Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti – Episode 19

This story is part of the Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti series

    योग की कहानी और उनकी मेरे काम के प्रति तारीफ सुन कर मैं फूली नहीं समां रही थी, इस चक्कर में मैंने शम्पेन के 3-4 गिलास एक साथ गटक लिए!

    मैं अब योग बिखरे हुए घर के बारे में, उनके अकेलेपन के बारे में, उनकी पत्नी (जिसकी शक्ल मुझसे हूबहू मिलती थी) के बारे में सोचने लगी। मुझे लगा योग को इस वक्त मेरी सख्त जरुरत थी। एक स्त्री के प्रेम के बगैर भला पुरुष कैसे जी सकता है?

    पत्नी के बगैर अकेले रह कर उनमें करुणा और नर्माहट का भाव सुख गया था। योग के रूखेपन का कारण मुझे यही लगा। मेरे उनके करीब आते ही जैसे उनके जीवन में फिरसे प्यार और करुणा वापस लौट आयी थी।

    अचानक मेरी साँसों की रफ़्तार बढ़ गयी। मेरी निप्पलेँ फूलने लगीं, मेरी चूत में से पानी रिसने लगा।

    मेरे जहन में एक उत्तेजक उन्मादक सिहरन फ़ैल गयी। मेरी जाँघों की बिच वही पुरानी खुजली सी पैदा होने लगी। मेरी चूत मेंअजीब सी फड़कन होनेलगी। मेरी चूत में योग के लण्ड के लिए एक ललक सी होने लगी।

    दो गिलास शैम्पेन ने मेरी भावनाओं को और रोमांचक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

    मैं योग के करीब गयी और उनसे लिपटकर उनकी बाहों में चली गयी और उनसे बोली, “योग डार्लिंग, मैंने थोड़ी देर पहले आपसे कहा था की मेरे काम के बारे में आपकी तारीफ़ ही मुझे मिलने वाले कोई भी तोहफे से मेरे लिए सबसे उत्तम तोहफा होगा। पर मैं गलत थी। अगर आप मेरे काम से वाकई में इतने प्रसन्न हैं तो उससे भी ऊंचा और उससे भी उत्तम एक और तोहफा है जिसके में लायक हूँ और जो मैं आपसे चाहती हूँ…

    में चाहती हूँ योग की आज रात तुम मुझसे खूब गहरा और घनिष्ट अंतरंग प्यार करो। योग तुम मुझे आज रात अपना सर्वस्व समर्पण कर दो और मेरा सर्वस्व स्वीकार करो। मैं तुम्हें अपने आपको समर्पित करना चाहती हूँ। क्या आज रात तुम मुझसे एकाकी अंतरंग प्यार करोगे? क्या आज रात तुम मुझे चोदोगे? अगर आप मुझे कोई तोहफा देना चाहते हो तो यही मेरे लिए सर्वोत्तम तोहफा होगा।“

    योग मेरी बात सुनकर अचम्भे से मेरी और देखते ही रह गए। उनको मेरे शब्दों पर शायद विश्वास नहीं हो रहा था।

    उनको विश्वास नहीं हुआ की मैं वही औरत थी जो योग ने जब कहा की वह मुझे चोदना चाहता था तो आग बबूला हो गयी थी और उनसे नफ़रत करने लगी थी वही औरत आज सामने चल कर उनसे चुदवा ने के लिए आमंत्रित कर रही थी। योग के चेहरे पर अजीबोगरीब भाव दिखने लगे

    मैंने योग का हाथ मेरे स्तनों पर रखा और कहा, “योग मैं मजाक नहीं कर रही। मैं वाकई में तुमसे तुम्हारे मोटे लण्ड से चुदना चाहती हूँ। मैं इस लिए नहीं कह रही हूँ की तुमने मेरे प्रोग्राम को स्वीकार किया है और मुझे पूरी सहायता करने का वादा किया है…

    पर इस लिए की मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूँ। मैं हमेशा तुमसे चुदवाना चाहती थी। जब हम लिफ्ट में फँस गए थे तब मैं चाहती थी की तुम मुझे वहीँ चोद देते। पर वह हो नहीं पाया। बाद में मैं ग़लतफ़हमी के कारण तुम्हारे करीब आ नहीं पायी, और मेरी दिल की बात तुम्हें कह नहीं पायी…

    जब तुमने मुझे चोदने के लिए उस कैफे में कहा था तो तुम्हें पता नहीं था की मैं तुमसे चुदवाने के लिए कितनी तड़पी थी। पर वही ग़लतफ़हमी के कारण मैंने तुम्हें दुत्कार दिया था। अब मैं अपनी गलती सुधारना चाहती हूँ।“

