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संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-4 (Sanskari vidhwa maa ka randipana-4)

पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-3

इधर मैं मूठ मार रहा था, उधर मेरी मां अपनी चूत में उंगली करते हुए चूचियां भी मसल रही थी। बीच-बीच में जब वो अपनी उंगलियों को चूत से बाहर निकलती, उनकी चूत से उनका गाढ़ा काम रस भी बाहर आ जाता। मेरा मन बार-बार कर रहा था कि अभी जाकर उनकी चूत चाट लूं। उनको वो मजा दूं जिसकी उनको अभी जरूरत थी। मेरी मां अपनी चूत में तेजी से उंगली कर रही थी।

कुछ देर में उनकी चूत फच-फच की आवाजों के साथ झड़ जाती है। मम्मी लंबी-लंबी सांसे ले रही थी। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थी। वो देख कर मैं भी झड़ गया। मम्मी अपनी उंगलियों पर लगे अपने काम रस को देख कर मुस्कुरा रही थी। उनके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान दिख रही थी। मम्मी ने अपना रस चूचियों पर मसला, और फिर पानी से साफ करके नहा कर नंगी ही अपने कमरे में आने वाली होती हे।

मैं उनके बाथरूम से बाहर आने से पहले अपने कमरे में आ जाता हूं। थोड़ी देर बाद मैं उन्हें नाश्ते के साथ टेबल पर देखता हूं। मम्मी सलवार सूट पहन कर तैयार हो कर बड़ी क़यामत लग रही थी। नाश्ता करते समय मैंने देखा उनका चेहरा चूत में उंगली करने के बाद खुशी से काफी खिल रहा था। फिर मैं नाश्ता करके मम्मी की गुड बाय किस्स लेकर अपनी शॉप पर निकल गया। शॉप पर काम ना होने से मेरा मन नहीं लग रहा था। मैंने सोचा क्यों ना घर चला जाऊं। फिर मैंने वैसा ही किया और घर जल्दी आ गया। मुझे जल्दी घर पर आया हुआ देखा कर-

मम्मी बोली: क्या हुआ बेटा आज जल्दी कैसे?

मैं बोला: बस शॉप पर काम नहीं था।

मम्मी: बेटा आज मेरा मन कहीं बाहर घूमने का कर रहा है।

मैं बोला: ठीक है आप तैयार होके आओ। हम आज रात का खाना किसी होटल में करेंगे।

थोड़ी देर में मम्मी तैयार हो कर आ गई। सिंपल ब्लैक साड़ी में उनकी बड़ी गांड उभर के आ रही थी। साड़ी में उनकी कमर और पेट नंगी ही दिख रही थी। फिर हम दिल्ली के एक बड़े होटल में आ गए। जहां लोग मेरी मम्मी को खा जाने वाली नज़रों से देख रहे थे। यहां तक होटल का मालिक भी मम्मी को घूर रहा था।

मैं बोला: मम्मी सच में आप बहुत सुंदर लग रही हो। देखो ना लोग आपको कैसे देख रहे हैं।

मम्मी कुछ नहीं बोली बस शर्मा गई। फिर हम खाना खा कर घर आ गए। सोने जाने से पहले मम्मी मुझे एक जोरदार किस्स दी फिर सोने चली गई। अगली सुबह फिर मैंने मम्मी को चूत में उंगली करते देखा। फिर उन्हें देख कर मैंने भी मूठ मार कर अपने लंड को शांत कर लिया।

उसके बाद मैं शॉप पर बैठे हुए सोचने लगा। मेरी मां की चूत में आज कल ज़्यादा ही खुजली हो रही है। जो अपनी चूत को उंगली से शांत कर रही है। फिर सोचा पापा के जाने के बाद मम्मी भी आखिर अपने आप को कब तक रोकती? मम्मी भी एक औरत है, उनकी चूत में भी खुजली हो गई तो क्या गलत है? अगर यह खुजली चुदाई की आग में बदल गई फिर तो उस आग को बस एक लंड ही शांत कर पाएगा।

