Jamindarni Ka Akelapan Dur Kiya

हलो दोस्तों आपका दोस्त दीप एक बार फेर एक नई कहानी लेकर हाज़िर है। ज्यादा बाते न करते हुए सीधा कहानी पे आते है।

ये हिन्दी सेक्सी कहानी करीब 5 साल पुरानी है जब मेने पढ़ाई खत्म करके काम ढूँढना शुरु किया, हमारा गांव शहर से 10 किलोमीटर दूर है और जरा सी चीज़ लेने भी शहर जाना पड़ता है, तो सोचा क्यों न गांव वालो की मुश्किल को आसान कर दिया जाये।

जिस से उनको बाज़ार भी न जाना पड़े मतलब बाज़ार वाला जरुरी समान यही गांव में मिले उनका वक़्त भीं बच जाये और अपना भी रोज़गर चल पड़े।

यही सोच कर मैंने किराना स्टोर खोल लिया। आप तो जानते होंगे पंजाब में कुछ गाँवो में दुकानों पर दूध भी बिकता है। सो मेरे मोहल्ले के ग्राहक भी मुझसे दूध की डिमांड करने लगे। मैंने एक दो ज़मीदारों के घरो में दूध का पता किया ! तो उन्होंने किसी वजह से इंकार कर दिया। फेर भी मैंने आस नही छोड़ी।

हर रोज़ साइकिल पे दूध का पता करने निकल जाता। काफी दिनों बाद घर से डेढ़ किलोमोटर दूर एक जगह पे दूध मिलने की किसी ने बात बताई। मैं अगले दिन ही बताई जगह पे साइकिल लेकर चला गया। वो जगह खेतो में थी।

मतलब के वो ज़मीदार अपना गांव वाला घर छोड़ के खेत में आके रहने लगा था। मैंने वहां जाकर देखा तो लोहे का बड़ा सा गेट था जो के अंदर से बन्द था, मैंने साइकिल को स्टैंड पे लगाके गेट को हाथ से खटकाया तो एक बज़ुर्ग सी औरत ने दरवाजा खोला।

मैं – नमस्ते आंटी जी

औरत —  नमस्ते , हांजी आप कौन हो और किन से मिलना है आपको ?

मैं — आंटी जी गांव से आया हूँ, फलां जगह पे मेरी दुकान है, आपके घर में दुकान पे बेचने के लिए दूध का पता करने आया हूँ।

औरत –  आओ अंदर आ आजो।

मैं साइकिल को लॉक करके अंदर चला गया। अंदर जाकर आंटी ने मुझे कुर्सी की तरफ इशारा करके बैठने को बोला और खुद दुसरे कमरे में चली गयी।

करीब 5 मिनट बाद एक मोटा सा आदमी जो शयद उसका पति था, आया और उनसे दूध का रेट तय करके अगले दिन से ही दूध ले जाने की बात पक्की की और अपने घर वापिस आ गया।

अगले दिन दूध लेने गया तो देखा के एक सुंदर सी लड़की दूध दोह रही थी। जो के उस घर की बहु थी, उसने मुझे बैठने का इशारा किया और 10 मिनट बाद मेरे पास दूध डालने आई।

क्या गज़ब की लड़की थी यार। उसका नाम हरप्रीत था, जो के बाद में पता चला लड़कीं इस लिए बोल रहा हूँ के बनावट के हिसाब से औरत लग ही नही रही थी। पंजाबी सूट में कयामत लग रही थी। उसकी उम्र यही कोई 28-29 की, रंग गोरा, पतली सी 5 फ़ीट कद की होगी।
पहले दिन ही उसे देख कर दिल बेकाबू हो गया। उसे देखता ही रह गया बस। उस दिन से बस सोच लिया इसको लाइन पे लाना है।

हर रोज़ दो बार सुबह शाम उसके घर जाता और उसके कटीले नैनो की धार और मादक स्माइल का दीदार करता। इस तरह महीने भर में उस से अच्छी जान पहचान बन गयी । हर रोज़ वो ही मुझे दूध् डालती। एक दिन उसने मुझसे मेरा नाम पूछा तो मैंने बता दिया और प्यारी सी स्माइल देके चली गयी। उसे बड़ी गौर से देख रहा था

यह बात शायद वह भी जान गयी थी। अगले दिन मैं जब दूध लेने गया तो घर पे कोई नही था।

मैंने पूछा,” बाकि सब कहाँ गए है ?