    योग ने मेरी और प्यार और कुछ लोलुपता भरी नजर से देखा। मैं उनकी नजर देख कर शर्मा गयी। उन्होंने वही प्यार भरी नजर से मुझे देखा जो पहली बार मिलने पर देखा था। उनको मुझमें अपनी पत्नी नजर आ रही थी।

    मुझे इससे कोई शिकायत नहीं थी। मैं उस रात उनकी पत्नी ही बनना चाहती थी। मैं उनको उस रात एक पत्नी का सुख देना चाहती थी। मेरे घुटनों और पीठ के निचे अपने बाजू रखकर योग ने आगे बढ़कर मुझे बड़ी आसानी से ऊपर उठा लिया। उनकी उंगलियां मेरे स्तनों को छू रहीं थीं।

    वह मुझे उठा कर अपने शयन कक्ष में ले आये और मुझे बड़े प्यार से बिस्तरे पर हलके से लिटाया। जैसे ही योग ने मुझे अपनी बाँहों में ऊपर उठाया की मैंने योग के होठोँ पर अपने होंठ रख दिए।

    उनके सर को मेरे दोनों हाथों में पकड़ कर मैंने उनके मुंह को मेरे मुंह से जोड़ दिया। मेरे ऐसे आवेग पूर्ण वर्ताव से योग थोड़े से सकते में आ गये की अचानक मुझे यह क्या हुआ? पर फिर उन्होंने भी मेरे होंठों से अपने होँठ भींच दिए और हम दोनों प्रगाढ़ चुम्बन में जुड़ गए।

    योग इतने उत्तेजित होगये थे और मेरे होँठों से अपने होँठ इतनी सख्ती से भींच दिए और हम इतनी देर तक एक दूसरे से होँठ से होँठ मिलाकर चिपके रहे की मेरे लिए साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था।

    योग मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर उसे अंदर बाहर कर रहा था। मैं उनकी जीभ को चूस कर उसका स्वाद ले रही थी। उनके मुंहकी लार मेरे मुंह में आरही थी और मुझे बड़ी सुहानी लग रही थी।

    मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे योग मुझे जीभ से ही चोद रहे हों और उनकी लार जैसे उनके लण्ड से रिस रहा पूर्व स्राव हो। जब मेरी साँस रुकने लगी तो हम अलग हुए।

    मैं ताजा हवा में साँस में लेने की कोशिश कर रही थी तो बोले, “श्रीमती जी, आपका तोहफा तैयार है। ”

    योग निचे झुके और मेरे गाल पर, मेरी गर्दन पर और मेरी छाती पर गिरी शैम्पेन को वह चाटने लगे। उनका एक हाथ मेरी त्वचा और मेरे ब्लाउज और ब्रा के बिच में से उन्होंने घुसाया और मेरे स्तनोँ को अपनी उँगलियों के बिच दबाने लगे। उनके हाथ में मेरी फूली हुई निप्पलेँ आयी और वह उन्हें चींटा भरने और दबाने लगे।

    मेरी इतनी फूली हुई निप्पलेँ महसूस कर वह हैरान रह गए और बोले, “बापरे! तुम्हारी निप्पलेँ तो देखो! कितनी फूली हुई हैं? तुमतो एकदम गरम हो रही हो!”

    मैंने उनकी और देखा और हँस कर कहा, “योग, तुम तो मुझे अपना तोहफा देने में बिलकुल समय गँवाना नहीं चाहते हो।”

    योग ने कहा, “मुझे मेरी माँ ने एक बड़ी अच्छी सलाह दी थी की बेटा अच्छे काम करने में देर नहीं करनी चाहिए।”

    योग ने मेरे ब्लाउज के ऊपर के बटनों को खोलने के लिए फंफोशना शुरू किया। और आखिर में एक के बाद एक ऊपर के बटन खोल ही डाले। मैंने अपना ब्लाउज पूरा खोल दिया और बाहर निकाल फेंका।

    योग ने तुरंत पीछे हाथ डाल कर मेरी ब्रा की पट्टियां खोल डाली। मैंने योग को अपने पास खींचा और मेरा हाथ उसके पाजामे में हाथ दाल कर उसका लण्ड मेरे हाथ में पकड़ा। बापरे!

