Vidhwa Teacher Ki Chudai – Part 2

इधर मेरे सास ससुर मुझे ही कोसते रहते और बोलते,” पहले नई नई आई अपना बच्चा खा गयी, अब अपने सुहाग को ही निगल गयी। कैसी डायन हमारे पल्ले पड़ गयी। दिन भर ऐसी सेंकडो दिल जलाने वाली बाते करते और् मैं चुप चाप सुनती रहती।

पहले मैडम के शादीशुदा होने पे झटका लगा था और अब उसके विधवा होने का सुनकर मैं सुन हो गया ।

वो लगातार बोलते ही जा रही थी,

मैंने सुसराल छोड़ दिया और मायके में जाकर रहने लगी, वहाँ किसी भली औरत के सम्पर्क में आई उसने मेरी यहाँ इस शहर में नौकरी लगवादी और एक कमरा जिसमें अब हम बैठे है, उसी भली औरत का है, उसने मेरी हालात देख कर फ्री में रहने को दिया है। अब अकेली रहती हूँ, जितना कमाती हूँ, सब अपना है, आगे कोई ख्वाहिश नही है।

अस्पताल में रोना इस लिए आ गया के डॉक्टर को नही पता था आप कौन हो उन्होंने आपको मेरा पति बना दिया। क्योंके मेरी तरह उन्हें भी आप मेरे पति लगे।

आपके बेटे यानि समीर में मुझे मेरा अबो्र्ट हुआ बच्चा और आपमें मेरा स्वर्गवास हुआ पति मनमीत दिखता है। इस लिए आप दोनो से इतना स्नेह है। वैसे तो क्लास में सेंकडो बच्चे है, पर समीर से ही इतना लगाव है। कभी कभी मुझे लगता है भगवान ने मुझे मेरा बच्चा समीर के रूप में खेलने के लिए वापिस दे दिया है।

सच पूछो तो उस दिन जब समीर बीमार पड़ा था। मैं बहुत घबरा गयी थी। पता नही क्यों लगा के मेरा अपना बच्चा ज्वर से तडप रहा है। इस लिए उसे इतना सम्भाल कर रखा, यदि आप आधा घण्टा और न आते तो मै उसे शायद डॉक्टर के पास भी ले जाती।

आपसे मोबाइल नम्बर लेना भी एक बहाना था, ताकि आपके सम्पर्क में रहूँ। इतने सालो से दबाई काम अग्नि, प्यार, ममता आप दोनों के साथ रहकर भड़क उठी है। मुझे नही पता मेरे लिए ये सही है या नही पर कहते है न अपनों के सामने दिल खाली कर लेना चाहिए।

आज सुबह आपने अपना सारा काम काज छोड़कर सारा दिन मेरे साथ बतीत किया है। इसी बात के लिए मेरी नज़रो में आपकी इज़्ज़त बहुत बढ गयी है।
आपको सुनकर चाहे बुरा लगे। मैं आपको दिल ही दिल में प्यार करने लगी हूँ। सोते जागते बस आपका ही ख्याल आ रहा है। आपके सुबह के स्पर्श ने मन में हलचल सी पैदा करदी है।

मैं उसके ख्यालो में इतना खो गया जे पता ही न चला उसने बोलना बन्द बी कर दिया है।

मेरी तरफ देखकर वो चुटकी बजाकर बोली,”

हैलो किधर खो गए जनाब ?

मैं — नही कही भी नही , सोच रहा हूँ ऐसा भगवान क्यों करता है अच्छे लोगो से धक्केबाज़ी।

वो — शयद आपसे और समीर से मिलाना था भगवान ने मुझे !

अब जो भी बोलो मुझे कोई फर्क नही पड़ता, पहले डरती थी के मेरी सचाई जानकर कही मुझसे किनारा न करलो आप। अब चले भी जाओगे तो थोडा दुख तो होगा पर आपसे प्यार करती हूँ न तो झूठ नही बोला गया आपसे। एक बात और आप तीसरे सक्क्ष हो जिनमे एक मैं खुद, दूसरी वोह भली औरत और आप जिसे मेरी कहानी पता है। नही तो स्कूल वाले भी नही जानते मेरी सचाई। वो अभी भी मुझे कुंवारी ही मानते है।

क्या मेरे साथ सेक्स करोगे आप दीप, उसकी इस बात पे मेरा मुह खुले का खुला रह गया।

क्योंके वो लड़की होकर इतना कर रही थी और मैं लड़का होकर भी शर्मा रहा था।

बोलो चुप क्यू हो, करोगे क्या ?

