Drishyam, ek chudai ki kahani-14

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

    जब यह कहानी लिखी जा रही है तब ना सिर्फ हमारा देश बल्कि सारा विश्व कोरोना नामकी बिमारी से उत्पन्न एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रहा है। हम सब अपने घरों में दुबक कर बैठे हैं और चारो और से हमें अशुभ समाचार ही मिल रहे हैं।

    उत्तेजक कहानियां पढ़ कर, चित्र, चलचित्र देख कर या टीवी ओटीटी बगैरह माध्यम से हम अपना मन बहलाने की कोशिश कर रहे हैं। पर यह ध्यान रहे की ख्यालों की दुनिया और असलियत में कुछ अंतर है।

    हालांकि मेरी कहानियां ज्यादातर सत्य घटनाओं पर आधारित हैं। फिर भी मैं पाठकों से यह हिदायत करना चाहता हूँ की इन घटनाओं को अमली जामा पहिनाने के पहले बखूबी से सोचें और सब की और ख़ास कर अपनी निजी संबधित व्यक्तियों की और खासकर महिलाओं की संवेदनशीलता और निजी संबंधों की नाजुकता को ध्यान में रखें और कोई भी व्यक्ति: स्त्री या पुरुष शारीरिक या मानसिक हिंसा से प्रताड़ित ना हो यह सुनिश्चित करें। यदि इसमें कोई भी पाठक मार्गदर्शन के लिए मुझे योग्य समझें तो उसे सही राह दिखाने में मुझे ख़ुशी होगी।

    कालिया यह तूने क्या किया?

    कालिया द्वारा सिम्मी की जमकर हुई काम क्रीड़ा देखने के बाद अर्जुन के मन में सिर्फ एक ही पागलपन सवार था की कैसे वह औरतों की तगड़े मर्दों से सम्भोग करवा सके और अगर मुमकिन हुआ तो उसे देख सके।

    सिम्मी में कालिया से हुई तगड़ी चुदाई के बाद काफी कुछ परिवर्तन आ चुका था। हालांकि कालिया ने दूसरीबार भी सिम्मी पर जबरदस्ती तो की थी, पर दूसरी बार सिम्मी की गुप्त इच्छा भी थी की कालिया उसे दुबारा वही सम्भोग का आनंद दे जो उसे पहली बार अनुभव हुआ था। सिम्मी का पहला ही सम्भोग कोई ढीलेढाले मर्द से नहीं पर एक तगड़े मर्द से आक्रामक मैथुन से शुरू हुआ।

    कौमार्यभंग ना हुई हो ऐसी लड़कियों के नसीब में ऐसा अनुभव कम ही होता है। अक्सर कँवारी लडकियां कॉलेज में या शादी से पहले किसी ना किसी लड़के से कहीं ना कहीं हफडाताफड़ी में अपना कौमार्य गँवा देती हैं।

    कालिया भले ही सामाजिक स्तर की दृष्टि से सिम्मी के मुकाबले का नहीं था और सिम्मी को भाता नहीं था पर जिस तरह कालिया ने सिम्मी को सेक्स का पहला पाठ ठोस तरीके से पढ़ाया था इस के कारण सिम्मी कालिया की चोदने की स्टाइल की दीवानी हो गयी थी। सिम्मी को पहले ही सेशन में समझ आ गया की तगड़ी चुदाई क्या होती है। दूसरी बार जिस तरह से सिम्मी को कालिया ने चोदा वह अद्भुत था। पहली बार तो सिम्मी ने कालिया की चुदाई रेप के रूप में समझी थी और उसको ना सिर्फ रोका बल्कि उसका विरोध किया।

    और इसी कारण कालिया से दूसरी चुदाई के बाद भी सिम्मी ने कालिया से नाता नहीं तोड़ा और ना ही उसने किसी को कालिया की कथनी के बारे में कोई शिकायत की। सिम्मी को भाई से भी शिकायत नहीं रही क्यूंकि हालांकि भाई चाहता तो सिम्मी को उस दिन चोद सकता था परन्तु भाई ने उसे स्पर्श तक नहीं किया। बस वह थोड़ी दूर खड़े हुए सिम्मी की कालिया द्वारा हो रही तगड़ी चुदाई देखता रहा।

