Drishyam, ek chudai ki kahani-6

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

    हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए!

    कालिया उठ खड़ा हुआ और फुर्ती से उसने वह गद्दा फर्श पर बिछा दिया और सिम्मी को वहाँ लेटने को कहा। सिम्मी क्या करती? चुपचाप कालिया के इशारे पर वह वहाँ जा कर लेट गयी और कालिया को उसके बदन पर सवार होने का इंतजार करने लगी।

    नंगी सिम्मी को गद्दे पर लेटे हुए देख कालिया का दिमाग उत्तेजना और उन्माद से जैसे घूम रहा था। फिर भी वह सिम्मी को अपना साथ दे उसकी उम्मीद में सिम्मी की चूत में अपनी दो उंगलियां डाल कर सिम्मी को उँगलियों से ही चोदने लगा।

    सिम्मी कालिया के उंगली चोदन से एकदम बेबाक हो रही थी। सिम्मी का पूरा बदन कामाग्नि की आग में जल रहा था। उसके पुरे बदन में जैसे बिजली का करंट सा दौड़ रहा था। कालिया के उँगली चोदन से गद्दे पर इधर उधर हो कर छटपटा रही थी। कभी ना अनुभव हुई हो ऐसे अनुभव उसे हो रहे थे। उसने अपनी जिंदगी में कभी इतनी उत्तेजना महसूस नहीं की थी।

    वह मारे उन्माद से अपने आप पर नियत्रण खो रही थी। अचानक उसके दिमाग में एक धमाका जैसा हुआ और उसका पूरा बदन एक तनाव में खींचा और फिर जब उसके स्त्री रस का फव्वारा छूटा तो जैसे कमान से तीर छूटने के बाद धनुष की डोरी ढीली पड़ जाती है वैसे ही तान्या का बदन भी एकदम शिथिल हो गया और वह ढेर सी गद्दे पर लुढ़क पड़ी।

    तान्या ने किसी भी मर्द के साथ यह पहली बार ओर्गास्म महसूस किया था। उसके पहले उसने अपनी उंगली डाल कर ओर्गास्म का अनुभव तो किया था पर आज का अनुभव उसके लिए कुछ और ही था। इस बार उसे मेहसूस हुआ की क्यों उसकी सहेलियां किसी भी मर्द से चुदवाने के बातें हमेशा आपस में करती रहती थीं।

    कालिया ने जब सिम्मी का यह उन्मादपूर्ण ओर्गास्म देखा तो उसका डर काफी कुछ कम हुआ। वैसे वास्तव में कालिया का डर गलत नहीं था। पहले सिम्मी के मन में यह द्वन्द चल रहा था की क्या वह कालिया को आत्मसमर्पण कर दे या फिर चिल्ला कर उसका विरोध करे। पर जब सिम्मी ने कालिया से उस ओर्गास्म को महसूस किया और उसे यह लगने लगा की उसका दिल अब कालिया से चुदवाने पर अड़ा हुआ था तो उसने पूरी तरह से कालिया के प्यार को एन्जॉय करना तय कर लिया था।

    सिम्मी ने आखिर में अपने मन की बात सुनने का फैसला किया और अपनी जाँघों के बिच स्थित कालिया को खिंच कर अपने ऊपर ले आयी खुद कालिया से लिपट कर सिम्मी ने अपना हाथ कालिया की जाँघों के बिच में रखा और कालिया के लण्ड को उसके पाजामे के ऊपर से ही हलके से धीरे से प्यार से सहलाने लगी।

    कालिया सिम्मी का यह परिवर्तन देख कर मन ही मन बड़ा खुश हुआ। खुश क्यों न होता भला? उसके मन की चाहत उस रात पूरी जो होनी थी? कालिया ने अपने हाथ से अपने पाजामे का नाडा खोला और अपनी निक्कर निचे की और खिसका कर अपना लण्ड बाहर निकाल कर सिम्मी के हाथ में पकड़ा दिया।

    सिम्मी के हाथ में जैसे ही कालिया के लण्ड महसूस हुआ की सिम्मी का बदन भय और उत्तेजना से काँपने लगा। उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसे अचानक बुखार चढ़ गया हो। उसका बदन गरम हो गया।

    उसकी सांस धमन की तरफ तेज चलने लगीं। सिम्मी के भरे हुए स्तन कामुक गति से ऊपर निचे होने लगे। सिम्मी के कपोल पर पसीने की बूँदें बनने लगीं। कालिया के लण्ड वजन में भी काफी भारी था। कालिया के लण्ड के इर्दगिर्द के बाल महसूस कर सिम्मी को अजीब सा जुगुप्सा भरा रोमांच महसुस हुआ।

