मी को अपने से अलग किया, और उनके कपड़े को ठीक करने में मैंने उनकी मदद की। मम्मी मुझसे नज़रे नहीं मिला रही थी। उन्होंने झट से अपने कपड़े ठीक किये, दुपट्टे को अपनी कमर पर बांधा, और टिफिन को लेकर बोली चलो चलते हैं।

लोगों से छिपते-छिपाते किसी तरह हम घर आ गए, और घर आते ही हमने अपने कपड़ों को बदल लिया। शाम को मम्मी ने मुझे खाना दिया, और हम दोनों खाना खाकर सोने चले गए। मम्मी ने उस दिन जरा सा भी मुझसे बात नहीं की।

लगभग कईं दिन बीत गए, मम्मी मुझसे बात नहीं की। बस खाना देती, इससे ज्यादा कुछ बात नहीं करती। मम्मी का चेहरा थोड़ा उतरा हुआ सा लग रहा था, पर बदन उस दिन की चुदाई के बाद खिल गया था। चेहरा भी खिल जाता यदि कुछ बात कर लेती तो।

मैं मम्मी से किसी बहाने बात करने की कोशिश करता। पर मम्मी बस हूं हां का जवाब देकर बात को टाल देती। लगभग 1 महीने बाद मम्मी धीरे-धीरे मुझसे बात करना शुरू कर दी, और हम दोनों नॉर्मल होना शुरू हो गए। मुझे दोबारा हिम्मत नहीं हुई कि मम्मी से उस दिन की चुदाई वाली बात करूं या दोबारा चुदाई करने की कोशिश करूं।

मैं दोबारा मम्मी को अपनी मर्जी से टच भी नहीं किया। फिर बीच में पापा भी आ गए और मम्मी पापा के साथ खुश रहने लगी। मुझसे ज्यादा बातें नहीं करती, बस काम की बातें करती। मैं भी अब धीरे-धीरे यह सब भूल रहा था।

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