Paper Dene Aayi Saali, Choot De Gayi

हेल्लो दोस्तों आपका अपना दीप पंजाबी एक बार फेर आपकी सेवा में एक नई कहानी लेकर हाज़िर है। ये कहानी मेल के ज़रिये हमारी एक रीडर नेहा द्वारा भेजी गयी है। सो ज्यादा वक्त जाया न करते हुए सीधा कहानी पे आते है।

हलो दोस्तों कैसे हो आप सब ? सबसे पहले तो आपकी अपनी नई दोस्त नेहा गढ़वाल का प्यार भरा नमस्कार कबूल कीजिएगा। कहानी शुरू करने से पहले अपने बारे में विस्तार में बतादूं। मैं पंजाब के जिला बठिंडा की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 30 साल है और शादीशुदा हूँ। मेरे पति अशोक कुमार (32) बिजली विभाग में बतौर लाइनमैन है। हमारा एक 3 साल का बेटा करण भी है।

ये कहानी 2 साल पहले की है। जिसे पढ़कर आप बताना के आपको कहानी केसी लगी और अपने मुझे सुझाव भी मेल करना ।

हुआ यूं के हम दो बहने ही है, अर्थात के हमारा कोई भाई नही है, माता पिता की हम दो ही सन्ताने है। जिनमे मैं बड़ी नेहा और एक छोटी बहन काजल है। मेरी शादी हो चुकी है और छोटी अभी तक कुंवारी है और दसवी कक्षा में पढ़ रही है। मैं अपने पति अशोक के साथ अपने सुसराल में रह रही हूँ।

आप तो जानते ही हो के जीजा साली के रिश्ते में हंसी मज़ाक तो चोली दामन का साथ है। लेकिन हमारी कहानी में हंसी मज़ाक का कुछ और ही रूप बन गया। एक दिन ऐसे ही काजल हमारे घर हमसे मिलने आई । उस वक़्त मैं अपने बेटे करण के साथ घर पे अकेली थी और मेरे पतिदेव अपनी ड्यूटी पे गए हुए थे।

दोपहर का समय होने की वजह से मैं आराम कर रही थी। इतने में डोर बेल की आवाज़ से मेरी नींद टूट गयी और जैसे ही उठकर दरवाज़ा खोला तो सामने मेरी छोटी बहन काजल खड़ी थी। मैंने उसे गले लगाकर उसका स्वागत किया और अंदर बुलाकर वापिस दरवाजा बन्द कर दिया।

उसे सोफे पे बैठने का इशारा करके मैं किचन में उसके लिए पानी लेने चली गयी। उसने पानी पिया और साथ मे बैठकर घर का हाल चाल जाना। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

गर्मी का मौसम तो था ही, सो मैंने उसे अपने बेडरूम में जाकर आराम करने को बोला और मैं उसके लिए चाय, खाने का इंतजाम करने लग गयी। करीब 30 मिनट बाद हम दोनों बहने खाने की मेज़ पे थी। दोनों ने मिलकर खाना खाया और बहुत हंसी मज़ाक किया।

काजल — दीदी, आज जीजू कहीं दिख नही रहे, कहाँ गए हैं?

मैं — काजल, वो अपनी डयूटी पे है। बस आते ही होंगे एक आधे घण्टे में।
क्यों कोई काम था क्या ??

काजल — हाँ दीदी, आपके शहर में मेरा एग्जाम सेंटर है। मतलब के आपके शहर के बडे स्कूल में मेरे एग्जाम होंगे। तो रोज़ाना आना जाना बड़ी मुश्किल का काम है। तो माँ ने बोला है के जितने दिन एग्जाम चलेंगे तब तक तुम नेहा के सुसराल में रुक जाना। वहां से तैयार होकर सीधा सेंटर चले जाना, और सेंटर से सीधा घर।

आपको कोई ऐतराज़ तो नही ह न। यदि है तो बतादो अभी वापिस चली जाती हूँ।

मैं — अरे। नही पगली भला मुझे क्या एतराज़ होगा। तुम्हारा अपना घर है। जब दिल करे आओ, जाओ।