    सिम्मी को इस बिच काफी कुछ देखने को मिला जो वह बड़े आश्चर्य से समझ ने की कोशिश कर रही थी। उसकी समझ में कुछ कुछ आ रहा था। चाचाजी के एक दूध वाला रोज दूध ले कर आता था।

    सिम्मी ने सुना था की वह चाचीजी के गाँव का था और इसी शहर में उसने कुछ गायें और भैंसें रखीं थीं जिनका दूध वह शाम के समय देने के लिए आता था।

    वैसे सिम्मी ने देखा था की बाकी घरों में यह दूध वाला सुबह सुबह दूध देता था, पर चाचीजी को दूध देने के लिए वह हमेशा शाम को ही आता था। शाम को हमेशा चाचाजी दूकान पर होते थे।

    सिम्मी ने पहले तो इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया पर एक बार जब दूध वाला आया और उसने बेल बजाई तो सिम्मी ऊपर बालकनी में टहल रही थी।

    उसने निचे देखा तो चाचीजी ने दरवाजा खोला। दोनों ने एक दूसरे को देखा। फिर दूध वाला चाचीजी के साथ घर के अंदर गया। सिम्मी वहीँ खड़ीखड़ी कुछ सोच रही थी और इधर उधर देख रही थी।

    सिम्मी को कुछ अजीब सा लगा जब दूधवाला काफी समय तक बाहर नहीं आया। ऐसे ही करीब आधे घंटे से ४५ मिनट बीत गए, उसके बाद थोड़ी आवाज हुई तब सिम्मी ने देखा तो दूधवाला इधरउधर देखता हुआ हाँफता हुआ अपने कपडे ठीक करता हुआ बाहर निकला और अपनी मोटर बाइक ले कर वहाँ से चलता बना।

    सिम्मी को यह बात अजीब लगी, पर उसने सोचा शायद दूध वाले से चाचीजी महीने का दूध के पैसे का हिसाब कर रही होगी, इस लिए सिम्मी ने उस बात पर ध्यान नहीं दिया। सिम्मी शायद उस बात को भूल ही जाती पर एक हफ्ते के बाद फिर एक और दिन बिलकुल ऐसा ही हुआ।

    उस दिन सिम्मी ने धीरे से सीढ़ी के कुछ पायदान उतर कर जब चाचीजी के बैडरूम में झांका तो देखा की चाचीजी के ऊपर चढ़ दूधवाले भैया चाचीजी की तगड़ी चुदाई कर कर रहे थे। दूधवाले का लण्ड देख कर ही सिम्मी चौंक गयी। उसका लंड हथोड़े के हत्थे के तरह खड़ा और तगड़ा मोटा और लंबा था। चाचाजी का लण्ड उसके मुकाबले में बहुत छोटा था। सारी बात फ़ौरन सिम्मी की समझ में आ गयी।

    सिम्मी को यह महसूस हुआ की मर्द हो या औरत सेक्स की जरुरत सबको होती है। हर लड़की या औरत को सेक्स चाहिए। हो सकता है चाचाजी चाची को पूरा सटिस्फैक्शन ना दे पाते हों। सिम्मी के मन में चाची के लिए और प्यार उमड़ पड़ा। आखिर वह भी तो इंसान हैं। सिम्मी ने इसके बारे में चुप्पी साधना ही बेहतर समझा।

    सिम्मी के मन में सेक्स के बारे में कुछ गलत कर रहे हैं ऐसी फीलिंग थी वह यह देख कर शांत हो गयी, क्यूंकि उसे भरोसा था की चाची कभी कोई गलत काम नहीं कर सकती। अगर चाची ने कभी कभी दूधवाले से चुदवाना ठीक समझा है तो वह गलत नहीं हो सकता। सिम्मी को लगा की कालिया से चुदाई भी अगर सिम्मी को अच्छी लगी तो उसमें कुछ गलत नहीं है। बस इसके बारे में कोई चर्चा करने की जरुरत नहीं।