    कालिया का बदन पसीने से तरबतर था। पता नहीं सिम्मी को उस समय वह गंध बीभत्स लग रही थी या उन्मादक। सिम्मी की पूरी हथेली कालिया के लण्ड से भर गयी। सिम्मी अनायास ही उत्तेजना के मारे कालिया का लण्ड हाथ में आते ही उसे हिलाने लगी।

    कालिया भी अपना लण्ड सिम्मी के हाथ में देख कर ही उन्माद में पागल सा हो रहा था। वह बार बार सिम्मी को कह रहा था, “सिम्मी, मुझसे डरो मत। मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। तुम मेरा साथ दोगी तो मैं तुम्हें कोई हानि नहीं पहुँचाऊँगा। मैं तुम्हें बहुत प्यार से चोदुँगा और बादमें तुम्हें बिलकुल परेशान नहीं करूंगा।”

    सिम्मी ने सूना था की लडकियां अपने बॉयफ्रेंड का लण्ड बड़े प्यार से चूसती हैं। वह उन्ही ख्यालों में सपनों में कई बार किसी ना किसी अनजान मर्दों का लण्ड चूस चुकी थी। अब जब उसे मौक़ा मिला तो उसका मन ललचाया की हथेली में फुंफकार रहे कालिये के लण्ड को वह चूसे। पर स्त्री सहज लज्जा और उस लण्ड में से निकलती हुई कालिये के पसीने की गंध उसे रोक रही थी।

    वह डर रही थी की कहीं ऐसा ना हो की कालिये का लण्ड मुंह में जाते ही उसे उलटी हो जाए। यदि ऐसा हुआ तो यह तय था की कालिया खिंच कर एक तगड़ी थप्पड़ सिम्मी के गालों पर जड़ देगा।

    तभी कालिया ने सिम्मी को दहाड़ते हुए कहा, “चलो, रानी मेरा लंड चुसो।”

    कालिये की दहाड़ ने सिम्मी का काम आसान कर दिया। सिम्मी को तो वैसे ही तड़प रही थी किसी भी लण्ड चूसने को। उसने विडिओ में देखा था और सहेलियों से सूना था की मर्द का लण्ड चूसने से औरत में सेक्स की चाहत बढ़ती है और मर्द का लण्ड और भी तगड़ा हो जाता है। मर्द और ज्यादा ताकत से चोदता है। तब से वह कालिया के लण्ड को चूसने के सपने देख रही थी।

    सिम्मी कालिया की दहाड़ से घबराई हुई नज़रों से कालिया की और देखने लगी। अब उसे कालिये का वह लटकते हुए घंटे जैसा तगड़ा लण्ड चूसना ही था। सिम्मी ने निचे झुक कर कालिया के लण्ड को एक हाथ से पकड़ कर कालिया के लण्ड के पास अपना मुंह लिया और जीभ लम्बी कर उसके लण्ड के ऊपर का फुला हुआ टोपा जीभ लगा कर चाटने लगी।

    कालिया सिम्मी को अच्छी तरह से चोदना चाहता था। उसकी कई महीनों की इच्छा की पूर्ति हो रही थी। वह सिम्मी से पूरी चुदाई का मजा लेना चाहता था। कालिया ने सिम्मी को रोका। वह गद्दे के पास ही खड़ा हो गया। उसका पजामा और निक्कर उसके पाँव के निचे एक ढेर बन कर गिर पड़े और उसका भयावह लण्ड लटकता हुआ पर फिर भी अपनी अकड़ दिखाता हुआ सख्ती से कालिया की दो जाँघों के बिच खड़ा हो गया।

    सिम्मी ने कालिया की नंगी जाँघों के ऊपर उगे हुए काले घने बाल देखे। उसका सुपाड़ा (अंडकोष) भी उसके बालों से भरा हुआ था। कालिया ने सिम्मी को उठा कर गद्दे पर घुटनों के बल बैठाया। सिम्मी को अपना रोल भलीभांति पता था।

    सिम्मी ने पहले कुछ वीडियो में औरतें कैसे मर्दों के लण्ड को चाटती हैं वह अच्छी तरह देखा था। सिम्मी दोनों घुटनों के बल गद्दे पर आधी बैठी आधी खड़ी हो गयी और अपना मुंह कालिया के लण्ड के पास लेकर उसकी जीभ से कालिया के लण्ड को फिर से चाटने लगी।

