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Sarpanch ji ki heveli chudai ki raat-10

हेलो दोस्तो जैसा आपने पार्ट 9 में पढा की पापा के जाने के बाद सरपंचजी हमारे घर आते है। हमे शॉपिंग करवाते है और रात में देर होने का बहाना मारकर हमारे घर ही रुक जाते है।

मैं और मम्मी मेरे कमरे में सोये थे और सरपंचजी पापा के कमरे में सोये थे। मुझे पता था आज रात सरपंचजी मम्मी की जोरदार चुदाई करनेवाले है और मैं ये चुदाई देखने का हसीन मौका खोना नही चाहता था। इसलिये मैं सोने का नाटक कर रहा था।

थोड़ी देर बाद मेरे कमरे का दरवाजा खुला मैंने देखा मम्मी बाहर जा रही थी और धीरे से दरवाजा बन्द कर रही थी ताकी दरवाजे के आवाज से मैं उठ ना जाऊ। जैसा आपने मम्मी और टीचर की सेक्स कहाणी में पढा इन दो बेडरूम के बीच वाली दीवार पर एक दम ऊपर एक खिड़की थी।

मैंने महसुस किया कि मम्मी पापा के कमरे में यानी सरपंचजी के पास पहुँच गयी है तो मैने पहले अपना दरवाजा अंदर से लॉक किया और सीडी लेकर खिड़की से झांकने लगा।

मैने देखा सरपंचजी बेड पर बैठे थे। उन्होंने मम्मी की दी हुई टीशर्ट और जीन्स पहनी थी और मम्मी ने सरपंचजी की दिलायी हुई लाल कलर की नाईटी पहनी थी। मम्मी सरपंचजी के पास गयी और उनको गले से लगा लिया।

सरपंचजी का मुह मम्मी के बूब्स पर दब रहा था और मम्मी उसे और अपनी ओर दबा रही थी फिर मम्मी ने अपनी नाईटी उतारी अब मम्मी के बदन पर वही ब्लैक ब्रा और पेंटी थी जो आज सरपंचजीने उनके लिये चुनी थी।

मम्मी को ब्रा और पैंटी में देखकर सरपंचजी बोले “देख मैंने तुझे मॉल में बोला था ना तू इसमे बहोत हॉट लगेगी। कमाल लग रही है तू इसमे”

मम्मी ये सुनकर मुस्करायी और फिर मम्मीने सरपंचजी को बेड पर ढकेल दिया। सरपंचजी पीठ के बल बेड पर गिर गये। मम्मी उनके ऊपर आ गयी और उनका टीशर्ट उपर करके सरपंचजी के पेट पर किस करने लगी। उनके बालोवाली मर्दाना छाती को अपने कोमल हाथो से सहला रही थी।

सरपंचजी के नीप्पल पर जीभ घुमा रही थी। सरपंचजी आंख बंद करके इस सब का मजा ले रहे थे। मम्मी के इन हरकतों से लग रहा था कि सरपंचजी से ज्यादा तो मम्मी बेकरार है चुदाई के लिये।

फिर सरपंचजी ने मम्मी के ब्रा का हुक खोला और मम्मी को बेड पर उनके बाजू में लिया और किस करना शुरू किया। किस करते करते सरपंचजी मम्मी के चिकनी पीठ पर उनके सख्त हाथ घुमा रहें थे और पैंटी के अंदर हाथ डालके गांड सहला रहे थे।

फिर सरपंचजी मम्मी के ऊपर आये और मम्मी के पेट पर किस करने लगे मम्मी के नाभी में जीभ डालकर सरपंचजी ने मानो मम्मी की वासना को और बढाया हो। मम्मी की सिसाकरियो की आवाज से ये सब पता चल रहा था। फिर सरपंचजीने मम्मी की ब्रा उतार दी और अब मम्मी के गोल गोल बूब्स सरपंचजी ने अपने हाथोंसे दबाना चालु किया सरपंचजी के सख्त हाथो में मम्मी के चिकने रसीले बूब्स कमाल लग रहे थे।

सरपंचजी ने मम्मी के बूब्स को चाटकर उसे और चमकाया सरपंचजी की थूक से मम्मी का पेट और बूब्स गिला हो गया था और शायद मम्मी की चूत भी एक बार जरूर गीली हो गयी होगी क्योंकि मम्मी की सिसकारियां और आह आह की आवाजे और तेज हो रही थी।