    योग का लण्ड जो मैंने सपने में देखा था उससे कम नहीं था। योग की उत्तेजना और कामुकता का अंदाजा उसके लण्ड की सख्ताई और लम्बाई से साफ़ साफ़ लगाया जा सकता था।

    मेरे कंपनी ज्वाइन करने के बाद योग ने किसी भी औरत को नहीं चोदा था यह बात मैं जान चुकी थी। इसका मतलब यह हुआ की योग ने करीब करीब छह महीने से किसी भी औरत को नहीं चोदा था। यह योग की उत्तेजना से साफ़ दिख रहा था।

    योग के लण्ड पर उसका पूर्व स्राव पूरी तरह फैला हुआ था। मेरे हाथ लगते ही योग के बदन काँप उठा। मेरी हथेली योग के पूर्व स्राव की चिकनाहट से भर गयी। मुझे बरबस ही अजित के लण्ड के आसपास फैली चिकनाहट की याद आयी। उस बेचारे ने भी तो कोई भी औरत को करीब छः महीने से नहीं चोदा था।

    योग का लण्ड मेरे पति के लण्ड से कहीं ज्यादा लम्बा और मोटा था। मेरे पति का लण्ड भी कोई छोटा नहीं था. पर योग के लण्ड के मुकाबले कुछ नहीं था।

    लिफ्ट में मैंने योग के लंड को महसूस जरूर किया था और उसकी साइज का मुझे भली भांति अंदाज भी हो गया था। पर उस रात मैंने पहेली बार योग के नंगे लण्ड को स्पर्श किया था।

    उसका इतना मोटा लण्ड पूरी तरह मेरी छोटी सी मुट्ठी में लेना तो संभव नहीं था पर फिर भी मैंने उनके लण्ड की ऊपरी सतह वाली त्वचा को मेरी उँगलियों का घेरा बनाके मुट्ठी में पकड़ा और धीरे धीरे प्यार से उसको उनके लण्ड के डण्डे की लम्बाई पर आगे पीछे करने लगी।

    मैं योग को बड़े ही प्यार भरी नज़रों से देख रही थी। उनका कई महीनों का या यूँ कहिये की सालों का सपना शायद साकार हो रहा था। वह आँखें मूँदे इस अनुभव का आनंद ले रहे थे। कभी वह अपनी पत्नी कनिका के हाथ के स्पर्श का ऐसा अनुभव लेते थे।

    उन्होंने शायद सोचा भी नहीं होगा की एक दूसरी औरत जिसकी शकल कनिका से हूबहू मिलती थी वह भी कभी उनके लण्ड को इस तरह सहलाएगी और उनसे चुदने के लिए तैयार होगी। लण्ड का सहलाना मर्दों का वीक स्पॉट होता है यह सब औरतें जानती है।

    उसको ऐसे हिलाते ही कई ढीले ढाले मर्द तो औरत की मुठी में ही अपना माल छोड़ देते हैं। मेरे लण्ड सहलाते ही योग का पूरा बदन सिहर उठा। उनका लण्ड फुल कर और बड़ा हो गया। उनकी उत्तेजना का अनुभव मैंने मेरे स्तनोँ को जोरसे दबाने के कारण भली भाँती महसूस किया।

    उन्होंने झुक कर मेरी दोनों चूँचियों को बारी बारी चूसना शुरू किया। उनको मेरी फूली हुई निप्पलेँ बड़ी भायीं ऐसा मुझे लगा क्यों की वह बारी बारी उनको चूमते और काटते थे।

    ऐसा काफी देर करते रहने के बाद उन्होंने सर उठाया और मेरी और देखकर बोले, “प्रिया, जानूँ इनको चूसकर तो मजा आ गया। तुम्हारे स्तन कमाल के स्वादु हैं।”

    मैंने उनकी और देखकर कहा, “लगता है अभी भी तुम अपना शिशुपन भूले नहीं हो।”

    “अगर इतनी मस्त स्तनोँ और निप्पलोँ वाली माँ अपना दूध पिलाने वाली हो तो भला कौन शिशु बनना नहीं चाहेगा?” योग ने मुस्कराते हुए मेरे स्तनोँ को चूसते हुए जवाब दिया। योग ने अपनी मुट्ठी में मेरे एक स्तन को इतने जोर से दबाया की मेरी चीख निकल गयी।

    उन्होंने एक उंगली मेरी एक निप्पल पर फिराते हुए कहा, “प्रिया डार्लिंग, तुम्हारे स्तन जैसे स्तन मैंने आज तक नहीं देखे। भगवान ने तुहारे स्तनोँ को सुंदरता का नमूना के जैसे बनाया है। ”

    “और आपके लण्ड के जितना बड़ा लण्ड मैंने कभी ना देखा है और ना ही हाथों में पकड़ा है।” मैंने जवाब में योग से कहा।

    अचानक मैं यह सोच कर उलझन में पड़ गयी और शर्मा गयी की यह मैंने क्या बोल दिया? अगर योग ने पूछ लिया की मैंने कितने लण्ड पकडे हैं तो मैं क्या जवाब दूंगी?