अभी हम बाते कर रही रहे थे के करण भी नीद पूरी करके उठ गया और रोने लगा। काजल ने उसे उठाया और उसे चुप कराने लगी। लेकिन करण उससे चुप नही हो रहा था। तो मैंने उससे बेटे को पकड़ कर उसे दूध पिलाने लगी। इतने में डोर बेल बजी।

काजल — आप रुको दीदी, मैं देखती हूँ।

दरवाज़ा खोलते ही सामने अपने जीजू को देखकर उसकी बाछे खिल उठी और उन्हे भी गले लगाकर मिली। दो तीन मिनट तक वो दरवाज़े पे ही बातो में मगन रहे।

मैं — घर के अंदर भी आजो भाई के बाहर ही पूरी बाते करनी है।

इतने में अशोक ने मज़ाकिया मूड में कहा,” भाई साली साहिबा आई है हमारी, कहीं भी रुक कर बाते करे। आपको क्या ??

इसपे हम तीनो हंसने लगे। बेटे को बैड पे लिटाकर मैं उनके लिए किचन में पानी लेने चली गयी। वापिस आकर अशोक को पानी पिलाया और वहीं बैठकर हम तीनो बाते करने लगे।

अशोक — हांजी, तो साली साहिबा, आज कैसे याद आ गयी हमारी ? सब खैरियत तो है, न फोन किया न बताया बस सीधा हल्ला बोल दिया (हाहाहा)

काजल — जीजू, वो बात यह है के आपके शहर में मेरा एग्जाम सेंटर है। माँ ने बोला है के जितने दिन एग्जाम है तुम अपने जीजू के पास चले जाओ। वो तुम्हे ड्यूटी जाते वक़्त सेंटर तक छोड़ दिया करेंगे।

अशोक — (मुझे चिढाने की खातिर) ये तो बढ़िया किया माँ ने, चलो इसी बहाने तुम्हारे साथ वक्त तो गुजार सकूँगा।

इसपे फेर हम तीनो हंस दिए।

शाम को नहा धोकर सबने इकठे खाना खाया। अब समस्या थी के काजल को अलग कैसे सुलाये? क्योंके उसे अकेले सोने में डर लगता है, वो तो अपने घर में भी माँ के साथ सोती है। अपने बेडरूम में तीनो एक बैड पे सो नही सकते थे।

अशोक — ऐसा करो, आप दोनों बहने यहां बेडरूम में सो जाओ मैं दूसरे कमरे गेस्ट रूम में सो जाता हूँ।

उसकी ये बात हमे जच गयी और मैंने उसका बिस्तर अलग कमरे में लगा दिया। जब मैं बिछोना बिछा रही थी तो पीछे से अशोक ने पकड़ कर गालो पे दो तीन पप्पी ले ली और कहा,”आज पहली बार पास होकर भी तुमसे दूर सोना पड़ रहा है।

मैं — कोई बात नही जानू, बस एक हफ्ते की तो बात है। उसके बाद फेर हम ऐसे ही सोया करेंगे जेसे आज से पहले सोते थे।

इसके बाद मैं अपने बेडरूम में आ गयी ओर दोनों बहने बाते करने लग गयी। जब मैं सोने लगी, तो काजल सुबह होने वाले एग्जाम की तैयारी करने लगी। उधर पतिदेव को आज अलग सोने की वजह से नींद नही आ रही थी। वो करवटे बदल रहे थे। नींद तो मुझे भी नही आ रही थी क्योंके मुझे भी उनसे चिपक कर सोने की आदत है। सो मैं भी बस रात गुज़ारने की खातिर करवटें ले रही थी। काजल को कोई सवाल समझ नही आया तो उसने पहले तो उसने मुझे उठाना चाहा। लेकिन फेर पता नही क्या मन में आया और अपनी किताब लेकर जीजू के कमरे में चली गयी। काफी समय तक वहां जीजू साली हंसी मजाक करते सुनाई देते रहे और इस तरह एक रात गुज़र गयी।

अगली सुबह मैंने चाय बनाकर उन दोनों को उठाया और उनके लिए नाश्ता बनाने लगी। तब तक वो बारी बारी से फ्रेश होने बाथरूम चले गए।