फिर सरपंचजीने अपना टीशर्ट उतार दिया और मम्मी के ऊपर आकर ममी के नीप्पल चूसना शुरू किया सरपंचजीकी मूछ मम्मी के नीप्पल को चुभ रही थी पर मम्मी मस्ती में थी। मम्मी को ये सब अच्छा लग रहा था।

बूब्स चूसने के बाद मम्मी ने सरपंचजी को नीचे गिराया और फिरसे उनके ऊपर आ गयीं और सरपंचजी की जीन्स उतारने लगी। सरपंचजीके अंडरवियर में उनका खड़ा लंड साफ दिखाई दे रहा था।

मम्मी ने सरपंचजी की अंडरवियर उतारी और उसे सूंघने लगी पता नही मम्मी को ये सूंघकर क्या खुशी मिल रही थी। पर मम्मी सरपंचजी के अंडरवियर को सूंघकर और भी मदहोश हो गयी थी। मम्मी के आँखो में वासना साफ नजर आ रही थी।

सरपंचजी का खड़ा हुआ काला लन्ड देखकर तो मम्मी उसपर टूट पड़ी और उसे बहोत पैशनेटली चूसने लगी। सरपंचजी को तो मानो स्वर्ग सुख का अनुभव हो रहा था।

वो भी जोर से सिसकारियां लेने लगे दोनों कामवासना में इतने खो गये थे कि उनको शायद मैं उनके बाजू के कमरे में ही हूं इसका ख्याल भी नही आ रहा था। सरपंचजी के लन्ड पर मम्मी की चुसाई का असर साफ नजर आ रहा था सरपंचजी का लंड अब और भी तन गया था।

फिर सरपंचजी ने मम्मी को अपने नीचे लिया और मम्मी के उपर आकर मम्मी की पैंटी निकाली और मम्मी की चिकनी चुत सरपंचजी के सामने आयी चुत पर एक भी बाल नही था। शायद सरपंचजी के लिये ही मम्मीने साफसफायी करवाई थी।

फिर सरपंचजीने मम्मी की चुत चाटना शुरू किया। सरपंचजी जुबान से मम्मी के दाने को हिला रहे थे मम्मी आंखे बंद करके अपने खुदकेही बूब्स दबा रही थी और सरपंचजी की चुत चटाई का मजा ले रही थी। सरपंचजीने मम्मी की चिकनी चुत को चाटकर उसे और भी चमकीला बना दिया था।

अब मम्मी को सह नही जा रहा था मम्मीने सरपंचजी को अपना लन्ड चुत में घुसाने को कहा सरपंचजी ने मम्मी के पैर उनके कंधो पर लिये और मम्मी की चुत में लन्ड घुसाने लगे। धीरे धीरे सरपंचजी ने उनका लन्ड मम्मी के चुत के अंदर डाल दिया और धक्के मारने लगे।

सरपंचजी की गोटिया मम्मी के चुत के बाहरी हिस्से से टकरा रही थीं। यानी सरपंचजी का पूरा लन्ड अब मम्मी के चुत में था और सरपंचजी जोर जोर से धक्के मारने लगे थप थप की आवाजें आ रही थी और मम्मी की जोरदार सिसाकरिया ले रही थी।

मम्मी सरपंचजी के पीठ पर हाथ घूमा रही थी और उनको जोर से गले लग रही थी और गांड उछल उछल कर सरपंचजी का साथ दे रही थी। शायद मम्मी सरपंचजीको पूरी ताकत से चोदने का इशारा कर रही थी। मम्मी का इशारा समझते हुये सरपंचजी ने और अपनी धक्के मारने की स्पीड बढा दी। दोनों पसीने से लतपत हो गये थे और हो भी ना क्यों दोनोंने इतनी मेहनत जो कि थी।

थोड़ी देर बाद सरपंचजी ने कहा “मेरा छूटनेवाला है कहां छोडू” मम्मी ने सरपंचजी को चुत में ही छोडने को कहा और सरपंचजी ने मम्मी के चुत के अंदर सारा माल निकाल दिया और मम्मी के ऊपर ढेर हो गये। कुछ देर तक सरपंचजी ऐसे ही मम्मी के ऊपर सो गये। फिर सरपंचजी मम्मी के बाजू में लेट गये और मम्मी ने सरपंचजी के सीने पर सिर रख उनके छाती के बालों को सहला रही थी और बाते कर रही थी।

सरपंचजी : कैसा रहा रज्जो डार्लिंग ??