अब तो मुझे सोचते हुए भी डर लग रहा था कही मम्मी किसी गैर मर्द का शिकार ना बन जाए। उससे मम्मी और घर की बदनामी भी होगी। इसे अच्छा है मुझे ही मम्मी की खुशनुमा लिए अब कुछ करना पड़ेगा।

ऐसे सोचते हुए मेरा दिन निकल गया। शाम को घर के लिए निकल रहा था तभी मेरा पास एक अंजान व्यक्ति काम की तलाश में आया। वो काफी मजबूर लग रहा था। उसकी मजबूरी देख कर मैंने उसे अगले दिन आने को बोल दिया। उसके बाद मैं भी घर आ गया। रात का खाना खाने के बाद में कुछ देर मम्मी के पास उनसे बात करने चला गया। मम्मी अपने कमरे में ना होके छत की बालकनी में खड़ी नीचे देख रही थी।

मैं उनके पास जाकर बोला: मम्मी आप अभी तक सोई नहीं? आप ऐसे यह क्यों खड़ी है?

मम्मी बोली: बेटा बस मुझे नींद नहीं आ रही थी (मुझे मम्मी की बातों में उदासी नज़र आ रही थी।)

मैं बोला: मम्मी कुछ तो बात है, आप उदास लग रही हो। मुझे बताओ ना क्या बात हैं?

मम्मी: बेटा मुझे बहुत अकेला-पन लग रहा है। आज कल मुझे रातों में तेरे पापा की कमी बहुत महसूस होती हैं।

फिर मम्मी फूट-फूट के रोने लगी। मैंने उन्हें शांत किया और उनके कमरे में ले गया। फिर उनके साथ थोड़ी देर बातें करता रहा जब तक वो सो नहीं गई। उसके बाद मैं भी जाकर सो गया।

अगले दिन सुबह मैं अपनी शॉप पर आया और काम में लग गया। थोड़ी देर बाद कल वाला वहीं व्यक्ति मेरे पास काम मांगने आया। उसने मुझे अपनी कुछ दुख भरी कहानी और अपने बारे में बताया। उसका नाम जुनैद था। उम्र 28 वर्ष, हाईट 5’8”, रंग उसका सावला था। फिर भी वो स्मार्ट और हैंडसम लगता था। उसकी बॉडी काफी आकर्षित थी। उसके मोटे-मोटे डोले, चौड़ी छाती, और गठीला बदन देखने में किसी पहलवान जैसा लगता था। कोई भी औरत उसे एक नज़र देख ले तो अपनी टांगे खोलने के लिए तैयार हो जाए।

जुनैद ने बताया काम के साथ उसके पास रहने के लिए घर भी नहीं था। जुनैद मजबूरी में नौकर भी बनने के लिए तैयार था। उसकी दुख भरी कहानी और उसकी मजबूरी सुन कर मैंने उसे अगले दिन आने को बोला। रात को खाने के समय मैंने मम्मी को जुनैद की सारी बात बताई।

मम्मी भी मेरी बात सुन कर बोली: बेटा तुम्हें उसकी मदद करनी चाहिए।

मैं बोला: मम्मी क्यों ना हम उसे ऊपर वाला कमरा दे? वैसे भी ऊपर वाला फ्लोर खाली है, और मुझे अपनी शॉप के लिए एक वर्कर भी मिल जाएगा।

मम्मी: बेटा जैसा तुम्हे ठीक लगे मुझे तो खुशी है तुम किसी की मदद करना चाहते हो। पर एक बार उसके बारे में अच्छे से पता कर लेना कि वह कौन सी जगह से आया है, और उसका व्यवहार कैसा हैं। मैं नहीं चाहती किसी अनजान पर भरोसा करके उसको अपने घर में रखना।

अगले दिन मैंने जुनैद को दुकान पर काम पर रखा, और उसे काम भी समझा दिया। यह सुन के वो काफी खुश हुआ। वो कुछ दिनों तक ऐसे ही बाहर कहीं अपना गुजारा करता रहा। कुछ समय बाद मैंने मम्मी से पूछा तो उन्होंने कहा कि अगर तुम्हें उस पर विश्वास हैं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। एक दिन रात को मैं जुनैद को अपने साथ घर लेकर आ गया।