हमने नाश्ता इकठे किया और उन दोनों को बाइक से घर से विदा कर दिया। उसके बाद घर के रोज़ाना के कामो में वयस्त हो गयी। अब ये उनका रोज़ाना का रूटीन बन गया था।

रात को जब तक मैं जागती रहती मुझसे काजल बाते करती रहती। जब मैं सो जाती वो किताब उठाकर अपने जीजू के पास चली जाती। पता नही क्यों मुझे ना चाहते हुए भी मेरी बहन और पति पे क्यों शक हो रहा था। कई बार खुद ही अपनी बात का जवाब देती के नही ऐसा नही हो सकता, बस जीजू साली ही तो है। बस एक हफ्ते की तो बात है। वो बड़ी मुश्किल से तो इतने समय बाद आई है। उसने कौनसा रोज़ाना आना है। एक हफ्ते बाद अपने घर चली जायेगी। हंसने खेलने दो। मैंने उस दिन से उनपे चोरी चोरी नज़र रखनी शुरू कर दी।

एक दिन ऐसे ही विज्ञान की परीक्षा से एक दिन पहले काजल को स्त्री शरीर प्रणाली से सबंधित कोई सवाल समझ नही आ रहा था। तो मैंने उसे समझने की बहुत कोशिश की पर मेरी कोशिश बेकार गयी। मतलब उसकी समझ में बात नही आई।

काजल — दीदी आप सरल भाषा में समझाओ फेर शायद समझ में बात आ जाएं।

मैंने उधारनो साथ समझाया लेकिन उसको सन्तुष्टी न हुई।

मैंने थोडा अकड़ कर बोल दिया, जाओ इसे सरल भाषा में नही समझा सकती।

मेरी बात से वो शायद हर्ट फील कर गई और वो किताब उठाकर अपने जीजू के कमरे में चली गयी। मुझे भी बाद में फील हुआ के मेने उसे डाँट कर अच्छा नही किया। मैं उसे माफ़ी मांगने पति देव के कमरे की तरफ जा ही रही थी के मेने देखा के काजल के जीजू नींद न आने की वजह से करवट बदल रहे थे। उन्होंने बनियान के साथ अंडरवियर पहना हुआ था।

काजल लटका सा मुंह लेकर जीजू की चारपाई जे पास जाकर खड़ी हो गयी। मैं दीवार के साथ सटकर उनकी बाते सुन रही थी। उसे देखकर उसके जीजू ने बोला,” क्या हुआ मेरी प्यारी सी साली को आज मूड उखड़ा उखड़ा सा क्यों है । दीदी ने कुछ कह दिया क्या ?

काजल — हाँ, जीजू मेने विज्ञान का एक सवाल उनसे समझना चाहा लेकिन उन्होंने डाँट दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

जीजू — चलो कोई बात नही, आओ मेरे पास बैठो, मैं समझाने की कोशिश करता हूँ। बताओ कौनसा सवाल है ?

काजल — ये देखो न किताब में पेज नम्बर 45 पे ये जो स्त्री की शरीर प्रणाली का चित्र बना हुआ है। इसमें लिखा है के गर्भाशय, जीजू मेने बस इतना पूछा गर्भाशय होता क्या है ? उसे समझाना नही आया तो उसने मेरे को डांट दिया ।

जीजू — (हाहाहाहाहा) — तुम्हारी दीदी भी न… इतनी सी बात समझा नही पायी। इधर किताब में देखो। इस लड़की की जांघो के थोडा ऊपर और पेट के निचे एक थैली बनी हुई है न, इसे गर्भाशय बोलते है। सरल भाषा में समझाऊ तो इस लड़की के ही नही, दुनिया में जितनी भी लड़कियां है। उन सब के अंदर ये थैली होती है।

काजल — लेकिन इसका काम क्या है ?जीजू — ह्म्म्म… अब ये भी बताना पड़ेगा क्या ?

काजल — जी हां और वो भी पूरी डिटेल के साथ !

जीजू — सच में नही पता या बस जीजू के मज़े ले रही हो, पहले ये बताओ ?