मम्मी : (खुश होकर) बहोत अच्छा रहा मेरे सरपंचबाबू आपको मजा आया ना ?

सरपंचजी : तुझ जैसी औरत के साथ सोकर किसे मजा ना आये।

मम्मी : अच्छा जी।

सरपंचजी : हां।

मम्मी : पर मुझ जैसी औरत को चोदने के लिये आप जैसा तगड़ा मर्द भी तो होना चाहिये जो मेरी आग को शांत करा सके।

सरपंचजी : हां जानेमन आज तो तू बहोत मुड में लग रही थी। कमरे में आते ही मुझपर चढ़ गयी।

मम्मी : आप हो ही ऐसे मेरे सरपंचबाबू। दोपहर से रोक रखा था खुदको।

सरपंचजी : तू कहती तो तुझे आते ही चोद देता मैं।

मम्मी : तैयार तो मैं भी थी पर मनीष था ना घर पर।

सरपंचजी : हां अच्छा एक बात बता तुझे क्या लगता है मनीष को अपने रिश्ते के बारे मे पता होगा क्या ??

(ये सुनकर मुझे लगा कि सरपंचजी ने मुझे देख लिया इसलिए मैं थोड़ा झुक गया और सिर्फ बाते सुन रहा था)

मम्मी : मुझे नही लगता पता होगा क्योंकि हवेली पर भी वो सो रहा था और अभी भी वो सो रहा है। आपने ऐसा क्यों पूछा ??

सरपंचजी : पता नही पर मुझे ऐसा लग रहा है कि उसे हमारे बारे मे पता है।

मम्मी : अगर उसे ये सब पता चल गया और उसने उसके पापा को बताया तो??

सरपंचजी : (हसकर) टेंशन मत ले वो नही बतायेगा उसके बाप को। क्योंकि उसे पता है उसकी माँ उसके बाप के बिस्तरपर उसके बाप से ज्यादा किसी और के नीचे सोकर खुश है।

मम्मी : अच्छा जी तो आप मजाक कर रहे हो।

सरपंचजी : हाँ पगली।

मम्मी : मैं तो डर गयी थी। उसे हमारे बारे में कभी पता नही चलना चाहिये और आप भी हमारे रिश्ते के बारे मे किसी को मत बताइये।

सरपंचजी : अच्छा नही बताऊंगा जानेमन पर हमारा रिश्ता क्या है ?

मम्मी : (मूड में आकर) आप ही बताइये क्या है ?

सरपंचजी : तू तो मेरी शहर की रखेल है तेरा नाम भी मैंने फ़ोन में शहर की रखेल रज्जो ऐसा रखा है।

(ये कहकर सरपंचजी ने उनका फोन निकाला और मम्मी को दिखाने लगे)

मम्मी : (गुस्सा होकर) अच्छा जी तो आप मुझे आपकी रखेल मानते हो ठीक है ये रखेल आज के बाद कभी आपके नीचे नही सोयेगी।

सरपंचजी : अरे मेरी रज्जो तू तो नाराज हो गयी। मैं तुझे रखेल नही मानता अब मैं तुझे अपनी बीवी मानने लगा हूं।

मम्मी : अच्छा जी अब रखेल से डायरेक्ट बीवी ??

सरपंचजी : हां पर तुझे भी मुझे अपना पती मानना होगा

मम्मी : ठीक है।

सरपंचजी : ठीक है नही अब तू सिर्फ मुझसे चुत चुदवायेगी उस नामर्द मनीष के बाप से नही।

मम्मी : हां मेरे सरपंचबाबू।

ये कहकर दोनों फिर से किस करने लगे सीडी पर खड़े रहकर मेरे पैरो में दर्द हो रहा था इसलिये मैं सीडी से उतर गया और दरवाजा खोलकर सो गया ताकि मम्मी को लगे कि मैं रातभर उठा ही नही।

अब आगे क्या होता है ये जानने के लिये अगला पार्ट पढिये अगर कहानी अच्छी लगे तो लाइक कीजिये कमेंट कीजिये और फीडबैक देने के लिये और मम्मी के बारे में बात करने के लिये इमेल या हेंगआउट पर मेसेज कीजिये।
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