    पर योग ने जवाब दिया, “जानूँ, यह लण्ड अब आज से तुम्हारा है।” योग यह कह कर खड़े हुए और उन्होंने अपना पजामा निचे खिसका कर कोने में फेंक दिया।

    उनका लंबा, मोटा, लोहे के छड़ के सामान कड़क लण्ड मेरी नज़रों के सामने तन कर खड़ा उद्दंड, ऊपर की तरह अपनी नोक उठा कर इधर उधर ऐसे झूल रहा था जैसे गुरुत्वाकर्षण का नियम उस पर लागू नहीं होता हो।

    मैंने योग का लण्ड फिर मेरी हथेली में पकड़ा और उसे बड़े प्यार से थोड़ा और फुर्ती से सहलाने लगी। मैंने योग की और देखा तो योग मुस्कराये और मेरे बालों में अपनी उंगलियां डाल कर उनसे खेलने लगे।

    मैंने उनसे कहा, “जानूँ जानते हो जब आपने मुझे सपने में से जगाया तो मैं ‘धीरे करो धीरे करो’ क्यूँ बड़बड़ा रही थी?” योग ने मेरी और प्रश्नात्मक नजर से देखा।

    मैं शर्मा कर मुस्कुरायी और बोली, “मैं सपना देख रही थी की तुम मुझे बड़े जोर से और दबंगाई से चोद रहे थे और यह तुम्हारा मोटा और लंबा लण्ड मेरी छोटी सी चूत पर कहर ढा रहा था। मैं तुम्हें मेरी यह नाजुक चूत को तुम्हारा यह घोड़े के जैसा लण्ड फाड़ ना दे इस लिए धीरे धीरे चोदने के लिए कह रही थी। ”

    योग ने फिर वही मीठी मुस्कान देकर बोले, “अच्छा मैडम! तो आप यहां मेरे घर में मुझे चोदने और मुझसे चुदवाने के इरादे से ही आयी थीं?”

    मैंने योग की कमर पकड़ी और बोली, “योग जानूँ, तुम सवाल बहुत ज्यादा पूछते हो। क्या तुम्हारी माँ ने कम बोलो और काम ज्यादा करो उसकी सिख नहीं दी थी?”

    मैंने योग का कुर्ता उसकी छाती के ऊपर से निकालना चाहा। तो योग ने तुरंत ही अपनी बाहें ऊपर करके निकाल फेंका। मैं योग की निप्पलोँ को चाटना और उसके छाती पर फैले घने बालों को चूमना चाहती थी।

    योग मुझे अपने और करीब खिंच कर बोले, “मेरी माँ की सिख मैं कैसे अमल करता हूँ यह देखना चाहोगी?”

    कुर्ता निकालने पर योग अब पूरी तरह नंगे हो चुके थे। उनकी पतली सुगठित कमर और उसके निचे का ढलाव जो उनके पाँवों के बिच उनके लण्ड की और जाता था वह इतना लुभावना और सेक्सी लग रहा था की मैं अपने आप को रोक नहीं पायी और उन के शेव कर के साफ़ किये हुए टीले पर मैंने अपने होँठ रखे और चुम लिया।

    फिर मैंने मेरा सर ऊपर की और उठाया और मैं योग के सीने पर उनकी दो निप्पलोँ को चूमने और काटने लगी। मेरा हाथ अपने आप ही सरक कर उनकी जाँघों के बिच चला गया और मैं उनके लण्ड के ऊपर के हिस्से का मुआइना करने लगी।

    उनका कसा हुआ बदन, उनकी सख्त जाँघें, उनकी कड़क गाँड़ और कसरत करने से सख्त हुए उनके स्नायु मेरे शरीर को अजीब सी सिहरन दे रहे थे।

    मैंने कहा, “हाँ, माँ की दी हुई सिख तुम कैसे अमल में ला रहे हो यह साफ़ दिखता है।”

    उस रात को तो यह बदन सिर्फ मेरा ही था, यह सोच कर मैं रोमाँच अनुभव कर रही थी। मैं उस रात सिर्फ उनकी बनकर रहना चाहती थी और चाहती थी की उस रात के लिए वह सिर्फ मेरे हों।

    मैं उनका पूरा बदन का स्पर्श उपरसे और अंदर से अनुभव करना चाहती थी। मैं उस रात के लिए उनका चोदने का खिलौना बनना चाहती थी। मैंने उनकी और देखा तो पाया की वह भी मुझे टकटकी लगा कर देख रहे थे।

    ख़ास तौर पर उनकी नजर मेरे पतलून पर थी। वह थोड़ा झुके और मेरी पतलून की रबर वाली खींचने वाली बेल्ट को नीचे खिसकाने लगे।

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