Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti – Episode 20

This story is part of the Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti series

    योग के हाथ मेरी पतलून पर चले गए और अगले ही पल वो उसे निचे की तरफ खिसकाने लगे.

    मैंने झुक कर अपने हाथ एवं पॉंव से मेरी पतलून को निकाल दिया। अब सिर्फपैंटी में खड़े हुए मैं कुछ शर्म के मारे अजीब सा महसूस कर रही थी।

    योग ने मुझे ऊपर से निचे तक देख कर कहा, “जानूं आपने तो कुछ नहीं देखा। देख तो मैं रहा हूँ। यह नजारा कोई मनमोहक सपने से कम नहीं है।”

    मैंने देखा की योग की नजर मेरी जाँघों के बिच में बने हुए त्रिकोणाकार के बिच में मेरी साफ़ सुथरी चिकने चूत पर मंडरा रही थी। योग ने अपना हाथ मेरी चूत के टीले के ऊपर फिराना शुरू किया।

    उन्होंने महसूस किया की मैं मेरी चूत को पहले से ही शेव करके एकदम साफ़ कर के आयी थी। तो उन्होंने फिर कहा, “देखो, मेरी रानी तो अपनी चूत भी साफ़ करके आयी है। इसका मतलब यह हुआ की तुम तो पहले से ही मेरा रेप करने का प्रोग्राम बनाके आयी हो।”

    मैं योग की बात सुनकर हँस पड़ी और बोली, “मैं जानती थी तुम मेरे चंगुल से छटक कर कहीं नहीं जा सकते।”

    योग ने मेरी चूत में दो उंगलियां डालनी चाहि तो मैं उत्तेजना के मारे काँप उठी। मेरी चूत में से तो जैसे फव्वारा सा निकला जा रहा था। योग की उंगलियां पूरी गीली होगयीं। मेरे देखते ही देखते योग ने अपनी उँगलियाँ अपने मुंह में डाली और मेरा रस चाट गया।

    फिर योग झुक कर मेरी टाँगों के बीचमें आगये और उनको फैला ना चाहा। मैं शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी।

    मैंने मेरी जांघें फिर सेसमेट लीं, तो योग ने मेरी और देखा और मुस्करा कर बोले, “जानूं, अब क्या लाज और शरम? छोडो यह सब। अब जब तुम्हें चुदना ही है तो शर्माना क्या? अब मैं तुम्हें चोदूंगा और मेरी जान शरमा ने से काम नहीं चलेगा।”

    उन्होंने फिर मेरी टांगें फैलाई। मैंने इस बार कोई विरोध नहीं किया। वह मेरे प्रेम छिद्र की जांच करने में जुट गए। मैं उनका इरादा समझ गयी। वह देखना चाहते थे की क्या उनका बड़े घोड़े जैसा लण्ड मैं ले पाउंगी या नहीं।

    योग ने मुझे अपनी बाँहों में लेकर पीछे से मेरी गाँड़ के गालोँ को महसूस करने लगे। थोड़ी देर उन्हें सहलाने के बाद वह बोले, “वाह! क्या कमाल की तुम्हारी गाँड़ है। कितनी चिकनी, कितनी कोमल और फिर भी कितनी करारी। मैं इन्हें चूमना चाहता हूँ।

    मैंने फ़ौरन जवाब दिया, “लो भाई, नेकी और पूछ पूछ! मैं आपकी हूँ, मेरा पूरा बदन आपका है और मेरा सब कुछ आपका है।

    योग ने मुझे घुमा दिया। मैं अपना मुंह पलंग की और कर मेरी गाँड़ छत की और कर के सो गयी। टेड ने झुक कर मेरी गाँड़ पर अपने होँठ रखे और वह मेरी गाँड़ के गालोँ को चूमने लगे।

    उन्होंने मेरी गाँड़ पर करीब दो या तीन मिनिट तक अपने होँठ चिपका कर रखे और मेरी गाँड़ को चूमते ही रहे। बिच बिच में वह अपने मुंह की लार भी मेरी गाँड़ पर फैलाते रहे। वह मेरी गाँड़ को सहलाते रहे और धीरे से उन्होंने अपनी दो उँगलियाँ फिर से मेरी चूत में डाली।

    मेरी गाँड़ के बिच की दरार में जब वह उंगलिया डालते, तो मैं चौंक उठती। मैं डर जाती की कहीं योग मेरी गाँड़ मारने का प्लान तो नहीं बना रहे? मेरा चौंकना योग को अनोखी उत्तेजना देता था।