काजल — नही सच में नही पता, कसम से

जीजू — कमाल है, 10वीं तक पहुँच गई हो और स्त्री शरीर प्रणाली की जानकारी नही है तुझे, क्या मज़ाक कर रही हो साली साहिबा । चलो कोई बात नही बता देता हूँ वो भी, सुनो मैं थोडा प्रेक्टिकली में विश्वाश रखता हूँ ताजो जो कोई भी बात आसानी से समझ आ जाये। अगर तुम बुरा न मानो तो मैं तुम्हे सवाल समझाने की खातिर छू सकता हूँ क्या ?

अशोक की ऐसी बात सुनकर मैं दरवाजे की ओट लेकर और करीब होकर अंदर का नज़ारा देखने लगी।

काजल — हां, क्यों नही जीजू ?

जीजू — ठीक है, एकदम सीधा खड़ जाओ, मेरे सामने बिलकुल सावधान पोजिशन में ।

काजल – लो जीजू, खड़ गयी

जीजू — मेरी बातो को नेगटीवी में न लेना या कहलो के बुरा न मानना, ये बाते हम दोनों में ही रहनी चाहिए, यहां तक के अपनी दीदी से भी न कहना, के जीजू ने ऐसे समझाया है।

काजल — ठीक है, नही बोलूंगी।

जीजू — ऐसे करो जाकर पहले तुम कम से कम कपड़े पहन के आओ, मेरे कहने का मतलब बिल्कुल फिट शरीर से चिपके हुए हो।

काजल — लेकिन ऐसा क्यों? ऐसे भी समझ सकते हो न !

जीजू — समझा सकता हूँ लेकिन जब तक आपके शरीर पे अच्छी तरह टच नही होगा। तुम्हे समझ नही आएगा।

काजल — चलो ठीक है, अभी कपड़े निकालती हूँ अपने। हाँ लेकिन दीदी को न कहना वरना फेर से डाँट देगी।

जीजू — पागल समझा है मुझे, भला जान बुझ कर अपने पाँव पे कौन कुल्हाड़ी मारता है?

थोड़ी देर बाद काजल अकेली ब्रा और पेंटी में जीजू के पास आ गयी।

काजल — हाँ जीजू, अब ठीक है न

जीजू — हां ठीक है, अब ऐसे करो मेरे बिस्तर पे लेट जाओ। सिर से पाँव तक स्त्री शरीर प्रणाली को समझाउंगा।

काजल जीजू के बिस्तर पे लेट गयी और बोली, लो जीजू अब क्लास शुरू करो।

जीजू ने काजल के सर पे हाथ फेरते हुए अपना पाठ पढ़ाना शुरू किया।

सबसे पहले ये होते है बूब्स, इनका स्त्री जीवन में बहुत खास महत्व है। अब जैसे आपके छोटे छोटे से है और आपकी माँ और दीदी के बड़े बड़े, शादी के बाद जब बच्चा पैदा होता है। तो इनमें अपने बच्चे को पिलाने वाला दूध कुदरती तौर पे आ जाता है।

काजल — हाँ, ये तो थोडा थोडा पता था

जीजू — अब पेट पे महसूस करो बिल्कुल नाभि के निचे, निशानी के तौर पे देखना जैसे + का निशान होता है। ऐसी ही आकृति होती है। इसके निचे पेशाब का ब्लैडर, थोडा ऊपर गर्भाशय होता है। इसको भगवान ने एक नाड़ी, जो योनि से भी जुडी होती है, के साथ जोड़ा होता है।

जब लड़की का पति या ब्वायफ़्रेंड अपना पेनिस सेक्स के दौरान इसमें डालता है तो उसमे से निकलने वाला द्रव, लड़की के द्रव में मिलकर एक अंडा बनाते है। जिसमे बच्चा बनकर बाहर आने में 9 महीने का समय लगता है।

सवाल तो चाहे समझ में आ गया था लेकिन जीजू की छुअन से काजल के मन में बताई बाते घर कर गयी थी और काम का तूफान उमड़ चूका था। इधर दूसरी और अशोक जीजू एक हफ्ते से सेक्स के प्यासे थे। काजल के शरीर को सहलाते हुए उसके भी मन का शैतान जाग उठा था। कुल मिलाके कहे तो इन दोनों में कोई नही चाहता था के ये टॉपिक खत्म हो। शायद काम आवेश में काजल में ही अपनी पत्नि नेहा दिखाई दे रही थी। शायद न चाहते हुए भी वि उसकी और खींचा चला जा रहा था। पता ही नही लगा कब उसने अपने गर्म सूखे होंठ काजल के नरम होंठो पे रख दिऐ।