उसकी आँखों में एक बेनती, एक प्यास, एक समर्पण और भी बहुत सी भावनाये छलक रही थी।

मैंने उस समय के हालात को भगवान का ऐसा ही लिखा समझकर हाँ बोल दी। जिस से वह गले लग कर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और लव यु सो मच दीप, आई कैंट नेवर लीव विदाट यू बार बार बोलकर मेरे चेहरे पे किस करने लगी। मैंनेे भी मी टू कहा और उसकी पीठ थपथपाकर चुप होने को बोला, चुप होजो पलीज़ आप जैसा बोलोगे वैसा करेगे, फिलहाल ठीक हो जाओ एक बार।

उसने रोना बन्द कर दिया इधर रात होने को थी। उसे दवाई देकर और लिप किस करके अपने घर आ गया।

रात को फोन पे बात भी की , ज़िन्दगी में पहली बार खुद पर मान महसूस हो रहा था जब किसी लड़की ने इतना मेरे लिए सोचा था। अगले दिन सुबह रविवार था। उसकी 7 बजे काल आई के आज शाम को घर आ जाओ, आपके लिए सरप्राइज़ गिफ्ट है।

मैंने जल्दी से घर ले सारे पेंडिंग काम खत्म किए और शाम को बाइक स्टार्ट की और उसके घर की तरफ निकल गया। रस्ते भर में सोचता जा रहा था ऐसा क्या सरप्राइज़ हो सकता है। वहां पहुंचकर उसने दरवाजा खोलकर मेरे अंदर आते ही उसने दरवाजा बन्द कर दिया और मेरे गले में अपनी बाँहो का हार डाल दिया और लिप किस करने लगी। जिसमे मैं उसका साथ देने लगा।

करीब 5 मिनट हम ऐसे ही लिप किस करते एक दूजे में मगन रहे। फेर मैंने उसे गोद में उठाकर उसके बैडरूम की तरफ ले गया। बेड को शानदार तरीके से सजाया गया था, जैसे फूलो से सुहागरात में सजाया जाता है। अंदर आते ही बोली, क्यों डार्लिंग केसा लगा सरप्राइज़ हमारा, मैंने भी हस कर बोला बहुत बढ़िया जानू जी।

वो बोली, अब खड़े खड़े क्या देख रहे हो पधारो न अपनी सुहाग सेज़ पर ।

उसकी बात सुनकर मैंने जूते उतारे और उसको लेकर बेड पे आ गया। उसे पीठ के बल लिटाया और खुद ऊपर आकर उसको कभी माथे पे किस, कभी होंठो पे तो कभी गालो पर चूमने लगा।

वो हंसकर बोली,” रुक जाओ पतिदेव पहले शादी वाली रस्म तो पूरी कर लेंने दो। उसने उठकर दूध का गिलास उठाया और मुझे पीने को दिया। जो हमने आधा आधा पिया। एक मिठाई के छोटे से डिब्बे में से बर्फी का पीस निकाल कर हम दोनों ने खाया। वो घूंघट ओडकर बोली,” अब मुंह दिखाई में क्या दोगे?

मेने बात मज़ाक में डाल ली अपना वो काला काला, जिससे कमरे में हम दोनों की हंसी गूंजने लगी।

मैंने तो काला पर्स बोला यार, तुम ही कुछ और समझ रही हो हाहाहाहा की गूँज एक बार फेर गूंजी। मेने अपनी जेब से पर्स निकल कर उसके हवाले कर दिया। इस बार श्वेता थोड़ा भावुक सी हो गयी।

मै — क्या हुआ अब किस बात पे रोना आ गया ?

वो — ऐसा ही माहोल था 5 साल पहले जब पहली बार शादी का जोड़ा पहना था।

मैंने उसके दिल की बात समझ कर उसे गले लगाकर दिलासा दिया और कहा,” चुप हो जाओ यार प्लीज़ बहुत रो लिया आपने आज से पहले। आज हसने का दिन है। आज तो नई ज़िन्दगी की शुरुआत हुई है।

चलो चुप हो जाओ प्लीज़, ये टाइम रोने धोने में न गंवाओ, आओ मिलकर इसे सुनहरी याद बनाए। उसने सहमती में सिर हिलाया और अपना मुह पोंछा और लेट गयी। अब लेटी ही मेरे कमीज़ के बटन खोलने लगी, जिसे उसकी मुश्कल को आसान करते हुए मेने कमीज़ और अपना पायजामा भी दोनो उतार दिए।

अब बस अंडरवियर में था। वो मेरे शरीर को बड़े ध्यान ने देख रही थी। मैंने शरारत भरे लहज़े में बोला, मुझे तोे नंगा कर दिया और आप खुद कपड़ो में हो, ये तो बहुत नाइंसाफी है जनाब।

इसपे वह हस कर बोली, आपको किसी ने रोका है, उतार दो।

मैंने उसे बैठने को बोला और उसकी कमीज़ निकाल दी, और पीछे हटकर उसकी सलवार का नाडा भी खोल दिया। अब वह सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। क्या गज़ब का शरीर लग रहा था।उसके बाल खोल दिए और एक तरफ करके पीठ पे एक किस करदी। जिस से वो आँखे बन्द करके मौन करने लगी।

फेर ब्रा की स्ट्रिप्स की पिन्स खोलकर उसमें कैद कबूतरो को आज़ाद कर दिया। ब्रा खुलते ही दोनो कबूतर उड़ने के लिए फड़फड़ाने लगे। उसको लिटा कर एक मम्मे को मुह में लेकर चूस रहा था तो दूजे को, दूजे हाथ से हल्का हलका दबा रहा था। उसके मुह से आआआअहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्

उई.. सी.. !!!

आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।।।

जैसी कामुक आवाज़ें आ रही थी ओर वो अपने हाथ से मेरे अंडरवियर के उपर से ही मेरे लण्ड जो मसल रही थी। जो के आग में घी का काम कर रहा था। उसने उठ कर मेरा अंडरवेअर टांगो से निकल दिया और लन्ड को मुह में लेकर चूसने लगी।

मैं तो जैसे उपरली हवा में गोते लगा रहा था। जो मज़ा आ रहा था शब्दों में बयान नही हो सकता। कभी लण्ड के गुलाबी सिर पे गोल गोल जीभ घूमाती और कभी हल्का हलका दांतो से काट देती। जब थोडा दर्द महसूस करता तो हस कर चिढ़ाती।

कभी आंण्डो को होठो के बिच लेकर चुस्ती। इस तरह 10 15 मिनट लण्ड से खेलती रही। फेर उठ कर बैड पे आ गयी। अब हम दोनों बिलकुल नंगे एक दूजे में समाये हुए थे।

मानो समय रुक सा गया हो। मेने थोड़ा निचे सरक कर उसकी टांगो में अपनी जगह बनाली और उसकी शेव की हुई चूत को जीभ से चाटने लगा। जिसमे से कामरस की अजीब सी महक आ रही थी। मेरी इस हरकत से उसके शरीर में जेसे 440 वाट का करन्ट दौड़ गया। उसकी आँखे बन्द हो गयी और एक लम्बी अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह..!!

निकल गयी। फेर उस्की चूत की पंखुड़ियो को होठो में लेकर चूसने लगा। मेरी इस तरह की हरकत उसे लगातार गर्म कर रही थी। अब उसकी चूत से थोडा थोड़ा चूतरस बहने लगा । जो के एक पक्की निशानी था के वो अब बहुत गर्म हो चुकी है।

मेने ज्यादा समय न बर्बाद करते हुए। उसे सीधा लिटाया और अपना लण्ड उसकी चूत के मुह पे सेट करके हल्का धकका दिया। जो के लण्ड चूतरस की वजह से फिसल गया। फेर दुबारा टाँगे खोल कर धक्का लगाया। इस बार सिर्फ मेरे लण्ड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया। जिस से उसे दर्द हो रहा था।

क्योंके पिछले 2-3 सालो से चुदी न होने के कारण उसकी चूत थोडा टाइट हो चुकी थी। जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने फेर थोडा पीछे हटकर हिट किया। इस बार आधे से ज्यादा लण्ड मैडम की चूत में घुस चूका था।

उसने बोला,” मेरे दर्द की परवाह न करो, तुम अपना काम जारी रखो। मैं उसकी बात पे गौर करके लगातार तगड़े तगड़े शॉट्स लगाता रहा और अब जड़ तक लण्ड मैडम की चूत में था। मैडम को दर्द तो हो रहा था फेर भी मुझे और तेज़ और तेज करने को बोल रही थी।

मेने अपना काम जारी रखा, अभी काम स्टार्ट हुए को 5 मिनट ही हुए थे के मैडम ने मुझे बाँहो में जकड़ लिया और एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह से झड़ गयी। उसके गर्म गर्म पानी को अपने लण्ड पे महसूस किया। मेने अपना काम जारी रखा और जब मेरा भी वीर्य निकलने वाला था तो पूछा कहाँ निकालू ?

मैडम बोली,” मेरी सालो से सूखी चूत में ही झड़ जाओ, आपका पानी अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ। फेर मेने भी एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह् से उसकी चूत अपने वीर्य से भर दी और तब तक उसके ऊपर लेटकर पिचकारियां छोड़ता रहा जब तक आखरी बूँद न चूत में नुचड़ न गयी। अब हम दोनों के चेहरों पर सन्तुष्टि के हाव भाव साफ झलक रहे थे।

फेर हम थक कर एक दूसरे की बाँहो में पड़े रहे और पता ही नही चला कब नींद आ गयी। दोपहर को उठकर हम साथ में नहाये और खाना खाया। बाद में घर से फोन आने की वजह से मुझे उसे छोड़कर आना पड़ा। आज भी जब भी दिल करता है हम दोनों पति पत्नी की तरह सेक्स के मज़े लेते है।

सो ये था एक और नया अनुभव ।

अपने कीमती विचार हमे इस पते पे भेजे मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.

जरूरी सुचना – बतमीज पाठक जिनको बोलने की भी तमीज़ नही है सिर्फ गालिया ही आती है कृपया वो हमारी ईमेल और कहानी से 1000 फ़ीट दूर ही रहे।

हम इतनी मेहनत से ख़ास आपके मनोरंजन के लिए कितना समय लगाकर कहानी लिखते है। आपको नही पसंद तो बोल्दो अछी नही लगी, बोरिंग है बात खत्म।

माँ बहन की गालिया निकालने की क्या बात है। सो समझदार को इशारा ही काफी है।

जल्द ही नई कहानी लेकर हाज़िर होऊंगा तब तक के लिए अपने दीप पंजाबी को दो इज़ाज़त.. नमस्कार।

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