    शायद इस लिए वह थोड़ी थोड़ी देर के बाद मेरी गाँड़ की दरार में उंगली डाल देते। मैं धीरे धीरे समझ गयी की योग मुझे छेड़ना चाहते थे। उन्हें भी शायद गाँड़ मारना पसंद नहीं था।

    योग जब भी मेरे नंगे बदन की और देखते थे तब उनकी आँखों में मैंने एक भाव देखा। जैसे चकोर चन्द्रमा को एकटक देखता रहता है वैसे ही मेरे नंगे बदन को योग देखते रहते थे।

    यही बात तो वह लड़की ने मुझे कही थी। उसने कहा था की योग मुझे चकोर जैसे चाँद को देखता है अथवा जब वह नहीं होता तो उसका इन्तेजार करता है ऐसे ही देखते रहते या फिर मेरा इन्तेजार करते थे।

    मैं चाहती थी की कब वह वक्त आये की योग मेरी प्यासी चूत में अपना मोटा लण्ड पेलना शुरू करें पर योग थे की मेरे नंगे बदन को देख कर उन का दिल ही नहीं भर रहा था।

    मेरी गाँड़ से अच्छी तरह से खेलने के बाद उन्होंने मुझे पलटा और मुझे मेरी गाँड़ और पीठ पर बिस्तर पर लिटा दिया। अब वह मेरे बालों से लेकर मेरी जाँघों के बिच खिला हुआ मेरी चूत का त्रिकोणाकार देखने लगे। पहले उन्होंने मेरी आँखें चुमी।

    काफी देर तक वह मेरी आँखें और मेरी गर्दन को चूमते रहे। फिर उन्होंने मी पके हुए फल के सम्मान दो स्तन गुम्बजोँ को देखा। थोड़ी देर देखते ही रहे।

    मैंने उनकी चकोर जैसी आँखों का राज जानना चाहती थी। मुझ से पूछे बिना रहा ना गया। मैंने योग से पूछा, “योग मेरे सवाल का सच्चा जवाब दोगे?”

    योग ने मेरी और अचरज से देखा और हाँ कहा तो मैंने पूछा, “यह तुम मुझे ऐसे एकटक क्यों देख रहे हो?”

    योग ने बिना झिझके जवाब दिया, “तुमने मुझे सच बोलन के लिए कहा है। तो मैं बताता हूँ की तुम ऐसे लेटी हुई बिलकुल हूबहू मेरी बीबी कनिका ही लग रही हो। मुझे माफ़ करना पर उसकी याद मेरे जहन से जा नहीं रही।”

    मैंने कहा, “भला इतनी प्यारी बीबी की याद आपके जहन से क्यूँ जानी चाहिए? कोई जरुरत नहीं उसे भूलने की। मैं तुम्हारी कनिका ही हूँ। मुझे तुम अपनी कनिका समझ कर ही प्यार करो। मुझे अपनी कनिका ही समझ कर तुम मुझे पूरी तरह से मन भरने तक चोदो। मैं कनिका को भुलाने नहीं मैं तुम्हारी कनिका बनकर आयी हूँ।”

    योग मेरी बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुए। झुक कर उन्होंने मेरी दोनों निप्पलोँ को चूमा। अपने होँठ थोड़े और दबाकर वह मेरे स्तनोँ को देर तक प्यार से चुम्बन करते रहे।

    योग ने फिर मेरे स्तनोँ को चूसना शुरू किया। और चूसना भी कैसा? उन्होंने मेरे स्तनोँ को इतने जोश से चूसा की मेरे स्तन जैसे उनको मुंह में ही चले गए। जैसे वह मेरे स्तन को निगल ही गए हों! उनके इतनी ताकत से मेरे स्तनोँ को चूमने के कारण मेरे स्तन भी लाल होगये।

    उनकी नजर मेरी कमर से हट ही नहीं रही थी। वह मेरी ढूंटी (नाभि) में अपनी जीभ दाल कर चाटते रहे। मैंने योग से पूछा, “कनिका आपसे कैसे चुदवाती थी?”