    उधर कालिया से सिम्मी दीदी की धाकड़ चुदाई के बाद सिम्मी दीदी का व्यवहार देख कर अर्जुन को कुछ कुछ समझ आने लगा की सिम्मी को कालिया से हुई तगड़ी चुदाई उतनी बुरी नहीं लगी थी।

    सिम्मी कॉलेज के आखिरी वर्ष में थी। अगले साल सिम्मी अपने गॉंव वापस चली जायेगी और उसका कालिया से नाता हमेशा के लिए छूट जाएगा। अर्जुन चाहता था की कालिया और सिम्मी का रिश्ता पक्का करे ताकि उसे बचेखुचे महींनों में सिम्मी की तगड़ी चुदाई देखने का मौक़ा और मिले।

    अर्जुन के मन में एक फितूर और घर कर गया था। उनके घर के बगल में ही एक लड़के की नयी नयी शादी हुई थी। उसने जब नयी नवेली दुल्हन को देखा तो उसका माथा ठनक गया।

    वह खूबसूरत लड़की ऐसे सजी थी की जैसी कोई मॉडल हो। हाथों में मेहंदी, आँखों में काजल, माथे पर बड़ी लाल बिंदी, गले में मंगल सूत्र, हाथों में चूड़ा (हर हाथ में दो बड़े सोने के कंगन बिच में कई सारी रंगबिरँगी चूड़ियाँ), माँग में सिंदूर, लाल चटक साडी बगैरह से सजी उस लड़की को देख कर अर्जुन का लण्ड उसकी निक्कर में खड़ा हो गया। वह दिनमें भी सपने देखने लगा की कैसे उसका पति रात को उस नवविवाहिता को नंगी कर के चोदता होगा।

    रात को कई बार जब अर्जुन बड़े ध्यान से सुनता तो उसे अक्सर वह लड़की की चुदाई करवाते हुए निकली कराहटें सुनाई देती थीं। उन्हें सुनते सुनते वह मुठ मार मार कर अपना वीर्य निकाल देता था।

    कहीं ना कहीं अर्जुन चुदाई की उत्तेजना को नवविवाहिता के श्रुंगार से जोड़ने लगा था। वह अपनी दीदी को भी ऐसे ही श्रृंगार किये हुए कालिया से चुदवाते हुए देखने के सपने देखने लगा। पहले अर्जुन को दीदी की छोटी सी चूत में कालिया के तगड़े लण्ड से चुदाई करवाते हुए देखने की ललक थी अब उसमें एक और इजाफा हो गया।

    एक रात जब अर्जुन और सिम्मी दोनों भाई बहन घर की अटारी में मिल गए तब अर्जुन ने कुछ साहस जुटाते हुए सिम्मी से पूछा, “दीदी, आप एक बार कालिया से मिल लो ना? वह तुम्हें मिलना चाहता है।”

    सिम्मी ने कुछ गुस्सा और कुछ कटाक्ष से नाक सिकुड़ते हुए कहा, “मैं क्यों मिलूं उसे? वह साला गुंडा गँवार है। जोर जबरदस्ती करता है। मैं नहीं मिलूंगी उसे। पिछली बार तुम्हारे कहने पर मिली थी ना मैं उसे? फिर क्या किया उसने? तुम नहीं जानते क्या? तुम भी ना, पता नहीं क्यों मेरे भाई हो कर भी तुम कालिया का पक्ष लेते हो? खबरदार उसके बारे में मुझ से बात की तो!”

    अर्जुन सिम्मी की बात सुनकर एकदम चुप हो गया। जहां उसको बात कुछ बनती नजर आ रही थी वहाँ दीदी ने तो उसकी बात के ऊपर ठंडा पानी ही फेर दिया। पर अर्जुन भी इतनी आसानी से अपने ध्येय से भटकने वालों में से नहीं था।

    उसने नाहिम्मत नहीं होते हुए कहा, “दीदी मैं जानता हूँ, वह जंगली है, वह गँवार है। यही बात करने के लिए मैं तुम्हारे पास आया था। तुमने जब से उसे दुत्कार दिया है तब से वह जैसे हिंसक जानवर सा हो गया है। जिस किसी से मिलता है तो मार पिट कर देता है। वह अब तुम्हारे बगैर पागल हो रहा है। लगता है वह तुम्हारे प्यार में पड़ गया है। वह मुझे कह रहा था की सिम्मी अगर मुझसे बात नहीं करेगी तो मैं सारे संसार में आग लगा दूंगा।”

