Nayi Dagar, Naye humsafar – Episode 4

This story is part of the Nayi Dagar, Naye Humsafar series

    शायद आज के दिन उसका मूड सचमुच अलग होगा। मेरा काम हो ही जायेगा। राहुल ने सबका पार्टी में आने का धन्यवाद दे स्वागत किया और अपनी दो मिनट के भाषण के बाद सबको पार्टी एन्जॉय करने को बोल दिया। तेज संगीत एक बार फिर से चलने लगा और लोग एक बार फिर अपने अपने मजे लेने में लग गए।

    मैं एक मौके की तलाश में लग गयी कि मैं राहुल के सामने आउ और उसे मेरी तारीफ़ करने का अवसर दे पाऊ। कुछ सहकर्मी उसे अपनी फॅमिली से मिलवा रहे थे और मैं दूर से उसे देख इंतज़ार करती रही। थोड़ी देर में शायद उसका मोबाइल बजा और वो पार्टी हॉल के दरवाजे से बाहर निकल गया।

    शायद मेरे लिए ये ही मौका था उसको भीड़ से दूर अकेले मिलने का। मैं भी उसी दरवाजे से हो बाहर निकली। वो गलियारे से होता हुआ बालकनी में चला गया और फ़ोन पर बात कर रहा था। मैं उसके फ़ोन बंद होने का इंतज़ार करने लगी अपनी साड़ी एडजस्ट करती रही जैसा कि मैंने प्लान किया था।

    मैंने देखा उसने फ़ोन जेब में रख दिया था पर अभी भी बालकनी में खड़ा हो बाहर की ही तरफ देख रहा था। मैंने जल्दी से साड़ी का पल्लू दूसरे कंधे से हटाया और सीने पर इस तरह सेट किया कि मेरा आधा ब्लाउज साड़ी के बाहर रहे और मेरा थोड़ा सा क्लिवेज दीखता रहे। साड़ी को पेट से दूर हटाते हुए अपनी नाभी सहित पतले पेट की नुमाइश होती रहे इस तरह सेट किया ।

    मैं अब धीरे धीरे चलते हुए उसकी तरफ बढ़ी। जब मैं उसके पीछे नजदीक पहुंची तो मेरी आहट से वो एकदम पीछे मुड़ा और मुझे वहा देख उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ।

    राहुल: “अरे प्रतिमा तुम पार्टी छोड़ कर यहाँ! ”

    मैं “अंदर बहुत शोर हो रहा था तो मैं थोड़ा शांती के लिए बाहर आ गयी, आपको देखा तो यहाँ चली आयी।”

    राहुल: “हां, मुझे भी शांति ज्यादा पसंद हैं। तुम मुझे ‘आप’ कह कर मत पुकारो , ‘तुम’ कहना ठीक रहेगा। ”

    मैं: “आप…तुम इन कपड़ो में बहुत रिलैक्स और अच्छे लग रहे हो ”

    राहुल “थैंक यू, वैसे तुम साड़ी में बहुत अच्छी लग रही हो।”

    मैं: “थैंक यू, कही आप ऐसे ही तो नहीं कह रहे। क्यों कि मैंने आपकी तारीफ़ की हैं।”

    राहुल: “मैं कभी झूठी तारीफ़ नहीं करता, मुझे अगर अच्छा नहीं लगता हैं तो मैं मुँह पर बोल देता हूँ।”

    मैं: “ठीक हैं, फिर आपकी तारीफ़ मैं रख लेती हूँ।”

    राहुल : “तुम्हारे घर से कोई नहीं आया?”

    मैं: “नहीं, मेरे हस्बैंड को कुछ काम था तो नहीं आ पाए। ”

    राहुल: “ओह, ओके , कोई बात नहीं। ”

    मैं: “आपके घर से कोई आया हैं?”

    राहुल: “नहीं, पापा को चलने में दिक्कत होती हैं तो मम्मी पापा ज्यादा बाहर नहीं जाते। ”

    मैं: “ओह, आई ऍम सॉरी”

    राहुल:”तुम्हारे हस्बैंड से याद आया, तुम्हारा वो पेंडेंट कहा हैं, मुझे पसंद आया, अपनी मम्मी को गिफ्ट करने की सोच रहा हूँ कोई पेंडेंट।”
    आज मैंने पेंडेंट नहीं पहना था, क्यों कि पेंडंट तो सिर्फ मेरी उस दिन की योजना का ही हिस्सा था आज का नहीं। मैंने अपनी साड़ी अपने सीने से पूरी हटा ली और उसको दिखाया ।

    मैं: “नहीं, आज नहीं पहना मैंने। ये दूसरा पहना हैं।”

    मेरे खुले सीने पर ब्लाउज के बीच से झांकते मम्मो के उभारो को देख उसकी आँखों में एक चमक सी आ गयी थी और उसकी मुस्कान और चौड़ी हो गयी। मैंने अपनी साड़ी फिर ढक ली। मेरा काम हो चूका था। सिर्फ एक तारीफ़ सुननी थी वो मिल चुकी थी। हालांकि मेरी साड़ी की तारीफ़ हुई थी पर पहनी तो मैंने थी तो देखा जाये तो मेरी खूबसूरती की भी तारीफ़ हो चुकी थी।