    योग ने जवाब दिया, “कनिका बाहर से एकदम शालीन लगती थी। पर बैडरूम में कपडे निकालने के बाद वह आग का गोला थी। मेरा मोटा लण्ड उसे बहुत पसंद था। वह कई बार कहती थी की उसे मुझसे चुदवाने में जो दर्द होता है, उससे कहीं ज्यादा उसे अद्भुत आनंद मिलता है। वह मेरे लण्ड को बहुत प्यार करती थी और सख्त चुदाई के बाद वह थक जाती थी तो भी मेरे लण्ड को अपने हाथों में ही पकड़ कर सो जाती थी और जैसे ही वह करवट बदल कर मेरे सामने आती तो भरी नींद में भी वह मेरा लंड पकड़ लेती और फिर खर्राटे मारती हुई लेट जाती थी।”

    योग ने आगे कहा, “वह चुदवाने से पहले फोरप्ले में बहुत उत्तेजित हो जाती थी। उसे अपनी चूत चुसवाना बहुत पसंद था। क्या तुम्हें भी पसंद है?”

    मैंने कहा, “भला, किस औरत को अपने पसंदीदा मर्द से अपनी चूत चुसवाना पसंद ना होगा?”

    योग ने सुनते ही मुझे खींचा और पलंग की किनारी पर ले आये। वह खुद फर्श पर बैठ गए और मुझे अपने पॉंव निचे लटकाने को कहा। फिर उन्होंने मेरे पाँव फैलाये और खुद बिच में जा बैठे। मेरी चूत उनके मुंह के बिलकुल सामने थी।

    उन्होंने मुझे लेटने को कहा और अपनी जीभ से मेरी चूत के होँठों को चाटने और सहलाने लगे। अपनी जीभ से वह मेरी चूत के एक होँठ को खींचते, चाटते और फिर छोड़ देते। उनको पता था की कहाँ जोभ फिराने से औरतें ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं।

    योग के मेरी चूत में जीभ फिराने से मैं अपना आपा खो बैठी थी। कई महीने हो गए की किसी मर्द ने मेरी चूत चाटी थी। मेरे पति को फोरप्ले में कोई रस नहीं था। वह ऑफिस से थक कर आते थे और मुझे जल्द बाजी में चोद कर फ़ौरन सो जाते थे।

    योग ने अपना मुंह मेरी जाँघों के बिच से निकाला और अपनी दो उँगलियाँ मेरी चूत में डालदी। इससे पहले भी वह मेरी चूत में उँगलियाँ डाल चुके थे पर उस समय उन्हें मेरा स्त्री रस चाटना था।

    अब वह मुझे उँगलियों से चोदना चाहते थे। मैं वैसे ही उनकी जीभ के मेरी चूत के साथ छेड़खानी करने के कारण बड़ी गरम होरही थी। योग को कैसे पता लगा की मैं चूत में उंगलिया डालकर उँगलियों से चोदने पर पागल हो जाती हूँ। शायद हर औरत की यह कमजोरी होगी।

    जैसे ही योग ने मुझे उँगलियों से चोदना शुरू किया की मुझसे रहा नहीं गया। योग मेरी सारी कमजोर जगहों को जैसे भली भाँती जानते हों ऐसे वहीं पर अपनी उंगली रगड़ते थे जहाँ छूने से ही मैं मचल उठती थी।

    जैसे जैसे योग अपनी उँगलियाँ अंदर बाहर करते रहे, मैं बिस्तर पार आह्ह.. ओह्ह्ह… कर अपनी गाँड़ उठा कर बिस्तर पर रगड़ती रही। योग ने अपनी उँगलियों से चोदने की फुर्ती बढ़ाई की मेरी गाँड़ रगड़ने की रफ़्तार भी बढ़ने लगी। साथ साथ चूत में फड़फड़ाहट भी बढ़ने लगी।

    मेरी चूत का रस का स्राव नहीं रुक रहा था। मैं उन्माद से पागल हो रही थी। मैं झड़ ने वाली ही थी। मैं अपनी कराहट रोक नहीं पायी।

    मैंने योग का सर पकड़ा और बोल पड़ी, “योग आआआ…. हहह…. मत रुको, मैं झड़ने वाली हूँ। ओह्ह्ह…”

    थोड़ी ही देर में ही मेरी कमर बिस्तर पर ही उठाकर मैं ने एक बड़ी आहहह… भरी और मैं इतनी जोर से झड़ गयी की पता नहीं ऐसा कभी हु था या नहीं।

    जैसे ही मैं झाड़ रही थी की योग ने उँगलियों से मुझे चोदना बंद किया और मुझसे लिपट गए और मेरे होँठों से होँठ मिलकर मुझे गढ़ आलिंगन में लेकर मुझे चूमने लगे। चूमते चूमते भावुक होकर बोलने लगे, “मेरी प्यारी कनिका। मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। तुम मुझे छोड़कर क्यों चली गयी?”