एक बार तो काजल, जीजू की इस हरकत से सकपका गई। लेकिन जीजू की तगड़ी ग्रिफत से चाहते हुए भी, छूट न पाई। शुरू शुरू में तो वो विरोध करती रही। जीजू…. दीदी जाग रही है, आ जायेगी…. लेकिन बाद में उसे भी सहलाने से मज़ा आने लगा और उसका विरोध भी कम हो गया, और वो भी जीजू को कम्पनी देने लगी।इस लड़ाई में पता ही नही चला कब वो एक दम नंगे हो गए। पता नही क्यों मैं ये फ़िल्म देखे ही जा रही थी। जबके मुझे इसपे सख्त एक्शन लेना चाहिए था।

शायद घर का माहौल बिगड़ने के डर से। चलो जो भी था अच्छा लग रहा था। काम आवेश में काजल की आँखे बन्द थी और उसके जीजू उसे चूम चाट रहे थे और एक हाथ से उसकी चूत को हल्का हल्का सहला रहे थे। काजल की आवाज़ में काम आवेश से भारीपन आ गया था। जीजू प्लीज़ज़्ज़्ज़्ज़्ज़.. हट जाओ, दीदी देख लेगी हमे, प्लीज़.. सीईईई ईई.. आह्ह्ह्ह्ह्ह…

जीजू — कुछ नही होगा, तुम चुप चाप मज़े लेते रहो। ज्यादा बोलकर अपना और मेरा समय व्यर्थ न गंवाओ। लेटे लेटे मज़े लो। बस… मज़े लो कहते कहते उसका मुंह काजल के मम्मों पे आ गया। गुलाबी रंग की निप्प्लों को दाँतो से हल्का हल्का काटना, होंठो में भींचकर उन्हें चूसने से काजल की जान निकाले जा रहा था। काजल ने महसूस किया जैसे उसकी चूत में हज़ारों चींटियाँ काट रही हो।

आज पहली बार उसे ऐसा महसूस हो रहा था के मानो जैसे उसकी चूत में से कुछ बह रहा हो। जीजू ने मौका सम्भालते हुए उसकी हल्के भूरे बालों से सनी चूत को मुंह में लिया और उसका रसपान करने लगा। सेक्स चाहे अंदर चल रहा था, लेकिन ये सीन देखकर मेरा भी बुरा हाल हो रहा था। कैसी मज़बूरी थी के मेरे सामने मेरे ही पति मेरी छोटी बहन को चोद रहे थे। मैं बाहर खड़ी अपनी चूत में ऊँगली करके खुद को शांत कर रही थी।

अब काजल अपने जीजू का सर पकड़ कर अपनी चूत पे दबा रही थी। जाहिर था के वो पूरे मज़े ले रही है। इस पूरी प्रकिर्या में एक बार झड़ चुकी थी। उसे लगा के वो उडती उड़ती एक दम आसमान से निचे गिर गई हो। वो बुरी तरह से हांफ रही थी और बोली,” जीजू ये क्या हो गया मुझे, साँस फूल रही है और मानो चूत के रस्ते से जान निकल गई हो। जीजू बोले,” साली साहिबा आपका तो हो गया, जबकि मेरा काम होना, अभी भी बाकी है। तुम ये बताओ, तूने पहले कभी सेक्स किया है या नही।

काजल — नही, जीजू एक बार कोशिश की थी किसी पड़ोस के लड़के के साथ करने की, लेकिन मुझे बहुत दर्द हुआ और खून भी आने लगा। तो हम दोनों नए होने के कारण डर गए और बीच में ही छोड़ कर अपने अपने घर आ गए। दर्द के डर से मेने किसी को भी प्रपोज़ नही किया। आज आपने मौका सम्भाला है।

मुझे आज मेरी छोटी बहन का ये राज़ पता चला था।

जीजू — ओहो… मतलब के मिशन कम्प्लीट नही किया। चलो कोई बात नही आज कम्प्लीट कर देते है। ऐसे करो बाथरूम से तेल की शीशी ले आओ।

काजल — लेकिन वो क्यों ?