    राहुल: “चलो अंदर चलते हैं, पार्टी हैं तो पार्टी की तरह एन्जॉय करते हैं। ”

    हम दोनों फिर पार्टी वाले हॉल की तरफ बढ़ने लगे और मैंने रास्ते में फिर अपना पल्लू दूसरे कंधे पर डाल अपना सीना और पीठ फिर ढक ली दूसरे लोगो के लिए। साथ ही साड़ी खिंच पकड़ अपनी पतली कमर को भी ढक लिया।

    अंदर तेज संगीत में सब लोग नाचने और पीने में लगे थे। राहुल को भीड़ में फिर किसी ने पकड़ लिया और हम बिछड़ गए। मुझे वैसे भी सब कुछ मिल गया था जिसके लिए यहाँ आयी थी। वहा काफी कपल्स नाच रहे थे और मैं सोच रही थी काश मेरा पति अशोक यहाँ होता तो मैं भी उसके साथ नाच पाती।

    मैं थोड़ा दूर खड़े ही उन लोगो को नाचते हुए देख रही थी कि पीछे से राहुल आकर मेरे पास खड़ा हो गया। मैं उसकी तरफ देख मुस्कराते हुए उसके लिए थोड़ी जगह बनाई। उसने कुछ कहा पर संगीत के तेज शोर में कुछ सुनाई नहीं दिया तो मैंने उसको इशारे में बोल दिया कुछ सुनाई नहीं दे रहा।

    उसने अपना मुँह मेरे कान के पास ला बोलना शरू किया। पहली बार राहुल मेरे इतना करीब आया था। उसके मुँह से निकलती गर्म साँसे मेरे कान और गले को छू रही थी और मैं जैसे एक नशे में जा रही थी। वो मुझ अपने साथ नाचने के लिए कह रहा था। मैं हँसते हुए मुँह खोल उसकी तरफ देखती ही रह गयी।

    क्या ये वही राहुल हैं जो ऑफिस में मेरी तरफ देखता भी नहीं और यहाँ मेरे साथ नाचना चाह रहा हैं। कही मेरा जादू इस पर चल तो नहीं गया। उसकी तरफ अचम्भे से देखते हुए मेरे मुँह से शब्द भी नहीं निकले और सिर्फ मेरी आँखों और चेहरे के हाव भाव ने हां बोला।

    उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया। आजतक उसने मुझसे हाथ तक नहीं मिलाया था और आज मैं उसे पहली बार छूने जा रही थी। उस वक्त मेरे दिल में घंटिया बजने लगी थी। मेरा हाथ उसके हाथ में छूते ही तो जैसे बिजली सी गिर गयी थी मुझ पर।

    वो मेरा हाथ पकड़ मुझे थोड़ा आगे ले आया और मेरा हाथ अपने कंधे पर रख दिया और खुद का हाथ मेरी कमर पर लपेट दिया। मेरी पतली कमर पर उसके हाथ छूते ही तो मेरी आँखें कुछ क्षणों के लिए बंद हो गयी। एक बिजली का झटका सा लगा और मैं पूरा हिल गयी। आँखें खुली तो मेरे मन में एक अलग ही संगीत बजने लगा।

    उसने मुझे कमर से पकड़ अपनी तरफ खिंचा और हमने मुस्कारते हुए एक दूसरे की आँखों में देखा। हम दोनों में से किसी ने भी बहुत देर तक पलकें तक नहीं झपकाई। जैसे एक दूसरे की आँखों में ही खो गए थे। कुछ समय के लिए हम सब कुछ भूल चुके थे।

    आज ऊपर वाले ने मेरी इतनी मेहनत का क़र्ज़ जैसे ब्याज सहित चूका दिया था, न सिर्फ तारीफ़ मिली पर वो मुझे छू कर मेरे साथ डांस भी कर रहा था। उसका कमर पर रखा हाथ रह रह कर थोड़ा ऊपर खिसक कर मेरी पीठ पर ब्लाउज को बांधे डोरी को छू रहा था।

    डांस करते करते पता ही नहीं चला कब मेरा आँचल मेरे दूसरे से कंधे से निकल गया और आगे से मेरा आधा ब्लाउज साड़ी से बाहर आ थोड़ा मम्मे का उभार नजर आने लगा। उस वक्त मुझे इस चीज की परवाह नहीं थी ।

    मुझे पीछे की ओर थोड़ा झुकाते वक्त उसका एक हाथ मेरी कमर और दूसरा मेरी नंगी पीठ पर था और वो अपने दोनों हाथों से मेरे कोमल बदन को महसूस कर सकता था।