    मैंने भी उतने ही आवेश से योग को चुम्बन करते हुए कहा, “डार्लिंग मैं वापस आ गयी हूँ ना? क्या अब तुम मेरे वापस आने से खुश नहीं हो?”

    योग ने कहा, “मैं तुम्हारे आने से बहुत खुश हूँ।”

    योग मुझे साँस भर राहत देने के लिए रुके। पर मैं रुकना नहीं चाहती थी। मैं योग से रात भर चुदना चाहती थी क्यूंकि अगला दिन इतवार था। मुझे ऑफिस नहीं जाना था। घर में मेरा इंतजार करने वाला कोई नहीं था।

    मैंने योग को कहा, “अब बहुत हो गया। मैं तुम्हारे इस घोड़े जैसे लण्ड को मेरी छोटी सी चूत में डलवाना चाहती हूँ। मेरी छोटी सी चूत को आज तुम अपने मोटे लंड से चौड़ी बना दो। हालांकि मैं जानती हूँ की मुझे कष्ट होगा पर जानूं तुम्हारी कनिका कष्ट झेलने के लिए तैयार है।”

    मैंने योग को खींच मेरे ऊपर चढ़ने के लिए खींचा। मैं बिस्तर पर निचे लेट गयी और योग को मेरे ऊपर चढ़ाया। उसका मोटा लण्ड मेरे पेट को चोंच मार रहा था।

    मैंने उसका मुंह मेरे हाथ में पकड़ा और अपने होंठ योग के होँठों से मिला दिए. योग की दाढ़ी मुझे मेरे गालों पर चुभ रही थी पर मुझे अच्छी लग रही थी। मैं योग के होँठों पर अपनी जीभ फिराने लगी। योग के होँठ बड़े रसीले लगते थे। उसके मुंह की लार मेरे मुंह में जा रही थी।

    मैं तो योग के लण्ड से उसका वीर्य मेरी चूत में डलवाने के लिए तैयार थी तो भला उसके मुंह की लार से क्या दिक्कत?

    मैंने योग के मुंह से निकली लार चाटी। इसे देख योग मुस्कुराये। मैंने योग से कहा, “जनाब आपका शिकार आपके लण्ड का इंतजार कर रहा है। अब इंतजार किस बात का?”

    योग ने कहा, “तुम मेरा शिकार नहीं, मेरे लिए वरदान हो। तुमने आज मुझे एक कड़वाहट भरे इंसान से अच्छा इंसान बनाया है। मैं तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ?”

    मैंने कहा, “जनाब, अब तुम मुझसे अच्छे शब्द प्रयोग ना करें. मेरे सपने में तुम ने मुझे बहोत गंदे गंदे शब्द कहे थे। मुझे राँड़ कहा था, वेश्या कहा था, मेरी चूत को भोसड़ा कहा था। मुझे थप्पड़ भी मारा था। वह तुम्हारा रूप डरावना था…

    पर अब मैं तुमसे डरने वाली नहीं हूँ। मैं जानती हूँ की तुम मुझसे बहुत प्रेम करते हो। जो व्यक्ति बहुत प्रेम करता हो तो उसकी गालियां भी अच्छी लगती हैं…

    मैं आक्रामक चुदाई करवाना चाहती हूँ। तो तुम मुझे ऐसे चोदिये जैसे तुमने कभी संजना को चोदा था या फिर उससे भी ज्यादा आक्रामक तरीके से चोदो। मुझे आपने जैसे सपने में कहा था कहिये। आज मैं आपकी रखैल बनना चाहती हूँ। मुझे बेशक गन्दी गालियां दो, कुछ भी कहो, मुझे अच्छा लगेगा। ”

    योग ने मेरे गाल पर अपने होँठ रखे और मुझे अपने दांतों से जोर से काटा। मेरी चीख निकल गयी। फिर वह बोले, “तुम मेरी प्यारी कनिका हो या प्रिया हो। मैं तुम पर कभी हाथ नहीं उठा सकता। पर मेरी कनिका भी जब बहुत चुदवाने के मूड में होती थी तो वह भी मुझे गंदे गंदे शब्द बोलने को कहती थी। जब मैं उसे छिनाल, राँड़ ऐसे कहता था तो वह मुझसे लिपट जाती थी और कहती थी…

    “मैं छिनाल या राँड़ ही सही, पर मैं तुम्हारी हूँ।“ फिर मुझे ही गालियां निकालती थी और कहती थी। “इतना मोटा लण्ड लेकर घूमते हो पर इस लण्ड को अगर मेरी चूत में डाला नहीं तो फिर किस काम का? साले डालो इसे जल्दी और तुम्हारी राँड़ की भूख शांत करो।”

    मैंने योग के होँठ फिर से जोश से चूमे और मेरे होँठों को उसके होँठों पर रख कर के ही बोली, “साले सपने में तो तू इतनी बहादुरी दिखा कर बड़ा शूरवीर बनता था। अब तुझे क्या हो गया है? क्या तेरा यह लण्ड ढीला पद गया है?”