जीजू — लेकर तो आओ, समझाता हूँ।

काजल जल्दी से बाथरूम से तेल वाली शीशी ले आई।

जीजू — अब ऐसे करो, लेट जाओ।

काजल लेट तो गई लेकिन उस दिन वाला डर आज फेर आगे आ गया।

काजल — जीजू, जो भी करना आहिस्ते आहिस्ते करना, ये न हो के मेरी दर्द से चीख निकल जाये और दीदी हमे आकर पकड़ ले। वरना बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी हो जायेगी।

जीजू — डाँट वरी माई डियर साली साहिबा, दर्द का दौर तो उसी दिन निकल गया था आपका, आज तो मज़ा लेने का दिन है।

काजल — चलो देखते है, क्या होता है ?

जीजू ने तेल अपने मोटे लण्ड सुपाड़े से लम्बाई की तरफ लगाया। जीजू का काला मोटा लण्ड तेल लगने की वजह से लाइट में चमक रहा था। उसने निचे बैठकर उसकी चूत का ज़ायज़ा लिया और उसमे में हल्के हलके उंगली से तेल लगाया। जहाँ एक तरफ जीजू से सेक्स करने की ख़ुशी थी, वहीं दूसरी ओर दर्द के डर की वजह से उसकी गाँड भी फट रही थी। जीजू ने उसे दुबारा सहलाना शुरू कर दिया।

लेकिन शायद इस बार डर के मारे, उसपे काम का असर ही नही हो रहा था। करीब 10 मिनट सहलाने पे भी जब काजल में कोई बदलाव न आया तो जीजू बोले,” एक बात सुनो, मज़े लेने है तो दिल से डर को निकाल दो। क्योंके जब तक ड़रती रहोगी। मज़े नही ले पाओगी। ऐसे में मैं भी मज़े के बिना रह जाऊंगा। अपना नही कम से कम मेरा तो ख्याल करो। पिछले 20 मिनट से तुम्हे मज़ा लेने में तेरी मदद कर रहा हूँ।

काजल – इट्स ओके जीजू, अब नही डरूँगी। खुल के मज़े लुंगी और आपको भी मज़ा दूंगी।

इस बार जीजू लेट गए और काजल को उपर आकर लण्ड चूसने को कहा।

काजल अब डर को एक साइड करके अपने मिशन में जुट गई। तने हुए गर्म 7 इंची मोटे लण्ड को दोनों हाथो की मुठी में भरकर वो जीजू के लण्ड को टिकटिकी लगाकर देखती रही। शायद मन में आ रहा होगा के इससे तो मेरी चूत की धज्जिया उड़ जायेगी। धन्य है नेहा दीदी, जो रोज़ाना इसे लेती होगी। फेर थोड़ी देर बाद जीजू के लण्ड का गुलाबी सुपाड़ा खोलकर अपनी जीभ से मुंह में लेकर उसे चाटने लगी।

जीजू तो जैसे आसमान में उड़ने लगे। लण्ड के तने होने के कारण उसका सुपाड़ा फूल चूका था और उसके मुंह में आसानी से जा भी नही रहा था। लेकिन कहीं जीजू नराज़ न हो जाये और मुझे मज़े से वंचित न रख दे, शायद यही सोचकर वो इस मुश्किल काम को भी किये जा रही थी। मुख मैथुन करते हुये उसका पूरा मुंह दुखने लगा था और आँखो से आंसू बह रहे थे।

जिस से साफ झलक रहा था के वो कितने कष्ट से अपना काम कर रही है। जीजू को उसपे दया आ गई और उसे हट जाने को कहा। जीजू का निर्देश पाते ही काजल हट गई और इशारा पाते ही बिस्तर पे लेट गई। अब जीजू ने हल्के से ऊँगली उसकी चूत में घुसाकर चूत की गहराई को नापना चाहा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