    हम दोनों के चेहरे सिर्फ कुछ इंच की दुरी पर थे और मेरे मम्मे उसके सीने से काफी करीब थे। उसने जानबूझ कर अपना सीना मेरे सीने से छुआने की कोशिश नहीं की, हालांकि वो कर भी देता तो आज उसको माफ़ कर देती।

    हम दोनों एक दूसरे में इतना खो गए कि याद ही नहीं रहा हम कहा हैं और किस हालत में हैं। जब अचानक संगीत रुका तो पता चला क्या हालत हैं। राहुल ने अचानक अपना हाथ मेरे शरीर से हटा मुझे छोड़ दिया। वो थोड़ा इस बात पर सकपकाया कि वो क्या हैं और क्या कर रहा था।

    वो वहा से चला गया उसी दरवाजे से जहा से पहले फ़ोन के लिए गया था। मुझे लगा उसने जो किया उसके लिए थोड़ा शर्मिंदा हैं, क्यों कि ये उसकी आदत में शुमार नहीं था। उसने जो किया उसमे कोई बुरा नहीं था ये बताने के लिए मैं भी उसके पीछे गयी।

    वो उसी बालकनी में खड़ा था जहा पहले था। मेरे अहम की इच्छापूर्ति तो हो चुकी थी, पर इस चक्कर में उसके अहम् को शायद चोट पहुंची थी। मेरा काम तो हो चूका तो इस बार मैं अपनी साड़ी अच्छे से ढक कर ही गयी थी। जैसे ही मैं उसके पीछे पहुंची मेरी आहट से वो एक बार फिर मेरी तरफ मुड़ा।

    राहुल : “आई एम सॉरी, शायद डांस करते वक़्त मैंने कुछ ज्यादा ही लिमिट क्रॉस कर दी ! ”

    मैं: “नहीं, ये तो एकदम नार्मल था। अजीब तो तुम्हारा वहा से एकदम से जाना लगा।”

    उसने अपना एक हाथ अपनी आँखों पर फेरा जैसे अपनी भावनाये छुपाना चाहता हो। उसकी आँखें थोड़ी नम सी हो गयी थी

    जाने अनजाने मैंने राहुल के व्यक्तित्व को ठेस पंहुचा दी और उसके दिल के तार बजा दिए थे। उसका असर अब हम दोनों की ज़िन्दगियों पर पड़ गया। मेरे सारे प्रयास अब मुझ पर भारी पड़ गए।

    राहुल बालकनी में खड़ा मुझ से बात करते हुए भावुक सा हो गया था।

    राहुल: “डांस करते वक़्त कुछ समय के लिए मुझे ऐसा लगा जैसे सामने रूही आ गयी हो।”

    मैं : “रूही?”

    राहुल: “छोड़ो, मैं भी क्या लेकर बैठ गया।”

    मै: “नहीं तुम बता सकते हो, तुम्हे थोड़ा अच्छा लगेगा।”

    राहुल: “रूही मेरी गर्ल फ्रेंड थी, मैं बिज़नेस में क्या बिजी हुआ वो मुझे छोड़ कर चली गयी।”

    मुझे याद आया सुधा आंटी जिस राहुल की जिस गर्ल फ्रेंड की बात कर रही थी उसी का नाम रूही था।

    मैं: “चली गयी मतलब?”

    राहुल: “उसके घर वाले उसकी शादी करवाना चाहते थे, और मैं उस वक्त अपने पापा के बिज़नेस को बचाने काम में डूबा हुआ था। उसने मेरी भावनाओ को समझा ही नहीं। ”

    मैं: “वो तो अब भी मिल सकती हैं, तुमने बाद में उससे बात करने की कोशिश नहीं की। ”

    राहुल: “थोड़े दिन बाद ही मुझे उसका शादी का कार्ड मिल गया था। मेरे लिए उसका अध्याय बंद हो गया हैं पर दिमाग से निकालना आसान नहीं हैं।”

    मैं भी समझ गयी ये राहुल की एक अधूरी प्रेम कहानी हैं, जिसके गम में उसने ब्रह्मचर्य अपना लिया था, जिसे मैं अपने अहम के लिए तोड़ने की कोशिश कर रही थी।

    राहुल: “डांस करते वक्त मुझे तुममे रूही की झलक दिखी और मैं थोड़ा बहक सा गया, पता नहीं तुमने मेरे बारे क्या सोचा होगा। ”

    मैं: “नहीं, मुझे उल्टा अच्छा लगा तुम्हे इतना एन्जॉय करते देखते हुए।”

    राहुल: “थैंक यू ”

    हम दोनों एक दूसरे की आँखों में झांक रहे थे और वो धीरे धीरे मेरे करीब आता जा रहा था । नजदीक आकर उसने अपना एक हाथ मेरी कमर में डाला, मुझे लगा फिर से डांस करना चाहता हैं। मैं मुस्कुरा दी, और उसने अपना दूसरा हाथ मेरी पीठ पर लगा कर अपनी तरफ खिंचा। हम दोनों एकदम करीब आ गए थे।

    पढ़ते रहिये.. क्योकि यह कहानी आगे जारी रहेगी..

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