वो बोली,” मेरे पति की बुआ की लड़की की शादी पे गए है शाम को आएंगे।

मैंने पूछा,” अकेले डर नही लगता आपको क्योंके खेतो में अकेला घर है गांव से इतनी दूर और आप क्यों नही गए साथ में ?

इसपे हंस कर बोली,” जाना तो मेने भी था पर तेरी वजह से नही गयी !

मेरी वजह से…..मैंने हैरानी से पूछा !

वो बोली हाँ बाबा यदि सब चले जाते तुम्हे दूध् कौन निकाल कर देता?

मैं खुद निकाल लेता और इस दोहरे मतलब वाली बात पे हम दोनों हंस दिए। धीरे धीरे नोटिस किया वह मुझ में इंटरस्ट ले रही है।

उसने बताया के उसका पति खेती की वजह से घर पे कम बाहर ज्यादा रहता है क्योंकि राजस्थान में भी उनकी काफी ज़मीन है सो कभी पंजाब और कभी राजस्थान आना जाना लगा ही रहता है और वो सास ससुर क पास अकेली रहती है। उसकी शादी को 4 साल हो गए है और अब तक माँ नही बन पाई है।

मैंने पूछा तो आते कब है आपके पति ?

बोली यही कोई 15-20 दिन के बाद एक दो दिन क लिए आते है और फेर चले जाते है।

मैंने पूछा, “आपका दिल लग जाता है बिन उनके।

इसपे उदास सी हो गयी और बोली जाओ आप सासु माँ आने वाली है और अंदर रसोई में चली गयी।

जब शाम को दूध लेने गया तब भी अकेली थी।

मेने पूछा,” आये या नही आपके परिवार वॉले

बोली,” नही और शयद नही आऐगे क्योंके अब तक तो आ जाना चाहिए था, 6 बज रहे है अब तो दीवार घड़ी की तरफ देखते हुए बोली, आप बैठो आँगन में पड़े खाट की तरफ इशारा करके बोली मैं अभी फोन करके पुछती हूँ

उसने मेरे खड़े खड़े ही अपने मोबाइल् से अपने ससुर को काल की और आने का पूछा !

वो बोल,” देरी हो जायेगी लेकिन आएंगे जरूर !

फेर फोन काट दिया, उसने कहा बैठो मैं दूध् लेके आती हूँ रसोई से ।

मैं बाहर ही आँगन में इंतज़ार करने लगा । दूध की बाल्टी लेकर आई और मेरे वाले बरत्न में उड़ेला और बोली दीप आप रुक जाओ थोड़ा टाइम मैं अकेली बोर हो रही हूँ

चाहता तो मैं भी यही था पर थोडा नखरा किया के दुकान पे कोई नही है और मुझे क्या फायदा रुकने का? सुबह तो गुस्सा हो गयी थी जरा सिर्फ बात पे आप तो।

वो बोली गुस्सा नही बस उदास हो गयी थी।

दिन तो कैसे न कैसे निकल जाता है रात बहूत मुश्किल से कटती है।

समझ रहे हो न उसने पूछा

मेने अनजान बनते कहा नही तो मूझे विस्तार में समझाओ

बोली मेरा भी पति क बिना दिल नही लगता रात को साथ सोने की आदत है न अब अकेले सोना पड रहा है, बिल्कुल भी नींद नही आती।

जवान खून है न सेक्स क बिना भी नही रहा जाता। अपने दिल का हाल किसे सुनाऊ ?

वो सारा कुछ एक ही साँस में बोल गयी। अब उसकी आँखों में आंसू थे, प्यास थी, तड़प थी,,

मै हिम्मत करके उसकी तरफ सरका और उसे चुप करवाया और सब्र रखने का बोला, मेरा हाथ अपने गाल पे लगते ही उसे करन्ट सा लगा ।

मेरी इस हरकत ने आग पे घी का काम किया, उसे पता नही क्या सूझा और मुझसे बोली मेरी एक मदद करोगे,

मैंने पूछा हांजी बोलो क्या दिक्कत है आपको ?