लेकिन ऊँगली पूरी तरह से घुस नही रही थी। जीजू ने उसकी दोनों टाँगे अपने कन्धों पे रखकर हल्के से उसकी चूत का मुंह खोलते हुए अपना तना हुआ लण्ड उसपे रखकर हल्का सा झटका दिया। तो काजल की तो जैसे जान निकल गई। शायद आज का दर्द उस दर्द से भी ज्यादा था। फेर जब तक वो सामान्य न हुई, तब तक जीजू रुक गए। एक बार फेर जीजू ने थोडा सांत्वना देकर मुंह में कपड़ा लेने को कहा ता जो उसकी चीख बना बनाया काम बिगाड़ न दे। काजल ने वैसा ही किया।

जीजू ने वापिस पोजीशन सम्भाली और झटका दिया। इस बार आधे से ज्यादा उसका मूसल लण्ड काजल की चूत में घुस चूका था और चूत से खून की धारा बहकर बिस्तर को खराब कर रही थी। जीजू ने उसके कान में कहा, जरा सा दर्द और बर्दाश्त करलो जानू, इसके बाद इसकी नौबत नही आएगी। जीजू ने इतना कहते ही पीछे हटकर एक और ऐसा झटका दिया के जड़ तक लण्ड महाराज अपनी गुफा में घुस गए।

शायद जिस से लण्ड थोडा छिल तो गया और जलने लगा। लेकिन फेर भी दर्द सामान्य होने तक जीजू झटके लगाता रहा। पहले पहल तो काजल दर्द से छटपटाती रही। मानो कोई उसे खुंडा टोका (मतलब जो तीखा न हो) लेकर उसे काट रहा हो। लेकिन जैसे जैसे मज़ा आ रहा था , दर्द कम और मज़ा ज्यादा आ रहा था।

अब तो वो भी गान्ड उठा उठाके लण्ड ले रही थी और नाखुनो से जीजू को घायल भी कर रही थी। इस खुनी खेल में काजल दो बार झड़ गयी। जबके जीजू अभी तक टिके हुए थे। चूत में पानी आ जाने से अब आसानी से लण्ड अंदर बाहर हो रहा था। जीजू ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। जिसका मतलब था के अब वो भी छूटने वाले है।

करीब 5 मिनट बाद ही जीजू हाँफकर काजल के ऊपर ही ढेरी हो गए और अपने गर्म लावे से काजल की चूत को मुंह तक भर दिया। दोनों पसीने से भीगे हुए थे और हांफ रहे थे। काम का नशा उत्तर जाने की वजह से अब दोनों को आपस में नज़र मिलाने में भी शर्म आ रही थी। जीजू का लण्ड सिकुड़ कर अपने आप काजल की चूत से बाहर आ गया। पूरे 7 इंच का लण्ड, अब सिकुड़ कर 3 इंच की लुल्ली बन गया था। जिसे देखकर काजल हंसे ही जा रही थी।

काजल की चूत से खून, वीर्य मिलकर एक अलग ही रंग की धारा में बह रहा था। दोनों ने उठकर अपने आप को साफ किया और बहुत रात होने की वजह से अपने अपने कमरो में सोने की बात कही। उनकी ये बात सुनकर मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गयी और सोने का नाटक करने लगी।

अगले दिन काजल को बहुत तेज़ बुखार आया और उसे चलने में भी बहुत कठिनाई हो रही थी। बड़ी मुश्किल से काजल एग्जाम देने स्कूल गई। आज पहली बार मुझे अपनी बहन और पति से घृणा हो रही थी। लेकिन मैंने उन्हें जरा सा भी शक नही होने दिया के रात वाली बात मुझे पता है। अगले दिन काजल अपने गांव चली गई।

सो ये थी मेरी आँखों देखी कहानी, अपने मेलस के जरिये बताना आपको कैसी लगी ? हमारा मेल पता तो आप जानते ही हो। लेकिन फेर भी नए पाठको के लिए पता बताती हूँ । आप इस पते “[email protected]” पे अपने विचार और कहानी भेज सकते हो।

आज के लिए इतना ही फेर किसी दिन नई कहानी लेकर आपके सामने फेर आएंगे। तब तक के लिए अपने दीप पंजाबी को इज़ाज़त दो, नमस्कार!

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