    योग मेरे मन की इच्छा समझ गए और बोले, “राँड़ मेरे लौड़े की ताकत तुझे देखनी है? तो मैं तुझे अभी दिखाता हूँ। जब मैं तुझे चोदुँगा तब अगर तूने चिल्ला चिल्ला कर मुझे रुकने के लिए ना ना कहा तो मैं कभी किसी औरत की चूत में यह लण्ड नहीं डालूंगा।”

    योगराज की बात सुनकर मैं डर गयी। मैंने धीरे से सहमे से कहा, “योग नहीं यार ऐसा मत करना। मैं तो गन्दी गन्दी बातें उकसाने के लिए कह रही थी। तुमने तो इसे सीरियसली ले लिया।”

    योग हँस पड़े और बोले, “तो मैं कौन सा सीरियसली कह रहा था? मैं मेरी प्यारी प्रिया को रुलाऊंगा क्या? और फिर तुम्हें मुझे उकसाने की कोई जरुरत है क्या? इसे देखो यह तो कभी का तुम्हारी चूत को चोद ने के लिए फनफना रहा है।” योग ने अपने खड़े मोटे ऊपर की तरफ मुंह किये हुए लम्बे छड़ सामान लण्ड की और इशारा करते हुए कहा।

    मुझे यह सुनकर अच्छा लगा की योग धीरे धीरे मुझे कनिका से अलग प्रिया मानने के लिए तैयार हो रहे थे।

    योग ने बड़े प्यार से मेरी टाँगों को उठाकर अपने कंधे पर रख दिया। फिर वह थोड़ा झुक कर मेरी चूत को गौर से देखकर बोले, “जानू तुम्हारी चूत का द्वार वाकई में छोटा है। मेरा लौड़ा डालने से तुम्हें जरूर कष्ट होगा। पर धीरे धीरे कष्ट कम होगा और बादमें हम खूब एन्जॉय करेंगे। मैं मेरी प्रिया की चूत का ध्यान रखूंगा. ओके?”

    मैंने आँखें मुंद कर हामी भरी और योग का लण्ड हाथ में पकड़ा और उसे मेरी चूत के छिद्र की नोक पर रखा। तब अचानक योग बोल उठे, “जानूं, क्या मैं कंडोम पहनलूँ?”

    मैं नहीं चाहती थी की उस रात मेरी और योग के बिच कोई प्लास्टिक आये।

    मैंने कहा, “योग डार्लिंग, आज की रात मैं अपनी चूत और तुम्हारे लण्ड के बिच कोई भी अवरोध आने देना नहीं चाहती। वैसे तो यह पीरियड गर्भ धारण के अनुकूल नहीं है फिर भी यदि तुम्हारे वीर्य से मुझे गर्भ हुआ तो मैं उसे अपना सौभाग्य समझूंगी और मैं मेरे पति को बता दूंगी की मैंने तुमसे चुदवा कर यह गर्भ धारण किया है…

    मैं अपने पति से कई सालों से चुद रही हूँ और पिछले कुछ सालों से तो हमने कोई सुरक्षा नहीं अपनायी। पर कोई गर्भ धारण नहीं हुआ। वह मुझे माँ नहीं बना पाए। अब तुमसे अगर मुझे कोई बच्चा हुआ तो मैं उसे बड़ा करुँगी और उसे योग कुमार या योग कुमारी का नाम दूंगी। मेरे पति को अगर कोई शिकायत हो तो मैं उससे तलाक लेने के लिए तैयार हूँ, चाहे तुम मुझे अपना साथी बनाना चाहो या नहीं।’

    योग ने कहा, “मेर सौभाग्य होगा अगर तुम मेरी पूरी जिंदगी के लिए मेरी पत्नी बनो। मेरी दूसरी कनिका को पा कर मेरा जीवन सफल हो जाएगा।”

    आब आगे आगे इस रात में क्या क्या होने वाला है ये तो अगले एपिसोड में ही पता चलेगा. तब तक के लिए अपनी प्रतिक्रिया जरुर दीजिये!

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