बोली जब तक माँ बापू नही आते मेरे पास रुक जाओ न

तुम्हारे साथ बाते करना अच्छा लगता है। ऐसा लगता है कोई अपना बात कर रहा है।

मैंने भी हाँ बोल दिया और आगे होकर उसको लिप किस कर दिया। उसने कोई विरोध नही किया । इस से मेरी हिम्मत और बढ गयी और मैंने उसे उसी खाट पे लिटा लिया और उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने लगा। पहले तो नखरे करने लगी ये क्या कर रहे हो छोडो, कोई आ जायेगा। यह सब ठीक नही है, पर मैं कहाँ हाथ आया शिकार छोड़ने वाला था ।

जब उसे लगा के अब कोई फायदा नही है क्योंके ज़ोर में भी मुझसे ज्यादा है और आस पास कोई आवाज़ सुनने वाला भी नही है तो उसने आत्म समर्पण कर दिया।

बोली, जो करना है जल्दी करलो ये न हो के माँ बापू आ जाये और हमें इस हालत में देख ले ।

मैंने समय की नज़ाकत को देखते हुए जल्दी करना उचित समझा।

उसे 5 मिनट लिप किस किया। जब लगा के वो भी गर्म हो गयी है। तो झट से उस्की सलवार का नाडा खोल दिया और उसकी सलवार एक टांग से निकाल दी, ताजोे कोई आ भी जाये तो जल्दी से पहनी जा सके। उस समय करने को बहुत कुछ का मन था पर समय की कमी की वजह से सीधा उसकी शेव की हुई चूत में ऊँगली डाल कर थोडा पानी निकल कर लण्ड पेल दिया।

पहले झटके में थोडा सा लण्ड अंदर गया । उसकी इतने मे चीख निकल गयी कयोक काफी दिनों से चूदी नही थी न सो उसकी चूत टाइट हो गयी थी।थोड़ा और झटका दिया आधे से ज्यादा लण्ड घुस गया और उसकी बस बस हो गयी और दर्द से कराहती हुई बोली निकाल लो प्लीज़ अब दर्द सहन नही हो रहा मुझसे ।

तुम्हारा बहुत मोटा है मेरे पति के लण्ड क मुकाबले में, अब और सेह नही सकती। रूक जाओ आपको भगवान का वास्ता हैं।

मैंने उसके कहने पे हिलना बन्द कर दिया जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ एक ही झटके में जड़ तक लण्ड पेल दिया उसकी जोर से चीख निकल गयी।

वो मुझे धकका देने लगी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी क मुझे नही करवानी चुदाई बाहर निकालो मर जाउंगी नही तो, जानवर हो आप तो,

मैं उसके होंठो को अपने होंठो से मिलाके बन्द कर रहा था के शोर न मचाये पर वह नही मानी और आखिर मे जब उसका दर्द कम हुआ धीरे धीरे चोदने लगा

अब उसका दर्द मज़े में बदल गया और वह भी निचे से गांड हिला क लण्ड लेने लगी।

हमारी चुदाई करीब 20 मिनट चली होगी के इस बीच उसके ससुर का फोन आ गया वह आ रहे ह खाना बनाके रखना । मेने जल्दी से अपना काम फ़तेह किया और घर आ गया।

अगले दिन जब दूध लेने गया तो वह नही दिखी। उसकी माता ने बताया के कल रात से बहुत तेज़ बुखार है उसे। मुझे बड़ी आत्म ग्लानि फील हुई। जब शाम को गया उसका बुखार उतार चुका था। अब मेरे से आँख नही मिला पा रही थी। मैंने उसे उस दिन क लिए माफ़ी मांगी और आगे से ऐसा न करने का वादा भी किया।

उसने ठीक है कह कर माफ कर दिया उसके बाद कभी भी मौका नही मिला। फेर अगले महीने उनका पूरा परिवार राजस्थान चला गया है
सो यह थी मेरी आप बीती आप आपने कमेंट्स निचे दी गयी मेल पे दे सकते है मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.

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