पिछला भाग पढ़े:- नई पड़ोसन-1
सेक्स कहानी अब आगे-
उस दिन करीब 12 बजे कामिनी ने मुझे जगाया और बोली: आंटी उठो, अब कितना सोई रहोगी?
मैं: अरे बेटी तुमने इतनी चुदाई की है मेरी कि मैं क्या करूं?
कामिनी: आंटी सॉरी रात के लिए मैं आपको इतना मार रही थी, और गाली भी दी, आपको बहुत दर्द हो रहा है ना?
मैं: अरे नहीं बेटी, मुझे एक नई चुदाई का अनुभव दिया तुमने। मुझे भी बहुत मजा आया। सच बोलूं तो मैं और भी मजे करना चाहती थी तुम्हारे साथ। तुम दोगी ना मजे? ऐसे ही जैसे रात को कुतिया बनाई थी। और तुम मुझे आंटी अकेले में मत बोलो। रंडी, आवारा, जो मन करे वो कह सकती हो।
कामिनी: हाँ क्यूँ नहीं मेरी रंडी। उम्र में बड़ी हो पर देखो कैसे अपनी से छोटी लड़की की गुलाम बन गई।
और एक थप्पड़ मेरी चूत पर मार कर बोली: चली बुरचोदी, उठ जा, फ्रेश हो जा और नहा ले। देख तेरी बुर कैसे भीग गई हैं।
मैं उठ कर गई और फ्रेश हो गई। उसका बनाया हुए नाश्ता की और घर जाने लगी।
कामिनी: सुन रंडी, आज क्या इरादा हैं? तेरी भोंसड़ी आज आराम करेगी या मरवाएगी?
मैं: आराम तो होता रहेगा। अकेले कुछ दिन मिले हैं तो मजे करेंगे।
कामिनी: ठीक है, आज जल्दी आना साली।
फिर मैं घर आई और रात की चुदाई सोच कर गीली हो गई। कितनी मस्त औरत हैं। उम्र में मुझसे छोटी हैं पर खूब अनुभव हैं। फिर मैं सो गई। करीब 5 बजे नींद खुली और ऐसे ही उठ कर कामिनी के पास चली गई।
कामिनी टीवी देख रही थी। मुझे देखते ही बोली: आओ मेरी जान, तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी। और रंडी ये क्या पहन रखी है आवारा?
मैं: क्या हुआ, मैक्सी तो हैं।
कामिनी: साली तुझे बदन दिखाना है और तू ढक कर आई है। चल कोई ना मैं हूं। आज शाम को बाहर चलना है।
मैं: ठीक हैं।
फिर उसने मुझे कहा: चलो रंडी मेरे कपड़े पहन लो।
उसने मुझे एक साड़ी दी जो बहुत महीन और पारदर्शी थी।
वो बोली: ये इसलिए दे रही हूं क्यूंकि इसके ब्लॉउज थोड़े ढीले है और तुझे आ जाएंगे।
ब्लॉउज भी पारदर्शी थे। मैं पहन ली लेकिन मेरी चूचियां आसानी से देखि जा सकती थी। फिर उसने लिपस्टिक लगाई और मेरा छोटा सा मंगलसूत्र निकाल कर एक बड़ी सी चेन दे दी जो मेरे बूब्स के नीचे तक जा रहे थे।
कामिनी: देखो तो कितनी संस्कारी रंडी लग रही है। इस उम्र में भी तुम किसी भी खूबसूरत लड़की को मात दे सकती हो।
उसने खुद भी एक टाइट स्कर्ट और टी-शर्ट पहन ली, और हम चल दिए 9 बजे रात को।
मैं बोली: कहाँ चल रही हो?
कामिनी: तू बस चल, टाइम भी लगेगा शहर जाने में।
फिर हम एक बड़े मॉल के सामने पहुंचे।
कामिनी बोली: चल कुछ देखा जाए खरीदने के लिए, और जो बोलूँगी वही करना। समझी हरामजादी? मैं तेरी बेटी हूं और तू मेरी माँ, ठीक?
मैं: ठीक हैं।
लिफ्ट आई और हम उसमे चले गए। तभी कामिनी लिफ्ट में मुझे किस्स करने लगी और मेरी चूचियां दबाने लगी। मुझे भी मजा आ रहा था। फिर उसने मेरी चूचियां ब्लॉउज से आधी बाहर निकाल दी। तभी ऊपर फ्लोर पर पहुंच गए। सभी लोग हम दोनों को ही देखा रहे थे।
एक आदमी: क्या मस्त रंडी है। साली साड़ी वाली तो गजब है।
दूसरा आदमी: वाह क्या भारतीय औरत हैं। बिल्कुल एक ही रंडी संस्कारी की तरह। जी करता साली को यही पटक के पेल दूँ।
ये सुन कर कामिनी उन दोनों के सामने ही मेरी गांड पर एक थप्पड़ मार दी और बोली: देखा कैसे सब तेरे दीवाने हो गए है?
मैं शर्मा गई और बोली: चल पगली।
फिर उसने मेरे लिए कुछ ब्रा और पैंटी पसंद की और बोली: चलो ट्रायल रूम में चेक कर लो।
मैं: तुम कुछ नहीं लोगी क्या?