    कालिया खड़ा खड़ा अपनी आँखें बंद कर सिम्मी के नरम होंठों को लण्ड के इर्दगिर्द चाटते हुए महसूस करता हुआ एक अजीब से तंद्रा में खो गया। उसने कल्पना भी नहीं की थी की इतनी खूबसूरत लड़की कभी उसका लण्ड चाटेगी। वह सिम्मी के मुंह में अपना लण्ड धर कर खड़ा हो गया। उसने अपना हाथ सिम्मी के माथे पर रखा हुआ था और वह सिम्मी के काले घुंघराले बालों को अपनी उँगलियों से संवार रहा था।

    कालिया ने अपना पेंडू थोड़ा धक्का मारते हुए आगे पीछे कर सिम्मी के मुंह को अपने लण्ड को प्यार से चटवा रहा था। सिम्मी के लिए यह पहला अनुभव था किसी मर्द के लण्ड से अपने मुंह को चुदवाना। इस विचार से ही की इतना मोटा और लंबा लण्ड उस्सकी चूत मैं कैसे चला जायगा यह सोच कर सिम्मी बाँवरी सी हो रही थी।

    सिम्मी ने चूसते चूसते कालिया का पूरा लण्ड अपने मुंह में लेने की कोशिश की पर उतना मोटा और तगड़ा लण्ड उसके नन्हे से मुंह में कैसे घुसता? वह अपनी जीभ से अपने मुंहमें कालिया के लण्ड के इर्दगिर्द बहुत सारी लार लगाने में लग गयी। ऐसा करने से उत्तेजना के मारे कालिया का लण्ड और भी कड़क और तगड़ा होने लगा।

    कभी सिम्मी कालिया के लण्ड को अपने हाथ की उँगलियों से सहलाती तो जब वह मुंह में चला जाता तो अपनी जीभ से उसे लपेट कर अपना प्यार जताती। ऐसा करने में उसका इरादा शायद यही था की जब यह लण्ड कालिया उसकी चूत में डालेगा तो वह चिकना रहे और उसको चूत में घुसने में कम तकलीफ हो; क्यूंकि सिम्मी को डर था की कहीं अगर यह लण्ड सूखा रहा और उसकी चूत में जोर से घुसाया गया तो उसकी चूत फट ना जाए। जब उसके इतने बड़े मुंह में कालिया का लण्ड नहीं घुस पा रहा था तो उसकी चूत में तो एक छोटा सा ही छिद्र था। उसमें यह कैसे घुसेगा यह सोच कर सिम्मी की जान निकल रही थी।

    काफी देर तक सिम्मी ने कालिया के लण्ड को चाटा और चूसा। पर आखिर में उसका गला और जीभ थकने लगी। जब कालिया ने यह देखा तो कालिया ने धीरे से अपना लण्ड वापस खिंच लिया और वह सिम्मी को बिस्तर पर ठीक से लिटाकर खुद उसके ऊपर चढ़ गया। उसने सिम्मी को अपनी टाँगों के बिच में लिया और खुद घुटनों के बल ऐसे लंबा हो गया जैसे उसने सिम्मी के बदन को पूरी तरह अपने निचे सिमट लिया हो।

    सिम्मी ने जब देखा की काला, लंबा मोटा और तगड़ा कालिया उसके छोटे नंगे गोरे बदन के ऊपर सवार हो चुका है तो डर के मारे उसकी हवा निकल गयी। इतना तगड़ा लंबा भारी भरखम आदमी जब उसे चोदेगा तो उसका क्या हाल होगा यह सोचते ही सिम्मी की हालत खराब होने लगी।

    कोई बाहर से देखने वाले को तो कालिया और सिम्मी को ऊपर निचे देख कर ऐसे ही दिख रहा होता जैसे काले घने बादल चाँद के ऊपर छा गए हों। जैसे काले घने बादलों में चाँद नजर नहीं आता वैसे ही कालिया के भयावह बदन के निचे सिम्मी कहाँ दीखनेवाली थी? कहाँ कालिया इतना मोटा, तगड़ा और लम्बा और कहाँ यह सिम्मी की नन्ही जान?

    कालिया का लटका हुआ पेट सिम्मी के पतले पेट को छू रहा था। कालिया की छाती पर घने काले बाल सिम्मी की चूँचियों को छू रहे थे। सिम्मी को कालिया की गहरी साँसे कानों में साफ़ साफ़ सुनाई दे रहीं थीं। कालिया की दाढ़ी सिम्मी के बालों को छू रही थी।

    सिम्मी को कालिया की शकल नहीं दिखाई पड़ती थी। वह सिर्फ कालिया की छाती ही देख पा रही थी और निचे की तरफ कालिया का पेट और उसके निचे काले घण्टे की तरह लटकता हुआ कालिया का लंबा और तगड़ा लण्ड और उसके पीछे उसका भरा हुआ मोटा सुपाड़ा दिख रहा था।

    पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

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