मम्मी ने जब घर का गेट खोला। मम्मी मेरे साथ खड़े जुनैद को ऊपर से नीचे तक देखती रह गई। फिर मुस्कराते हुएं हमें अंदर आने को बोली। मम्मी उस समय एक टाइट लेगिंग और लूस टी-शर्ट पहनी थी। लेगिंग में मम्मी की उभरी हुई बड़ी गांड और भी बड़ी लग रही थी। ऊपर से मम्मी ने टी-शर्ट के अंदर ब्रा नहीं पहना था। जिससे उनकी चूचियां हिल रही थी।

मम्मी हमारे लिए पानी लेने किचन में जा रहीं थी। तब मैंने देखा जुनैद मेरी मां की मटकती गांड को ही देख रहा था। थोड़ी देर बाद मम्मी ने जुनैद को पानी दिया। वो पानी पीकर मम्मी को थैंक्स बोला। उसके बाद मैंने जुनैद को बताया यह मेरी मम्मी सविता है। फिर मैं उसका कमरा दिखा दिया। जुनैद को हमारा घर काफी अच्छा और उसने मम्मी से घर की बहुत तारीफ़ की।

अब रोज जुनैद मेरे साथ शॉप पर आता। हमरा पूरा दिन काम और बाते करते-करते ही निकल जाता था। घर आने के बाद मम्मी दोनों के लिए चाय बना देती। चाय पीने के दौरान मम्मी भी हमारे साथ बैठ जाती थी। कुछ देर हम बातें करते। तभी मैंने नोटिस किया मम्मी चाय पीते हुए जुनैद की मस्कुलर बॉडी बड़े ध्यान से देखती थी। और उसके साथ बातें करती रहती।

एक दिन मैंने जुनैद को शॉप पर जल्दी भेज दिया। और मैं कुछ देर बाद तैयार होकर नाश्ते के लिए गया। मम्मी मंदिर से पूजा कर के आ रही थी, जो उनकी रोज की आदत थी। फिर मम्मी मेरे लिए नाश्ता लेकर आई और बोली: बेटा आज जुनैद जल्दी क्यूं चला गया?

मैं बोला: मम्मी शॉप पर काम ज़्यादा हैं, इसलिए उसको जल्दी भेज दिया।

मम्मी: पर बेटा तुम्हें भी उसके साथ रहना चाहिए, कहीं वो कुछ….

मैं बोला: ओहो मम्मी जुनैद काफी ईमानदार लड़का है। उसके आने से अपना कारोबार अच्छा चल रहा है। जुनैद पापा की तरह ही अच्छा बिजनेस करना जनता हैं।

मम्मी बोली: बेटा तुम्हे तो फिर भगवान को थैंक्स बोलना चाहिए। जुनैद जैसा ईमानदार अच्छा वर्कर मिल गया।

मैं बोला: हां मम्मी जुनैद पर हम विश्वास कर सकते है।

मैंने देखा मम्मी जुनैद की तारीफ से काफी खुश नज़र आ रही थी। मैंने शॉप पर जाने से पहले मम्मी से किस्स मांगी। फिर मम्मी और मैं कुछ 2-3 मिनट तक एक-दूसरे के होंठ को दबा कर चूमने लगे। उसके बाद मैं अपनी शॉप पर निकल गया। कुछ दिन में ही मम्मी जुनैद से काफी घुल-मिल गई। जुनैद भी घर में इस तरह रहने लगा जैसे वो उसका ही हो।

एक दिन मैंने देखा जुनैद सुबह-सुबह नहा कर बस लुंगी में ही घर के हॉल में आ जाता है। बिना किसी शर्म के वो अपनी घने बालों से भरी छाती और अपनी बॉडी पर तेल मालिश कर रहा था। तभी मेरी मम्मी मंदिर से पूजा पाथ करके हॉल में आती हैं।

दोस्तों मम्मी के सामने आ जाने से जुनैद क्या करता है वो सब आपको में अगले पार्ट में बताऊंगा। आगे जानने के लिए मेरी कामुक कहानी पर बने रहे। कहानी के बारे में मुझसे बात करने के लिए मुझे deppsingh471@gmail.com मेल करे।

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