कामिनी: नहीं मैं बस तुम्हारी लिए आई हूं।
मैं ट्रायल रूम में गई तो कामिनी भी अंदर आ गई।
वो बोली: चल साड़ी उतार दे।
मैंने ऐसा ही किया और उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया और ब्रा और पैंटी पहना दी मुझे।
फिर वो मुझे बोली: वाओ! क्या सेक्सी रांड लग रही हो।
और वो पैंटी के ऊपर से मेरी चूत मसलने लगी, और मुझे किस्स करने लगी। हम दोनों गरम होने लगी और मैं भी उसकी चूचियां पीने लगी।
कामिनी: चल मेरी चूत चाट जल्दी कर कुत्ती।
मैं भी उसके पैर ऊपर पास में पड़े टेबल पर रख दी, और उसकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। वो मेरे बाल पकड़ कर बोली-
कामिनी: अहह रंडी, चूत चटवाने में मुझे बहुत मजा आ रहा है।
वह अपनी चूत को उठा-उठा कर चुसवा रही थी, और मैं उसकी चूत को खूब चाट भी रही थी। उसकी चूत का रस भी बहुत ही मजेदार था। हाय… ऐसा रस मैं अभी तक किसी की चूत का नहीं देखी थी। यहां तक कि मेरी सहेली रागिनी का भी नहीं था।
इसी बीच कामिनी मेरे मुंह में झड़ गई, और उसकी चूत का पानी मेरे मुंह में निकल गया।
मैं तो गरम थी ही पर कामिनी बोली: चल रंडी अब चलते है।
मैं: पर मेरी चूत का पानी कौन निकलेगा कामिनी? पहले मेरे भी पानी निकाल दो, फिर चलते हैं।
कामिनी: बोला ना चल तो चल।
मैं मजबूर थी। यही सोच रही थी काश कोई मिल जाता और मुझे पटक के चोद देता।हाए रे मेरी किस्मत। मेरी चूत गीली थी और पानी बह रहा था, और हम मॉल से बाहर आ गए। फिर कामिनी किसी को फोन की।
दस मिनट बाद एक कार हम दोनों के पास आ कर रुकी, जिसमें ड्राइवर को लेकर तीन लोग थे। एक काला आदमी था जिसकी उम्र 60 के आस-पास होगी, लेकिन लंबा और हट्टा कट्टा था। नाम कमलेश था। दूसरा कोई 40 का होगा। लंबा-चौड़ा गोरा-चिट्टा था।
कमलेश: कामिनी चलो, हमें लेट हो रहा है।
मैं: कामिनी ये कौन लोग हैं?
कामिनी: ये वही है जो आज हम दोनों की बजाएंगे पूरी रात। ये मेरे कमलेश मेरे पति के बॉस है और मैं अक्सर इनसे चुदती हूं। और समर इनके नए क्लाइंट है, इनको खुश करना हैं।
अब मुझे समझ आ गया कि क्यूं उसने मुझे इतनी गरम करके छोड़ दिया था और क्यूं यहाँ लेकर आई। मुझे रंडी बना कर लाई था उनसे चुदवाने। पर जो भी हो, मेरी चूत लंड मांग रही थी।
फिर हम दोनों कार की ओर चल दिये और समर बाहर आया। हम दोनों अंदर बैठ गई बीच में। मैं कमलेश के बगल में और कामिनी समर के पास। फिर कार चल दी।
कमलेश: ये कौन है? बहुत मस्त हैं। इनको सब बता दिया हैं ना?
कामिनी: जी सर, ये स्वेता हैं मेरी पड़ोसन। मुझसे भी ज्यादा आगे हैं।
कमलेश: वो तो देखने से ही लग रहा है बहुत बड़ी रांड है। पर माल गजब है। इस उम्र में ऐसी है, तो जब जवान होगी तब कैसी होगी?
तभी कमलेश ने अपना हाथ मेरी जांघों पर रख दिया और सहलाने लगा। उधर कामिनी खुद ही समर का हाथ अपनी चूचियों पर रख कर दबवा रही थी। मैं कुछ नहीं बोली।
कमलेश मेरे चेहरे को अपनी और करके बोला: उफ्फ़ क्या रसीले होंठ है! स्वेता, इनका रस आज मैं भी चख लूं क्या?
और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिया। मैं भी उनका साथ देने लगी। वो मेरे होंठों को खींच करके चूस रहा था जोर-जोर से, जैसे पॉर्न मूवीज में होता हैं, और मेरी चूचियां भी सहलाने लगा।
दूसरी ओर कामिनी तो अपनी स्कर्ट से चूचियां बाहर निकाल चुकी थी और समर उसकी चूची पी रहा था। कमलेश अब मेरे ब्लॉउज के बटन खोल रहा था। बटन खुलते ही मेरी बड़ी चूचियां आजाद हो गई और कमलेश मेरे निप्पल पर उंगली फेरने लगा। मैं तो पहले से ही गरम थी, अब हाल ही बुरा था।
कमलेश: वाह, क्या गजब मम्मे है साली के! ऐसी चूचियां तो बहुत कम औरतों की होती हैं।
और फिर मेरी चूचियां मुंह में लेकर चूसने लगा, और हाथों से दबा-दबा कर मेरे निप्पलस काटने लगा। फिर मेरी साड़ी ऊपर करके मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा, कामिनी का भी यही हाल था। ऐसा करते-करते हम सब एक जंगल के बीच बने फार्म हाउस पर पहुंचे और हम सब अंदर गए।
कामिनी मेरे पास आकर बोली: रंडी आज तुझे जन्नत में पहुंचा देंगे ये साले। पक्का बोल रही हूं, कल तू चल भी नहीं पाएगी। तेरी गांड भी फाड़ देंगे। कमलेश का तो नीग्रो जैसा है काला नाग, मोटा भी और बहुत देर तक पेलता है साला।
फिर हम डायनिंग रूम में पहुंचे, जहां खाने की टेबल पहले से लगी थी। उन लोगों के लिए बियर की बोतल भी थी।
दोस्तों तो कैसी लगी यहां तक की कहानी? अगर अच्छी लगी तो जरूर मेल करे ताकि आगे का किस्सा लिखूं। आपकी अपनी रांड बदचलन औरत स्वेता
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