    सिम्मी और अर्जुन बात कर ही रहे थे की अचानक उन्हें पीछे वाले मोहल्ले में काफी शोरगुल सुनाई दिया। सीढ़ी से निचे उतर कर दोनों भाई बहन भाग कर जब वहाँ पहुंचे तो देखा की कालिया एक आदमी को पिट रहा था।

    जब अर्जुन ने किसी से पूछा तो उसने बताया की कालिया के ट्रक के सामने उस आदमीने गलती से अपना ठेला रख दिया था उस बात को लेकर दोनों में कहा सुनी हो गयी और कालिया उसे पीटने लगा।

    दुसरा बन्दा कालिया के मुकाबले का तो नहीं था पर झगड़ा करने में भी कोई कम नहीं था। वह कालिया को सामने जवाब दे रहा था। कालिया ने हाथापाई में उसकी कमीज फाड़ दी थी। देखते ही दखते अचानक कालिया ने अपना रामपुरी चाक़ू निकाल दिया और उस आदमी को मारने के लिए दौड़ पड़ा।

    सब लोग भौंचक्के से खड़े खड़े देख रहे थे की कुछ ना कुछ अनहोनी होने वाली थी। कालिया हाथ में चाक़ू लिए जैसे ही उस आदमी पर टूट पड़ा की अचानक अर्जुन से अपना हाथ छुड़ाकर सिम्मी फुर्ती से छलाँग लगा कर दौड़ पड़ी।

    वह सीधी कालिया के सामने जा कर खड़ी हुई और बिना कुछ सोचे समझे उसने कालिया के गाल पर एक तगड़ा चाँटा रसीद कर दिया और जोर से गुर्राती हुई बोली, “मार देगा इस बन्दे को तू? तू अपने आपको समझता क्या है? क्या तू गुंडा मवाली बनकर इस मोहल्ले का भाई बनना चाहता है? अगर मारना ही है तो मार दे मुझे। खोंप दे चाक़ू मेरी छाती में। साले गुंडे!”

    यह वाक्या देख कर सारे मोहल्लेवाले स्तब्ध हक्केबक्के खड़े देखते ही रह गए। एक छोटी सी दुबली पतली लड़की की यह हिम्मत की कालिया जैसे तगड़े, हाथ में रामपुरी चाक़ू लिए पहलवान गुंडे को सरेआम सारे मोहल्लेवालों के सामने गाल पर चांटा मारदे! सारे मोहल्ले वाले लोगों के सामने अपने गाल पर सिम्मी के नाजुक हाथों का तीखा चाँटा खा कर और इस लड़की की हिम्मत और उसके चेहरे के क्रोधित भाव देख कर कालिया एकदम सकपका गया।

    कालिया ने कभी सोचा भी नहीं था की एक ऐसी दुबली पतली लड़की अपना सीना तान कर उसको इस तरह गाल पर थप्पड़ मारकर उसको चुनौती देगी जब की उसके हाथ में खुला रामपुरी चाक़ू था जिसके एक ही झटके में किसी का भी काम तमाम हो सकता था।

    कालिया सिम्मी की इस अनूठी अंगभंगिमा को एकदम हतप्रभ सा खड़ा देखता ही रहा। उसके हाथ से चाक़ू गिर गया। दुसरा बन्दा जिसको कालिया पिट रहा था वह भी जो कुछ हुआ उससे स्तब्ध चुपचाप वहां से खिसक लिया। कालिया बिना कुछ बोले निचे गिरे हुए चाक़ू को उठा कर चुपचाप अपने कमरे में चला गया। इकट्ठे हुए सारे लोग कुछ निराशा से (उनको शायद कुछ और भड़काऊ हादसा देखने की उम्मीद थी) और कुछ लोग सिम्मी के सामने आ कर उसकी हिम्मत की दाद देते हुए अपने अपने घर चले गए।

    पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

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